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रेमडेसिविर

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रेम्डेसिविर (Remdesivir) एक अनेक विषाणुओं के विरुद्ध काम करने वाली दवा है जिसका विकास गिलीड साइन्सेस (Gilead Sciences) नामक दवा-निर्माता कम्पनी ने किया है। यह दवा शिराओं में इंजेक्शन के द्वारा प्रविष्ट करायी जाती है। यह वेक्लुरी (Veklury) ब्राण्ड नाम से बिकती है।2020 कोरोनवायरस महामारी के समय विश्व के ५० देशों में रेम्डेसिविर को कोविड-१९ की चिकित्सा के लिए अधिकृत किया गया था।


रेमडेसिविर का विकास हेपटाइटिस सी के इलाज के लिए हुआ था। लेकिन, बाद में इबोला वायरस के इलाज में भी इसका उपयोग किया गया। कोरोना वायरस के इलाज में प्रयुक्त शुरुआती दवाओं में रेमडेसिविर भी शामिल थी। जिसकी वजह से यह दवा मीडिया की सुर्खियों में रही है। हालांकि 20 नवम्बर 2020 को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा था कि कोरोना मरीजों के इलाज में डॉक्टरों को रेमडेसिविर के इस्तेमाल से बचना चाहिए। डब्ल्यूएचओ के दावों के उलट दवा बनाने वाली कंपनी ने रेमडेसिविर के पक्ष में दलील देते हुए कहा कि दवा कोरोना के इलाज में कारगर हैं।

दिसंबर २०२० में कैंब्रिज विश्वविद्यालय ने कोरोना वायरस से संक्रमित और कमजोर इम्युन सिस्टम वाले एक मरीज को रेमडेसिविर दवा दी थी। इलाज के दौरान पाया गया कि उस मरीज के स्वास्थ्य में जबरदस्त सुधार हुआ। यही नहीं, उसके शरीर से कोरोना वायरस का खात्मा भी हो गया। इस अध्ययन को नेचर कम्युनिकेशन्स ने प्रकाशित किया था। उसी के बाद भारत सहित कई देशों में रेमडेसिविर के इस्तेमाल की खबरें आईं। रेमडेसिविर पर अध्ययन करने वाले वैज्ञानिकों ने कहा था कि यदि संक्रमण के आरम्भिक चरण में इसे मरीज को दिया जाए तो उस समय यह अधिक कारगर होती है।

बुरे प्रभाव

कोविड संक्रमित हर रोगी को रेमडेसिविर इंजेक्शन लगाने की जरुरत नहीं होती है। बिना जरुरत के किसी को रेमडेसिविर इंजेक्शन दिया जाए तो उसके यकृत (लीवर) पर असर पड़ सकता है। कोविड संक्रमित मरीज जिनकी छाती में 20 प्रतिशत या अधिक संक्रमण हो, या मधुमेह, उच्च रक्तचाप हो, इस तरह के रोगियों को रेमडेसिविर इंजेक्शन दिया जाना चाहिए। ये बाते अरबिंदो अस्पताल के डायरेक्टर डा. विनोद भंडारी ने शनिवार को रेसीडेंसी कोठी में आयोजित पत्रकार वार्ता में कहीं। उन्होंने बताया कि इस इंजेक्शन को मरीज को लगाने के पहले लीवर फंक्शन टेस्ट किया जाना चाहिए। कोई भी व्यक्ति इस इंजेक्शन को अपनी इच्छाअनुसार घर पर खुद ना ले।

हाल ही में इस इंजेक्शन को लेकर जो बाजार में कमी चलने की बात सामने आ रही है, उसको लेकर एक बात सामने आ रही है कि लोगों ने जरूरत के बिना ही इसको ये समझकर रख लिया है कि ना जाने कब उन्हें या उनके परिवार वालों को इसकी जरूरत होने लगे। ऐसे में शासन को यह इंजेक्शन दवा दुकानों को देने के बजाए सीधे अस्पतालों को ही देना चाहिए। डीजीसीआई ने रेमडेसीवीर इंजेक्शन के इमरजेंसी में ही उपयोग करने के निर्देश दिए है। इस वजह से इसे आउटडोर या घर में उपयोग नहीं करना चाहिए।

भारत में रेमडेसिविर

भारत में रेमडेसिविर दवा को इंजेक्शन के रूप में कई कंपनियां बना रही हैं। सात भारतीय कंपनियों के पास गालीड साइन्सेस (Gilead Sciences) की इस दवा को बनाने का लाइसेंस है जिसकी कुल क्षमता हर महीने 39 लाख यूनिट्स की है। इनमें डाक्टर रेड्डीज लैब, जायडस कैडिला (Zydus Cadila), सिप्ला और हेटेरो लैब शामिल हैं। इनके अलावा जुबलिएंट लाइफ साइंस और मायलन (Mylan) भी इसे यहीं बनाने के लिए प्रयासरत हैं।

इस समय भारत में रेमडेसिविर इंजेक्शन 100 एमजी के वॉयल में आ रहा है। इसके एक वॉयल का मूल्य 2800 रुपये से 6000 रुपये के बीच है। इसकी सबसे सस्ती दवा कैडिला जायडस बना रही है जिसके एक वॉयल की कीमत 2800 रुपये है। सिप्ला भी इस दवा को बना रही है। उसके दवा की कीमत 4000 रुपये है। डॉक्टर रेड्डी लैब की यह दवा 5400 रुपये की है। इसकी सबसे महंगी दवा हेटेरो लैब की है। उसकी दवा की कीमत 5000 से 6000 रुपये की पड़ती है। (अप्रैल २०२१)

अप्रैल २०२१ में भारत में कोरोना वायरस के संक्रमण की दूसरी लहर शुरू होने के बाद रेमडेसिविर की मांग में भारी तेजी दर्ज की गई है। कहा जा रहा है कि इस दवा का अवैध भंडारण हो रहा है, ताकि इसकी ब्लैक मार्केटिंग हो सके। इसी के चलते बाजार से रेमडेसिविर दवा बाजार से गायब हो गई लगती है।

भारत के केन्द्रीय सरकार ने 11 अप्रैल को रेमडेसिविर और इसके सक्रिय फार्मा अवयवों के निर्यात पर रोक लगा दी है। यह फैसला कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच इसकी मांग बढ़ने के चलते लिया गया है

सरकार ने ये निर्देश भी दिए हैं-

  • रेम्डेसिविर के सभी घरेलू विनिर्माताओं को अपनी वेबसाइट पर अपने स्टॉक और डिस्ट्रीब्यूटर की जानकारी प्रदर्शित करने की सलाह दी गयी है।
  • ड्रग इंस्पेक्टर्स और अन्य अधिकारियों को स्टॉक्स की जाँच करने और किसी भी प्रकार के गलत तरीकों को रोकने के लिए निर्देश दिए गए हैं।
  • केंद्र सरकार ने होर्डिंग और ब्लैक मार्केटिंग रोकने के लिए जरूरी कदम उठाने के निर्देश दिए हैं। राज्य के स्वास्थ्य सचिव ड्रग इंस्पेक्टर्स के साथ मिलकर इसका समीक्षा करेंगे।
  • रेम्डेसिविर का उत्पादन बढ़ाने के लिए औषधि विभाग घरेलू विनिर्माताओं के संपर्क में रहेगी।

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