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मेकियावेलियनिस्म

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निकोलो मेकियवेली

ओक्सवोर्ड अंग्रेजी शब्दकोश के अनुसार मेकियावेलियनिस्म का अर्थ "शासन कला में या सामान्य आचरण में चालाक और कपट होना" है। यह इताल्वि रजनयिक निकोलो मेकियवेलि के प्रसिद्ध किताब "द प्रिंस" के मध्यम से प्राप्त हुआ है। इस शब्द का समान उपयोग आधुनिक मनोविज्ञान में भी किया जाता है, जहां यह अंधेरे त्रय हस्तियों का वर्णन करता है। जो विशेषता से निंदक विश्वासों और व्यावहारिक नैतिकता के साथ जुड़े एक duplicitous पारस्परिक शैली है। "मेकियावेलियनिस्म" एक शब्द के रूप में पहली बार १६२६ को ओक्स्वोर्ड अंग्रेजी शब्द्कोश में प्रकाशित हुआ था।

निकोलो मेकियवेली

निकोलो मेकियवेली(१४६९-१५२७) एक इतालवी राजनीतिज्ञ और दार्शनिक जो अप्ने वकालत "राजनीतिक नैतिकता जो प्रभावशील है वह नैतिक्ता से ज़्यादा महत्वपूर्ण है" के लिये प्रसिद्ध है। इस वाक्यांश का स्रोत उन्हें माना जाता है "माध्यम को अंत ही औचित्य बनाता है"एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति को अपने व्यक्तिगत लाभ के लिए जोड़ तोड़ करने" के विचार को हम निकोलो मैकियावेली के साथ जोड़ने का कारण, उनका प्रसिद्ध किताब "द प्रिंस", अधिग्रहण और शक्ति प्राप्ति के लिए एक आदर्श का मार्गदर्शक। इस किताब में उन्होंने हेरफेर, नियंत्रण और व्यक्तिगत लाभ के बीच के सह सम्बन्ध को विस्तार से व्यक्त किया है। उनका यह मानना था की अगर व्यक्ति को प्यार किया जाना या आशंका जताई जाने के बीच में से एक विकल्प चुनना हो, थो उसे आशंका जताई जाना चुनना चाहिए।

संघटनो मे मकियावेलियनिस्म:

मकियावेलियनिस्म को अक्सर संक्षिप्त रूप मे मेक कहा जाता है। यह एक तरह का व्यक्तित्व लक्षण है जो विशेषता से अधिकार प्राप्ति के लिए जोड़-तोड़ का उपयोग करना होता है। मनोवैज्ञानिको मे अनेक उपकरणो की श्रंखलाओं को विकसित किया है, जो एक व्यक्ति के मेकिवेलियन अनुस्थापन को मापता है। इन उपकरणो को "मेक स्केल्स" कहा जाता है।

हाई मेक्स-

"हाई मेक्स" वो है जो अत्यधिक हेरफेर कर सकते है, दूसरो को आसानी से मना सकते है। वे अपने लक्ष्य तक पहुँचने मे सफल होते है और वे ज्यादातर मामलों में अपनी इच्छा अनुसार जीतते भी है। जिन लोगो मे “हाई मेक्स” का व्यक्तित्व है, वे शांत, स्वाधीन, परिगणित और लोगों में ढीला संरचना या भेद्यता का दोहन करने के तरीकों को ढूंढते रहते है। आमने सामने का वातावरण जहाँ सीमित नियम और संरचना रहती हो और जब भावनाओं और जहाँ लक्ष्य प्राप्ति में भावनाओं का मूल्य काम हो वहां है मेक लोग बहुत सफल होते है। जिन नौकरियों में लक्ष्य प्राप्ति को ज़्यादा महत्व है, जैसे बिक्री या परिणामो के लिए आयोग का प्रस्ताव हो, ऐसी नौकरियों में हाई मेक व्यतित्व के लोग उचित सिद्ध हुए हैं।

लो मेक्स-

"लो मेक" लोग, मेक स्पेक्ट्रम के विपरीत पक्ष में हैं और बेहद विनम्र होने के रूप में वर्णित किये जाते है। उन व्यक्तियों जिनमे "लो मेक" अभिविन्यास है, वे उन पर लगाए गए दिशा को स्वीकार करने के लिए तैयार होते हैं और उच्च संरचित स्थितियों में कामयाब होते है। लो मेक लोग शक्ति, स्थिति, पैसा और प्रतिस्पर्धा से कम प्रेरित हैं। जीतना ही लो मेक लोगों के लिए सबकुछ नहीं होता। वे अधिक नैतिक मानकों के साथ काम करते है।

मेकियावेलियनिस्म अपने प्रयोग के निर्भर से संस्था में सकारात्मक और नकारात्मक भी हो सकता है। जब मेकियावेलियनिस्म प्रबंधकीय प्रभावशीलता को बढ़ाने के लिए या जहाँ संगठनात्मक लक्ष्यों को पूरी करने के लिए या अधीनस्थों को ज़रूरी दिशा देने के लिए उपयोग किया जाता है इसे एक सकारात्मक विशेषता के रूप में माना जाता है। जब मेकियावेलियनिस्म अधीनस्थों की कीमत पर निजी लाभ के लिए प्रयोग किया जाता है, उसे अत्यधिक नकारात्मक माना जाता है।

मनोविज्ञान:

"मेकियवेलियनिस्म" एक ऐसा शब्द भी है जिसे सामाजिक और व्यक्तित्व मनोवैज्ञानिक एक व्यक्ति के होना, जो उसे परम्परागत नैतिकता से खुद को अलग करना और दूसरो को धोखा देना और हेरफेर करने में उसे सक्षम बनाता है।

१९६०', में रिचर्ड क्रिस्टी और फ्लोरेंस एल जिसने एक व्यक्ति के मेकियावेलियनिस्म स्तर को मापने के लिए एक परीक्षा को विकसित किया। रिचर्ड क्रिस्टी और फ्लोरेंस जिसने मेकियावेली के लेखन से बयानो को इकट्ठा किया और अन्य लोगों से पूछा की वे कितना एक दूसरे के साथ सहमत है। और अंत में इस नतीजे पे पहुंचे की “मेकियावेलियनिस्म” एक अलग व्यक्तित्व विशेषता के रूप में मौजूद है। उन्होने इसका प्रकाशण 1970 में किया और तब से यह एक लोकप्रिय व्यतित्व माध्यम बन चुका है।

मेक IV:

प्रस्तावना-

इनका मेक चार, बीस बयान व्यक्तित्व सुर्वेक्षण में एक मानक आत्मा मूल्यांकन औज़ार बन गया है। इस पैमाने का उपयोग करते ही क्रिस्टी और जिसने विभिन्न प्रयोगात्मक परीक्षण किया जिससे पता चला कि परस्परिक कौशल और "हाई मेक" और "लो मेक" के व्यवहार अलग-अलग होते है।

प्रक्रिया-

इस परीक्षण में कुल बीस आइटम होते है। प्रत्येक आइटेम एक बयान होता है, जिसमे एक व्यक्ति को बतलाना है कि वह बयान उसके लिए कितना सही है। यह परीक्षण सिर्फ दो-पाँच मिनट में पूरा किया जा सकता है।

उपयोग-

इस परीक्षा केवल शैक्षिक ब्याज के लिए ही उपलब्द है। यह किसी भी प्रकार के मनोवैज्ञानिक मदद के लिए कोई स्थानापन्न नहीं है और किसी भी वास्तविक जीवन निर्णय लेने के लिए इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। इस परीक्षण से एकत्र बेनामी डेटा को संग्रहित किया जाता है जो अनुसंधान के लिए उपयोग किया जा सकता है।

प्रेरणा:

1992 में मेकियावेलियनिस्म पर किए गए समीक्षा ने मेकियावेलियन प्रेरणा को ठंड स्वार्थ और शुद्ध साधन से संबन्धित किया गया है। प्रेरणा के विषय पर हाल ही में किए गए शोध में यह बताया गया है कि "हाई मेक(जिनका अंक मेक परीक्षण मे ज़्यादा हो)" और "लो मेक(जिनका अंक मेक परीक्षण मे कम हो)" की तुलना मे, "हाई मेक" लोग पैसा, अधिकार, प्रतिस्पर्धा को उच्च प्राथमिक्ता और सामाजिक निर्माण, स्व-प्यार, पारिवारिक संबंधो को कम प्राथमिक्ता देते है। "हाई मेक" लोगो ने यह स्वीकार भी किया कि वे निरंतर सफलता के लिए और हर कीमत पर जीतने पर ही ध्यान केन्द्रित रखते है।

क्षमता:

परस्परिक कौशल में अपने हेरफेर के कारण अक्सर यह धारणा की जाती है कि "हाई मेक" लोग ज़्यादा बुद्धिमान और दूसरे लोगों के सामाजिक परिस्थितियों को बेहतर समझने की क्षमता रखते है। हालांकि, अनुसंधानो से यह स्थापित किया गया है कि मेकियावेलियाइस्म बुद्धि से असंबंधित है। इसके अलावा, भावनात्मक बुद्धिमत्ता पर अध्ययन ने यह भी स्थापित किया है कि मेकियावेलियनिस्म भावनात्मक खुफिया के साथ जुड़ा हुआ होता है।

यह प्रदर्शन और प्रश्नावली दोनों के द्वारा मूल्यांकन किया गया है। सहानभूति और भावनात्मक पहचानो का संबंध मेकियावेलियानिस्म से नकारात्मक ही है। इसके साथ अनुसंदान ने यह भी ढिखाया है कि मेकियावेलीयनिस्म मन के उन्नत सिद्धांथ से असंबंधित है। इसका तात्पर्य यह है कि, लोग विभिन स्थितियों में क्या सोच रहे हैं यह जानने की क्षमता मकियावेलियनिस्म से असंबंधित है।

अन्य व्यक्तित्व लक्षणों के साथ संबंध:

मेकियावेलियनिस्म, अहंकार और मनोरोग व्यक्तित्व लक्षण के तीन अंधेरे त्रथ कहा जाता है। कुछ मनोवैज्ञानिक मकियावेलियनिस्म को मनोरोग के लक्षणहीन प्रपत्र मानते है, पर शोध यह बतलाता है कि मकियावेलियनिस्म और मनोरोग अधिव्यापन होते है पर वे दोनों अलग-अलग व्यक्तित्व निर्माण है।


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