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पारुरीसिस
पारुरीसिस (अंग्रेजी: Paruresis) या मूत्र-त्याग संकोच विकार, एक प्रकार का भय या फोबिया है जिसमें पीड़ित व्यक्ति दूसरों की वास्तविक या काल्पनिक उपस्थिति में पेशाब करने (मूत्र-त्याग) में असमर्थ रहता है, जैसे कि किसी सार्वजनिक मूत्रालय (शौचालय) में। मल त्याग को प्रभावित करने वाली अनुरूप स्थिति को पार्कोप्रीसिस कहा जाता है।
प्रभाव
कुछ लोग कुछ समय के लिए या कभी कभार दूसरे लोगों की उपस्थिति में मूत्र त्याग करने में कठिनाई अनुभव करते हैं। पारुरीसिस में यह स्थिति सामान्य संकोच, शर्मिंदगी, उलझन या फिर इसका डर कि लोग जान जायेंगे कि कोई पेशाब नहीं कर पा रहा है, से भी परे चली जाती है। कुछ लोग चलते वाहनों में पेशाब नहीं कर पाते वहीं, कुछ लोग एक शांत शौचालय में अपने गिरते हुए मूत्र की आवाज से बेचैन हो जाते हैं। गंभीर मामलों में, पारुरीसिस से पीड़ित व्यक्ति सिर्फ तभी पेशाब कर सकता है जब या तो वो अपने घर पर अकेला हो या फिर उसे कैथीटेराइजेशन की प्रक्रिया के माध्यम से पेशाब कराया जा सकता है।
हालांकि अधिकांश पीड़ित बताते हैं कि इस स्थिति का विकास उनकी किशोरावस्था में हुआ, लेकिन यह किसी भी उम्र में प्रकट हो सकती हैं। इसके अलावा गंभीरता के भिन्न स्तरों की कारण इसका प्रभाव भिन्न व्यक्तियों पर भिन्न होता है, और कुछ लोगों ने तो इस समस्या को पहली बार तब अनुभव किया जब मूत्र परीक्षण हेतु नमूना देने के लिए उन्होनें खुद को पहली बार शौचालय में बंद किया। कई महिलायें इस बात से अनजान हैं कि वो, पारुरीसिस से पीड़ित हैं।
कुछ लोग जानबूझ कर अपना पेशाब रोक कर रखते हैं, और पानी या अन्य तरल पदार्थों को पीने से बचते हैं साथ ही वो अकसर उन सार्वजनिक शौचालयों को ढूंढते हैं जो या तो खाली हों या फिर जिनका उपयोग एक बार में एक व्यक्ति ही कर सके (एकल-प्रयोक्ता शौचालय)।
इस विकार के गंभीर मामलों में किसी व्यक्ति का जीवन बहुत अधिक प्रभावित हो सकता है। गंभीर से मध्यम मामलों में पारुरीसिस से, मनोवैज्ञानिक चिकित्सा और सहायता समूहों के समर्थन के बिना, पार पाना बेहद मुश्किल हो सकता है। गंभीर रूप से पीड़ित व्यक्ति अपने घर से दूर की यात्रा करने या अंतरंग संबंध बनाने के लिए भी तैयार नहीं होता और यहाँ तक कि अगर घर में कोई और वयक्ति उपस्थित हो तो वो अपने घर में भी पेशाब नहीं कर पाता।