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एंथ्रोपोसीन

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एंथ्रोपोसीन (Anthropocene) एक प्रस्तावित युग का नाम है जिसमें मानव के कार्यकलापों के कारण धरती के भौमिकी पर तथा उसके पर्यावरण पर महत्वपूर्ण (significant) प्रभाव पड़े हैं। इस शब्द को आधिकारिक स्वीकृति अभी नहीं मिली है।

विस्तार

वैज्ञानिकों ने 29 अगस्त 2016 को घोषणा किया कि पृथ्वी की जलवायु और रसायन शास्त्र पर मानव के प्रभाव ने 11,700 साल पुराने भूवैज्ञानिक युग जिसे होलोसीन के नाम से जाना जाता है को खत्म करके नए युग में प्रवेश किया है।

वैज्ञानिकों द्वारा 29 अगस्त 2016 को प्रस्तुत की गयी सिफ़ारिशों को केप टाउन, दक्षिण अफ्रीका में होने वाली अंतर्राष्ट्रीय भूवैज्ञानिक कांग्रेस द्वारा मंजूरी प्राप्त हुई तो एंथ्रोपोसीन या मानव का नया युग मध्य 20 वीं शताब्दी से शुरू हो जायेगा।

मंजूरी प्राप्त करने की प्रक्रिया में दो साल लग जाने की संभावना है और कम से कम तीन अन्य शैक्षणिक संस्थाओं द्वारा इन सिफ़ारिशों को समर्थन प्राप्त होने की आवश्यकता है। अध्ययन के अनुसार इस युग की इष्टतम सीमा मध्य 20 वीं सदी है। वैज्ञानिक 1950 से शुरू होने वाले काल को एक महान त्वरण के रूप में बताते हैं तथा लगातार हो रहे रासायनिक और सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन को रेखांकित करते हैं।

लेकिन सात साल की विवेचना के बाद, 35 सदस्यीय कार्यकारी समूह ने सर्वसम्मति से मानव के नए युग (एंथ्रोपोसीन) को एक वास्तविकता के रूप में मान्यता दी है और इसे आधिकारिक तौर पर पंजीकृत करने के लिए 35 में से कुल 30 सदस्यो ने पक्ष में वोट दिए।

वायु में कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन और समताप मंडलीय ओजोन की सांद्रता; सतह के तापमान, समुद्र अम्लीकरण, और उष्णकटिबंधीय वन का नुकसान; जनसंख्या वृद्धि एवं बड़े बांधों का निर्माण यह सभी मध्य सदीइ प्रारम्भ हुआ है। लेकिन कार्य समूह को इन उपायों में किसी को भी तब तक लेने की अनुमति नहीं है जब तक कि ये भूवैज्ञानिक रिकॉर्ड में दर्ज नहीं हो जाते हैं। अगर ग्लोबल वार्मिंग अपने चरम पर पहुंची, तो धु्रवों की बर्फ पिघलेगी और समुद्र का स्तर बढ़ेगा. इससे कई प्रजातियां लुप्त हो जाएंगी. अनुमान है कि एक करोड़ प्रजातियों में से 20 लाख सदा के लिए चली जाएंगी।

==सन्दर्भ==एंथ्रोपोसीन (Anthropocene) शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग वर्ष 2000 में नोबेल पुरस्कार विजेता पॉल कर्टज़न (Paul Crutzen) एवं यूजीन स्ट्रोर्मेर (Eugene Stroermer) द्वारा किया गया।

यह शब्द वर्तमान समय अंतराल में मानव गतिविधियों द्वारा पृथ्वी पर हुए गंभीर प्रभाव को निरुपित करता है।

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