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बार्बिट्यूरिक अम्ल

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बार्बिट्यूरिक अम्ल (Barbituric acid या malonylurea या 6-hydroxyuracil) एक कार्बनिक यौगिक है। यह जल में विलेय गंधहीन चूर्ण (पाउडर) है। यह अम्ल बार्बिट्युरेट औषधियों का आधार यौगिक (parent compound) है। जर्मन रसायनज्ञ एडॉल्फ फॉन बेयर (Adolf von Baeyer) ने १८६४ में इसका आविष्कार किया था।

परिचय

बार्बिट्यूरिक अम्ल वस्तुत: मैलोनिक अम्ल का यूरीड है। साधारणतया यह मैलोनिक क्लोराइड या मैलोनिक एस्टर, के यूरिया के साथ संघनन से प्राप्त होता है :

मैलोनिक अम्ल और यूरिया से बार्बिट्यूरिक अम्ल का संश्लेषण

बार्बिट्यूरिक अम्ल के सुंदर क्रिस्टल बनते हैं तथा यह जल में विलेय होता है। इसका जलीय विलयन प्रबल अम्लीय होता है। इस यौगिक में मैलोनिक अम्ल के मेथिलीन समूह का हाइड्रोजन बड़ी सरलता से विस्थापित होकर अनेक यौगिक बनाता है, जो सैद्धांतिक और व्यावहारिक, दोनों दृष्टियों से महत्व के हैं। नाइट्रिक अम्ल की क्रिया से यह नाइट्रोबार्बिट्यूरिक अम्ल (Uramil) हो जाता है। इससे स्यूडोयूरिक अम्ल प्राप्त होता है, जिसका उपयोग यूरिया के संश्लेषण में हुआ है। इसके ऐल्किल संजात बड़े प्रभावशाली शामक (sedative) या निद्रापक (hypnotic) हैं, जिनका व्यवहार आज व्यापक रूप से ओषधियों में होता है। ऐसी ओषधियाँ विरोनल, प्रोपोनल, डायल, लूमिनल इत्यादि क्रमश: डाइएथिल बार्बिट्यूरिक अम्ल, डाइप्रोपिल बार्बिट्यूरिक अम्ल, डाइएलिल बार्बिट्यूरिक अम्ल, फेनिल-एथिल बार्बिट्यूरिक अम्ल इत्यादि हैं।


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