Продолжая использовать сайт, вы даете свое согласие на работу с этими файлами.
एलर्जी
अधिहृषता या एलर्जी या "प्रत्यूर्जता" रोग-प्रतिरोधी तन्त्र का एक व्याधि (Disorder) है जिसे एटोपी (atopy) भी कहते हैं
अधिहृषता (एलर्जी) शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग वान पिरकेट ने बाह्य पदार्थ की प्रतिक्रिया करने की शक्ति में हुए परिवर्तन के लिए किया था। कुछ लेखक इस पारिभाषिक शब्द को हर प्रकार की अधिहृषता से संबंधित करते हैं, किंतु दूसरे लेखक इसका प्रयोग केवल संक्रामक रोगों से संबंधित अधिहृषता के लिए ही करते हैं। प्रत्येक अधिहृषता का मूलभूत आधार एक ही है; इसलिए अधिहृषता शब्द का प्रयोग विस्तृत क्षेत्र में ही करना चाहिए।
एक उदाहरण
यदि किसी गिनीपिग की अधस्त्वचा में घोड़े का सीरम (रुधिर का द्रव भाग, जो जमने वाले भागों के जम जाने पर अलग हो जाता है) प्रविष्ट किया जाए और दस दिन बाद उसी गिनीपिग को उसी सीरम की पहले से बड़ी मात्रा दी जाए, तो उसके अंगों में कंपन उत्पन्न हो जाता है। (अर्थात् उसे पेशी-तंतु-संकुचन की बीमारी अकस्मात् हो जाती है)। यह साधारण प्रयोग यह सिद्ध करता है कि गिनीपिग के ऊतकों में पहले इंजेक्शन के बाद घोड़े के सीरम के लिए अधिहृषता उत्पन्न हो जाती है। सीरम उतनी ही मात्रा में यदि एक अहर्षित गिनीपिग को दिया जाए तो उस पर कुछ भी कुप्रभाव नहीं पड़ेगा।
संक्रामक जीवाणुओं के प्रति विशेष अधिहृषता अनेक रोगों का लक्षण है।
एलर्जी के प्रकार
प्रतिक्रिया की तीव्रता के अनुसार मनुष्यों की अधिहृषता तात्कालिक और विलंबित दो प्रकार की होती है। तात्कालिक प्रकार में उद्दीप्त करनेवाले कारकों (फैक्टर्स) के संपर्क में आने के कुछ ही क्षणों बाद प्रतिक्रिया होने लगती है। सीरम में बहते हुए प्रतिजीव (ऐंटीबॉडीज) दर्शाए भी जा सकती हैं। यह क्रिया संभवत: हिस्टैमाइन नामक पदार्थ के बनने से होती है।
विलंबित प्रकार में प्रतिक्रियाएँ विलंब से होती हैं। प्रतिजीव सीरम में दर्शाए नहीं जा सकते। इन प्रतिक्रियाओं में कोशिकाओं को हानि पहुँचती है और हिस्र्टमाइन उत्पन्न होने से उसका संबंध नहीं होता। विलंबित प्रकार की अधिहृषता संस्पर्श त्वचार्ति (छूत से उत्पन्न त्वक्प्रदाह) और तपेदिक जैसे रोगों में होती है।
कुछ व्यक्तियों में संभवत: जननिक कारकों (जेनेटिक फैक्टर्स) के फलस्वरूप कई प्रोटीन पदार्थों के प्रति अधिहृषता हो जाती है। इस प्रकार की अधिहृषता ऐटोपी कहलाती है। उसके कारण परागज ज्वर (हे फीवर) और दमा जैसे रोग होते हैं।
सभी एन्ज़ाइम एलर्जी उत्पन्न करने वाले होते हैं, क्योंकि प्रोटीन होते हैं। परंतु सामान्यतः उनसे एलर्जी तभी उत्पन्न होती है, जब वे साँस लेते समय धूल के रूप में शरीर में प्रवेश करें। इन कणों को एलर्जन कहा जाता है।
जीवविज्ञान के मुख्य उप-क्षेत्र
| ||
---|---|---|