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वाइरस-जनित निमोनिया

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Viral Pneumonia
वर्गीकरण व बाहरी संसाधन
आईसीडी-१० J12.
आईसीडी- 480
ई-मेडिसिन emerg/468  radio/539
एमईएसएच D011024

वाइरस-जनित निमोनिया वाइरस द्वारा उत्पन्न एक प्रकार का निमोनिया है। निमोनिया के दो प्रमुख कारणों में से एक वाइरस होते हैं, जबकि दूसरा कारण जीवाणु हैं; इसके कम सामान्य कारणों में कवक और परजीवी शामिल हैं। बच्चों में निमोनिया का मुख्य कारण वाइरस होते हैं, जबकि वयस्कों में जीवाणु अधिक आम कारण होते हैं।

चिन्ह और लक्षण

वाइरस-जनित निमोनिया के लक्षणों में ज्वर, बिना बलगम वाली खांसी, नाक का बहना और प्रणालीगत लक्षण (उदा. पेशियों का दर्द, सिरदर्द) शामिल हैं। विभिन्न प्रकार के विषाणु भिन्न प्रकार के लक्षण के कारण हैं।

कारण

वाइरस-जनित निमोनिया के सामान्य कारण निम्न हैं:

  • इनफ्लुएंज़ा वाइरस ए और बी
  • श्वसन-तंत्रीय सिनसाइशियल वाइरस (आरएसवी (RSV))
  • मानवीय पैराइनफ्लुएंज़ा वाइरस (बच्चों में)

आम तौर पर निमोनिया उत्पन्न करने वाले दुर्लभ वाइरसों में निम्न वाइरस शामिल हैं:

  • एडीनोवाइरस (फौजी रंगरूटों में)
  • मेटान्यूमोवाइरस[कृपया उद्धरण जोड़ें]
  • गंभीर तीव्र श्वसन रोगसमूह वाइरस (सार्स वाइरस)

उन वाइरसों में, जो अन्य रोगों का कारण होते हैं, किंतु कभी-कभी निमोनिया उत्पन्न करते हैं, निम्न वाइरस शामिल हैं:

  • हर्पिस सिम्प्लेक्स वाइरस (एचएसवी (HSV)), मुख्यत: नवजात शिशुओं में
  • वैरिसेला-ज़ॉस्टर वाइरस (वीज़ेडवी (VZV)
  • साइटोमिगेलोवाइरस (सीएमवी (CMV)), मुख्यतया प्रतिरक्षा प्रणाली की समस्याओं से ग्रस्त लोगों में

रोग-शरीरक्रिया विज्ञान

प्रजनन करने के लिए वाइरसों को कोशिकाओं का अतिक्रमण करना आवश्यक होता है। आम तौर पर, वाइरस सांस के साथ महीन बूंदों के रूप में मुंह और नाक के जरिये फेफड़ों तक पहुंचता है। वहां, वाइरस वायु-मार्गों और वायुकोशिकाओं की भीतरी पर्त पर स्थित कोशिकाओं पर आक्रमण करता है। इस आक्रमण के कारण या तो वाइरस द्वारा सीधे मार दिए जाने या पूर्वनियोजित कोशिकाहनन के जरिये स्वत: विनाश के द्वारा कोशिकाओं की मृत्यु हो जाती है।

संक्रमण के प्रति रोग प्रतिरोधी तंत्र की प्रतिक्रिया होने पर फेफड़ों को और नुकसान पहुंचता है। श्वेत रक्त कण, विशेषकर लसीका कोशिकाएं, विभिन्न प्रकार के रसायनों (साइटोकाइन) को सक्रिय करने के लिए जिम्मेदार होते हैं, जिनके कारण वायुकोशिकाओं में द्रव का ह्रास होने लगता है। कोशिकाओं के विनाश और द्रव से भरी वातकोशिकाओं के कारण रक्त प्रवाह में आक्सीजन के परिवहन में व्यवधान आता है।

फेफड़ों पर होने वाले प्रभावों के अतिरिक्त, कई वाइरस अन्य अवयवों को प्रभावित करते हैं और विभिन्न प्रकार की अनेकों शारीरिक क्रियाओं को प्रभावित करने वाला रोग उत्पन्न कर सकते हैं। वाइरस शरीर को जीवाणु संक्रमण के प्रति अधिक संवेदनशील बना देते हैं; इस वजह से, वाइरस-जनित निमोनिया की एक समस्या के रूप में जीवाणु-जन्य निमोनिया होता है।

इलाज

वाइरस-जन्य निमोनिया के उन मामलों में, जहां इन्फ्लुएंज़ा ए या बी को रोग का कारक समझा जाता है, लक्षणों के शुरू होने के 48 घंटों के भीतर आने वाले रोगियों को ओसेल्टामिविर या ज़ानामिविर के द्वारा उपचार से लाभ हो सकता है। श्वसनतंत्रीय सिनसाइशियल वाइरस (आरएसवी) का उपचार रिबाविरिन से किया जा सकता है। हर्पिस सिम्लेक्स वाइरस और वेरिसेला-ज़ॉस्टर वाइरस के संक्रमणों का इलाज आम तौर पर एसाइक्लोविर से किया जाता है, जबकि गैनसाइक्लोविर का प्रयोग साइटोमिगेलोवाइरस के उपचार के लिए किया जाता है। सार्स कोरोनावाइरस, एडीनोवाइरस, हैंटावाइरस, पैराइन्फ्लुएंज़ा या एच1एन1 वाइरस के द्वारा हुए निमोनिया के लिए कोई ज्ञात प्रभावशाली उपचार उपलब्ध नहीं है[कृपया उद्धरण जोड़ें]; इन रोगों का इलाज अधिकतर सहयोग प्रदान करने के लिए ही होता है।


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