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वैकल्पिक चिकित्सा

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"पूरक चिकित्सा" और "पूरक और वैकल्पिक चिकित्सा" यहां पुनर्निर्देशित होते हैं।'

इंटरनेशनल बोर्ड आफ अलटरनेटीव मेडिसिन डायरेक्टर डा0 श्रीप्रकाश बरनवाल का कहना है कि चिकित्सा जगत में उन सभी चिकित्सा पद्धतियों को वैकल्पिक चिकित्सा कहते हैं जो परम्परागत चिकित्सा पद्धति के अन्तर्गत नहीं रखी जा सकतीं! या “ऐसी पद्धति जिसे एक समान रूप से कभी प्रभावी नहीं माना जाता.” इसे प्रायः साक्ष्य आधारित चिकित्सा पद्धति के रूप में देखा जाता है और इसमें वैज्ञानिक आधार के स्थान पर ऐतिहासिक या सांस्कृतिक उपचार पद्धतियां शामिल होती हैं। अमेरिका के नैशनल सेंटर फॉर कम्प्लीमेंटरी एंड ऑल्टरनेटिव मेडिसीन (National Center for Complementary and Alternative Medicine) (एनसीसीएएम) (NCCAM) ऐसे उदाहरणों का उल्लेख करता है, जिसमें अन्य पद्धतियों के अतिरिक्त प्राकृतिक चिकित्सा, पाद-चिकित्सा (chiropractic), जड़ी-बूटी चिकित्सा, पारंपरिक चीनी चिकित्सा पद्धति, आयुर्वेद, ध्यान, योग, जैवप्रतिपुष्टि, सम्मोहन, होम्योपैथी, एक्युपंक्चर और पोषण-आधारित उपचार-पद्धतियां शामिल हैं। इसे प्रायः पूरक चिकित्सा पद्धति के समूह में रखा जाता है, जिसका सामान्य अर्थ होता है, मुख्य धारा वाली तकनीकों के संयोजन में प्रयोग किए जाने वाले समान हस्तक्षेप, जिन्हें पूरक तथा वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति या कैम (CAM) के तहत रखा जाता है। वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति के कुछ अनुसंधानकर्ता इस समूहीकरण का विरोध करते हैं और इन विधियों के बीच अंतर स्थापित करना पसंद करते हैं, तथापि वे कैम (CAM) शब्द का प्रयोग करते हैं, जो मानक बन चुका है।

कुछ वैकल्पिक चिकित्सा पद्धतियाँ

1. संपूर्ण स्वास्थ्य

2. मन / शारीरिक

3. विजुअलाइजेशन

4. ध्यान

5. आध्यात्मिक इलाज

6. बायोफीडबैक

7. सम्मोहन

8. मानसिक इलाज

9. गुप्त इलाज

10.विद्युत चुम्बकीय चिकित्सा (चुंबक चिकित्सा)

11. रैडिस्थेसिया

12. रैडियोनिक्स

13. सियोनिक चिकित्सा

14. क्रिस्टल / रत्न चिकित्सा

15. पिरामिड इलाज

16. मूत्र चिकित्सा

17. हर्बॉलोजी / औषधीय पादप

18. इवनिंग प्रिमरोज तैल

19. प्राकृतिक चिकित्सा

20. ऑक्सीजन थैरेपी

21. होम्योपैथी

22.पुष्पगंध, बैच फ्लॉवर उपचार

23. एरॉमाथैरेपी

24. लोक चिकित्सा

25. आयुर्वेदिक चिकित्सा

26. मूल अमेरिकी चिकित्सा

27. एशियाई चिकित्सा

28. तिब्बती चिकित्सा

29. दक्षिणपूर्व एशियाई चिकित्सा

30. चीनी चिकित्सा

31. एक्यूपंक्चर

32. ऑस्टियोपेथी

33. कीरोप्रैक्टिक

शारीरिक कार्य चिकित्सा

1. अंगमर्दन (खिलाडियों का अंगमर्दन)

2. एक्युप्रेशर्

3. शियात्सु

4. जिन शिन डु

5. रिफ्लेक्सोलॉजी

6. स्पर्श

7. चिकित्सीय स्पर्श

8. रिशियान थैरेपी

9. रैडिक्स

10. बॉयोएनर्जेटिक्स

11. फेल्डेक्राइस

12. पोस्चुरल इन्टिग्रेशन

13. अलेक्जेंडर तकनीक

14. एस्टॉन पैटर्निंग

15. हेलर वर्क

16. ट्रैगर

17. रॉजेन विधि

18 प्रायौगिक कायनिसियॉलोजी

19. स्वास्थ्य के लिए स्पर्श

20. पॉलारिटी थैरेपी

21. लोमी

22. रेकी

23. शेन थैरेपी

24. एरिका

25. ब्रीमा

26. सेन्सरी एवेयरनेस

27. हाइड्रोथैरेपी स्नान

28. सुआना

29. आइरिडोलोजी

30. योग

31. मार्शल आर्ट्स

32. आइकिडो

33. ताई ची चु'आन

34. नृत्य थैरेपी

35. हँसी थैरेपी / हास्य

36. संगीत / ध्वनि थैरेपी

37. काव्य थैरेपी

38. बिबिलियो थैरेपी

39. कला थैरेपी

40. वर्ण थैरेपी

41. पालतू पशु चिकित्सा

परिचय

वैकल्पिक चिकित्सा पद्धतियां अपने मूल सिद्धांतों में उतनी ही विविध हैं, जितनी अपनी कार्य-विधियों में. ये पद्धतियां पारंपरिक चिकित्सा पद्धति, लोक ज्ञान, आध्यात्मिक विश्वास या उपचार के नए तरीकों पर आधारित होती हैं। जिन न्यायाधिकार क्षेत्रों में वैकल्पिक चिकित्सा पद्धतियां पर्याप्त रूप से प्रचलित हों, वहां उन्हें कानूनी लाइसेंस मिल सकता है तथा उन्हें विनियमित किया जा सकता है। वैकल्पिक चिकित्सा के चिकित्सकों के दावों को सामान्यतः चिकित्सा समुदाय द्वारा स्वीकार नहीं किया जाता, क्योंकि सुरक्षा तथा प्रभावोत्पादकता का साक्ष्य-आधारित मूल्यांकन या तो उपलब्ध नहीं होता अथवा इन पद्धतियों के लिए यह पूरा ही नहीं किया जाता. यदि वैज्ञानिक अनुसंधान द्वारा किसी वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति की सुरक्षा तथा प्रभावोत्पादकता का प्रमाण दिया जाता है, तो वह मुख्य धारा की चिकित्सा पद्धति बन जाती है और “वैकल्पिक” नहीं रह जाती और इसलिए वह पारंपरिक चिकित्सकों द्वारा व्यापक रूप से अपना ली जाती है। चूंकि वैकल्पिक चिकित्सा तकनीकों में साक्ष्य की कमी होती है या वे परीक्षण में बार-बार असफल रहती हैं, इसलिए कुछ लोगों ने इन्हें गैर-साक्ष्य आधारित वैकल्पिक चिकित्सा पद्धतियों के रूप में या पूरी तरह से एक अचिकित्सीय पद्धति के रूप में परिभाषित करने की सलाह दी है। कुछ अनुसंधानकर्ता मानते हैं कि कैम (CAM) को साक्ष्य-आधारित विधियों के आधार पर परिभाषित करने में समस्या उत्पन्न होगी, क्योंकि कैम (CAM) का परीक्षण किया जा चुका है तथा उनका मानना है कि मुख्यधारा की कई पद्धतियों में भी ठोस प्रमाण की कमी पाई गई है।

इसकी व्यापकता को देखने के लिए 13 देशों में किये गये अध्ययनों की, वर्ष 1998 में की गई एक सुव्यवस्थित समीक्षा में यह निष्कर्ष निकाला गया कि कैंसर के लगभग 31% रोगी पूरक तथा वैकल्पिक चिकित्सा के किसी न किसी रूप का प्रयोग करते हैं। वैकल्पिक चिकित्सा पद्धतियां देशों के आधार पर बदलती रहती हैं। एड्जार्ड अर्न्स्ट (Edzard Ernst) कहते हैं कि ऑस्ट्रिया तथा जर्मनी में कैम (CAM) मुख्यतः चिकित्सकों (फिजीशियन) के हाथों में ही है, जबकि कुछ आकलनों का मानना है कि अमेरिका के कम से कम आधे वैकल्पिक चिकित्सिक फिजीशियन हैं। जर्मनी में जड़ी-बूटियों पर कड़ा नियंत्रण है, जिनमें से आधी डॉक्टरों द्वारा दी जाती हैं तथा वहां की कमीशन ई (Commission E) कानून के आधार पर स्वास्थ्य बीमा द्वारा शामिल की गईं हैं।

शब्द

“वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति” संज्ञा का प्रयोग सामान्यतः स्वतंत्र रूप से प्रयुक्त पद्धतियों के लिए अथवा पारंपरिक चिकित्सा के स्थान पर प्रयुक्त होने वाली पद्धतियों को वर्णित करने के लिए किया जाता है। “पूरक चिकित्सा” शब्दावली का प्रयोग मुख्य रूप से ऐसी पद्धतियों को वर्णित करने के लिए किया जाता है, जो पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों के साथ प्रयुक्त होती हैं या उनकी पूरक होती हैं। एनसीसीएएम (NCCAM) का सुझाव है कि, "गंध-चिकित्सा का प्रयोग, जिसमें रोगियों के स्वास्थ्य में सुधार एवं उसकी सलामती के लिए तथा सर्जरी के बाद उसकी बेचैनी को कम करने हेतु फूलों, बूटियों तथा पेड़ों के आवश्यक तेलों की खुशबू सुंघाई जाती है” पूरक चिकित्सा का उदाहरण है। “समाकलनात्मक” (integrative) या “समाकलित चिकित्सा” (integrated medicine) शब्दावलियां पारंपरिक तथा वैकल्पिक चिकित्सा पद्धतियों वाले उपचारों के संयोजन को सूचित करती हैं, जिनकी प्रभावोत्पादकता के लिए कुछ वैज्ञानिक प्रमाण मौजूद हैं; तथा इन पद्धतियों के समर्थकों द्वारा उन्हें पूरक चिकित्सा पद्धति के सर्वोत्तम उदाहरण के रूप में देखा जा सकता है।

राल्फ सिंडरमैन (Ralph Snyderman) तथा एंड्र्यू वेल (Andrew Weil) कहते हैं कि, “समाकलनात्मक चिकित्सा, पूरक तथा वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति की पर्याय नहीं होती. इसका अर्थ तथा उद्देश्य काफी विस्तृत होता है, जिसमें यह चिकित्सा के उद्देश्य को स्वास्थ्य तथा उपचार पर केंद्रित रखती है और रोगी-चिकित्सक के संबंधों की केंद्रीयता पर बल देती है।” रोकथाम तथा जीवन-शैली में परिवर्तन पर जोर डालने वाली परंपरागत तथा पूरक चिकित्सा का संयोजन ही समाकलित चिकित्सा है।

वर्णन

वैकल्पिक या पूरक चिकित्सा पद्धति के लिए कोई स्पष्ट तथा एक समान परिभाषा नहीं है। पाश्चात्य संस्कृति में इसे प्रायः ऐसी उपचार पद्धति के रूप में परिभाषित किया जाता है, जो “पारंपरिक चिकित्सा पद्धति के क्षेत्र में नहीं आती” या जिसे “एक समान रूप से प्रभावशाली नहीं देखा गया।”

स्व-वर्णन

नैशनल सेंटर फॉर कम्प्लीमेंटरी एंड ऑल्टरनेटिव मेडिसिन (National Center for Complementary and Alternative Medicine) (एनसीसीएएम) (NCCAM) कैम (CAM) को “विविधतापूर्ण चिकित्सीय तथा स्वास्थ्य सुरक्षा प्रणालियों, पद्धतियों तथा उत्पादों का एक विविधतापूर्ण समूह, जो मौजूदा पारंपरिक चिकित्सा पद्धति का अंग नहीं है,” के रूप में वर्णित करता है। कोक्रैन कॉम्प्लीमेंटरी मेडिसिन फील्ड (Cochrane Complementary Medicine Field) ने पाया कि जिसे एक देश में पूरक या वैकल्पिक चिकित्सा मानते हैं, उसे ही दूसरे देशों में पारंपरिक चिकित्सा पद्धति माना जा सकता है। इसलिए उनके द्वारा दी गई परिभाषा सामान्य है: “पूरक चिकित्सा में ऐसी सभी पद्धतियां तथा विचार शामिल होते हैं, जो कई देशों में पारंपरिक चिकित्सा क्षेत्र के बाहर होते हैं और उसके प्रयोगकर्ता द्वारा उसे बचावकारी या रोगोपचारी, अथवा स्वास्थ्यवर्धक तथा उपचारात्मक के रूप में परिभाषित किया जाता है।” उदाहरण के लिए जैवप्रतिपुष्टि का उपयोग सामान्यतः भौतिक चिकित्सा तथा पुनर्वास समुदाय द्वारा किया जाता है, लेकिन कुल मिलाकर चिकित्सा-विज्ञान समुदाय में इसे वैकल्पिक चिकित्सा के रूप में माना जाता है, तथा यूरोप में कुछ जड़ी-बूटी वाली चिकित्सा पद्धतियां मुख्य धारा की चिकित्सा पद्धतियां हैं, पर अमेरिका में वे वैकल्पिक मानी जाती हैं। एक समाकलनात्मक चिकित्सा शोधकर्ता डेविड एम आइसनबर्ग (David M. Eisenberg), इसे इस प्रकार परिभाषित करते हैं, “ऐसे चिकित्सीय हस्तक्षेप जो अमेरिकी चिकित्सा संस्थानों में व्यापक रूप में नहीं सिखाए जाते या सामान्यतः अमेरिकी अस्पतालों में नहीं पाए जाते,” एनसीसीएएम (NCCAM) का मानना है कि यदि पहले के अप्रमाणित उपचारों का प्रयोग सुरक्षित तथा प्रभावशाली हो, तो उन्हें पारंपरिक चिकित्सा में शामिल किया जा सकता है।

पूरक तथा वैकल्पिक चिकित्सा के शोधकर्ता बैरी आर. कैसिलेथ (Barrie R. Cassileth) ने इस मामले को इस प्रकार संक्षेपित किया है, “जैसा कि कैम (CAM) को मुख्य धारा की चिकित्सा में समाकलित करने या "वैकल्पिक" चिकित्सा के लिए अलग NIH अनुसंधान संस्था बनाने का प्रयास चल रहा है, मुख्यधारा के सभी चिकित्सक कैम (CAM) के साथ सहज नहीं है।”

वैज्ञानिक समुदाय

संस्थान

नैशनल साइंस फाउंडेशन (National Science Foundation) ने वैकल्पिक चिकित्सा को “ऐसी सभी चिकित्सा पद्धतियां जिन्हें वैज्ञानिक विधियों द्वारा प्रभावशाली साबित न किया गया हो,” के रूप में परिभाषित किया है। इंस्ट्यिट्यूट ऑफ मेडिसिन (Institute of Medicine)(आईओएम) (IOM) ने वर्ष 2005 में पूरक तथा वैकल्पिक चिकित्सा पद्धतियों (कैम)(CAM) को एक विशेष संस्कृति तथा ऐतिहासिक अवधि में गैर-प्रभावी चिकित्सीय विधि के रूप में परिभाषित किया। कोक्रैन कोलैबॉरेशन (Cochrane Collaboration) तथा आधिकारिक सरकारी निकायों, जैसे यूके डिपार्टमेंट ऑफ हेल्थ (UK Department of Health) ने ऐसी ही एक परिभाषा अपनाई है। साक्ष्य-आधारित चिकित्सा पद्धतियों के समर्थक, जैसे कोक्रैन कोलैबॉरेशन (Cochrane Collaboration) वैकल्पिक चिकित्सा जैसे शब्दों का प्रयोग करते हैं, पर वे इस बात से सहमत हैं कि सभी उपचार चाहे वे “मुख्य धारा” के हों या “वैकल्पिक” पद्धति के हों, वैज्ञानिक विधियों के मानकों के अनुसार किये जाने चाहिए।

वैज्ञानिक

मुख्य धारा के कई वैज्ञानिकों तथा चिकित्सकों ने वैकल्पिक चिकित्सा पद्धतियों पर टिप्पणी की है और उनकी आलोचना की है।

चिकित्सा अनुसंधानकर्ताओं के बीच एक बहस छिड़ी हुई है कि क्या किसी उपचार पद्धति को सही तरह से ‘वैकल्पिक चिकित्सा’ के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है। कुछ शोधकर्ता दावा करते हैं कि चिकित्सा पद्धति केवल वही है, जिसका समुचित रूप से परीक्षण किया गया है, तथा जिसका परीक्षण न हुआ हो वह कोई पद्धति नहीं। उनका मानना है कि स्वास्थ्य की देखभाल की पद्धतियों को प्रमुख रूप से वैज्ञानिक साक्ष्यों पर आधारित माना जाना चाहिए। यदि किसी चिकित्सा पद्धति का कड़ा परीक्षण हुआ हो और वह सुरक्षित तथा प्रभावी पाई गई हो, तो पारंपरिक चिकित्सा पद्धति उसे अपना लेगी, चाहे उसे आरंभ में ‘वैकल्पिक’ ही क्यों न माना गया हो। इस प्रकार किसी विधि के लिए यह संभव है कि इसकी प्रभावशीलता की विस्तृत जानकारी या उसके अभाव के आधार पर वह वर्गों को परिवर्तन (प्रमाणित या अप्रमाणित) कर दे। इस विचार के प्रमुख समर्थकों में जर्नल ऑफ द अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन (Journal of the American Medical Association) (जामा) (JAMA) के पूर्व संपादक जॉर्ज डी. लुंडबर्ग (George D. Lundberg) शामिल हैं।

स्टीफन बैरेट (Stephen Barrett), क्वैकवॉच (Quackwatch) के संस्थापक तथा संचालक, मानते हैं कि “वैकल्पिक’ पद्धति के नाम वाली चिकित्सा को सही, प्रयोगात्मक या संदेहास्पद के रूप में पुनर्वर्गीकृत किया जाए. यहां ‘सही’ के लिए वे ऐसी विधियों की बात करते हैं, जिनके पास सुरक्षा तथा प्रभावशीलता के स्पष्ट प्रमाण हों, प्रयोगात्मक वे हैं, जो अप्रमाणित होने के बाद भी प्रभावशीलता के लिए सत्याभासी मूलाधार (plausible rational) देती हैं, तथा संदेहास्पद, जो वैज्ञानिक रूप से सत्याभासी मूलाधार के बिना आधारहीन हों. उन्हें इसकी चिंता है कि चूंकि कुछ “वैकल्पिक” चिकित्सा-पद्धतियों के अपने गुण होते हैं, अतः बाकी के लिए यही मान लिया जाता है कि उनमें भी खूबियां होंगी, पर अधिकतर बेकार होती हैं। वे कहते हैं कि एनटीएच (NIH) की नीति है कि कभी यह नहीं कहना चाहिए कि अमुक पद्धति कारगर नहीं है, बल्कि एक अलग संस्करण या ख़ुराक के कुछ अलग परिणाम हो सकते हैं।

पूरक चिकित्सा के प्रोफेसर, एड्जार्ड अर्न्स्ट (Edzard Ernst) कई वैकल्पिक तकनीकों के साक्ष्यों को कमजोर, अस्तित्वविहीन या नकारात्मक मानते हैं, पर उनका कहना है कि अन्य के साक्ष्य उपलब्ध हैं, विशेषकर कुछ जड़ी-बूटियों तथा एक्युपंचर के लिए।

एक विकासवादी जैववैज्ञानिक रिचर्ड डॉकिन्स वैकल्पिक चिकित्सा को इस प्रकार परिभाषित करते हैं, “पद्धतियों का एक समूह, जिसका परीक्षण न किया जा सके, परीक्षण से इन्कार करे, या परीक्षण में लगातार असफल हो.” वे कहते हैं कि यदि तकनीक को किसी उचित प्रदर्शित परीक्षणों में प्रभावी पाया जाता है, तो वह वैकल्पिक न होकर चिकित्सा बन जाती है।

चार नॉबेल पुरस्कार विजेताओं तथा अन्य प्रमुख वैज्ञानिकों के एक पत्र में नैशनल इस्टिट्यूट ऑफ हेल्थ (National Institutes of Health) में आलोचनात्मक विचार तथा वैज्ञानिक सावधानी की कमी की भर्त्सना की गई, जिससे वैकल्पिक चिकित्सा के अनुसंधान को बढ़ावा मिलता है। वर्ष 2009 वैज्ञानिकों के एक समूह ने नैशनल सेंटर फॉर कॉम्प्लिमेंटरी एंड ऑल्टरनेटिव मेडिसिन (National Center for Complementary and Alternative Medicine) को बंद करने का प्रस्ताव दिया। उनका कहना था कि बहुत सारे अध्ययन शरीरक्रिया विज्ञान तथा रोगों की अपारंपरिक समझ पर आधारित थे और उनके प्रभाव या तो नहीं थे या काफी कम थे। उनका अगला तर्क था कि इस क्षेत्र के अधिक-सत्याभासी हस्तक्षेपों, जैसे आहार, विराम, योग तथा वनस्पति-चिकित्साओं का एनटीएच (NIH) के अन्य भागों में अध्ययन किया जा सकता है, जहां उन्हें पारंपरिक शोध परियोजनाओं के साथ प्रतियोगिता करनी होगी। एनसीसीएएम (NCCAM) द्वारा किए दस वर्षों में लगभग $2.5 बिलियन डॉलर खर्च करने के बाद सभी अध्ययनों में नकारात्मक नतीजे आने पर इन चिंताओं को और बढ़ावा ही मिला। अनुसंधान विधि विशेषज्ञ तथा “स्नेक ऑयल साइंस (Snake Oil Science)” के लेखक आर. बार्कर. बॉसेल (R. Barker Bausell) कहते हैं, “बेकार की चीजों का अनुसंधान करना राजनैतिक रूप से सही मान लिया गया है।” ऐसी भी चिंताएं हैं कि केवल एनआईएच (NIH) के समर्थन को “बगैर वैधता वाली उपचार पद्धति को अनस्थापित वैधता प्रदान करने" के लिये प्रयोग किया जा रहा है।

साइंटिफिक रिव्यू ऑफ ऑल्टरनेटिव मेडिसिन (Scientific Review of Alternative Medicine) के संपादक तथा स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय के प्रोफेसर वैलेस सिम्पसन (Wallace Sampson) लिखते हैं कि कैम (CAM) "फिजूल चीजों का प्रसार है," जो इस बात का उदाहरण है कि वैकल्पिक तथा पूरक चिकित्सा को नीमहकीमी, संदिग्धता, अविश्वसनीयता के स्थान पर प्रयोग किया जाने लगा है और उन्होंने चिंता जताई है कि बिना किसी कारण तथा प्रयोग के कारण कैम (CAM) विरोधाभास को पनाह देता है।

लोकप्रिय प्रेस

द वाशिंगटन पोस्ट (द वॉशिंगटन पोस्ट) उल्लेख करता है कि पारंपरिक रूप से प्रशिक्षित चिकित्सकों की एक बड़ी संख्या समाकलनात्मक चिकित्सा को व्यवहार में लाती है, जिसे “ऐसी पारंपरिक स्वास्थ्य देखभाल के रूप में परिभाषित किया जाता है, जिसमें ऐक्युपंचर, रेकी, तथा जड़ी-बूटी वाली उपचार रणनीतियां शामिल हैं।” ऑस्ट्रेलियाई हास्य कलाकार टिम मिंकिन (Tim Minchin) अपनी नौ मिनट की बीट कविता “स्टॉर्म” में कहते हैं कि वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति वह है, जिसे “या तो कार्य करने के लिए साबित नहीं किया जा सका या कार्य नहीं करने के लिए साबित किया जा सका,” और तब वे परिहास करते हुए कहते हैं, “आप जानते हैं कि जिस ‘वैकल्पिक चिकित्सा’ को कार्य करने के लिए साबित किया गया है, उसे क्या कहते हैं? चिकित्सा”.

वर्गीकरण

पूरक तथा वैकल्पिक चिकित्सा की शाखाओं के लिए एनसीसीएएम (NCCAM) ने एक सर्वाधिक प्रयोग में लाई जाने वाली प्रणाली का विकास किया है। यह पूरक तथा वैकल्पिक चिकित्सा पद्धतियों को पांच प्रमुख समूहों में वर्गीकृत करती है, जिनमें से कुछ अतिव्यापित हैं।

  1. सपूर्ण चिकित्सा प्रणालियां: एक से अधिक अन्य समूहों में शामिल हैं, जैसे पारंपरिक चीनी चिकित्सा, होम्योपैथी तथा आयुर्वैद.
  2. मस्तिष्क-शरीर चिकित्सा: स्वास्थ्य के लिए यह एक संपूर्णता वाली विधि को अपनाती है, जो मस्तिष्क, शरीर तथा आत्मा के बीच के अंतर्संबंधों को उद्घाटित करती है। यह इस सिद्धांत पर कार्य करती है कि मस्तिष्क “शारीरिक क्रियाओं तथा लक्षणों” को प्रभावित करता है।
  3. जैववैज्ञानिक आधार की पद्धतियां: इसमें प्रकृति में पाए जाने वाले पदार्थों का उपयोग किया जाता है, जैसे जड़ी-बूटियां, भोजन, विटामिन तथा अन्य प्राकृतिक पदार्थ.
  4. प्रहस्तनीय तथा शरीर-आधारित पद्धतियां: ये प्रहस्तन (manipulation) या शरीर की गतियों को प्रदर्शित करती हैं, जैसे कि पाद-चिकित्सा (chiropractic) या ऑस्टियोपैथिक (osteopathic) प्रहस्तन में किया जाता है।
  5. ऊर्जा चिकित्सा: एक ऐसा क्षेत्र है, जो कल्पित तथा विविधतापूर्ण ऊर्जा क्षेत्रों पर आधारित है।
  • जैवक्षेत्र उपचार पद्धतियां उन ऊर्जा क्षेत्रों को प्रभावित करती हैं, जो अनुमानतः शरीर के चारों और होते हैं तथा शरीर को वेधते हैं। ये उपचार पद्धतियां जिन कल्पित ऊर्जा क्षेत्रों पर आधारित होती हैं, उनके अस्तित्व का कोई ठोस प्रमाण नहीं मिला है।
  • जैव-विद्युतचुंबकीय-आधारित उपचार पद्धतियों में विविधतापूर्ण विद्युतचुंबकीय क्षेत्रों, जैसे स्पंदित क्षेत्र, प्रत्यावर्ती धारा या एकांतर-धारा क्षेत्र का गैर-पारंपरिक तरीके से प्रयोग किया जाता है।

उपयोग

वयस्कों की आयु-समायोजित प्रतिशतता, जिन्होंने पूरक तथा वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति का प्रयोग किया: संयुक्त राज्य, 2002

अनेक लोग मुख्य धारा की चिकित्सा पद्धतियों का प्रयोग निदान तथा मौलिक जानकारियां प्राप्त करने के लिए करते हैं, जबकि वैकल्पिक चिकित्साओं की तरफ उनका रुझान इसलिए रहता है कि इन्हें वे उन्हें आरोग्य-वर्धक उपाय मानते हैं। अध्ययन से पता चलता है कि वैकल्पिक तरीकों का प्रयोग प्रायः पारंपरिक चिकित्सा के संयोजन के साथ किया जाता है। एनसीसीएएम (NCCAM) द्वारा इसे समाकलनात्मक (या समाकलित) चिकित्सा पद्धति के रूप में इसलिये परिभाषित किया जाता है, क्योंकि इसमें "पारंपरिक चिकित्सा तथा कैम (CAM) का संयोजन होता है, जिसके लिए सुरक्षा तथा प्रभावशीलता की उच्च-गुणवत्ता वाले साक्ष्य होते हैं। समाकलनात्मक चिकित्सा के एक प्रमुख समर्थक ऐंड्र्यू टी वील (Andrew T. Weil) एम.डी. (M.D.) के अनुसार समाकलनात्मक चिकित्सा के सिद्धांतों में शामिल हैं, पारंपरिक तथा कैम (CAM) विधियों का समुचित उपयोग; रोगियों की भागीदारी, आरोग्यवृद्धि, तथा रोगोपचार एवं प्राकृतिक और न्यूनतम चीर-फाड़ वाली विधियां. वर्ष 1997 में किए एक सर्वेक्षण में पाया गया कि संयुक्त राज्य अमेरिका में 13.7% प्रतिवादियों (respondents) ने मेडिकल डॉक्टर तथा एक वैकल्पिक चिकित्सा के विशेषज्ञ की सेवा ली. उसी सर्वेक्षण में यह भी पाया गया कि 96% प्रतिवादियों ने, जिन्होंने वैकल्पिक चिकित्सा विशेषज्ञों की सेवाएं ली थीं, विगत 12 महीनों में किसी न किसी मेडिकल डॉक्टर की भी सेवा ली थी। मेडिकल डॉक्टर प्रायः अपने रोगियों द्वारा वैकल्पिक चिकित्सा सेवा लिए जाने के बारे में अनभिज्ञ थे क्योंकि केवल 38.5% रोगियों ने ही अपने मेडिकल डॉक्टरों के साथ वैकल्पिक चिकित्सा की चर्चा की थी।

एक्सेटर विश्वविद्यालय में पूरक चिकित्सा के प्रोफेसर एडज़ार्ड अर्न्स्ट (Edzard Ernst) ने मेडिकल जर्नल ऑफ ऑस्ट्रेलिया (Medical Journal of Australia) में लिखा कि "विकसित देशों की लगभग आधी जनसंख्या पूरक तथा वैकल्पिक चिकित्सा कैम (CAM) का प्रयोग करती है।" संयुक्त राज्य अमेरिका के नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ हेल्थ (National Institutes of Health) के एक प्रभाग नैशनल सेंटर फॉर कॉम्प्लिमेंटरी एंड ऑल्टरनेटिव मेडिसिन (National Center for Complementary and Alternative Medicine) द्वारा मई 2004 में किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि वर्ष 2002 में देश के 62.1% वयस्कों ने पिछले 12 महीनों में कैम (CAM) के किसी न किसी रूप की सेवा ली थी तथा 75% ने जीवन भर सेवा ली थी (यद्यपि यह आंकड़ा 36.0% तथा 50% पर आ जाता है, यदि विशिष्ट रूप से स्वास्थ्य कारणों से की जाने वाली प्रार्थनाओं को अलग कर दिया जाए); इस अध्ययन में कैम (CAM) के रूप में योग, ध्यान, जड़ी-बूटी की उपचार पद्धति, तथा ऐट्किंस आहार (Atkins diet) को शामिल किया था। अन्य अध्ययन इसी प्रकार का समान आंकड़ा, यानि 40% का आंकड़ा प्रस्तुत करता है। वर्ष 1998 में बीबीसी (BBC) द्वारा 1209 व्यस्कों पर किए गए एक ब्रिटिश टेलीफोन सर्वेक्षण (British telephone survey) में पाया गया कि ब्रिटेन में लगभग 20% व्यस्कों ने गत 12 महीनों में वैकल्पिक चिकित्सा का प्रयोग किया था। अर्न्स्ट इस मुद्दे पर राजनैतिक रूप से सक्रिय रहे हैं, साथ ही उन्होंने सार्वजनिक रूप से यह आग्रह किया था कि फाउंडेशन फॉर इंटिग्रेटेड हेल्थ (Foundation for Integrated Health) द्वारा प्रकाशित वैकल्पिक चिकित्सा के दो गाइडों को राजकुमार चार्ल्स इस आधार पर खंडन करें कि “उन दोनों में वैकल्पिक चिकित्सा से सुझाए गए लाभों के बारे में कई गुमराह करने वाले तथा गलत दावे दिए गए हैं,” तथा “देश में अप्रभावी एवं कई बार खतरनाक वैकल्पिक उपचारों को बढ़ावा नहीं दिया जा सकता.” सामान्यतः उनका मानना है कि कैम (CAM) का वैज्ञानिक परीक्षण किया जा सकता है और परीक्षण किया भी जाना चाहिए.

विकसित देशों में वैकल्पिक चिकित्सा का प्रयोग बढ़ता जा रहा है। वर्ष 1998 में किए एक अध्ययन में देखा गया कि वैकल्पिक चिकित्सा का प्रयोग 1990 में 33.8% से बढ़कर वर्ष 1997 में 42.1% हो गया। युनाइटेड किंगडम में हाउस ऑफ लॉर्ड्स द्वारा 2000 में जारी की गई रिपोर्ट कहती है कि "... युनाइटेड किंगडम में कैम (CAM) का प्रयोग काफी हो रहा है तथा यह बढ़ रहा है, जिसके समर्थन में सीमित आंकड़े ही मिलते प्रतीत होते हैं।" विकाशसील देशों में संसाधनों की कमी तथा गरीबी के कारण आवश्यक चिकित्साओं तक लोगों की पहुंच काफी कम होती है। वैकल्पिक चिकित्सा जैसे या वैकल्पिक चिकित्सा को आधार प्रदान करने वाले पारंपरिक उपचारों में प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल शामिल हो सकती है या इन्हें स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली में समाकलित किया जा सकता है। अफ्रीका की 80% प्राथमिक स्वास्थ्य देखभालों में पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों का प्रयोग किया जाता है और विकसित देशों में समग्र रूप से एक तिहाई जनसंख्या आवश्यक चिकित्सा से वंचित रह जाती है।

वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति के समर्थक मानते हैं कि विस्तृत दायरे के बड़े तथा छोटे रोगों को ठीक करने में विभिन्न वैकल्पिक उपचार पद्धतियां प्रभावी होती हैं, तथा हाल में प्रकाशित शोधपत्र (जैसे माइकेल्सेन (Michalsen),2003, गोंसाल्कार्ले (Gonsalkorale) 2003 तथा बर्गा (Berga) 2003) भी विशिष्ट वैकल्पिक चिकित्सा के प्रभाव को साबित करते हैं। वे इस बात पर जोर देते हैं कि पबमेड (PubMed) शोध इसका खुलासा करता है कि वर्ष 1966 से नैशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन डेटाबेस (National Library of Medicine database) की मेडलाइन-मान्यताप्राप्त (Medline-recognized) जर्नलों में प्रकाशित लगभग 370,000 शोध पत्रों को वैकल्पिक चिकित्सा के रूप में वर्गीकृत किया गया है। क्लेज्नेन 1991 (Kleijnen 1991) तथा लिंडे 1997 (Linde 1997) भी देखें.

पूरक उपचार पद्धति का उपयोग प्रायः उपशामक देखभाल में किया जाता है या विशेषज्ञों द्वारा रोगियों की पुरानी पीड़ा को कम करने के प्रयास के तौर पर प्रयोग किया जाता है। पूरक चिकित्सा को चिकित्सा के अन्य क्षेत्रों से अधिक उपशामक उपचार में प्रयुक्त अंतर्विषयी विधियों में स्वीकार्य माना जाता है। "मरणासन्न रोगियों की देखभाल के अपने आरंभिक अनुभवों के साथ ही उपशामक उपचार रोगियों के महत्व तथा जीवनशैली की आदतों की आवश्यकता को अपना आधार मानती है, तथा जीवन के अंत में एक गुणवत्तायुक्त उपचार प्रदान करती है। यदि रोगी को पूरक उपचारों की इच्छा होती है तथा जब तक ये उपचार अतिरिक्त सहायता प्रदान करते हैं और रोगी के लिए खतरा नहीं बनते, तब तक उन्हें स्वीकार्य माना जाता है। " पूरक चिकित्सा के गैर-औषधवैज्ञानिक (non-pharmacologic) हस्तक्षेपों को उन मस्तिष्क-शरीर हस्तक्षेपों के रूप में देखा जाता है, जो “पीड़ा तथा सहवर्ती मानसिक दशा के व्यवधान को कम करते हैं और जीवन की गुणवत्ता बढ़ाते हैं।” पूरक चिकित्सा को उपयोग में लाने वाले चिकित्सक प्रायः उपलब्ध पूरक उपचारों की चर्चा करते हैं तथा रोगियों को उनकी सलाह देते हैं। रोगी प्रायः मस्तिष्क-शरीर पीड़क उपचारों में दिलचस्पी दिखाते हैं, क्योंकि कुछ रोगों के लिए वे बिना औषधी वाली विधियों को अपनाते हैं। कुछ मस्तिष्क-शरीर तकनीकों, जैसे संज्ञानात्मक-व्यवहार उपचार पद्धति, को कभी पूरक चिकित्सा पद्धति माना जाता था पर अब संयुक्त राज्य अमेरिका में पारंपरिक चिकित्सा में शामिल कर लिया गया है। "पीड़ा कम करने में प्रयुक्त पूरक चिकित्सा उपचारों में शामिल हैं: ऐक्युपंचर, निम्न-स्तर लेजर थेरेपी, ध्यान, गंध चिकित्सा, चीनी ध्यान, नृत्य उपचार पद्धति, संगीत उपचार पद्धति, मसाज, जड़ी-बूटियों वाली उपचार पद्धति, उपचारात्मक स्पर्श, योग, ऑस्टियोपैथी, पाद-चिकित्सा पद्धति, न्युरोपैथी तथा होम्योपैथी।"

यूके (UK) में पूरक चिकित्सा पद्धतियों को परिभाषित करने के क्रम में हाउस ऑफ लॉर्ड्स द्वारा चयनित समिति ने यह निर्धारित किया कि निम्नलिखित उपचार पद्धतियों का पारंपरिक चिकित्सा के पूरक के रूप में सबसे अधिक प्रयोग हुआ: अलेक्जेडर तकनीकी, गंध चिकित्सा, बाक (Bach) तथा अन्य पुष्प चिकित्साएं, शरीर क्रिया उपचार, जिनमें मसाज शामिल हैं, परामर्श आधारित तनाव उपचार पद्धतियां (Counselling stress therapies), सम्मोहन उपचार, ध्यान, रिफ्लेक्सोलॉजी, शियात्सु, महर्षि आयुर्वेदिक चिकित्सा, पोषण चिकित्सा तथा योग.

संयुक्त राज्य अमेरिका

जैम्स अल्कॉक पीएचडी (James Alcock PhD), ऑल्टरनेटिव मेडिसिन एंड द साइकोलॉजी ऑफ बिलीफ, द साइंटिफिक रिव्यू ऑफ ऑल्टरनेटिव मेडिसिन, फॉल/विंटर 1999 वॉल्यूम 3 ~ संख्या 2. ऑनलाइन उपलब्ध

वर्ष 2002 में अमेरिका में नैशनल सेंटर फॉर हेल्थ स्टेटिस्टिक्स (ational Center for Health Statistics) (सीडीसी) (CDC) तथा नैशनल सेंटर फॉर कॉम्लिमेंटरी एंड ऑल्टरनेटिव मेडिसिन (National Center for Complementary and Alternative Medicine) द्वारा 18 वर्ष की उम्र वाले वयस्कों पर किए एक सर्वे में मिली जानकारी इस प्रकार हैं:

  • 74.6% ने किसी न किसी रूप में पूरक तथा वैकल्पिक चिकित्सा कैम (CAM) का प्रयोग किया था।
  • 62.1% ने ऐसा पूर्व के 12 महीनों के दौरान किया था।
  • जब स्वास्थ्य के लिए की जाने वाली प्रार्थना को अलग कर दिया जाए तो यह आंकड़ा घटकर क्रमशः 49.8% तथा 36.0% पर आ जाता है।
  • 45.2% ने पिछ्ले 12 महीनों में स्वास्थ्य कारणों के लिए प्रार्थना का प्रयोग किया था, ऐसा उन्होंने या तो अपने स्वास्थ्य के लिए या फिर दूसरों के लिए की जाने वाली प्रार्थना के जरिए किया।
  • 54.9% ने कैम (CAM) का प्रयोग पारंपरिक चिकित्सा के साथ संयोजन के रूप में किया।
  • 14.8% ने "लाइसेंस प्राप्त या प्रमाणित” विशेषज्ञों से चिकित्सा ली थी, जो यह बताता है कि "अधिकतर व्यक्ति जो कैम (CAM) का उपयोग करते हैं, अपना उपचार करना पसंद करते हैं।"
  • अधिकतर लोगों ने कैम (CAM) का प्रयोग पेशी-कंकालीय रोगों या पुरानी या आवर्ती पीड़ा के उपचार/बचाव के लिए किया था।
  • "पुरुषों की तुलना में महिलाओं ने कैम (CAM) का अधिक प्रयोग किया। सबसे अधिक लैंगिक अंतर स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना समेत मस्तिष्क-शरीर चिकित्सा पद्धतियों में देखा गया".
  • “उपचार पद्धतियों के वैसे समूहों को छोड़कर जिनमें स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना का प्रयोग किया गया था, शिक्षा स्तर के बढ़ने के साथ कैम (CAM) का प्रयोग भी बढ़ा”.
  • वर्ष 2003 में अमेरिका में सबसे अधिक प्रयोग किए गए कैम (CAM) उपचारों में प्रार्थना (45.2%), जड़ी-बूटी उपचार (18.9%), श्वसन ध्यान (11.6%), ध्यान (7.6%), पाद-चिकित्सा (7.5%), योग (5.1%), शरीर क्रिया (5.0%), आहार-आधारित उपचार (3.5%), प्रगतिशील विश्राम (3.0%), मेगा-विटामिन थेरेपी (2.8%) तथा मानसदर्शन (Visualization) (2.1%) थे।

वर्ष 2004 में लगभग 1,400 अमेरिकी अस्पतालों में किए एक सर्वेक्षण में यह पाया गया कि प्रत्येक चार अस्पतालों में से एक अधिक अस्पताल पूरक चिकित्साओं, जैसे ऐक्युपंचर, होम्योपैथी तथा मसाज उपचार की सेवा प्रस्तावित करते थे।

अमेरिकी हॉस्पिटल एसोसिएशन (American Hospital Association) के एक उप-भाग हेल्थ फोरम (Health Forum) द्वारा वर्ष 2008 में किए एक सर्वेक्षण में यह पाया गया कि 37% से अधिक प्रतिवादी अस्पतालों ने संकेत किया कि वे एक या अधिक वैकल्पिक चिकित्सा पद्धतियों की सेवा देते हैं, जो वर्ष 2005 के 26.5% से अधिक था। इसके अतिरिक्त दक्षिणी अटलांटिक राज्यों के अस्पतालों में कैम (CAM) के शामिल किए जाने की संभावना थी, इसके बाद उत्तर मध्य राज्यों तथा मध्य अटलांटिक के अस्पतालों में शामिल किए जाने की संभावना थी। कैम (CAM) उपलब्ध करने वाले अस्पतालों में 70% शहरी क्षेत्रों में थे।

‘नैशनल साइंस फाउंडेशन’ ने भी वैकल्पिक चिकित्सा पद्धतियों की लोकप्रियता को लेकर एक सर्वेक्षण पूरा किया। मीडिया के विज्ञान गल्प में सार्वजनिक रुझान और छ्द्मविज्ञान की समझ के बारे में तथा वैकल्पिक चिकित्सा की परिभाषा कि ऐसे सभी उपचार जो वैज्ञानिक विधियों के प्रयोग पर प्रभावी साबित न हुए हों, जैसी धारणा के नकारात्मक प्रभाव के वर्णन के साथ ही व्यक्तिगत वैज्ञानिकों, संगठनों तथा विज्ञान की नीतिनिर्माता समुदाय की चिंताओं का उल्लेख करने के बाद, इसने टिप्पणी की कि, “तथापि, वैकल्पिक चिकित्सा की लोकप्रियता बढ़ती प्रतीत हो रही है”.

टेक्सास राज्य में फिजिशियन को अव्यावसायिक व्यवहारों या एक स्वीकार्य तरीके के अंतर्गत चिकित्सा कार्य करने में असफल रहने के आरोपों से आंशिक रूप से बचाया जा सकता है और इस प्रकार उन पर होने वाली अनुशासनात्मक कार्रवाई से उन्हें भी सुरक्षा प्रदान की जा सकती है, यदि वे वैकल्पिक चिकित्सा को पूरक रूप में प्रयोग करते हैं, यदि बोर्ड की विशेष कार्य-व्यवहार आवश्यकताओं को संतुष्ट किया जाता है तथा प्रयुक्त होने वाली उपचार पद्धतियों में “रोगी के लिए सुरक्षा का खतरा उसके रोगोपचार के लिए पारंपरिक चिकित्सा से काफी अधिक न हो”.

शिक्षा

संयुक्त राज्य अमेरिका में वैकल्पिक चिकित्सा के पाठ्यक्रम उपलब्ध करवाने वाले मेडिकल कॉलेजों की संख्या बढ़ रही है। उदाहरण के लिए 729 स्कूलों (एमडी (MD) की डिग्री प्रदान करने वाले 125 चिकित्सा स्कूल, डॉक्टर ऑफ ऑस्टियोपैथिक मेडिसिन (Doctor of Osteopathic medicine) डिग्री प्रदान करने वाले 25 तथा 585 नर्सिंग डिग्री प्रदान करने वाले स्कूलों) पर किए तीन अलग-अलग सर्वेक्षणों में यह पाया गया कि मानक चिकित्सा स्कूलों के 60%, ऑस्टियोपैथी चिकित्सा स्कूलों के 95% तथा नर्सिंग स्कूलों के 84.8% में कैम (CAM) के किसी न किसी रूप की शिक्षा दी जा रही है। यूनिवर्सिटी ऑफ ऐरिज़ोना कॉलेज ऑफ मेडिसिन ऐंड्र्यू वील (Andrew Weil) के नेतृत्व में समाकलनात्मक चिकित्सा (Integrative Medicine) पर एक कार्यक्रम उपलब्ध करता है, जिसमें चिकित्सकों को वैकल्पिक चिकित्सा की विभिन्न शाखाओं के बारे में सिखाया जाता है, जो "... न तो पारंपरिक चिकित्सा को खारिज करता है और न ही वैकल्पिक चिकित्सा कार्यों को गैर-आलोचनात्मक रूप से ग्रहण करता है।" कनाडा तथा अमेरिका में मान्यताप्राप्त नैचुरोपैथिक कॉलेजों की संख्या बढ़ती जा रही है। (उत्तरी अमेरिका में नैचुरोपैथिक मेडिकल स्कूल देखें). कनेक्टिकट में, यूनिवर्सिटी ऑफ कनेक्टिकट मेडिकल (University of Connecticut Medical School) स्कूल समय-समय पर होने वाले सम्मेलनों तथा पाठ्यक्रमों में आयुर्वेद के प्रसार को प्रायोजित करता है, उदाहरण के लिए मानसिक स्वास्थ्य पर येल के एक मान्यताप्राप्त मेडिकल डॉक्टर तथा मनोचिकित्सक, निनिवागी, फ्रैंक जॉन- 2008 (Ninivaggi, Frank John (2008) द्वारा लिखित पुस्तक आयुर्वेद: ए कम्प्रिहेंसिव गाइड टू ट्रेडिशनल इंडियन मेडिसिन फॉर द वेस्ट. प्रेगर प्रेस: ISBN 0-313-34837-5. (Aurveda: A Comprehensive Guide to Traditional Indian Medicine for the West. Praeger Press: ISBN 0-313-34837-5) भारत में परम्परागत चििकित्सा एक्युप्रेशर का प्रचार प्रसार एवं प्रशिक्षण कार्य एक्युप्रेशर काउंसिल नेेेचुआजलालपुर गोपालगंज बिहार द्वारा किया गया है जिसका 25राष्ट्रीय एक्युपेशर सम्मलेन का आयोजन किया हैै तथा एकयुप्रेशर काउंसिल संस्थापक डा0 श्री प्रकाश बरनवाल के संयोजन में एक्युप्रेशर

पाठ्यक्रमों का व्यापक प्रयोग हो रहा है। उनमें उपचार पद्धतियों के एक व्यापक क्षेत्र को शामिल किया गया है। उनमें से कई चिकित्सीय रूप में प्रयोग किए जा रहे हैं। कई निकायों पर अनुसंधान कार्य जारी हैं”, पर "केवल 40% प्रदिवादी कैम (CAM) के किसी न किसी रूपों का प्रशिक्षण प्रदान कर रहे थे।"

ब्रिटेन में गैर-पारंपरिक स्कूलों के विपरीत, कोई भी पारंपरिक मेडिकल स्कूल ऐसे पाठ्यक्रम प्रदान नहीं करते, जो वैकल्पिक चिकित्सा के चिकित्सीय कार्यों की शिक्षा देते हों. ब्रिटिश मेडिकल ऐक्युपंचर सोसाइटी (British Medical Acupuncture Society) डॉक्टरों को मेडिकल ऐक्युपंचर प्रमाणपत्र प्रदान करती है, जैसा कि कॉलेज ऑफ नैचुरोपैथिक मेडिसिन यूके एंड आयरलैंड (College of Naturopathic Medicine UK and Ireland) भी करता है।

विनियमन

विभिन्न वैकल्पिक उपचार पद्धतियों की अनिश्चित प्रकृति और अलग-अलग चिकित्सकों द्वारा किए जाने वाले दावों के कारण वैकल्पिक चिकित्सा एक गंभीर बहस को जन्म देती रही है, यहां तक कि वैकल्पिक चिकित्सा की परिभाषा को लेकर भी अनिश्चितता बनी हुई है। आहार पूरक, उनके घटक, सुरक्षा तथा दावे निरंतर रूप से विवादों के घेरे में रहे हैं। कुछ मामलों में राजनितिक मुद्दे, मुख्य धारा की चिकित्सा तथा वैकल्पिक चिकित्सा का आपस में टकराव हो जाता है, जैसे कि कुछ ऐसे मामले जहां कृत्रिम औषधियां तो वैध हैं पर उन्हीं सक्रिय रसायन के जड़ी-बूटी वाले स्रोतों पर रोक लगा दी गई है। अन्य मामलों में मुख्य धारा पर बने विवाद ने उपचार की प्रकृति पर ही सवाल खड़ा कर दिया है, जैसे कि जल फ्लोरीडेशन. वैकल्पिक चिकित्सा तथा मुख्य धारा की चिकित्सा की बहस धार्मिक चर्चा की स्वतंत्रता पर भी अवरोध उत्पन्न कर सकती है, जैसे कि धार्मिक विश्वासों के कारण किसी के बच्चे की जान बचाने वाली चिकित्सा के लिए इन्कार कर देने का अधिकार. सरकारी विनियमक एक संतुलित विनियमन का निरंतर प्रयास कर रहा है।

वैकल्पिक चिकित्सा की कौन सी-शाखा वैध है, कौन-सी विनियमित और किसे सरकार-नियंत्रित स्वास्थ्य सेवा द्वारा निजी स्वास्थ्य चिकित्सा बीमा कंपनी द्वारा प्रदान की जा रही है, इनसे जुड़े अधिकार क्षेत्र अलग-अलग हैं। संयुक्त राष्ट्र संघ की आर्थिक, सामाजिक तथा सांस्कृतिक अधिकारों की समिति (संयुक्त राष्ट्र Committee on Economic, Social and Cultural Rights)- स्वास्थ्य की उच्चतम प्राप्तियोग्य मानक के अधिकार (The right to the highest attainable standard of health) पर सामान्य टिप्पणी संख्या-14 (2000) का अनुच्छेद 34 (विशिष्ट वैधानिक उत्तरदायित्व (Specific legal obligations)) कहता है कि

"इसके अलावा, सम्मान करने के उत्तरदायित्व में शामिल है सरकार द्वारा पाबंदी न लगाना, या परम्परागत बचाव उपचार, उपचार पद्धतियों तथा चिकित्साओं और असुरक्षित औषधियों के विपणन में अवरोध न पैदा करना तथा अवपीड़क चिकित्सीय उपचार को तब तक न रोकना, जब तक कि मानसिक रोग अथवा संचरित होने वाले रोगों की रोकथाम या नियंत्रण के उपचार के लिए एक विशेष आधार मौजूद हो."

इस अनुच्छेद के विशिष्ट क्रियान्वयन को सदस्य देशों पर छोड़ दिया गया है।

कई वैकल्पिक चिकित्सा पद्धतियां मेडिकल चिकित्साओं को मान्यता देने वाली सरकारी एजेंसियों की पाबंदी से असहमत हैं। उदाहरण के लिए अमेरिका में आलोचकों का कहना है कि प्रायोगिक मूल्यांकन विधियों के लिए फूड एंड ड्रग ऐड्मिनिस्ट्रेशन (Food and Drug Administration) का मानदंड, उपयोगी तथा प्रभावी उपचार तथा उनकी विधियों को सार्वजनिक करने से रोकता है तथा उनके योगदान और खोजों को गलत तरीके से खारिज किया जाता है, उनकी अनदेखी की जाती है अथवा उन्हें दबाया जाता है। वैकल्पिक चिकित्सा प्रदाता मानते हैं कि स्वास्थ्य के साथ धोखाधड़ी होती है और वे तर्क देते हैं कि इससे सही तरीके से निपटा जाना चाहिए, पर इन पाबंदियों को उनपर नहीं लगाया जाना चाहिए जिसे वे वैध स्वास्थ्य उपचार उत्पाद मानते हैं।

न्यूजीलैंड में वैकल्पिक चिकित्सा उत्पादों को खाद्य उत्पादों के वर्ग में शामिल किया जाता है, इसलिए वहां किसी प्रकार का विनियमन या सुरक्षा मानक नहीं हैं।

ऑस्ट्रेलिया में इस विषय को पूरक चिकित्सा (complementary medicine) के नाम से जाना जाता है तथा थेराप्युटिक गुड्स ऐड्मिनिस्ट्रेश (Therapeutic Goods Administration) ने कई दिशा-निर्देश तथा मानक जारी किए हैं। पूरक चिकित्सा के ऑस्ट्रेलियाई नियामक दिशा-निर्देश (एआरगीसीएम)(ARGCM) यह मांग करते हैं कि जड़ी-बूटी वाली चीजों में मौजूद कीटनाशी, धूम्रकारक, विषैली धातुएं, सूक्ष्मजीवी विष, रेडियोन्युक्लिड (radionuclides), सूक्ष्मजीवी संदूषण इत्यादि की निगरानी की जानी चाहिए, यद्यपि ये दिशा-निर्देश इन लक्षणों के साक्ष्य की मांग नहीं करते. हालांकि फार्माकोपोइयल मोनोग्राफ (pharmacopoeial monographes) में जड़ी-बूटी वाले पदार्थों के लिए विस्तृत जानकारी संबद्ध प्राधिकरण को प्रदान करना चाहिए.

आधुनिक औषधि-निर्माण विज्ञान (pharmaceuticals) को कड़ाई से विनियमित किया गया है, ताकि दवाई में एक मानक मात्रा में सक्रिय घटक तत्त्व हों तथा वे संदूषण से मुक्त हों. वैकल्पिक चिकित्सा उत्पाद पर समान सरकारी गुणवत्ता नियंत्रण के मानक नहीं होते और उनके बीच सामांजस्य नहीं हो सकता. इससे किसी विशेष ख़ुराक के लिए रासायनिक सामग्री तथा जैविक सक्रियता में अनिश्चिता होती है। निरीक्षण की इस कमी का यह अर्थ है कि वैकल्पिक उत्पाद में मिलावट तथा संदूषण की संभावना बनी रहती है। यह समस्या अंतर्राष्ट्रीय वाणिज्य द्वारा और भी बढ़ जाती है, क्योंकि विभिन्न देशों का विनियमन अलग-अलग प्रकार और दायरे का होता है। इससे उपभोक्ताओं के लिए दिए उत्पाद के खतरे तथा उसकी गुणवत्ता का आकलन करना मुश्किल हो जाता है।

वैकल्पिक तथा साक्ष्य-आधारित चिकित्सा

प्रभावोत्पादकता का परीक्षण

कई वैकल्पिक उपचार पद्धतियों का परीक्षण किया गया है, जिनमें नतीजे अलग-अलग मिले हैं। वर्ष 2003 में सीडीसी (CDC) द्वारा प्रदत्त फंड वाली परियोजना में 208 शर्त-उपचार युग्मों को शामिल किया गया, जिनमें 58% की कम से कम एक यादृच्छिक नियंत्रित परीक्षण (आरसीटी) (RCT) द्वारा अध्ययन किया गया था तथा 23% को मेटा-विश्लेषण द्वारा मूल्यांकित किया गया। यूएस (US) इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिसिन (Institute of Medicine) पैनल की वर्ष 2005 की एक पुस्तक के अनुसार कैम (CAM) पर केंद्रित आरसीटी (RCTs) की संख्या उल्लेखनीय रूप से बढ़ी. इस पुस्तक में विकर्स-1998 (Vickers-1998) का जिक्र है, जिन्होंने पाया कि कैम (CAM)-संबंधित कई आरसीटी (RCTs) कोक्रैन (Cochrane) रजिस्टर में हैं, पर इन परीक्षणों के 19% मेडिसिन (MEDLINE) में नहीं थे तथा 84% पारंपरिक मेडिकल जर्नलों में थे।

वर्ष 2005 तक कोक्रैन लाइब्रेरी में 145 CAM-संबंधित योजनाबद्ध कोक्रैन समीक्षाएं तथा 340 गैर-कोक्रैन (non-Cochrane) सुव्यवस्थित समीक्षाएं थी। जहां पाठकों द्वारा केवल 145 कैम (CAM)-संबंधित सुव्यवस्थित कोक्रैन समीक्षाओं के निष्कर्षों का एक विश्लेषण किया गया। 83% मामलों में पाठक सहमत थे। 17% मामले जिनमें वे असहमत थे, रेटिंग तय करने के लिए एक तीसरा पाठक आरंभिक पाठकों में से एक के साथ सहमत था। इन अध्ययनों में पाया गया कि कैम (CAM) के लिए 38.4% ने सकारात्मक प्रभाव बताया या 12.4% ने संभावित सकारात्मक प्रभाव, 4.8% ने कोई प्रभाव नहीं, 0.69% ने हानिकारक प्रभाव तथा 56.6% ने अपर्याप्त साक्ष्य बताया. पारंपरिक उपचारों के मूल्यांकन में पाया गया कि 41.3% ने सकारात्मक या संभावित सकारात्मक प्रभाव बताया, 20% ने कोई प्रभाव नहीं बताया, 8.1% ने कुल हानिकारक प्रभाव बताया, तथा 21.3% ने अपर्याप्त साक्ष्य बताया. हालांकि कैम (CAM) समीक्षा ने 2004 कोक्रैन डेटाबेस का प्रयोग किया, जबकि पारंपरिक समीक्षा ने 1998 कोक्रैन डेटाबेस का प्रयोग किया।

अधिकतर वैकल्पिक चिकित्सा उपचार पेटेंट करने लायक नहीं हैं, जिसके कारण निजी क्षेत्रों द्वारा शोधकार्य हेतु कम फंड मिलता है। इसके अतिरिक्त अधिकतर देशों में वैकल्पिक उपचारों (फार्मास्युटिकल के विपरीत) का प्रभावोत्पादकता के साक्ष्यों के बगैर विपणन किया जा सकता है- जो खुद निर्माताओं द्वारा वैज्ञानिक अनुसंधानों हेतु फंड प्रदान करने में एक अवरोध है। कुछ लोगों ने चिकित्सीय अनुसंधान के लिए पुरस्कार प्रणाली को अपनाने का प्रस्ताव दिया है। हालांकि अनुसंधान के लिए सार्वजनिक फंडिंग मौजूद है। वैकल्पिक चिकित्सा तकनीकों के लिए फंडिंग को बढ़ाना यूएस नैशनल सेंटर फॉर कॉम्प्लीमेंटरी एंड ऑल्टरनेटिव मेडिसिन (US National Center for Complementary and Alternative Medicine) का एक लक्ष्य था। एनसीसीएएम (NCCAM) तथा इसके पूर्ववर्ती, ऑफिस ऑफ ऑल्टरनेटिव मेडिसिन (Office of Alternative Medicine) ने वर्ष 1992 से 1 बिलियन डॉलर से अधिक की राशि खर्च की है।

वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति पर संदेह जाहिर करने वाले कुछ लोग कहते हैं कि कोई व्यक्ति छद्म-औषधि के प्रभाव वाले किसी अप्रभावी उपचार पद्धति के कारण लक्षनात्मक सुधार प्रदर्शित कर सकता है, जो रोग से प्राकृतिक रूप से स्वस्थ्य होने के कारण या किसी रोग की चक्रीय प्रकृति के कारण (पश्चगमन भ्रामकता/ regression fallacy) अथवा इस संभावना के कारण भी हो सकता है कि उस व्यक्ति को वास्तविक रोग कभी हुआ ही न हो.

उसी प्रकार पारंपरिक उपचार पद्धतियों, औषधियों तथा हस्तक्षेपों के मामलों में भी चिकित्सीय परीक्षणों में वैकल्पिक चिकित्सा पद्धतियों की प्रभावोत्पादकता की जांच करना कठिन होता है। ऐसे उदाहरणों में जहां किसी रोग का एक स्थापित, प्रभावी उपचार पहले से मौजूद है, हेल्सिंकी घोषणा (Helsinki Declaration) कहता है कि ऐसे उपचार को रोकना अधिकतर परिस्थियों में नैतिक है। किसी वैकल्पिक तकनीक के परीक्षण किए जाने के अतिरिक्त मानक चिकित्सा के प्रयोग से गलत साबित करने वाला नतीजा या कठिन व्याख्या वाला परिणाम निकलता है।

वर्ष 2009 में आलोचकों की शिकायतों का नैशनल सेंटर फॉर कॉम्प्लीमेंटरी एंड ऑल्टरनेटिव मेडिसिन (National Center for Complementary and Alternative Medicine)(पूर्व में ओएएम (OAM)) द्वारा 10 वर्षों में किए बड़े अध्ययनों के जोरदार विज्ञापन वाले नकारात्मक नतीजों द्वारा समर्थन किया गया:

"दस वर्ष पूर्व सरकार ने जड़ी-बूटी तथा अन्य स्वास्थ्य उपचारों की जांच आरंभ की ताकि उनमें से कारगर उपचार को चुना जा सके. 2.5 बिलियन डॉलर खर्च करने के बाद निराशाजनक उत्तर यह है कि उनमें से एक भी कारगर नहीं."

कैंसर अनुसंधानकर्ता एंड्र्यु जे.विकर्स (Andrew J. Vickers) ने कहा है:

"अधिक लोकप्रिय तथा वैज्ञानिक लेखन के विपरीत कई वैकल्पिक कैंसर उपचारों की अच्छी गुणवत्ता वाले चिकित्सीय परीक्षणों में अनुसंधान किया गया है तथा उन्हें अप्रभावी पाया गया है। इस आलेख में लिविंग्सटन-व्हीलर (Livingston-Wheeler), डि बेला मल्टीथेरेपी (Di Bella Multitherapy), एंटिनियोप्लास्टन (antineoplastons), विटामिन सी, हाइड्राजिन सल्फेट, लैट्राइल, मनोचिकित्सा समेत केंसर की वैकल्पिक चिकित्साओं के चिकित्सीय परीक्षण आंकड़ों का पुनरीक्षण किया गया। ऐसे उपचारों के लिए “अप्रमाणित” का नाम देना अनुचित है; यह समय यह कहने का समय है कि कई वैकल्पिक कैंसर चिकित्सा का “खंडन” कर दिया गया है।

सुरक्षा का परीक्षण

इन्हें भी देखें: पारंपरिक औषधियों के साथ अतःक्रिया

वैकल्पिक चिकित्सा के वे रूप जो जैविक रूप से सक्रिय हैं, पारंपरिक चिकित्सा के साथ प्रयोग किए जाने पर खतरनाक साबित हो सकते हैं। ऐसे उदाहरणों में शामिल हैं- प्रतिरक्षी-संवर्धन उपचार पद्धति (immuno-augmentation therapy), शार्क उपास्थि, जैवानुनाद उपचार पद्धति (bioresonance therapy), ऑक्सीजन तथा ओज़ोन उपचार पद्धति, इंसुलिन पोटेंशियल थेरेपी (insulin potentiation therapy). कुछ जड़ी-बूटी उपचार केमोथेरेपी दवाओं, विकिरण उपचार पद्धति के साथ खतरनाक अंतःक्रिया कर सकती है या अन्य समस्याओं के साथ ही सर्जरी के दौरान निश्चेतक का कार्य कर सकती हैं। ऐडीलैड विश्वविद्यालय (Adelaide University), ऑस्ट्रेलिया के सहायक प्रोफेसर ऐलेस्टेयर मैकलेनन (Alastair MacLennan) द्वारा ऐसे खतरों का एक उपाख्यानात्मक उदाहरण प्रस्तुत किया गया, जो एक ऐसे रोगी के बारे में था, जो ऑपरेटिंग टेबल पर रक्तस्राव के कारण मरणासन्न स्थिति में जा पहुंचा और जिसके बारे में इस तथ्य को नजरअंदाज किया गया था कि वह ऑपरेशन से पूर्व “अपनी ताकत बढ़ाने वाले” “प्राकृतिक” पेय का सेवन कर रही थी, जिसमें रक्तथक्कीकरण निरोधी एक शक्तिशाली पेय शामिल भी था, जिसने उसे मृत्यु के करीब पहुंचा दिया.

एबीसी ऑनलाइन (ABC Online), को मैकलेनन ने अन्य संभावित कार्यप्रणाली भी प्रस्तुत की:

"और अंत में संदेह, निराशा तथा अवसाद की स्थिति उत्पन्न हो जाती है कि कुछ रोगी एक वैकल्पिक चिकित्सा से दूसरे की ओर जाते रहते हैं और वे पाते हैं कि तीन महीनों के बाद छद्म-औषधि का प्रभाव खत्म हो जाता है, ओर अब वे निराश तथा भम्रित हैं, फिर अवसाद उत्पन्न हो सकता है और अंततोगत्वा उन्हें एक प्रभावी इलाज के शरण में जाना पड़ता है, क्योंकि अब आप उनके अनुरूप नहीं चल सकते क्योंकि अतीत में आपने कई सारी असफलताएं देख ली हैं।"

संभावित दुष्प्रभाव

पारंपरिक उपचारों के अवांछित दुष्प्रभावों के लिए परीक्षण किए जाते हैं, जबकि वैकल्पिक चिकित्सा के लिए सामान्यतः किसी प्रकार का परीक्षण नहीं किया जाता. कोई भी चिकित्सा- चाहे वह पारंपरिक या वैकल्पिक हो, रोगियों पर उनके जैविक या मनोवज्ञानिक प्रभाव पड़ते हैं, जो जैविक या मनोवज्ञानिक दुष्प्रभाव हो सकते हैं। वैकल्पिक चिकित्सा के संबंध में इस तथ्य को झुठलाने के प्रयास के रूप में कभी-कभी प्रकृति के प्रति अपील की भ्रामकता का सहारा लिया जाता है, अर्थात, “जो प्राकृतिक है वह हानिकारक नहीं हो सकता.”

दुष्प्रभाव की इस सामान्य सोच का एक अपवाद है होम्योपैथी. वर्ष1938 से यू.एस. फूड एंड ड्रग ऐड्मिनिस्ट्रेशन (U.S. Food and Drug Administration)(एफडीए)(FDA) ने होम्योपैथी उत्पाद को “अन्य दवाओं से अलग कई अन्य तरीकों” में विनियमित किया है। होम्योपैथी दवा के निर्माण, को “उपचार” (remedies) का नाम दिया गया, जो काफी अस्पष्ट है, प्रायः इस तर्क से काफी दूर है कि मूल सक्रिय (और संभवतः विषैला) घटक के एक अणु के बचे रहने की संभावना होती है। इस प्रकार ये इस आधार पर सुरक्षित माने जाते हैं, पर “उनके उत्पाद के निर्माण में, समापन (expiration) की तिथि से जुड़े सही निर्माण पद्धतियों का इस्तेमाल नहीं किया जाता सांद्रता तथा निर्मित उत्पाद की पहचान तथा शक्ति हेतु जांच नहीं की जाती” और उनकी अल्कोहल की सांद्रता अन्य पारंपरिक दवाओं के लिए स्वीकृत सांद्रता से अधिक हो सकती है।

उपचार विलंब

ऐसे व्यक्ति जिन्हें एक छोटे रोग हेतु किसी वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति का अनुभव है या उसमें उन्हें सफलता मिली हो, उन्हें इसकी प्रभावोत्पादकता के लिए सहमत किया जा सकता है और उस सफलता के आधार पर अधिक गंभीर, संभवतः जानलेवा बीमारियों हेतु कुछ अन्य वैकल्पिक चिकित्सा पद्धतियों के बहिर्वेशन के लिए राजी किया जा सकता है। इस कारण से आलोचक तर्क देते हैं कि ऐसी उपचार पद्धतियां जो छद्म-औषधियों पर आधारित होती हैं, उनकी सफलता को परिभाषित करना काफी खतरनाक होता है। मानसिक स्वास्थ्य पत्रकार स्कॉट लिलिएनफील्ड (Scott Lilienfeld) ने वर्ष 2002 में कहा, “अमान्य या वैज्ञानिक रूप से असमर्थित मानसिक स्वास्थ्य उपचार पद्धतियां व्यक्ति को प्रभावी चिकित्सा त्यागने के लिए मजबूत कर सकता है,” और इसे उन्होंने “अवसर लागत” के रूप में देखा. ऐसे व्यक्ति जो अपना काफी समय और पैसे अप्रभावी उपचारों में खर्च करते हैं, या तो उनके पास दोनों नहीं बचते अथवा वे ऐसी चिकित्साएं लेने के अवसर चूक जाते हैं, जो अधिक मददगार साबित हो सकती हैं। संक्षेप में, कहें तो यहां तक कि अहानिकर चिकित्सा का भी नकारात्मक नतीजा निकल सकता है।

मानक चिकित्सा उपचार के पूरक के रूप में प्रयुक्त होने पर खतरा बढ़ सकता है।

नॉर्वे में किए एक बहुकेंद्री अध्ययन में वैकल्पिक चिकित्सा तथा कैंसर से बचने वाले रोगियों के बीच के संबंध का परीक्षण किया गया। कैंसर की मानक चिकित्सा उपचार का प्रयोग करने वाले 515 रोगियों पर 8 वर्षों तक नजर रखी गई। उन रोगियों में से 22% रोगियों ने अपने मानक उपचार के साथ वैकल्पिक चिकित्सा का प्रयोग किया। इस अध्ययन से इस बात का पता चला कि वैकल्पिक चिकित्सा (एएम) (AM) नहीं अपनाने वाले रोगियों की तुलना में इस चिकित्सा का प्रयोग करने वाले रोगियों में मृत्यु-दर 30% अधिक रही:

"एएम (AM) का प्रयोग न करने वाले (65%) प्रयोगकर्ताओं की तुलना में प्रयोग करने वालो में मृत्यु-दर (79%) अधिक रही... इससे यह पता चलता है कि एएम (AM) के प्रयोग से कैंसर से बचने की दर कम है।"

द कैंसर सेंटर (The Cancer Center) द्वारा किए नॉर्वे के एक अध्ययन पर एक टिप्पणी में कहा गया:

"यह चिकित्सीय परीक्षण कैम (CAM) तथा कैंसर के रोगियों के ठीक होने के बीच के नकारात्मक संबंध का पहला अध्ययन प्रतीत होता है। अनुसंधानकर्ताओं ने यह परिकल्पना की कि यह संबंध एक अज्ञात पूर्वानुमानिक कारक के कारण हो सकता है तथा उन्होंने सलाह दी कि यह कैम (CAM) के कारण नहीं थी, बल्कि जिसे वे कुल मिलाकर अहानिकर मानते थे। लेखकों ने यह निष्कर्ष निकाला कि ये परिणाम सुझाते हैं, “रोगी अपनी स्थितियों की गंभीरता को अपने चिकित्सकों से अधिक सटीक तरीके से आकलित कर सकते हैं।”

अनुसंधान के लिए कोष संग्रह

यद्यपि डच सरकार ने वर्ष 1986 तथा 2003 के बीच कैम (CAM) अनुसंधान के लिए फंड जारी किया, पर इसने औपचारिक रूप से वर्ष 2006 में इसे खत्म भी कर दिया.

अपील

वर्ष 1998 में प्रकाशित एक अध्ययन से संकेत मिलता है कि कई सारी वैकल्पिक चिकित्साओं का मानक चिकित्सा उपचारों के साथ मिलाकर प्रयोग किया गया। अध्ययन में शामिल लगभग 4.4% लोगों ने वैकल्पिक चिकित्सा का प्रयोग पारंपरिक चिकिसा के स्थान पर किया। इस अध्ययन में यह पाया गया कि जिन्होंने वैकल्पिक चिकित्सा का प्रयोग किया, वे उच्च शिक्षा लेने की ओर प्रवृत्त हुए या उनके बुरे स्वास्थ्य के संकेत मिले. पारंपरिक चिकित्सा के साथ जुड़ी असंतुष्टि विकल्प के लिए एक सार्थक कारक नहीं थी, पर वैकल्पिक चिकित्सा के कई सारे प्रयोक्ता बड़े पैमाने पर ऐसा करते प्रतीत हुए, क्योंकि “वे इन स्वास्थ्य देखभाल विकल्पों को अपने मूल्यों, मान्यताओं तथा स्वास्थ्य एवं जीवन के प्रति अपने दार्शनिक रुझानों के संगत पाते हैं।” अध्ययन में शामिल व्यक्तियों ने विशेषकर स्वास्थ्य के प्रति एक समग्र रुझान की सूचना दी, एक रूपांतरकारी अनुभव, जिसने उनका नजरिया तथा पहचान बदल दिया और कई सारे समूह पर्यावरणवादी, नारीवादी, मनोविज्ञान तथा/या आध्यात्मिकता, तथा व्यक्तिगत विकास रुझान का संकेत दिया, भले ही वे कई प्रकार के छोटे रोगों, विशेषकर चिंताग्रस्तता, रीढ़ की समस्या तथा पुरानी पीड़ा से पीड़ित थे।

लेखकों ने उन अल्पसंख्यकों द्वारा पारंपरिक चिकित्सा के स्थान पर वैकल्पिक चिकित्सा पद्धतियों को प्रयोग में लाने की अपील के रूप में सामाजिक-सांस्कृतिक तथा मनोवैज्ञानिक कारण होने का अनुमान लगाया. कई प्रकार के सामाजिक-सांस्कृतिक कारण, तथा प्रतिवैज्ञानिक नजरिए की सहवर्ती वृद्धि और नए दौर के रहस्यवाद मौजूद हैं जिनके कारण ये उपचार बहुसंख्य लोगों में निम्न स्तर की वैज्ञानिक साक्षरता के इर्द-गिर्द केंद्रित हैं। इसी से संबंधित हैं अपर्याप्त मीडिया जांच के साथ वैकल्पिक चिकित्सा समुदाय द्वारा किए गए बेतुके दावों का जोरदार विपणन और आलोचकों पर किए गए हमले. पारंपरिक चिकित्सा तथा दवा कंपनियों के प्रति साजिश के सिद्धांतों, पारंपरिक प्राधिकार वाले निकायों, जैसे चिकित्सक, पर अविश्वास, तथा वैज्ञानिक जैव-औषधियों (biomedicine) की आपूर्ति की मौजूदा विधियों के प्रति अरुचि में भी वृद्धि हुई है, जिनमें से सभी ने रोगियों को विभिन्न प्रकार के रोगों के उपचार हेतु वैकल्पिक चिकित्सा की ओर जाने के लिए प्रवृत्त किया है। कई रोगी निजी तथा सार्वजनिक स्वास्थ्य बीमा की कमी के कारण समकालीन चिकित्सा पद्धति तक अपनी पहुंच नहीं बना पाते, जिसके कारण वे कम खर्च वाली वैकल्पिक चिकित्साओं की तलाश में चल पड़ते हैं। इस बाजार से लाभ अर्जित करने के लिए मेडिकल डॉक्टर भी जम कर विपणन कर रहे हैं।

वैकल्पिक चिकित्सा की लोकप्रियता का इस नए सामाजिक-सांस्कृतिक आधार के अतिरिक्त कई मनोवैज्ञानिक पहलू भी हैं, जो इस विकास के लिए निर्णायक हैं। उनमें से सर्वाधिक निर्णायक है, छद्म-औषधि प्रभाव (placebo effect), जो चिकित्सा विज्ञान में एक सु-स्थापित विचार है। इसी से जुड़े हैं समान मनोवैज्ञानिक प्रभाव, जैसे विश्वास करने की इच्छा, संज्ञानात्मक (cognitive) भेदभाव जो आत्म-प्रतिष्ठा को तथा सामांजस्यपूर्ण सामाजिक क्रिया-कलापों को बरकरार रखने, एवं सांसारिक अनुक्रम का तात्पर्य कारणात्मक संबंध होता है, वाली तार्कित भ्रांति को बढ़ावा देने में मदद करते हैं। रोगी जैवचिकित्सीय उपचारों (biomedical treatments) की पीड़ादायक, अप्रिय तथा कभी-कभी खतरनाक दुष्प्रभावों के प्रति अनिच्छुक भी हो सकते हैं। कैंसर तथा एचआईवी (HIV) जैसे गंभीर रोगों के उपचार के अहम दुष्प्रभाव अच्छी तरह से ज्ञात हैं। यहां तक कि प्रतिजैविक (antibiotics) जैसे कम खतरे वाले उपचारों के भी कुछ व्यक्तियों में जानलेवा एनाफाइलैक्टिक (anaphylactic) प्रतिक्रियाएं होती हैं। सामान्यतः कई उपचारों के, खांसी या पेट की गड़बड़ी जैसे हल्के किंतु परेशान करने वाले लक्षण हो सकते हैं। इन सभी मामलों में रोगी पारंपरिक उपचारों के दुष्प्रभावों से बचने के लिए वैकल्पिक उपचार की तलाश कर सकते हैं।

इसकी लोकप्रियता को अन्य कारकों के साथ जोड़ा जा सकता है। एड्जार्ड अर्न्स्ट (Edzard Ernst) के साथ एक साक्षात्कार में द इंडिपेंडेंट (The Independent) ने लिखा:

"तब यह इतनी लोकप्रिय क्यों है? अर्न्स्ट इसके लिए प्रदाताओं, ग्राहकों तथा उन चिकित्सकों पर दोषी मढ़ते हैं, जिसकी लापरवाही ने ऐसा द्वार खोल दिया जो वैकल्पिक उपचार के चिकित्सकों की ओर ले जाता है।" लोगों को झूठ कहा जाता है। 40 मिलियन वेबसाइटें हैं, जिनमें से 39.9 मिलियन झूठ कहती हैं और कभी-कभी तो बेहिसाब झूठ. वे कैंसर के रोगियों को गुमराह करती हैं, जिन्हें न केवल सारे पैसे खर्च कर देने के लिए प्रेरित किया जाता है, बल्कि उन चीजों से इलाज करने को प्रेरित किया जाता है, जो उनके जीवन को घटा सकती हैं। "दूसरी तरफ लोग भोले-भाले हैं। इस उद्योग के सफल होने के लिए लोगों का भोलापन जरूरी है। यह मुझे लोगों में लोकप्रिय नहीं बनाएगा, पर सच्चाई यही है।

अकादमिक संसाधन

  • जर्नल ऑफ ऑल्टेरनेटिव एंड कॉम्लीमेंटरी मेडिसिन

इन्हें भी देखें

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विश्व स्वास्थ्य संगठन प्रकाशन

पत्रिकाओं वैकल्पिक चिकित्सा अनुसंधान के लिए समर्पित

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