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ऑक्सीजन

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नाइट्रोजनआक्सीजन (oxygen)फ्लोरीन


O

S
Appearance
gas: colorless
liquid: pale blue
Liquid oxygen in a beaker 4.jpg
उबलता हुआ तरल ऑक्सीजन
Oxygen spectre.jpg
Spectral lines of oxygen
General
Name, symbol, number आक्सीजन (oxygen), O, 8
Element category diatomic nonmetal
Group, period, block 162, p
Standard atomic weight (15.99903–15.99977)
Electron configuration [He] 2s2 2p4
Electrons per shell 2, 6 (Image)
Physical properties
Phase gas
Density (0 °C, 101.325 kPa)
1.429 g/L
Melting point 54.36 K, −218.79 °C, −361.82 °F
Boiling point 90.188 K, −182.962 °C, −297.332 °F
Triple point 54.361 K (-219°C), 0.1463 kPa
Critical point 154.581 K, 5.043 MPa
Heat of fusion (O2) 0.444 kJ·mol−1
Heat of vaporization (O2) 6.82 kJ·mol−1
Specific heat capacity (25 °C) (O2) 29.378 J·mol−1·K−1
Vapor pressure
P/Pa 1 10 100 1 k 10 k 100 k
at T/K       61 73 90
Atomic properties
Oxidation states 2, 1, −1, −2
Electronegativity 3.44 (Pauling scale)
Ionization energies
(more)
1st: {{{1st ionization energy}}} kJ·mol−1
2nd: {{{2nd ionization energy}}} kJ·mol−1
3rd: {{{3rd ionization energy}}} kJ·mol−1
Covalent radius 66±2 pm
Van der Waals radius 152 pm
Miscellaneous
Crystal structure cubic
Magnetic ordering paramagnetic
Thermal conductivity (300 K) 26.58×10−3  W·m−1·K−1
Speed of sound 330 m/s
CAS registry number 7782-44-7
Most stable isotopes
Main article: Isotopes of आक्सीजन (oxygen)
iso N.A. half-life DM DE (MeV) DP
16O 99.76% stable
17O 0.039% stable
18O 0.201% stable

ऑक्सीजन या प्राणवायु या जारक (Oxygen) रंगहीन, स्वादहीन तथा गंधहीन गैस है। इसकी खोज, प्राप्ति अथवा प्रारम्भिक अध्ययन में जे॰ प्रीस्टले और सी॰डब्ल्यू॰ शेले ने महत्वपूर्ण कार्य किया है। यह एक रासायनिक तत्त्व है। सन् 1772 ई॰ में कार्ल शीले ने पोटैशियम नाइट्रेट को गर्म करके आक्सीजन गैस तैयार किया, किन्तु उनका यह कार्य सन् 1777 ई॰ में प्रकाशित हुआ। सन् 1774 ई॰ में जोसेफ प्रिस्टले ने मर्क्युरिक-ऑक्साइड को गर्म करके ऑक्सीजन गैस तैयार किया। एन्टोनी लैवोइजियर ने इस गैस के गुणों का वर्णन किया तथा इसका नाम आक्सीजन रखा, जिसका अर्थ है - 'अम्ल उत्पादक'।

उपस्थिति

ऑक्सीजन पृथ्वी के अनेक पदार्थों में रहता है जैसे पानी और वास्तव में अन्य तत्वों की तुलना में इसकी मात्रा सबसे अधिक है। ऑक्सीजन, वायुमण्डल में स्वतन्त्र रूप में मिलता है आयतन के अनुसार उसका लगभग पाँचवाँ भाग है। यौगिक रूप में पानी, खनिज तथा चट्टानों का यह महत्वपूर्ण अंश है। वनस्पति तथा प्राणियों के प्राय: सब शारीरिक पदार्थों का ऑक्सीजन एक आवश्यक तत्व है। वायुमण्डल में इसकी मात्रा लगभग 20.95% होती है। ऑक्सीजन भूपर्पटी पर सर्वाधिक मात्रा (लगभग 46.6%)में पाया जाने वाला तत्त्व है।

निर्माण

हॉफमान के वोल्टामीटर में जल के विद्युत अपघटन से हाइद्रोजन और आक्सीजन उत्पन्न होतीं हैं।

कई प्रकार के आक्साइडों (जैसे पारा, चाँदी इत्यादि के) अथवा डाइआक्साइडों (लेड, मैंगनीज़, बेरियम के) तथा ऑक्सीजन वाले बहुत से लवणों (जैसे पोटैशियम नाइट्रेट, क्लोरेट, परमैंगनेट तथा डाइक्रोमेट) को गरम करने से ऑक्सीजन प्राप्त हो सकता है। जब कुछ पराक्साइड पानी के साथ प्रक्रिया करते हैं तब भी ऑक्सीजन उत्पन्न होता है। अत: सोडियम पराक्साइड तथा मैंगनीज़ डाइआक्साइड या चूने के क्लोराइड का चूर्णित मिश्रण (अथवा इसी प्रकार के अन्य मिश्रण भी) ऑक्सीजन उत्पादन के लिए प्रयुक्त होते हैं। हाइपोक्लोराइड अथवा हाइपोब्रोमाइट (जैसे चूर्ण विरंजन) के विघटन से या गन्धक के अम्ल तथा मैंगनीज़ डाइआक्साइड या पोटैशियम परमैंगनेट की क्रिया से भी ऑक्सीजन मिलता है। गैसे की थोड़ी मात्रा तैयार करने के लिए हाइड्रोजन पराक्साइड अकेले अथवा उत्प्रेरक के साथ अधिक उपयुक्त है।

जब बेरियम आक्साइड को तप्त किया जाता है (लगभग 500 डिग्री सें॰ तक) तब वह हवा से ऑक्सीजन लेकर पराक्साइड बनाता है। अधिक तापक्रम (लगभग 800 डिग्री सें॰) पर इसके विघटन से ऑक्सीजन प्राप्त होता है तथा पुन: उपयोग के लिए बेरियम आक्साइड बच रहता है। औद्योगिक उत्पादन के लिए ब्रिन विधि इसी क्रिया पर आधारित थी। ऑक्सीजन प्राप्त करने के विचार से कुछ अन्य आक्साइड भी (जैसे ताँबा, पारा आदि के आक्साइड) इसी प्रकार उपयोगी हैं। हवा से ऑक्सीजन अलग करने के लिए अब द्रव हवा का अत्यधिक उपयोग होता है, जिसके प्रभाजित आसवन से ऑक्सीजन प्राप्त किया जाता है, पानी के विद्युत्श्लेषण से जलजनके उत्पादन में ऑक्सीजन भी उपजात के रूप में मिलता है।

गुणधर्म

ऑक्सीजन का घनत्व 1.4290 ग्राम प्रति लीटर है (0 डिग्री सें॰, 750 मिलीमीटर दाब पर) और वायु की अपेक्षा यह वायु १.१०५२७ गुना भारी है। इसका विशिष्टताप (स्थिर दाब पर) 0.2178 कैलोरी प्रति ग्राम, १५ डिग्री सें॰ पर, है तथा स्थिर आयतन के विशिष्ट ताप से इसका अनुपात (15 डिग्री सें॰ पर) 1.401 है। ऑक्सीजन के द्रवीकरण में विशेषज्ञों को विशेष कठिनाई हुई थी, क्योंकि इसका क्रांतिक ताप-118.8 डिग्री सें॰, दाब 49.7 वायुमंडल तथा घनत्व 0.430 ग्राम/सेंटीमीटर 3 है। द्रव ऑक्सीजन हल्के नीले रंग का होता है। इसका क्वथनांक-183 डिग्री सें॰ तथा ठोस ऑक्सीजन का द्रवणांक-218.4 डिग्री सें॰ है। 15 डिग्री सें॰ पर संगलन तथा वाष्पायन उष्माएँ क्रमानुसार 3.30 तथा 50.9 कैलोरी प्रति ग्राम है।

ऑक्सीजन पानी में थोड़ा घुलनशील है, जो जलीय प्राणियों के श्वसन के लिए उपयोगी है। कुछ धातुएँ (जैसे पिघली हुई चाँदी) अथवा दूसरी वस्तुएँ (जैसे कोयला) ऑक्सीजन का शोषण बड़ी मात्रा में कर लेती हैं।

बहुत से तत्व ऑक्सीजन से सीधा संयोग करते हैं। इनमें कुछ (जैसे फॉस्फोरस, सोडियम इत्यादि) तो साधारण ताप पर ही धीरे-धीरे क्रिया करते हैं, परंतु अधिकतर, जैसे कार्बन, गंधक, लोहा, मैग्नीशियम इत्यादि, गरम करने पर। ऑक्सीजन से भरे बर्तन में ये वस्तुएँ दहकती हुई अवस्था में डालते ही जल उठती हैं और जलने से आक्साइड बनता है। ऑक्सीजन में हाइड्रोजन गैस जलती है तथा पानी बनता है। यह क्रिया इन दोनों के गैसीय मिश्रण में विद्युत् चिनगारी से अथवा उत्प्रेरक की उपस्थिति में भी होती है।

ऑक्सीजन बहुत से यौगिकों से भी क्रिया करता है। नाइट्रिक आक्साइड, फेरस तथा मैंगनस हाइड्राक्साइड का आक्सीकरण साधारण ताप पर ही होता है। हाइड्रोजन फास्फाइड, सिलिकन हाइड्राइड तथा जस्ता एथिल से तो क्रिया में इतना ताप उत्पन्न होता है कि संपूर्ण वस्तुएँ ही प्रज्वलित हो उठती हैं। लोहा, निकल इत्यादि महीन रूप में रहने पर और लेड सल्फाइड तथा कार्बन क्लोराइड सूर्य के प्रकाश में क्रिया करते हैं। इन क्रियाओं में पानी की उपस्थिति, चाहे यह सूक्ष्म मात्रा में ही क्यों न रहे, बहुत महत्वपूर्ण है।किसी भी धातु से ऑक्सीजन की क्रिया कराने पर धातु का दहन होता है।

उपयोग

जीवित प्राणियों के लिए आक्सीजन अति आवश्यक है।मनुष्य में भोजन से ऊर्जा प्राप्त करने में ऑक्सीज़न सहायक होती है, इसे वे श्वसन द्वारा ग्रहण करते हैं। द्रव ऑक्सीजन तथा कार्बन, पेट्रोलियम, इत्यादि का मिश्रण अति विस्फोटक है। इसलिए इनका उपयोग कड़ी वस्तुओं (चट्टान) के तोड़ने में होता है। लोहे की मोटी चद्दर काटने अथवा मशीन के टूटे भागों को जोड़ने के लिए ऑक्सीजन तथा दहनशील गैस को ब्लो पाइप में जलाया जाता है। इस प्रकार उत्पन्न ज्वाला का ताप बहुत अधिक होता है। साधारण ऑक्सीजन के साथ [[हाइड्रोजन]] या एसिटिलीन जलाई जाती है। इसके लिए ये गैसें इस्पात के बेलनों में अति संपीडित अवस्था में बिकती हैं। ऑक्सीजन सिरका, वार्निश इत्यादि बनाने तथा असाध्य रोगियों के साँस लेने के लिए भी उपयोगी है। इसका उपयोग अधिकतर श्वसन व अनेक क्रियाविधियों मे होता है जिससे होती है। कार्बनिक योगिकों के दहन से इसके साथ जल भी निर्मुक्त होता है। जैसे -

C6H12O6+ 6O2→6CO2+6H2O
CH4+2O2→CO2+2H2O

पहचान

दहकते हुए तिनके के प्रज्वलित होने से आक्सीजन की पहचान होती है (नाइट्रस आक्साइड से इसको भिन्नता नाइट्रिक आक्साइड के उपयोग से जानी जा सकती है)। ऑक्सीजन की मात्रा क्यूप्रस क्लोराइड, क्षारीय पायरोगैलोल के घोल, ताँबा अथवा इसी प्रकार की दूसरी उपयुक्त वस्तुओं द्वारा शोषित कराने से ज्ञात की जाती है।

ऑक्सीजन का चिकित्सा में उपयोग

चिकित्सा में प्रयुक्त एक ऑक्सीजन मास्क

चिकित्सा में आक्सीजन कई प्रकार से उपयोगी है। यह उपचार रोगी के रक्त में ऑक्सीजन के स्तर को बढ़ाता है। इसके अलावा दूसरा प्रभाव यह होता है कि कई प्रकार के रोगग्रस्त फेफड़ों में रक्त के प्रवाह के प्रतिरोध को कम करता है। इस प्रकार यह हृदय पर काम का बोझ कम करता है।

ऑक्सीजन थेरेपी का उपयोग अन्य रोगों में भी होता है, जैसे- वातस्फीति, निमोनिया, कुछ हृदय विकारों (जैसे congestive heart failure), कुछ ऐसे विकार जिनके कारण फुफ्फुसीय धमनी के दाब में वृद्धि हो जाती है आदि। इसके अलावा ऑक्सीजन थिरैपी का उपयोग उन सभी रोगों में किया जाता है जिनमें गैसीय ऑक्सीजन लेने और उसका उपयोग करने की शरीर की क्षमता को क्षीण हो गयी हो।

ये उपचार पर्याप्त लचीले भी हैं अतः इनका उपयोग चिकित्सालयों में, रोगी के घर में, या पोर्टेबल युक्तियों के रूप में किया जा सकता है। अब प्रायः ऑक्सीजन मास्क प्रचलन में आ गए है किन्तु पहले ऑक्सीजन की कमी कीी पूर्ति लिए प्रायः 'ऑक्सीजन टेन्ट' उपयोग में लिए जाते थे।

चिकित्सा ऑक्सीजन] कैसे बनता है?

सबसे पहले प्रक्रिया में हवा को ठंडा करके उसमें से फिल्टर के जरिये धूल, तेल, नमी, अन्य अशुद्धि को निकाला जाता है। ऑक्सीजन प्लांट में हवा में से ऑक्सीजन को अलग कर लिया जाता है और एयर सेपरेशन तकनीक का उपयोग किया जाता है। यनि पहले हवा को कम्प्रेस किया जाता है जिसस अशुद्धिया इसमे से निकल जाए।

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