निशाचरता
Подписчиков: 0, рейтинг: 0
उल्लू एक निशाचरी प्राणी है
निशाचरता कुछ जानवरों की रात को सक्रीय रहने की प्रवृति को कहते हैं। निशाचरी जीवों में उल्लू, चमगादड़ और रैकून जैसे प्राणी शामिल हैं। कुछ निशाचरी जानवरों में दिन और रात दोनों में साफ़ देखने की क्षमता होती है लेकिन कुछ की आँखें अँधेरे में ही ठीक से काम करती हैं और दिन के वक़्त चौंधिया जाती हैं।
राक्षसों के लिए प्रयोग
रात में जगने वाले मनुष्यों को निशाचर भी कहा गया है। प्राचीन कथाओं में राक्षसों को भी रात में सक्रीय रहने वाले जीव बताया जाता था, इसलिए कभी-कभी "निशाचर" का अर्थ "राक्षस" निकाला जाता था, जैसा की मैथिलीशरण गुप्त की "पंचवटी" नाम की कविता में देखा जा सकता है -
- "वीर-वंश की लाज यही है, फिर क्यों वीर न हो प्रहरी, विजन देश है निशा शेष है, निशाचरी माया ठहरी॥"
अन्य भाषाओँ में
"निशाचरी" को अंग्रेजी में "नॉक्टर्नल" (nocturnal), फ़ारसी में "शबज़ी" (شبزی, यानि "शब/रात वाला") और अरबी में "अल-लैलई" (اللَيْلِي, यानि "लैला/रात वाला") कहा जाता है।