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दन्ताल्पता
दन्ताल्पता (दन्त + अल्पता ; Hypodontia / ओलिगोडॉनशिया) दांतों की वह असामान्यता है जिसमें ६ या ६ से अधिक प्राथमिक दांत, स्थिर और पक्के दांत या फर दोनों प्रकार के ही दांत विकसित नहीं हो पते! यह एक आनुवंशिक रोग है जो किसी किसी मनुष्य में पाया जाता है! इसके अलावा दांतों की कमी अगर ६ से कम होती है तो उस स्थिति में हाइपोडॉनशिया कहलाता है!हाइपोडॉनशिया की स्थति में ५ पक्के दांतों की कमी होती है। प्राथमिक दन्त-विन्यास में जबड़े में से ही दांत कम होते हैं। दांतों की यह कमी जन्मजात होती है और इसमें लगभग ५ दांत कम होते हैं सरे दांतों की गिनती से|
कारण
ओलिगोडॉनशिया गर्भावस्था में किसी प्रकार का वायरल रोग हो जाना से, अनुवांशिक पेरिडिसपोजीशन होने से, किसी प्रकार मेटाबोलिज्म में इम्बेलंस हो जाना से या फिर पर्यावरण के कारण कोई असामान्यता हो जाने से भी हो सकता है! ऑटोसोम्स में परिवर्तन होने से भी यह रोग हो जाता है!औटोसोमल डोमिनेंट परिवर्तन होना PAX9 और MSX1 अनुवांश पाए जाते है उन लोगो में जो की मोलर ओलिगोडॉनशिया से पीड़ित होते है! LTBP3 में औटोसोमल रेसस्सिवे अनुवांश पाए गए है जो की ओलिगोडॉनशिया को बदने में मदद करते है! अनुवांश में इन्ही बदलाव के कारण ओलिगोडॉनशिया पाई जाती है जो की जन्मजात रोग है!
दांतों की यह असामान्यता रोगी के अनुवांश से जुडी होती है और अनुवांश के अलावा कुछ पर्यावरण से जुड़े भी कारण होते हैं जो की दांतों की इस स्थति को बढावा देते हैं दांतों के विकास के दौरान|
- दांतों की यह कमी कभी-कभी माँ की उम्र ज्यादा होने के कारण होती है।
- कभी- कभी जन्म के समय बच्चे का वजन कम होने से भी हाइपोडॉनशिया की स्थिति देखने को मिलती है।
- कभी-कभी रूबेला वायरस हो जाने से भी हाइपोडॉनशिया की स्थिति देखने को मिलती है।
- हाइपोडॉनशिया विकिरण की संपर्क में आने से होती है, किसी प्रकार की एलर्जी होने के कारण भी होती है और विरोधी कैंसर कीमोथेरेपी करवाने के कारण भी हो जाती है।
इलाज
हाइपोडॉनशिया का इलाज इसके पता लगने के तुरंत बाद ही शुरू हो जाता है जिसमे ख़राब हुए दांतों को निकल दिया जाता है और बचे हुए दांतों का अनुरक्षण किया जाता है।
- ओलिगोडॉनशिया के इलाज़ के लिए पार्शियल डेनचर्स को निकाल कर या फिर जुड़े हुए डेनचर्स को अलग करके सामान्य तरीके से नए दांत लगाए जाते है!
- ६ साल की उम्र में ही सिमफीसिएल प्रत्यारोपण करके भी ओलिगोडॉनशिया ठीक किया जा सकता है!
- अनुवांशि परामर्श कराने से भी यह रोग दूर किया जा सकता है!