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खेल चिकित्सा

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खेल चिकित्सा (Sports medicine), चिकित्सा की वह शाखा है शारीरिक स्वस्थता एवं खेल तथा व्यायाम आदि से सम्बन्धित क्षति को रोकने और उसकी चिकित्सा करने से सम्बन्धित है।

खेल चिकित्सा के प्रमुख क्षेत्र ये हैं

  • खेल चोट और निदान उपचार
  • खेल चोट की रोकथाम
  • खेल प्रशिक्षण सहित एथेलेटिक प्रदर्शन
  • व्यायाम और कार्य प्रणाली
  • खेल पोषण
  • खेल मनोविज्ञान

खेलों के विभिन्न क्षेत्रों में खिलाड़ी की चयन प्रक्रिया, पोषण, ट्रेनिंग विधियाँ, शारीरिक दक्षता, चोटों से रक्षा, बचाव एवं इलाज, खिलाड़ी का दैनिक कार्यक्रम, नई तकनीकों का उपयोग, खिलाड़ी का पूर्ण परीक्षण खेल के दौरान खिलाड़ी की कार्यकीय एवं मनोवैज्ञानिक दशा तथा खेलों एवं क्रीड़ाओं की वैज्ञानिक उन्नति आदि में खेल चिकित्साविज्ञान की बहुत आवश्यकता पड़ती है। खेल चिकित्साविज्ञान की खेल एवं शारीरिक शिक्षा के क्षेत्र में निम्नलिखित आवश्यकता पड़ती है:

  • प्रतिभावान खिलाड़ियों के पहचान एवं चयन
  • प्रशिक्षण कार्यक्रम तैयार करना
  • खिलाड़ी का संतुलित आहार तैयार करना
  • प्रशिक्षकों के लिए प्रशिक्षण विधियों को खोजने का साधन
  • पूर्ण दक्षता प्राप्त करना
  • खेल चोटों को कम करना
  • खेल चोटों के इलाज एवं पुनर्वास
  • खिलाड़ी को प्रदर्शन-स्तर को नियमित परीक्षण
  • महिला खिलाड़ी की विशिष्ट चिकित्सकीय समस्याओं में सहायता प्रदान करना
  • खिलाड़ी को मादक द्रव्य सेवन, धूम्रपान अदि के कुप्रभाव से अवगत कराना
  • खेलों एवं क्रीड़ाओं की वैज्ञानिक उन्नति
  • खेल चिकित्सा विस्तार सेवा
  • प्राथमिक स्वास्थ्य रक्षा
  • शारीरिक शिक्षा कार्यक्रम और नये तथ्य खोजने में व्यवस्था करना

खेल की चोटें

खेलकूद में लगने वाली नियमित चोटों से अलग होती हैं, क्योंकि एथलीट अपने शरीर पर बहुत दबाव डालते हैं, जो कभी-कभी मांसपेशियों, जोड़ों और हड्डियों में टूट-फूट का कारण बनता है। खेल, प्रशिक्षण और व्यायाम में भाग लेने के दौरान खेल की चोटें होती हैं। ओवरट्रेनिंग, कंडीशनिंग की कमी, और कार्य करने की अनुचित तकनीक से खेल में चोट लगती है। व्यायाम या किसी भी शारीरिक खेल को खेलने से पहले वार्म अप न करने से भी चोटों का खतरा बढ़ जाता है।

स्पोर्ट्स फिजियोथेरेपी, फिजियोथेरेपी की एक विशेष शाखा है जिसकी मदद से खेल की चोटों का इलाज बेहतर तरीके से किया जाता है। स्पोर्ट्स फिजियोथेरेपिस्ट के पास खेल विशिष्ट ज्ञान होता है और एथलीट की तेजी से रिकवरी करने में मदद करने में बेहतर होते हैं। आम तौर पर खेल की चोटों के उपचार में एथलीटों को राहत पहुंचाने के लिए उचित दवा के साथ स्पोर्ट्स फिजियोथेरेपी का उपयोग किया जाता है। वास्तव में खेल की चोट में फिजियोथेरेपी एथलीटों की तेजी से रिकवरी काफी उपयोगी साबित हुई है और उपचार के सबसे भरोसेमंद रूपों में से एक है।

खेल चिकित्सा के लक्ष्य

  • (१) खेलों के दौरान खिलाड़ी को लगने वाली चोटों के बारे में पूर्ण रूप से ज्ञान नहीं होता है ओर सभी खेलों में चोट के लगने की प्रकृति एवं प्रकार में भिन्नता पाई जाती है। अतः खिलाड़ी जिस खेल में ट्रेनिंग ले रहा है या अभ्यास कर रहा है, उस खेल में लगने वाली संभावित चोटों के बारे में खिलाड़ी को पूर्व में खेल चिकित्सक और प्रशिक्षण द्वारा बता देना चाहिए जिससे खिलाड़ी अपने को खेल के दौरान चोट ग्रस्त होने से बचा सके। इसके लिए प्रशिक्षण को भी खिलाड़ी की योग्यताओं, क्षमताओं और मानसिक चिंतन एवं उपकरण की जाँच तथा अन्य मनोवैज्ञानिक कारको का परीक्षण पूर्व में ही कर लेना चाहिए तथा चिकित्सकीय जाँच आदि की सूचना खेल चिकित्सक के माध्यम से प्राप्त कर खिलाड़ी को देना चाहिए।
  • (२) खिलाड़ी को शरीर, मनोवैज्ञानिक, चिकित्सीय कारक और अन्य विशेष कारकों को ध्यान में रखकर खिलाड़ी को लगने वाली चोटों से संभावित कारण से अवगत कराना उचित होता है जिससे कि वह खेल या प्रतियोगिता के दौरान अपने की चोटग्रस्त होने से बचा सके। खेलों में लगने वाली चोटों के कारण खिलाड़ी की खेल कौशल तकनीक में कमी, अपर्याप्त गरमाना अपर्याप्त शारीरिक दक्षता, वातावरणीय कारक और अन्य मनोवैज्ञानिक पहलू हो सकते है।
  • (३) जब खिलाड़ी खेल की दौरान या ट्रैकिग के दौरान या प्रतियोगिता के दौरान चोटग्रस्त हो जाता है, तो खिलाड़ी या प्रशिक्षक की चाहिए कि वे तुरन्त प्राथमिक उपचार के पश्चात् संबंधित खेल वैज्ञानिक विशेषज्ञ को सूचित करें जिससे कि चोट के इलाज, पुनर्वास और क्षतिपूर्ति का शीघ्र उपाय किया जा सके। चोटों के क्षतिपूर्ति और पुनर्वास के लिए सामान्यतः विभिन्न चिकित्सकीय तरीकों में जैसे जल उपचार (Hydro therapy), किरणीय उपचार (Dia & Radiation therapy) और पराध्वनि तरंगों (Vibrating wave therapy) आदि को उपयोग में लाया जाता है।
  • (४) खिलाड़ी को खेल के दौरान लगने वाली चोटों के बचाव के बचाव के बारे में पहले से ही अवगत करा देना चाहिए जिससे कि वह अभ्यास या प्रतियोगिता के दौरान चोटग्रस्त न हो सके।

खेल चिकित्सक

खेल चिकित्सा के लक्ष्य एवं उद्देश्यों की पूर्ति के लिए खिलाड़ी, खेल प्रशिक्षक, ट्रेनर, एवं शारीरिक शिक्षक अदि का बहुत महत्त्वपूर्ण योगदान रहता है। खेल चिकित्सक की निम्नलिखित भूमिका होती है-

  • खेलों में भाग लेने वाले विश्वविद्यालयीन जवान बच्चों और विकसित युवा, पुरूषों की नियमित चिकित्सकीय जाँच करना
  • सभी क्रियाओं के अभिलेखों को तैयार करना एवं रख-रखाव करना
  • चोटग्रस्त खिलाड़ियों की चोटों का इलाज एवं चोट पुनर्वास की प्रक्रिया को संपूर्ण करना
  • आधुनिक खेल चिकित्सक को खेल कार्य की, डोपिंग, पैथालॉजी, मनोविज्ञान, कार्डियोलॉजी, इन्डोक्रायनोलॉजी, ट्रायमेटोलॉजी आदि जैसे विषयों से संबंधित खिलाड़ी की समस्या का हल चिकित्सकीय जाँच के माध्यम से करता है।
प्रशिक्षण के दौरान
  • उचित अनुकूलन व्यायाम
  • स्वास्थ्य स्तर की जाँच
  • क्रमबद्ध ट्रेनिंग की जाँच
स्पर्धा के दौरान
  • चोटों की उचित देखभाल करना
  • औषधि एवं दवाइयों के उचित सेवन पर ध्यान देना
  • उचित आराम व नींद पर ध्यान देना
  • खिलाड़ी के संतुलित आहार का परीक्षण करना
स्पर्धा के बाद (After Competition)
  • खिलाड़ी की परफारमेंस को स्वीकार करना
  • निपुणता या अनुभवता को प्रोत्साहित करना
  • खिलाड़ी को उत्साहित करना
  • खिलाड़ी द्वारा किए गए प्रदर्शन को देखकर उसका उसी समय अंत करना
  • पूर्ण क्षतिपूर्ति के महत्त्व पर विश्वास करना
  • खिलाड़ी से लगातार प्रदर्शन बढ़ाने की सलाह देना
  • एक सलाहकार, पर्यवेक्षक ओर मेडिकल विशेषज्ञ के रूप में खिलाड़ी के साथ व्यवहार करना।

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