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एडवार्ड जेनर

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एडवार्ड जेनर
Edward Jenner by James Northcote.jpg
जन्म 17 मई 1749
मृत्यु 26 जनवरी 1823 Edit this on Wikidata
मृत्यु का कारण प्राकृतिक मृत्यु Edit this on Wikidata स्ट्रोक Edit this on Wikidata
नागरिकता ग्रेट ब्रिटेन और आयरलैंड का यूनाइटेड किंगडम Edit this on Wikidata
व्यवसाय चिकित्सक, प्रकृतिवादी, जीवविज्ञानी Edit this on Wikidata
पुरस्कार रॉयल सोसाइटी के फेलो Edit this on Wikidata
हस्ताक्षर
Firma edward jenner.jpg

एडवर्ड जेनर (सन्‌ 1749-1823) अंग्रेज कायचिकित्सक तथा चेचक के टीके के आविष्कारक थे। जेनर को अक्सर "इम्यूनोलॉजी का पिता" कहा जाता है, और उनके काम को "किसी अन्य मानव के काम से ज्यादा ज़िंदगी बचाने वाला" कहा जाता है। वह रॉयल सोसायटी के सदस्य थे। वह कोयल के बच्चों की परजीवीता (ब्रूड परजीवी) का वर्णन करने वाले पहले व्यक्ति थे। 2002 में, जेनेर को बीबीसी की 100 महानतम ब्रिटन्स की सूची में नामित किया गया था।

इनका जन्म 17 मई सन्‌ 1749 को बर्कले में हुआ। उट्टन में प्रारंभिक शिक्षा समाप्त करने के उपरांत ये सन्‌ 1770 में लंदन गए और सन्‌ 1792 में ऐंड्रय्‌ज कालेज से एमo डीदृ की उपाधि प्राप्त की।

अपने अध्ययन काल में ही इन्होंने कैप्टेन कुक की समुद्री यात्रा से प्राप्त प्राणिशास्त्रीय नमूनों को व्यवस्थित किया। सन्‌ 1775 में इन्होंने सिद्ध किया कि गोमसूरी (cowpox) में दो विभिन्न प्रकार की बीमारियाँ सम्मिलित है, जिनमें से केवल एक चेचक से रक्षा करती है। इन्होंने यह भी निश्चित किया कि गोमसूरी, चेचक और घोड़े के पैर की ग्रीज़ (grease) नामक बीमारियाँ अनुषंगी हैं। सन्‌ 1798 में इन्होंने 'चेचक के टीके के कारणों और प्रभावों' पर एक निबंध प्रकाशित किया।cow पॉक्स को इन्होंने वेरिआली वेक्सोन का नाम दिया और इस तकनिक को वेक्सीनेशन एन्ड या वेक्सीन का नाम दिया/

सन्‌ 1803 में चेचक के टीके के प्रसार के लिये रॉयल जेनेरियन संस्था स्थापित हुई। इनके कार्यों के उलक्ष्य में आक्सफोर्ड विश्वविद्यालय ने इन्हें एमo डीo की सम्मानित उपाधि से विभूषित किया। सन्‌ 1822 में 'कुछ रोगों में कृत्रिम विस्फोटन का प्रभाव' पर निबंध प्रकाशित किया और दूसरे वर्ष रॉयल सोसाइटी में 'पक्षी प्रव्राजन' पर निबंध लिखा। 26 जनवरी 1823 को बर्कले में इनका देहावसान हो गया।


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