Мы используем файлы cookie.
Продолжая использовать сайт, вы даете свое согласие на работу с этими файлами.

कान

Подписчиков: 0, рейтинг: 0
कान
Ear.jpg
मानव बाह्यकर्ण

मानव व अन्य स्तनधारी प्राणियों मे कर्ण या कान श्रवण प्रणाली का मुख्य अंग है। कशेरुकी प्राणियों मे मछली से लेकर मनुष्य तक कान जीववैज्ञानिक रूप से समान होता है सिर्फ उसकी संरचना गण और प्रजाति के अनुसार भिन्नता का प्रदर्शन करती है। कान वह अंग है जो ध्वनि का पता लगाता है, यह न केवल ध्वनि के लिए एक ग्राहक के रूप में कार्य करता है, अपितु शरीर के संतुलन और स्थिति के बोध में भी एक प्रमुख भूमिका निभाता है।

"कान" शब्द को पूर्ण अंग या केवल दृश्यमान भाग के लिए प्रयुक्त किया जा सकता है। अधिकतर प्राणियों में, कान का जो हिस्सा दिखाई देता है वह ऊतकों से निर्मित एक प्रालंब होता है जिसे बाह्यकर्ण या कर्णपाली कहा जाता है। बाह्यकर्ण श्रवण प्रक्रिया के कई कदमो मे से सिर्फ पहले कदम पर ही प्रयुक्त होता है और शरीर को संतुलन बोध कराने में कोई भूमिका नहीं निभाता। कशेरुकी प्राणियों मे कान जोड़े मे सममितीय रूप से सिर के दोनो ओर उपस्थित होते हैं। यह व्यवस्था ध्वनि स्रोतों की स्थिति निर्धारण करने में सहायक होती है।

कर्ण मानव जीवन मे अत्यन्त महत्वपूर्ण भुमिका निभाता हैं यह हमे श्रवन के साथ साथ हमारे शरीर को संतुलित भी बनाए रखता हैं साथ ही यह हमारे संवेदनशील अंग का मुख्य हिस्सा भी होता हैं कर्ण हमे तरह तरह की ध्वनी को पहचानने मे भी सहायक हैं

भाग

कर्ण अस्थि

मानव कान के तीन भाग होते हैं-

  • बाह्य कर्ण
  • मध्य कर्ण
  • आंतरिक कर्ण

अब जन्म से बहरे बच्चों का भी काॅक्लियर इम्पलांट सर्जरी के माधयम से आॅपरेशन करके उन्हें ठीक किया जा सकता है और बे बच्चे भी सुन सकते हैं और बोल भी सकते हैं

बाहरी कान
कीप या कर्णपाली से आवाज़ की तरंगें इकट्ठी करके कान के पर्दे तक पहुँचाती है। इससे कान के पर्दे में कम्पन होता है। बाहरी कान के गुफानुमा रास्ते की त्वचा आम त्वचा जैसे एक चिकना पदार्थ स्वात्रित करती है। यही पदार्थ इकट्ठा होकर कान की मोम बनाता है। मोम धूल और अन्य कणों को इकट्ठा करने में मदद करती है। हम में से ज़्यादातर लोगों को कान में से बार बार यह मोम निकालते रहने की आदत होती है। इस आदत से चोट लग सकती है। अक्सर मोम सख्त हो कर कान के पर्दे पर चिपक जाती है। इससे बाहरी कान में दर्द होता है।
मध्य कान
मध्य कान यूस्टेशियन ट्यूब द्वारा नाक की गुफा से जुड़ा रहता है। यूस्टेशियन नाक को ई एन टी (ईयर नोज़ थ्रोट) ट्यूब भी कह सकते हैं क्योंकि यह कान नाक और गले को जोड़ती है। इसके कारण मध्य कर्ण वातावारण में अचानक हुए हवा के दबाव में बदलाव को झेल सकती है। अगर अचानक किसी विस्फोट या धमाके की आवाज़ कान के पर्दे से टकराए तो वो फटता नहीं है क्योंकि यह जबर्दस्त दवाब ईएनटी ट्यूब द्वारा नाक की गुफा में चला जाता है। पर मुश्किल यह है कि यही ई एन टी ट्यूब नाक व गले के संक्रमण भी कान तक पहुँचा देती है।

आतंरिक कर्ण:-

इसे लैबरंथ भी कहते है

आंतरिक कान या लैबरिंथ शंखनुमा संरचना होती है। इस शंख में द्रव भर रहता है। यह आवाज़ के कम्पनों को तंत्रिकाओं के संकेतों में बदल देती है। ये संकेत आठवीं मस्तिष्क तंत्रिका द्वारा दिमाग तक पहुँचाती है। आन्तर कर्ण (लैबरिंथ) की अंदरूनी केशनुमा संरचनाएँ आवाज़ की तरंगों की आवृति के अनुसार कम्पित होती हैं।

आवाज़ की तरंगों को किस तरह अलग-अलग किया जाता है यह समझना बहुत ही मज़ेदार है। आन्तर कर्ण (लैबरिंथ) में स्थित पटि्टयों का संरचना हारमोनियम जैसे अलग-अलग तरह से कम्पित होती हैं।

यानि आवाज़ की तरंगों की किसी एक आवृत्ति से कोई एक पट्टी कम्पित होगी। और दिमाग इसे एक खास स्वर की तरह समझ लेता है। इस ध्वनिज्ञान के विषय में और भी कुछ मत है।

बाहरी कड़ियाँ


Новое сообщение