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बैचलर ऑफ़ आयुर्वेद मेडिसिन एंड सर्जरी
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बैचलर ऑफ़ आयुर्वेद मेडिसिन एंड सर्जरी

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बैचलर ऑफ आयुर्वेद मेडिसिन एंड सर्जरी (Bachelor of Ayurvedic Medicine and Surgery (B.A.M.S.)) भारत में चिकित्सा की एक डिग्री है। यह १२वीं कक्षा के बाद साढ़े पाँच वर्ष की अवधि में पूरी की जाती है, जिसमें एक वर्ष का इंटर्नशिप भी सम्मिलित है। बीएएमएस का डिग्रीधारी व्यक्ति भारत में कहीं भी प्रैक्टिस कर सकता है।

इस पाठ्यक्रम में शरीररचना विज्ञान, शरीरक्रिया विज्ञान, चिकित्सा के सिद्धान्त, रोगों से बचाव तथा सामाजिक चिकित्सा, फर्माकोलोजी, विषविज्ञान (toxicology), फोरेंसिक चिकित्सा, कान-नाक-गले की चिकित्सा, आँख की चिकित्सा, शल्यक्रिया मॉडर्न मेडिसिन (अर्वाचीन वैद्यक) पुर्ण ज्ञान व के सिद्धान्त आदि का पठन-पाठन होता ही है इसके साथ ही आयुर्वेद की भी शिक्षा दी जाती है। कुछ विशेषज्ञों का मत है कि भविष्य में बीएएमएस और एमबीबीएस का एकीकरण किया जा सकता है।

परिचय

भारत में इस आयुर्वेदिक उपचार को काफी महत्व कम दिया जा रहा है। आयुर्वेदिक दवाई निर्माता कंपनियों की संख्या में इजाफा और विदेशों में भी इसका प्रचलन इस क्षेत्र में रोजगार के नये आयाम खोल रहा है। आयुर्वेद को लेकर एक प्रमुख बात यह है कि विदेश से आने वाले पर्यटकों के लिए अधिक से अधिक पंचकर्म केंद्र बनाए जा रहे हैं। यही नहीं, देश में प्रत्येक नागरिक अस्पताल में कम से कम एक आयुर्वेदिक चिकित्सक का होना अनिवार्य कर दिया गया है। ऐसे में आयुर्वेद में स्नातक कर रहे छात्रों का भविष्य उज्ज्वल है। आईएएसआई यूनिवर्सिटी के उपकुलपति मिलाप दुगर कहते हैं आयुर्वेद विज्ञान एक अद्वितीय चिकित्सा पद्धति है जिससे न केवल रोग ठीक होता है बल्कि व्यक्ति का उपचार भी होता है। यह उपचार पंचकर्म द्वारा किया जाता है। इस उपचार पद्धति में बढ़ती रुचि ने आयुर्वेदिक डॉक्टरों की मांग बढ़ा दी है।

पाठ्यक्रम

भारत में आयुर्वेदिक शिक्षा सेंट्रल काउंसिल ऑफ इंडियन मेडिसिन (सीसीआईएम) द्वारा संचालित की जाती है। आयुर्वेद में साढ़े पांच साल का पूर्व स्नातक कोर्स करने के बाद बैचलर ऑफ मेडिसिन एंड सर्जरी (बीएएमएस) की डिग्री दी जाती है। भारत के आयुर्वेदिक कॉलेज स्नातक स्तर पर आयुर्वेदाचार्य या बीएएमएस की डिग्री प्रदान करते हैं।

इसके लिए न्यूनतम योग्यता उच्च माध्यमिक/पीयूसी (संस्कृत के साथ अधिमान्य) या समकक्ष या माध्यमिक (आयुर्वेदिक ग्रुप- भौतिकी, रसायन, जीवविज्ञान और संस्कृत), किसी भी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से जो काउंसिल की शर्तें पूरी करता हो।

बीएएमएस कोर्स के लिए न्यूनतम आयु 17 वर्ष है।

संस्थान

भारत में आज विभिन्न राज्यों में कई ऐसे संस्थान हैं जो आयुर्वेद से जुड़े कोर्स कराते हैं-

  • आयुर्वेदिक एंड यूनानी तिबिया कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली
  • राजकीय ऋषिकुल आयुर्वेद महाविद्यालय, हरिद्वार
  • राजकीय गुरुकुल कांगड़ी आयुर्वेदिक महाविद्यालय, हरिद्वार
  • अलीगढ़ आयुर्वेदिक व यूनानी चिकित्सा महाविद्यालय,
  • आयुर्वेद महाविद्यालय, वाराणसी
  • श्री लाल बहादुरशास्त्री मेमोरियल राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय, इलाहाबाद
  • राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय, तिरुअनंतपुरम
  • राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय, कन्नूर

प्रवेश परीक्षा

बीएएमएस में प्रवेश तभी मिल सकता है जब छात्र इसकी प्रमुख प्रवेश परीक्षाओं में सफलता हासिल कर ले। इसमें ऑल इंडिया एंट्रेंस एग्जाम के अलावा राज्य स्तर पर भी कई प्रवेश परीक्षाएं आयोजित की जाती हैं। इस प्रवेश परीक्षा का पाठ्यक्रम बारहवीं पर आधारित होता है। एमबीबीएस की भांति इसमें भी छात्रों के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा रहती है। कुछ प्रमुख परीक्षाएं इस प्रकार हैं-

  • नेशनल इंस्टीटय़ूट ऑफ आयुर्वेद एंट्रेंस एग्जाम
  • उत्तराखंड पीजी मेडिकल एंट्रेंस एग्जाम
  • केरल स्टेट एंट्रेंस एग्जाम
  • कॉमन एंट्रेंस टैस्ट (सीईटी), कर्नाटक
  • आयुष एंट्रेंस एग्जाम

आधुनिक चिकित्साशास्त्र के व्यवहार की अनुमति

बीएएमएस के स्नातकों को महाराष्ट्र में आधुनिक चिकित्साशास्त्र के व्यवहार की अनुमति प्राप्त है। कर्नाटक में ग्रामीण क्षेत्रों के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में पदस्थ बीएएमएस स्नातक डॉक्टर "आपातकाल" में आधुनिक चिकित्साशास्त्र का व्यवहार कर सकते हैं।

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