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संयुक्त मैलोनिक और मिथाइलमेलोनिक एसिडुरिया

संयुक्त मैलोनिक और मिथाइलमेलोनिक एसिडुरिया

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संयुक्त मैलोनिक और मिथाइलमेलोनिक एसिडुरिया (अंग्रेजी: संयुक्त मैलोनिक और मिथाइलमेलोनिक एसिडुरिया, सीएमएएमएमए/ combined malonic and methylmalonic aciduria, CMAMMA), जिसे संयुक्त मैलोनिक और मिथाइलमेलोनिक एसिडेमिया के नाम से भी जाना जाता है, एक आनुवंशिक/विरासत में मिली चयापचय की बीमारी है जिसे मैलोनिक एसिड और मिथाइलमोनिक एसिड के ऊंचे स्तर से पहचाना जाता है। कुछ शोधकर्ताओं ने ये अनुमान लगाया है कि सीएमएएमएमए मेथिलमेलोनिक एसिडेमिया के सबसे आम रूपों में से एक हो सकता है, और ये भी मुमकिन है कि ये चयापचय की सबसे आम जन्मजात गलतियों/बीमारियों में से एक हो सकता है। अक्सर इसका निदान (लक्षणों को देखकर रोग की पहचान करना) ना होने की वजह से, इसका ज़्यादातर पता ही नहीं लगाया जा पाता है।

लक्षण और संकेत

सीएमएएमएमए के नैदानिक ​​फेनोटाइप(किसी व्यक्ति के देखने वाले लक्षण, जैसे ऊंचाई, आंखों का रंग और रक्त वर्ग) ज़्यादातर विषम/बहुजातीय हैं और एसिम्पटोमेटिक, हल्के से लेकर गंभीर लक्षणों तक के हो सकते हैं। मूलभूत पैथोफिज़ियोलॉजी अभी तक समझी नहीं गई है। साहित्य में निम्नलिखित लक्षण बताए गए हैं:

जब बचपन में पहले लक्षण दिखाई देते हैं, तो उनकी मध्यम चयापचय से जुड़े रोग होने की ज़्यादा संभावना होती है, जबकि वयस्कों मेंवो आमतौर पर तंत्रिका/न्यूरोलॉजिकल से जुड़े लक्षण होते हैं।

कारण/वजहें

सीएमएएमएमए को दो उसके कारणों/वजहों को ध्यान में रखते हुए दो अलग-अलग आनुवंशिक/विरासती रोगों में बाँटा जा सकता है: एक माइटोकॉन्ड्रियल एंजाइम एसाइल-सीओए सिंथेटेस फेमिली मेंबर 3 की कमी है, जो ACSF3 जीन (ओएमआईएम#614265/OMIM#614265) से एन्कोडेड है; दूसरा रोग/विकार MLYCD जीन (ओएमआईएम #248360/ OMIM#248360) से एन्कोडेड मैलोनील-सीओए डिकार्बोक्सिलेज की कमी है।

रोग-निदान(लक्षणों को देखकर रोग की पहचान करना)

नैदानिक ​​​​लक्षणों की एक बड़ी रेंज और नवजातों के स्क्रीनिंग कार्यक्रमों से बड़े पैमाने पर फिसलने की वजह से, सीएमएएमएमए को एक कम-मान्यता वाला माना जाता है।

नवजात स्क्रीनिंग कार्यक्रम

क्योंकि, ACSF3 की वजह से सीएमएएमएमए के परिणामस्वरूप मिथाइलमोनील-सीओए, मैलोनील-सीओए या प्रोपियोनील-सीओए का संचय/जमाव नहीं होता है, और न ही एसाइक्लेरिटाइन प्रोफाइल में असामान्यताएं देखी जाती हैं, सीएमएएमएमए का पता मानक खून-आधारित नवजात स्क्रीनिंग कार्यक्रमों से नहीं लगाया जाता है।

एक खास मामला क्यूबेक प्रांत का है, जो रक्त/खून परीक्षण के अलावा, क्यूबेक नियोनेटल ब्लड एंड यूरिन स्क्रीनिंग प्रोग्राम के साथ जन्म के 21वें दिन मूत्र/यूरिन की जांच भी करता है। ये क्यूबेक प्रांत को सीएमएएमएमए अनुसंधान के लिए दिलचस्प भी बनाता है, क्योंकि ये चुनने के पक्षपात के बिना दुनिया में एकलौते रोगी समूह की अगुवाई करता है।

मैलोनिक एसिड से मिथाइलमोनिक एसिड अनुपात

प्लाज्मा में मैलोनिक एसिड/मेथिलमेलोनिक एसिड के अनुपात का हिसाब/गणना करके, एक सीएमएएमएमए को क्लासिक मेथिलमेलोनिक एसिडेमिया से सीधे तरीके से अलग किया जा सकता है। ये मिथाइलमेलोनिक एसिडेमिया में विटामिन बी12 प्रतिक्रिया वालों और गैर- प्रतिक्रिया वालों दोनों के लिए सच है। इस अनुपात का हिसाब/गणना के लिए मूत्र/यूरिन से मेलोनिक एसिड मात्रा और मिथाइलमेलोनिक एसिड मात्रा का इस्तेमाल ठीक नहीं है।

सीएमएएमएमए में ACSF3 की वजह से, मिथाइलमेलोनिक एसिड का स्तर मैलोनिक एसिड से ज़्यादा होता है। मैलोनील-सीओए डिकार्बोक्सिलेज की कमी की वजह से सीएमएएमएमए के लिए इसका उल्टा एकदम सही है।

आनुवंशिक परीक्षण/टेस्टिंग

ACSF3 और MLYCD जीन के विश्लेषण/जांच से सीएमएएमएमए का निदान किया जा सकता है। प्रजनन उपचार के दौरान विस्तारित वाहक स्क्रीनिंग (Extended carrier screening) भी ACSF3 जीन में म्यूटेशन/बदलाव के वाहक की पहचान कर सकती है।


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