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सर्च फॉर एक्स्ट्रा टेरेस्ट्रियल इन्टेलीजेन्स
सेटी (अंग्रेज़ी:सर्च फ़ॉर एक्स्ट्रा-टेरेस्ट्रियल इण्टेलीजेंस) अमरीका में सुदूर ब्रह्माण्ड में जीवन की खोज करने की सामूहिक क्रिया-कलापों को कहते हैं। तलाशने के काम में लगा है। इस कार्य के लिए सेटी रेडियो संकेतों का प्रयोग करता है। इसके अलावा, ऑप्टीकल दूरदर्शी और अन्य विधियों को प्रयोग किए जाने की भी सिफारिशें की गई हैं। सेटी अपने प्रयासों में व्यस्त रहता है और किसी अन्य ग्रह पर बौद्धिक जीवन के बारे में सूचनाओं की खोज करता रहता है। विश्व की शक्तिशाली वेधशालाओं और दूरदर्शियों की मदद से सेटी ब्रह्मांड के कोने कोने से आने वाले रेडियो संप्रेषणों को एकत्रित कर उनका विश्लेषण करती है। अभी तक अभी तक की गणना के अनुसार ब्रह्मांड में हम अकेले हैं।
अंतरिक्ष में निर्वात होने के कारण वह अपने आप में कोई विशेष शक्तिशाली रेडियो संकेतवाहक नहीं है। सेटी के वैज्ञानिकों के अनुसार यदि सुदूर अंतरिक्ष में कोई अनजान सभ्यता पृथ्वी से भेजे गए रेडियो संकेतों को पकड़ती है तो उसे उत्तर में अंतरिक्ष में सूचनाएं छोड़नी चाहिए जैसे कि हम रेडियो और टीवी स्टेशनों के माध्यम से सूचनाएं छोड़ते हैं। यदि अंतरिक्ष में कोई सभ्यता है तो उनके लिए इन संदेशों को पकड़ना भी अच्छा-खासा चुनौतीपूर्ण कार्य होगा। इनका मानना है कि जिस तरह से हमारे पास कई लाख प्रकाश वर्ष की दूरी तक अपने संदेश पहुंचाने की क्षमता और तकनीक है वैसी ही तकनीक किसी दूसरे ग्रह के लोगों (यदि कोई हैं तो) के पास भी हो सकती है। जैसे पृथ्वी से रेडियो, टीवी, राडार के संकेत निकलकर अंतरिक्ष में फैलते हैं वैसे ही अन्य ग्रहों के रेडियो संकेत भी अंतरिक्ष में होंगे। इन संकेतों को पकड़कर दूसरी दुनिया के बारे में काफी कुछ जान सकते हैं। सेटी द्वारा हो रहे इस अध्ययन को आरंभ में अमरीका ने वित्तीय मदद दी लेकिन बाद में इसे बन्द कर दिया।
सेटी के अनेक शोधकर्ता यह भी मानते हैं कि किसी बाहरी सभ्यता की खोज के लिए हमें मध्यम आवृत्ति भेजी जानी चाहिए और सौरमंडल से बाहर भेजा जाने वाला कोई भी संदेश अंतरिक्ष में किसी एक स्थान पर स्थित ही रहना चाहिए। इसके लिए सेटी के खगोलविदों ने विशालकाय सुपरकंप्यूटरों द्वारा संदेशों को स्कैन करने का काम किया है, जिसके बाद अंतत:यह कार्य एक विकेंद्रीकृत कंप्यूटिंग नेटवर्क, SETI@home को दे दिया गया। वैसे अभी तक किसी अन्य खगोलीय सभ्यता के कोई लक्षण सामने नहीं आए हैं। अनेक खगोलविदों के अनुसार कोई भी बाहरी सभ्यता रेडियो संदेशों का आदान-प्रदान नहीं करेगी, चूंकि बहुत संभव है कि वह पृथ्वी की सभ्यता से कहीं आगे होगी। इसलिए खगोलविद् अंतरिक्ष में लेजर किरणों की भी खोज कर रहे हैं। यदि अंतरिक्ष में सूचनाएं भेजने का यह प्रयास अंतत: विफल रहता है तो सेटी को कोई यान ही भेजना पड़ेगा, जो इससे भी कहीं कठिन कार्य होगा।
बाहरी कड़ियाँ
- एलियंस नहीं तो उनकी एंजीनियरी ही खोज लें। नवभारत टाइम्स। २२ दिसम्बर २००८। मुकुल व्यास
- धरती में क्या खास? पहलु- रात का राही। ३० जुलाई २००७