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संयोजी ऊतक

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संयोजी ऊतक
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संयोजी ऊतक (नीला) द्वारा अधिवृषण (गुलाबी) को संभालते या उन्हें बांधे रखे हुए।
अभिज्ञापक
एफ़ एम ए 96404
शरीररचना परिभाषिकी
विभिन्न प्रकार के संयोजी उत्तक

संयोजी ऊतक (अंग्रेज़ी: Connective tissue) रेशेदार ऊतक होते हैं। प्राणियों के संयोजी उत्तकों का मुख्य घटक कोलेजन (Collagen) नामक प्रोटीन होता है। यह ऊतक मानव शरीर में एक अंग को दूसरे अंग से जोड़ने का कार्य करता है। यह प्रत्येक अंग में पाया जाता है। यह ऊतकों का एक विस्तृत समूह है। संयोजी ऊतकों का विशिष्ट कार्य संयोजन करना, अंगों को आच्छदित करना तथा उन्हें सही स्थान पर रखना है।

संयोजी ऊतक शरीर को एक ढांचा प्रदान करते हैं। इनमें कोशिकाएं उपकला कोशिकाओं की भाँति बहुत अधिक चिपकी हुई नहीं होतीं, बल्कि एक-दूसरे से काफ़ी अलग-अलग रहती हैं। इनके बीच के स्थान में अन्तर्कोशिकीय पदार्थ भरा रहता है, जिसे 'मैट्रिक्स' कहते है। यह पदार्थ रेशेदार दिखाई देता है। इन ऊतकों की कोशिकाएं अलग-अलग आकार और रूप-रंग की होती हैं। यद्यपि सबके संयोजी कार्य में समानता होती है। वास्तव में संयोजी ऊतक आद्य कोशिकाओं से पैदा होते हैं और इन्हें 'मीजेनकाइमल कोशिकाएं' कहा जाता है।

इस ऊतक में कोशिकाओं की संख्या कम होती है तथा अंतर कोशिकीय पदार्थ अधिक होता है। शरीर का लगभग 30% भाग का निर्माण संयोजी ऊतक से ही होता है यह शरीर के विभिन्न कोशिकाओं, ऊतकों और अंगों के बीच रहता है तथा इसे परस्पर बांधने से जोड़ने का कार्य करता है।

प्रकार

संयोजी ऊतक कई प्रकार के होते हैं, जैसे-

  1. अवकाशी ऊतक (areolar tissue)
  2. वसीय ऊतक (adipose tissue)
  3. श्वेत सौत्रिक या तन्तुमय ऊतक (white fibrous tissue)
  4. अस्ति ऊतक (beone or osseous tissue)
  5. लसीकाभ ऊतक (lymphoid tissue)
  6. श्लेष्माभ ऊतक (mucoid tissue)
  7. पीत प्रत्यास्थ ऊतक (yellow elastic tissue)
  8. जालीदार ऊतक (reticular tissue)
  9. रक्त उत्पादक ऊतक (haemopoietic tissue)
  10. उपास्थि (cartilage

विशेषता

यह रक्त एक प्रकार का संयोजी ऊतक है। संयोजी ऊतक की कोशिकाएँ आपस में कम जुड़ी होती हैं और अंतरकोशिकीय आधात्री (matrix) में धंसी होती हैं (जैसे चित्र में दिखाया गया है) । यह आधात्री जैली की तरह, तरल, सघन या कठोर हो सकती है। आधात्री की प्रकृति, विशिष्ट संयोजी ऊतक के कार्य के अनुसार बदलती रहती है। रक्त के तरल आधात्री भाग को प्लाज़्मा कहते हैं । प्लाज़्मा में लाल रक्त कणिकाएं (RBC), श्वेत रक्त कणिकाएं (WBC) तथा प्लेटलेटस निलंबित होते हैं। प्लाज्मा में प्रोटीन, नमक तथा हॉर्मोन भी होते हैं। रक्त गैसों, शरीर के पचे हुए भोजन, हॉर्मोन और उत्सर्जी पदार्थों को शरीर के एक भाग से दूसरे भाग में संवहन करता है। अस्थि संयोजी ऊतक का एक अन्य उदाहरण है। यह पंजर का निर्माण कर शरीर को आकार प्रदान करती है। यह मांसपेशियों को सहारा देती है और शरीर के मुख्य अंगों को सहारा देती है। यह ऊतक मजबूत और कठोर होता है।

दो अस्थियाँ आपस में एक-दूसरे से, एक अन्य संयोजी ऊतक जिसे स्नायु कहते हैं, से जुड़ी होती हैं। यह ऊतक बहुत लचीला एवं मजबूत होता है। एक अन्य प्रकार का संयोजी ऊतक कंडरा (tendon) है, जो अस्थियों से मांसपेशियों को जोड़ता है। कंडरा मज़बूत तथा सीमित लचीलेपन वाले रेशेदार ऊतक होते हैं। उपास्थि (cartilage) एक अन्य प्रकार का संयोजी ऊतक होता है, जिसमें कोशिकाओं के बीच पर्याप्त स्थान होता है। इसकी ठोस आधात्री प्रोटीन और शर्करा की बनी होती है। यह अस्थियों के जोड़ों को चिकना बनाती है। उपास्थि नाक, कान, कंठ और श्वास नली में भी उपस्थित होती है।

संक्षेप में संयोजी ऊतक (Connective Tissue) मानव शरीर में एक अंग को दूसरे अंग से जोड़ने का कार्य करता है। यह प्रत्येक अंग में पाया जाता है। यह ऊतकों का एक विस्तृत समूह है। संयोजी ऊतकों का विशिष्ट कार्य संयोजन करना, अंगों को आच्छदित करना तथा उन्हें सही स्थान पर रखना है।

बाहरी कड़ियाँ


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