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क्लोरोफॉर्म

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क्लोरोफॉर्म
Chloroform displayed.svg
Chloroform 3D.svg
आईयूपीएसी नाम क्लोरोफॉर्म
प्रणालीगत नाम ट्राईक्लोरोमीथेन
अन्य नाम फॉर्माइल ट्राईक्लोराइड, मीथेन ट्राईक्लोराइड, मीथाइल ट्राईक्लोराइड, मीथेनाइल ट्राइलक्लोराइड, टीसीएम, फ़्रेऑन २०, आर-२०, यू.एन.-१८८८
पहचान आइडेन्टिफायर्स
सी.ए.एस संख्या [67-66-3][CAS]
पबकैम 6212
EC संख्या 200-663-8
केईजीजी C13827
रासा.ई.बी.आई 35255
RTECS number FS9100000
SMILES
InChI
कैमस्पाइडर आई.डी 5977
गुण
आण्विक सूत्र CHCl3
मोलर द्रव्यमान ११९.३८ ग्राम/मोल
दिखावट रंगहीन तरल
घनत्व १.४८ ग्रा./से.मी
गलनांक

-६३.५ °सें.

क्वथनांक

६१.२ °से.

जल में घुलनशीलता ०.८ ग्रा./१०० मि.ली (२०°से)
रिफ्रेक्टिव इंडेक्स (nD) १.४४५९
ढांचा
आण्विक आकार टेट्राहेड्रल
खतरा
Main hazards घातक (Xn), Irritant (Xi), कार्सि. श्रेणी.२बी
NFPA 704
NFPA 704.svg
0
 
0
 
R-फ्रेसेज़ आर-२२, आर-३८, आर-४०, आर-४८/२०/२२
S-फ्रेसेज़ (एस२), एस३६/३७
स्फुरांक (फ्लैश पॉइन्ट) अ-ज्वलनशील
यू.एस अनुज्ञेय
अवस्थिति सीमा (पी.ई.एल)
५० पीपीएम (२४० मि.ग्रा/मी.) (OSHA)
जहां दिया है वहां के अलावा,
ये आंकड़े पदार्थ की मानक स्थिति (२५ °से, १०० कि.पा के अनुसार हैं।
ज्ञानसन्दूक के संदर्भ

क्लोरोफ़ॉर्म (अंग्रेज़ी:Chloroform) या ट्राईक्लोरो मिथेन (अंग्रेज़ी:Trichloro methane) एक कार्बनिक यौगिक है, जिसका रासयनिक सूत्र CHCl3 है। यह एक रंगहीन और सुगंधित तरल पदार्थ होता है जिसे चिकित्सा क्षेत्र में किसी रोगी को शल्य क्रिया किए जाने के लिए मूर्छित करने हेतु निष्चेतक के रूप में प्रयोग किया जाता था। निश्चेतना विज्ञान (एनेस्थीसिया) के अंतर्गत निष्चेतक देने वाले डॉक्टर के तीन महत्वपूर्ण प्रयोजन होते हैं, जिनमें पहला, शल्य-क्रिया के लिए रोगी को मूर्छा की स्थिति में पहुंचाकर उसे पुन: सकुशल अवस्था में लाना होता है। इसके बाद दूसरा काम रोगी को दर्द से छुटकारा दिलाना तथा तीसरा काम शल्य-चिकित्सक की आवश्यकतानुसार रोगी की मांसपेशियों को कुछ ढीला करने का प्रयास करना होता है। आरंभिक काल में एक ही निष्चेतक यानि ईथर या क्लोरोफॉर्म से उपरोक्त तीनों काम किये जाते थे, किंतु क्लोरोफॉर्म की मात्रा के कम या अधिक होने से रोगी पर सुरक्षापूर्वक वांछित परिणाम नहीं मिल पाते थे, जिस कारण से चिकित्सा विज्ञान में अनेक शोध जारी रहे और आज इस क्षेत्र में हुई प्रगति से संतुलित निष्चेतक के माध्यम से रोगियों को भिन्न-भिन्न औषधियों के प्रभाव से आवश्यकतानुरूप वांछित परिणाम मिलते हैं।


वर्तमान चिकित्सा में इसका प्रयोग बंद कर दिया गया है। आज क्लोरोफॉर्म का प्रयोग रसायन और साबुन इत्यादि बनाने में किया जाता है। इसका निर्माण इथेनॉल के साथ क्लोरीन की अभिक्रिया कराने के बाद होता है। यह विषैला होता है और इस कारण इसे सावधानीपूर्वक प्रयोग किया जाना चाहिए। क्लोरोफॉर्म के अधिक निकटस्थ प्रयोग रहने से शरीर के कई अंगों पर बुरा असर पड़ सकता है।

इतिहास

क्लोरोफार्म की मूल खोज जुलाई,१८३१ अमरीकी भौतिकशास्त्री सैम्युअल गूथरी ने और कुछ माह बाद स्वतंत्र रूप से जर्मन रसायनज्ञ यूजीन सोबेरन और जस्टस वॉन लीबिग ने की थी। इन सभी ने हैलोफॉर्म अभिक्रिया के अंतरण प्रयोग किये थे। सोबेरन ने इसे क्लोरीन ब्लीचिंग पावडर (कैल्शियम हाइपोक्लोराइट) की एसिटोन (२-प्रोपेनोन) और इथनाल पर अभिक्रिया से उत्पादित की थी। क्लोरोफार्म का नामकरण और कैरेक्टराईज़ेशन १८३४ में जीन-बाप्टिस्ट ड्युमास ने किया था। क्लोरोफार्म का निष्चेतक प्रयोग के रूप में अन्वेषण एडनबरा के एक डाक्टर ने जेम्स यंग सिंपसन ने किया था। सेम्प्सन का जन्म ७ जून १८११ को एडनबरा से २३ किलोमीटर दूर बाथगेट नामक स्थान पर एक हुआ था। उनके पिता बहुत कम आमदनी पाने वाले बहुत साधारण से आदमी थे। सेम्पसन पढने लिखने में बहुत ही होशियार थे, हर बात कि लगन थी उन में सिर्फ़ १४ साल कि उम्र में उन्होंने एडनबरा विश्वविधालय में दाखिला ले लिए था और मात्र १८ साल कि उम्र में अपनी डाक्टरी की पढाई पूर्ण कर ली थी।

इसके खोज का इतिहास भी रोचक है। क्लोरोफॉर्म की खोज एडनबरा के एक डॉक्टर ने की थी। एक बार उनके अस्पताल में एक रोगी के खराब टांग का आपरेशन करने हेतु उसके हाथ पांव रस्सी से बाँध दिए गए। उसकी टांग में एक घाव हो गया था जो सड़ चुका था, उसकी टांग काटनी पड़ी थी। जब उसकी टांग काटी गई तो वह मरीज तो दर्द के मारे बेहोश हो गया। उसके साथ ही डॉक्टर सेम्प्सन जो उस वक्त पढ़ाई कर रहे थे वह भी बेहोश हो गए। होश में आने पर उन्होंने प्रतिज्ञा किया कि वह कोई ऐसा आविष्कार करेंगे जिससे मरीज को इतना कष्ट न हो। जब उन्होंने इस के बारे में अपने साथ पढने वाले मित्रों से बात करी तब सब ने उनका मजाक बनाया पर उन्होंने हिम्मत नही हारी।


तरल अवस्था में क्लोरोफॉर्म एक परखनली में

डाक्टर बन जाने के बाद भी अपनी प्रतिज्ञा भूले नही उन्होंने इस दवाई कि खोज जारी रखे जिस से शल्य-क्रिया के समय कोई रोगी दर्द न सहे। ४ नवम्बर १८४७ को कोई प्रयोग करते समय उनकी नज़र अपने सहयोगी डाक्टर पर पड़ी जो उनकी बनायी एक दवा सूंघ रहे थे और देखते ही देखते वह बेहोश हो गए। सेम्प्सन ने उसको ख़ुद सूंघ के देखा उनकी भी वही हालत हुई जो उनके सहयोगी डाक्टर की हुई थी। तभी उनकी पत्नी वहाँ आई और यह देख कर चीख उठी और किसी और डाक्टर ने डाक्टर सेम्प्सन की नाडी देखी वह ठीक चल रही थी उसी समय डाक्टर सेम्प्सन ने आँखे खोल दी और होश में आते ही वह चिल्लाए कि मिल गया, बेहोश कर के दुबारा होश में आने का नुस्खा मिल गया। बाद में इस में कई परिवर्तन किए गए और यही दवा रोगियों के लिए एक वरदान साबित हुई।

क्लोरोफॉर्म का चिकित्सा जगत में प्रयोग १८४७ से ही आरंभ हो गया था, किन्तु जल्द ही रोगियों पर इसके पड़ने वाले विपरीत प्रभाव के कारण इसके प्रयोग पर शंकाएं उठने लगीं थीं।बीसवीं शताब्दी के आरंभ में क्लोरोफॉर्म के स्थान पर सुरक्षित और सस्ती दवाएं इस्तेमाल में लाई जाने लगी थीं। आज चिकित्साजगत में अन्य दवाओं के साथ-साथ हेलोथेन, आइसोफ्लुरेन और सेवोफ्लुरेन का प्रयोग इसके स्थान पर किया जाता है। शरीर पर क्लोरोफॉर्म के विपरीत असर यकृत, वृक्क और हृदय पर पड़ सकते हैं। इसके कारण त्वचा पर सलवटें और धब्बे पड़ सकते हैं। पानी में क्लोरोफॉर्म की अधिक मात्रा होने के कारण गैस्ट्रोएन्टाइटिस तथा डायरिया जैसी गंभीर बीमारियों के अलावा संक्रमण भी फैल सकता है। क्लोरोफॉर्म सुंघाने से भी बचना चाहिए, जिससे बेहोशी भी आ सकती है और अधिक मात्रा के प्रभाव से मृत्यु भी हो सकती है। कुछ स्थानों पर लोग पानी में मिला क्लोरोफॉर्म भी पी जाते हैं।

क्लोरोफॉर्म पानी में सरलता से घुलनशील होता है। ऑक्सीजन और सूर्य के प्रकाश से क्रिया करने पर इस से फॉसजीन नामक विषैली गैस निर्मित होती है। लेकिन यदि क्लोरोफॉर्म को खुले में ले जाया जाए तो फॉसजीन हानिरहित हो जाती है।

बाहरी कड़ियाँ


रसायन
तात्विक रसायन: ऑक्सीजन | तांबा | सोडियम |पारा
प्रमुख अकार्बनिक रसायन: जल | अमोनिया | कार्बन डाय ऑक्साइड | नौशादर | फिटकिरी | चूना पत्थर | सल्फ़्यूरिक अम्ल | सोडियम हाइड्रॉक्साइड
प्रमुख कार्बनिक रसायन: ईथर | मेथेन | मेथेनॉल | मेथेनोइक अम्ल | बेंज़ीन | नेफ़्थीन | फ़ार्मल्डिहाइड | क्लोरोफ़ॉर्म| ग्लूकोज़

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