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पी के वारियर
पी के वारियर | |
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जन्म | पन्नियमपिल्ली कृष्णनकुटी वारियर 5 जून 1921 कोट्टक्कल, मलप्पुरम्, केरल, भारत |
मृत्यु | 10 जुलाई 2021(2021-07-10) (उम्र 100) |
व्यवसाय | आयुर्वेदाचार्य |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
अवधि/काल | 20th century |
उल्लेखनीय सम्मान | पद्मभूषण (2010)
पद्मश्री (1999) धन्वन्तरि पुरस्कार (2010) केरल साहित्य अकादमी पुरस्कार (2008) |
हस्ताक्षर |
पन्नियमपिल्ली कृष्णनकुटी वारियर (5 जून 1921 - 10 जुलाई 2021) एक भारतीय आयुर्वेद चिकित्सक थे। उनका जन्म भारत के केरल राज्य के मलप्पुरम जिले के कोट्टक्कल में हुआ था। वे आर्य वैद्यशाला के मुख्य चिकित्सक और प्रबन्ध न्यासी थे। वे आर्य वैद्यशाला के संस्थापक वैद्यरत्नम पी एस वारियर के सबसे छोटे भतीजे थे।
जीवनी
पीके वारियर का जन्म 5 जून 1921 को केरल के मलप्पुरम के कोट्टाकल में हुआ था। उनके माता-पिता थलप्पन्ना श्रीधरन नंबूथिरी और पन्नियमपिल्ली कुंची वरासियर थे। वह उनके छह बच्चों में सबसे छोटे थे। उन्होंने राजा के हाई स्कूल, कोट्टक्कल और ज़मोरिन के हाई स्कूल कोझीकोड से अपनी शिक्षा प्राप्त की। उन्होंने आर्य वैद्य पाठशाला (वर्तमान 'वैद्यरत्नम पीएस वेरियर आयुर्वेद कॉलेज') में आयुर्वेद का अध्ययन किया। उन्होंने स्वर्गीया श्रीमती माधवकुट्टी के. वारियर से विवाह किया जो एक कवयित्री व कथकली लेखिका थीं। वह कोट्टकल में आर्य वैद्यशाला के प्रबन्ध न्यासी रहे और आर्य वैद्यशाला के मुख्य चिकित्सक भी थे।
डॉ वारियर ने पांच खंडों में "भारतीय औषधीय पौधे - 500 प्रजातियों का एक संग्रह" लिखा। आयुर्वेद में वैज्ञानिक अनुसंधान और प्रलेखन के प्रति उनके समर्पण उनका प्रतिनिधित्व करता है। डॉ. वारियर को 1999 में कालिकट विश्वविद्यालय द्वारा डी लिट् की उपाधि से सम्मानित किया गया। उन्हें 2008 में स्मृति पर्व के लिए जीवनी और आत्मकथा के लिए केरल साहित्य अकादमी पुरस्कार प्रदान किया गया था। आयुर्वेद में उनके योगदान के लिए पूर्व मुख्य चिकित्सक को 1999 में पद्मश्री और 2010 में पद्मभूषण से अलंकृत किया गया।
बाहरी कड़ियाँ
- YouTube पर पद्म भूषण पुरस्कार समारोह का वीडियो कवरेज
- 70 साल के ट्रस्टी जहाज
- पीके वारियर-एक चमकती आयुर्वेद परंपरा का प्रतीक