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पटाख़ा
पटाख़ा एक छोटी-सी विस्फोटक आतिशबाज़ी है जो मुख्यत: भारी आवाज या शोर उत्पन्न करने के उद्देश्य से बनायी जाती है। पटाख़ों का आविष्कार चीन में हुआ। इसमें अधिकतर कम-ज्वलनक बारूद प्रयोग में लाया जाता है। पटाखे बनाने में प्रयोगित मुख्य रसायन कृषि में प्रयोग किये जाने वाले रसायन होते हैं, जैसे कि कलमी शोरा (पोटैशियम नाइट्रेट) व गंधक (सल्फ़र) कोयला प्रयोग किया जाता है। यह बड़ी ही आसानी से किसी भी खेती-बाड़ी की दुकान से प्राप्त हो जाते है। पुरातन काल में इस काले बारूद का प्रयोग तोपों में किया जाता था और २०वीं शताब्दी में इसे बन्दूक की गोली भरने में भी प्रयोग किया जाने लगा, जिसके कारण इसका नाम अंग्रेज़ी में "गनपाउडर" (gun powder) पड़ गया।
अन्य भाषाओं में
पटाख़ों को अंग्रेज़ी में 'क्रैकर' (cracker), फ़ारसी में 'तरक़े' (ترقه), गुजराती में 'फटाके' (ફટાકે) और पुर्तगाली में 'पनचाऊँ' (Panchão) कहते हैं।
इन्हें भी देखें
बाहरी कड़ियाँ
- पटाख़ों की बदली दुनिया Archived 2013-07-06 at archive.today (भारतीय पटाख़ों के डिब्बों पर समाज के साथ बदलती तस्वीरें), बी॰बी॰सी॰ हिन्दी, अंतिम जोड़-निरिक्षण तिथि: १८ मार्च २०१२
- पटाख़े संग्रह करने वाले अमेरिकी डेनिस मनोकियो पर वीडियो
- पटाख़े से हाथ पर लगी चोट (चेतावनी: भयानक तस्वीर)
https://web.archive.org/web/20190928111658/https://www.hindipeeth.com/2019/09/history-of-firecrackers-in-hindi.html. पटाखों का इतिहास हिन्दी में
भारतीय शास्त्रो के अनुसार भारत मे पटाखों का प्रचलन ईसा पुर्व काल से ही है , कोटिल्य ( चाणक्य ) की पुस्तक अर्थशास्त्र मे एक चुर्ण का वर्णन मिलता है जिसे जलाने पर तेजी से लपटे पैदा होती थी ।
इतिहासकारो के अनुसार 12वीं शताब्दी मे बंगाल के बोध्द धर्मगुरू दीपांकर ने भारत मे सर्वप्रथम पटाखों/आतिश का प्रचलन शुरू किया । कहा जाता है की दीपांकर को यह ज्ञान चीन , तिबब्त के
के दौरान प्राप्त हुआ था ।
बहुत से इतिहासकारो का यह भी कहना है की पटाखे मुगलो़ की देन है , लेकीन यह कहना गलत नही होगा की पटाखे मुगलो़ के भारत आगमन से पुर्व भी थे . दारा शिकोह कि शादी की एक पेंटिग मे पटाखे व पटाखे जलाते हुए लोगो को चित्रित किया गया है .
भारत की पटाखा कंपनिया -
भारत मे सर्वप्रथम पटाखा कंपनी कलकत्ता मे शुरू हुई थी .
भारत मे सबसे ज्यादा पटाखों का उत्पादन तमिलनाडु राज्य के शिवकाशी शहर मे होता है . शिवकाशी को Capital of indian firecrackers भी कहा जाता है , क्योकी भारत का 55% पटाखा उत्पादन शिवकाशी से ही होता है .