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हिमचादर
हिमचादर (ice sheet) हिमानी (ग्लेशियर) बर्फ़ का एक बड़ा समूह होता है जो धरती को ढके और कम-से-कम ५०,००० वर्ग किमी क्षेत्रफल पर विस्तृत हो। तुलना के लिये यह भारत के पंजाब राज्य के क्षेत्रफल के लगभग बराबर है। वर्तमानकाल में हिमचादरें केवल अंटार्कटिका और ग्रीनलैण्ड में मिलती हैं, लेकिन पिछले हिमयुग में उत्तर अमेरिका के अधिकांश भाग पर लौरेनटाइड हिमचादर, उत्तरी यूरोप पर विशेली हिमचादर और दक्षिणी दक्षिण अमेरिका पर पैतागोनियाई हिमचादर फैली हुई थी।
क्षेत्रफल में हिमचादरें हिमचट्टानों और हिमानियों से बड़ी होती हैं। ५०,००० वर्ग किमी से कम आकार की हिमचादर को बर्फ़ की टोपी (ice cap) कहते हैं।
अंटार्कटिक हिमचादर
अंटार्कटिका के महाद्वीप पर स्थित अंटार्कटिक हिमचादर पृथ्वी का सबसे विशाल बर्फ़ का समूह है। यह हिमचादर १.४ करोड़ वर्ग किमी पर फैली हुई है। तुलना के लिये भारत का कुल क्षेत्रफल १२ लाख वर्ग किमी से ज़रा अधिक है, यानि अंटार्कटिक हिमचादर भारत से १० गुना अधिक क्षेत्र पर विस्तृत है। इसमें ३ करोड़ घन किमी जल क़ैद है और यह विश्व के कुल मीठे पानी का नव्वे प्रतिशत (९०%) है। अगर यह पूरा पिघल जाये तो पृथ्वी के समुद्रों की सतह ५८ मीटर उठ जायेगी।
पार-अंटार्कटिक पर्वतमाला इस हिमचादर को पूर्वी अंटार्कटिक हिमचादर और पश्चिमी अंटार्कटिक हिमचादर में विभाजित करती है, जिनमें पूर्वी हिमचादर आकार में बड़ी है। पूर्वी अंटार्कटिक हिमचादर तो धरती पर टिकी है और यदी यह बर्फ़ न भी होती तो यह स्थान समुद्री-सतह से ऊपर होता लेकिन पश्चिमी अंटार्कटिक हिमचादर के नीचे की ज़मीन कहीं-कहीं पर समुद्र-सतह से २५०० मीटर नीचे है और बिना बर्फ़ के यह समुद्र का फ़र्श होता।
ग्रीनलैण्ड हिमचादर
ग्रीनलैण्ड हिमचादर ग्रीनलैण्ड के ८२% क्षेत्रफल पर विस्तृत है और अगर यह पूरी तरह पिघले तो समुद्री-सतह को ७.२ मीटर अधिक ऊँचा कर देगी। यह अनुमान है कि भूमंडलीय ऊष्मीकरण (ग्लोबल वार्मिन्ग) के कारण हर वर्ष ग्रीनलैण्ड हिमचादर का २३९ घन किमी (५७.३ घन मील) पिघल रहा है।