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साइनोसाइटिस
साइनोसाइटिस वर्गीकरण व बाहरी संसाधन | |
बायीं ओर की मैक्सिलर साइनोसाइटिस | |
आईसीडी-१० | J01., J32. |
आईसीडी-९ | 461, 473 |
रोग डाटाबेस | 12136 |
ई-मेडिसिन | emerg/536 |
एमईएसएच | D012852 |
नाक के आसपास चेहरे की हड्डियों के भीतर नम हवा के रिक्त स्थान हैं, जिन्हें 'वायुविवर' या साइनस (sinus) कहते हैं। साइनस पर उसी श्लेष्मा झिल्ली की परत होती है, जैसी कि नाक और मुँह में। जब किसी व्यक्ति को जुकाम तथा एलर्जी हो, तो साइनस ऊतक अधिक श्लेष्म बनाते हैं एवं सूज जाते हैं। साइनस का निकासी तंत्र अवरुद्ध हो जाता है एवं श्लेष्म इस साइनस में फँस सकता है। बैक्टीरिया, कवक एवं वायरस वहाँ विकसित हो सकते हैं तथा वायुविवरशोथ या साइनसाइटिस (Sinusitis) का कारण हो सकते हैं।
कारण
- साइनस की समस्या सर्दी-जुकाम, एलर्जी, वायरस, फंगस, बैक्टीरिया, जानवरों के शरीर से निकलने वाली रूसी, प्रदूषित हवा, धुआं व धूल के कारण हो सकती है। इसके अलावा, नाक के छोटे बाल और नाक की हड्डी का नुकीले आकार में बढ़ना भी साइनस की परेशानी की वजह बन सकता है।
लक्षण
- साइनसाइटिस बदलती उम्र के लोगों में विभिन्न लक्षण पैदा कर सकता है।
- बच्चों को आमतौर से जुकाम जैसे लक्षण होते हैं जिसमें भरी हुई या बहती नाक तथा मामूली बुखार सहित लक्षण शामिल हैं। जब बच्चे को सर्दी के लक्षणों की शुरुआत के करीब तीसरे या चौथे दिन के बाद बुखार होता है, तो यह साइनसाइटिस या कुछ अन्य प्रकार के संक्रमण जैसे ब्रोंकाइटिस, न्यूमोनिया, या एक कान के संक्रमण का संकेत हो सकता हैं।
- वयस्कों में साइनसाइटिस के अधिकतर लक्षण दिन के समय सूखी खाँसी होना जो सर्दी के लक्षणों, बुखार, खराब पेट, दांत दर्द, कान में दर्द, या चेहरे के ढीलेपन के पहले 7 दिनों के बाद भी कम नहीं होते। अन्य देखें गये लक्षण है पेट की गड़बड़ी, मतली, सिर दर्द एवं आंखों के पीछे दर्द होना।
प्रबंधन
- साइनसाइटिस आम बात है तथा इसका आसानी से इलाज किया जा सकता है। जब बच्चे को सर्दी हो तथा लक्षण 10 दिनों के बाद भी मौजूद हो या यदि बच्चे को 7 दिनों तक सर्दी के लक्षण के बाद बुखार हो, तो बच्चे को उपचार के लिए चिकित्सक के पास ले जाएं।
अपने वातावरण को साफ रखें तथा जिनसे आपको साइनसाइटिस होता हो, उन परिस्थितियों/ एलर्जी के कारकों से बचने की कोशिश करें।
इलाज
- साइनसाइटिस के इलाज के लिए कई सारी दवाए हैं, जिसे डॉक्टर की सलाह पर दिया जा सकता है। नीचे हम उन उपचारों का जिक्र कर रहे हैं-
- एनाल्जेसिया - साइनस की वजह से होने वाले तेज दर्द से राहत पाने के लिए इस प्रकार की दवाई दे सकते हैं।
- सर्दी खांसी की दवा - साइनस के इलाज के लिए सूडोफेड्रीन दिया जा सकता है, लेकिन जिन्हें उच्च रक्तचाप की समस्या होती है, उन्हें यह दवा देने में सावधानी बरती जाती है। इसके अलावा, जाइलोमेटाजोलाइन का भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
- इंट्रानासल कॉर्टिकॉस्टिरॉइड्स - यह एक स्प्रे होता है, जो नाक में डाला जाता है। इससे क्रॉनिक, एक्यूट और रिकरंट साइनस का इलाज किया जा सकता है।
- एंटीबायोटिक्स - इस तरह की दवाइयों का उपयोग बैक्टीरिया की वजह से हुए साइनस के लिए किया जाता है।
- सर्जरी - अगर ऊपर बताई गई किसी भी दवा से साइनस की समस्या ठीक नहीं होती है, तो अंतिम विकल्प सर्जरी हो सकता है।
बचाव
कुछ बातों का ध्यान रखकर साइन से बचाव किया जा सकता है, जैसे - चेहरे को साफ और नम कपड़े से पोंछते रहें, बलगम को पतला करने के लिए तरल पदार्थ का सेवन करते रहें, रोजाना 2 से 4 बार भाप लें, नसल स्लाइन से नाक में स्प्रे करते रहें व ह्यूमिडिफायर का उपयोग करें ।
इन्हें भी देखें
बाहरी कड़ियाँ
- साइनसाइटिस (भारत विकास प्रवेशद्वार)
- धूल और एलर्जी से होने वाली एक बीमारी : साइनसाइटिस