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ग्रेटा थनबर्ग

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ग्रेटा थनबर्ग
Greta Thunberg au parlement européen (33744056508), recadré.png
अप्रैल 2019 में थनबर्ग
जन्म 3 जनवरी 2003 (2003-01-03)
स्टॉकहोम, स्वीडन
व्यवसाय पर्यावरण कार्यकर्ता
कार्यकाल 2018–वर्तमान
संबंधी

ग्रेटा थनबर्ग (ग्रेटा टिनटिन एलोनोरा एर्नमन थनबर्ग) (जन्म 3 जनवरी 2003)स्वीडन की एक पर्यावरण कार्यकर्ता हैं जिनके पर्यावरण आंदोलन/आन्दोलन को अंतरराष्ट्रीय/अन्तरराष्ट्रीय ख्याति मिली है। स्वीडन की इस किशोरी के आंदोलनों/आन्दोलनों के फलस्वरूप विश्व के नेता अब जलवायु परिवर्तन पर कार्य करने के लिए विवश हुए हैं। अगस्त 2018 में, 15 की उम्र में, थनबर्ग ने स्कूल से समय निकालकर हाथ में स्वीडन की भाषा में "Skolstrejk för klimatet " ( जलवायु के लिए स्कूलबन्दी (स्कूलबंदी)) लिखी तख्ती लिए स्वीडन की संसद के बाहर प्रदर्शन करना शुरू किया। 11 दिसम्बर 2019 को इन्हे 'टाइम पर्सन ऑफ़ द ईयर' पुरस्कार प्रदान किया गया। ग्रेटा अपने सीधे-साधे शब्दों में बात करने के लिए भी जानी जातीं हैं। अपनी सार्वजनिक सभाओं में और राजनीतिक नेताओं के साथ वार्ता में वे जलवायु संकट पर तुरन्त (तुरंत) कार्वाई करने का आग्रह करतीं हैं।

आरंभिक जीवन

ग्रेटा थनबर्ग का जन्म 3 जनवरी 2003 को स्टॉकहोम, स्वीडन, में हुआ। उनकी माँ मलेना अर्नमैन एक ओपेरा गायिका हैं एवं पिता स्वान्ते थनबर्ग एक अभिनेता हैं। उनके दादा अभिनेता और निर्देशक ओलोफ़ थनबर्ग थे।

सक्रियता

अगस्त 2018 में स्वीडन के संसद के सामने, "Skolstrejk för klimatet" (जलवायु के लिए स्कूलबंदी) तख़्ती लिए ग्रेटा।

ग्रेटा थुनबर्ग पर्यावरण और जलवायु संकट का अहम चेहरा बन चुकी हैं। सबसे पहले ग्रेटा ने अपने ही माँ-बाप को ऐसी जीवनशैली अपनाने के लिए मनाया जिससे जलवायु पर कम से कम दुष्प्रभाव पड़ता है। 2018 में जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर लोगों में जागरुकता पैदा करने के लिए ग्रेटा ने स्वीडन की संसद के बाहर विरोध-प्रदर्शन के लिए हर शुक्रवार अपना स्कूल छोड़ा था जिसे देखकर कई देशों में #FridaysForFuture के साथ एक मुहिम शुरू हो गई। शीघ्र ही अन्य छात्र-छात्राओं ने भी अपने-अपने स्कूलों और अड़ोस-पड़ोस में इसी तरह के विरोध प्रदर्शन किए। सबने मिलकर जलवायु के लिए स्कूल बन्दी का एक आन्दोलन ही शुरू कर दिया और उसका नाम 'फ्राइडे फॉर क्लाइमेट' (शुक्रवार, जलवायु के लिए ) रखा। सन २०१८ में जब थुनबर्ग ने संयुक्त राष्ट्र के जलवायु परिवर्तन सम्मेलन को सम्बोधित किया, उसके बाद तो प्रत्येक सप्ताह विश्व के किसी न किसी भाग में छात्रों की हड़ाताल हुई। सन २०१९ में विश्व के कई नगरों में, एक साथ, एक से अधिक विरोध प्रदर्शन किए गए जिनमें हरेक में दस लाख से अधिक छात्रों ने भाग लिय। इस बात का विचार करके कि बार-बार हवाई यात्रा न करनी पड़े, ग्रेटा समुद्री जहाज से उत्तरी अमेरिका आ गयीं जहाँ सन २०१९ में उन्होने संयुक्त राष्ट्र की जलवायु कर्वाई शिखर सम्मेलन में भाग लिया।

सम्मान और पुरस्कार

उनकी अकस्मात प्रसिद्धि से एक तरफ वे नेता बन गयीं हैं तो दूसरी तरफ बहुत से लोग उनकी अलोचना भी कर रहे हैं। विश्व स्तर पर उनके प्रभाव को कुछ लोग 'ग्रेटा प्रभाव' की संज्ञा देने लगे हैं। ग्रेटा को अनेकानेक पुरस्कार और सम्मान प्राप्त हुए हैं जिनमें से प्रमुख ये हैं- स्कॉटलैण्ड की शाही भौगोलिक सोसायटी की मानद सदस्यता, टाइम पत्रिका द्वारा १०० सर्वाधिक प्रभावी लोगों की सूची में उनका नाम शामिल करना और वर्ष का सबसे युवा टाइम-व्यक्यि घोषित करना, सन २०१९ में फोर्ब्स पत्रिका द्वारा विश्व की १०० सर्वाधिक प्रभावशाली स्त्रियों में उनका नाम सम्मिलित करना, तथा २०१९ और २०२० में लगातार दो बार नोबेल पुरस्कार के लिए उन्हे नामित करना शामिल है। घोंघा की एक नयी प्रजाति का पता लगने पर उसका नाम ग्रेटा के नाम पर रखा गया है। इसी प्रकार, ग्रेटा को सन २०१९ का 'सम्यक जीविका पुरस्कार' (राइट लाइवलिहुड एवार्ड) भी प्रदान किया गया है।


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