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अधकपारी
अधकपारी वर्गीकरण एवं बाह्य साधन | |
आईसीडी-१० | G43. |
---|---|
आईसीडी-९ | 346 |
ओएमआईएम | 157300 |
डिज़ीज़-डीबी |
8207 (माइग्रेन) 31876 (Basilar) 4693 (FHM) |
मेडलाइन प्लस | 000709 |
ईमेडिसिन | neuro/218 neuro/517 emerg/230 neuro/529 |
एम.ईएसएच | D008881 |
अधकपारी या माइग्रेन एक जटिल विकार है जिसमें बार-बार मध्यम से गंभीर सिरदर्द होता है और अक्सर इसके साथ कई स्वैच्छिक तंत्रिका तंत्र से संबंधित लक्षण भी होते हैं।
आमतौर पर सिरदर्द एक हिस्से को प्रभावित करता है और इसकी प्रकृति धुकधुकी जैसी होती है जो 2 से लेकर 72 घंटों तक बना रहता है। संबंधित लक्षणों में मितली, उल्टी, फोटोफोबिया (प्रकाश के प्रति अतिरिक्त संवेदनशीलता), फोनोफोबिया (ध्वनि के प्रति अतिरिक्त संवेदनशीलता) शामिल हैं और दर्द सामान्य तौर पर शारीरिक गतिविधियों से बढ़ता है। माइग्रेन सिरदर्द से पीड़ित एक तिहाई लोगों को ऑरा के माध्यम इसका पूर्वाभास हो जाता है, जो कि क्षणिक दृष्य, संवेदन, भाषा या मोटर (गति पैदा करने वाली नसें) अवरोध होता है और यह संकेत देता है कि शीघ्र ही सिरदर्द होने वाला है।
माना जाता है कि माइग्रेन पर्यावरणीय और आनुवांशिकीय कारकों के मिश्रण से होते हैं। लगभग दो तिहाई मामले पारिवारिक ही होते हैं। अस्थिर हार्मोन स्तर भी एक भूमिका निभा सकते हैं: माइग्रेन यौवन पूर्व की उम्र वाली लड़कियों को लड़कों की अपेक्षा थोड़ा अधिक प्रभावित करता है लेकिन पुरुषों की तुलना में महिलाओं को दो से तीन गुना अधिक प्रभावित करता है। आम तौर पर गर्भावस्था के दौरान माइग्रेन की प्रवृत्ति कम होती है।माइग्रेन की सटीक क्रियाविधि की जानकारी नहीं है। हलांकि इसको न्यूरोवेस्कुलर विकार माना जाता है। प्राथमिक सिद्धांत सेरेब्रल कॉर्टेक्स (प्रमस्तिष्कीय आवरण) की बढ़ी हुयी उत्तेजना तथा ब्रेनस्टेम(रीढ़ के पास का मस्तिष्क का हिस्सा) के ट्राइगेमिनल न्यूक्लियस (त्रिपृष्ठी नाभिक) में न्यूरॉन्स दर्द के असमान्य नियंत्रण से संबंधित है।
आरंभिक अनुशंसित प्रबंधन में, सिरदर्द के लिये सामान्य दर्दनाशक दवाएं जैसे आइब्युप्रोफेन और एसिटामिनोफेन, मितली और शुरुआती समस्याओं के लिये मितलीरोधी दवायें दी जाती हैं। जहां पर सामान्य दर्दनाशक दवायें प्रभावी नहीं होती हैं वहां पर विशिष्ट एजेन्ट जैसे ट्रिप्टन्स या एरगोटामाइन्स का उपयोग किया जा सकता है।
आयुर्वेद में इसे अर्धावभेदक कहा गया है। अर्धावभेदक का वर्णन आयुर्वेद शास्त्र के चरक संहिता में किया गया है जो कि इस प्रकार है -
- रूक्षात्यध्यशनात् पूर्ववातावश्यायमैथुनैः। वेगसंधारणायासव्यायामैः कुपितोऽनिलः ॥
- केवलः सकफो वाऽर्ध गृहीत्वा शिरसस्ततः। मन्याभ्रूशंखकर्णाक्षिललाटर्धेऽतिवेदनां ॥
- शस्रारणिनिभां कुर्यात्तीव्रां सोऽर्धावभेदकः। नयनं वाऽथवा श्रोतमतिवृद्धो विनाशयेत् ॥ (च.सि.९/७४-७५)
- अर्थात् रूक्ष भोजन, अधिक मात्रा में भोजन, अध्यशन (पहले का खाना न पचने पर भी खाना खाना ), पूर्वी वायु (पूर्व दिशा से चलने वाली वायु), अवश्याय (ओस), अतिमैथुन, वेग संधारण ( मल-मूत्र के वेग को रोकना ), परिश्रम व अतिव्यायाम से वात दोष, कफ दोष के साथ मिल कर शिर के आधे भाग को जकड़ कर मन्या, भृकुटी, शंखप्रदेश, कर्ण, नेत्र व ललाट के अर्ध भाग में शस्त्र से काटने तथा अरणी मन्थन के समान तीव्र वेदना होती है, जिससे अर्धावभेदक की उत्पत्ति होती है। अर्धावभेदक अधिक बढ़ने पर नेत्र व कर्णेन्द्रियों का नाश कर देता है। अर्धावभेदक की तुलना आधा-सीसी का दर्द से की जा सकती है।
चिह्न तथा लक्षण
माइग्रेन आमतौर पर स्वसाँचा:Endashसीमित, बार-बार गंभीर सिरदर्द के साथ होता है जिसके साथ स्वैच्छिक लक्षण होते हैं। माइग्रेन से पीड़ित लगभग 15-30% लोगों को ऑरा के साथ माइग्रेन का अनुभव होता है और जिन लोगों को ऑरा के साथ माइग्रेन होता है उनको अक्सर बिना ऑरा के भी माइग्रेन होता है। दर्द की तीव्रता, सिर दर्द की अवधि और दर्द होने की आवृत्ति हर एक में भिन्न-भिन्न होती है। 72 घंटे से अधिक चलने वाले माइग्रेन को स्टेटस माइग्रेनॉसस के नाम से जाना जाता है। माइग्रेन के लिये चार संभावित चरण होते हैं, हलांकि सभी चरणों का अनुभव होना आवश्यक नहीं है:
- पूर्व लक्षण, वे लक्षण जो सिरदर्द के कुछ घंटों या दिनों पहले ही महसूस होते हैं
- ऑरा, जो सिरदर्द के तुरंत पहले महसूस होते हैं
- दर्द चरण, जिसे सिरदर्द चरण भी कहते हैं
- पोस्टड्रोम, वे प्रभाव जो माइग्रेन आक्रमण की समाप्ति पर अनुभव किये जाते हैं
पूर्व लाक्षणिक (प्रोड्रोम) चरण
पूर्व लाक्षणिक या पूर्व लक्षण माइग्रेन पीड़ित ~60% लोगों में होते हैं। जो ऑरा या दर्द की शुरुआत से दो घंटो से दो दिनों पहले होता है। इन लक्षणों में व्यापक विविधता वाली घटनायें हो सकती हैं जिनमें: मूड का बदलाव, चिड़चिड़ापन, अवसाद या परम आनंद, थकान, कुछ विशेष खाने की इच्छा, मांसपेशीय जकड़न (विशेष रूप से गर्दन में), कब्ज़ या दस्त, गंध या शोर के प्रति संवेदनशीलता शामिल है। यह ऑरा के साथ या ऑरा के बिना माइग्रेन वाले लोगों में हो सकता है।
ऑरा चरण
ऑरा एक क्षणिक केन्द्रीय तंत्रिका संबंधी घटना है जो सिरदर्द से पहले या उसके दौरान होता है। वे कई मिनटों के दौरान धीरे-धीरे दिखते हैं और 60 मिनटों तक बने रहते हैं। लक्षण दृष्टि, संवेदी या मोटर प्रकृति के हो सकते है और बहुत से लोगों में एक से अधिक हो सकते हैं।दृष्टि संबंधी प्रभाव सबसे आम हैं, जो 99% मामलों में होते हैं और आधे से अधिक मामलों में विशिष्ट रूप से होते हैं। दृष्टि बाधाओं में अक्सर सिंटिलेटिंग स्कोटोमा शामिल होते हैं (दृष्टि क्षेत्र में आंशिक परिवर्तन जो फड़कता है)। ये आम तौर पर दृष्टि के केन्द्र के पास से शुरु होते हैं और फिर टेढ़ी-मेढ़ी रेखाओं में किनारों की ओर फैलते हैं जो किले की दीवारों या किले के समान लगती हैं। आमतौर पर रेखायें काली व सफेद होती है लेकिन कुछ लोगों को रंगीन रेखायें भी दिखती हैं। कुछ लोग अपनी दृष्टि के क्षेत्र के कुछ भाग को खो देते हैं जिसे अर्धान्धता कहते हैं जबकि दूसरों को धुंधला दिखता है।
संवेदी ऑरा दूसरी सबसे आम घटना है जो ऑरा वाले 30-40% लोगों में होती है। अक्सर हाथ व बाजू के एक ओर पिन व सूई चुभने का एहसास होता है जो कि उसी ओर के नाक और मुंह के क्षेत्र तक फैल जाता है। अंग सुन्न होने का एहसास आमतौर पर झुनझुनी होती है जिसके साथ स्थिति संवेदना की हानि हो जाती है। ऑरा चरण के अन्य लक्षणों में बोलने व भाषा संबंधी बाधायें,दुनिया घूमती दिखना और कम आम मोटर समस्यायें शामिल हैं। मोटर लक्षण यह संकेत देते हैं कि यह एक आधे सिर का माइग्रेन है और दूसरे ऑरा लक्षणों के विपरीत कमजोरी एक से अधिक घंटे तक बनी रहती है। बाद में होने वाले सिरदर्द के बिना ऑरा का होना बेहद कम बार संभव है, जिसको मौन माइग्रेन कहते हैं।
दर्द का चरण
पारंपरिक रूप से सिरदर्द एकतरफा, चुभने वाला और मध्यम से गंभीर तीव्रता वाला होता है। आमतौर पर यह धीरे-धीरे आता हैऔर शारीरिक गतिविधि के साथ बढ़ता है। 40% से अधिक मामलो में दर्द दोतरफा हो सकता है और गर्दन में दर्द भी आमतौर पर हो सकता है। जिन लोगों को बिना ऑरा के माइग्रेन होता है उनमें दोतरफा सिरदर्द काफी आम है। कम आमतौर पर शुरुआत में दर्द, सिर के ऊपर या पीठ में हो सकता है। वयस्कों में आमतौर पर दर्द 4 से 72 घंटों तक बना रहता है हलांकि युवा बच्चों में यह 1 hour तक बना रहता है। दर्द होने की आवृत्ति भिन्न-भिन्न होती है, जो पूरे जीवन में कुछ एक बार से लेकर एक सप्ताह में कई बार तक हो सकता है, जिसका औसत एक महीने में एक बार तक हो सकता है।
आम तौर पर दर्द के साथ मितली, उल्टी, प्रकाश के प्रति संवेदनशीलता, ध्वनि के प्रति संवेदनशीलता, गंध के प्रति संवेदनशीलता , थकान तथा चिड़िचड़ापन शामिल होता है।आधारी माइग्रेनमें, ब्रेन स्टेम से संबंधित तंत्रिका संबंधी लक्षणों या शरीर के दोनो भागों में तंत्रिका संबंधी लक्षणों के साथ, आम प्रभावों में दुनिया के घूमने का एहसास, सिर में हल्कापन महसूस होना और भ्रम शामिल है।मितली 90% पीड़ित लोगों को होती है और उल्टी लगभग एक तिहाई लोगों को होती है। इसी कारण बहुत से लोग एक शांत कमरे की तलाश करते हैं। अन्य लक्षणों में धुंझला दिखना, नाक बंद होना, दस्त, बार-बार पेशाब करने जाना, पीलापन या पसीना आना शामिल है। खोपड़ी में सूजन या कोमलता के एहसास के साथ गर्दन में जकड़न भी हो सकती है। संबंधित लक्षण बुजुर्गों में कम आम हैं।
पोस्टड्रोम
माइग्रेन का प्रभाव मुख्य सिरदर्द समाप्त के बाद कुछ दिनों तक रहता है; इसे माइग्रेन पोस्टड्रोम कहा जाता है। अनेक लोग माइग्रेन वाले हिस्से में पीड़ा होने का अनुभव करते हैं और कुछ लोगों को सिरदर्द समाप्त होने के बाद कुछ दिनों तक बाधित विचार क्षमता की शिकायत होती है। रोगी को थकान या ‘‘खुमारी’’ का एहसास हो सकता है तथा उसे सिर में दर्द, संज्ञानात्मक कठिनाइयां, पेट खराब होने के लक्षण, मूड में बदलाव और कमजोरी महसूस हो सकती है। एक सारांश के अनुसार, "कुछ लोगों को दर्द होने के बाद असामान्य रूप से तरोताजा महसूस करते हैं या उनको खुशी का एहसास होता है, जबकि कुछ लोगों को अवसाद तथा दुख हो सकता है।”
कारण
अर्धकपारी (आधे सिर का दर्द) का अंतर्निहित कारण अज्ञात है लेकिन उनको वातावरण और आनुवांशिक कारकों के मिश्रण से संबंधित माना जाता है। इनके दो - तिहाई मामले परिवारों के भीतर ही होते हैं और शायद ही कभी एकल जीन दोष के कारण होते हैं। कई तरह की मनोवैज्ञानिक स्थितियां इससे संबंधित हैं जिनमें शामिल हैं: अवसाद, चिंता और द्विध्रुवी विकारसाथ ही कई जैविक घटनाएं या ट्रिगर भी हैं।
आनुवांशिकी
जुड़वा बच्चों के अध्ययन संकेत करते हैं कि माइग्रेन सिर दर्द को विकसित होने में 34 से 51% संभावना आनुवंशिक प्रभाव के कारण होती है। ऑरा के साथ होने वाले माइग्रेन के लिये यह आनुवंशिक संबंध ऑरा के साथ नहीं होने वाले माइग्रेन की तुलना में अधिक मजबूत है। जीन के विशिष्ट वेरिएंट की संख्या जोखिम की एक छोटी मात्रा से लेकर से मध्यम मात्रा को बढ़ाती है।
माइग्रेन पैदा करने वाले एकल जीन विकार दुर्लभ हैं। इनमें से एक पारिवारिक हेमीप्लेजिक माइग्रेन कहा जाता है जो कि ऑरा के साथ होने वाले माइग्रेन का एक प्रकार है जो एक ऑटोसोमल प्रमुखता की तरह विरासत में मिलता है। विकार, आयन परिवहन में शामिल प्रोटीन के लिये जीन कोडिंग के भिन्नरूपों से संबंधित हैं। सबकॉर्टिकल दौरे तथा ल्यूकोएंसाफेलोपैथी के साथ CADASIL सिन्ड्रोम या मस्तिष्क ऑटोसोमल प्रमुखता धमनीविकृति, आनुवंशिक माइग्रेन का एक और कारण है।
ट्रिगर
माइग्रेन ट्रिगर द्वारा प्रेरित किया जा सकता है, कुछ लोग इसे थोड़े मामलों में तो कुछ लोग अधिक मामलों में इसे एक प्रेरक के रूप में बताते हैं। कई चीज़ों को ट्रिगर के रूप में चिह्नित किया गया है, लेकिन इन संबंधों की शक्ति और महत्त्व अनिश्चित हैं। ट्रिगर, लक्षणों की शुरुआत से 24 घंटे पहले हो सकता है।
शारीरिक पहलू
आम तौर पर बताये जाने वाले ट्रिगर तनाव, भूख और थकान हैं (इन समान रूप से तनाव सिरदर्द में योगदान करते हैं)। माइग्रेन की माहवारी के आसपास घटित होने की संभावना अधिक होती हैं। रजोदर्शन, मौखिक गर्भनिरोधक का उपयोग, गर्भावस्था, रजोनिवृत्ति के पास का समय और रजोनिवृत्ति जैसे अन्य हार्मोन प्रभाव भी भूमिका निभाते हैं। ये हार्मोन प्रभाव ऑरा के बिना माइग्रेन में एक बड़ी भूमिका निभाते लगते हैं। माइग्रेन आम तौर पर रजोनिवृत्ति के बाद या दूसरी और तीसरी तिमाही के दौरान नहीं होता है। पुरुषों की तुलना में महिलाओं को माइग्रेन होने की संभावना दो से तीन गुना अधिक होती है। माइग्रेन आमतौर पर महिलाओं को उनके तीसवें दशक में सबसे ज्यादा प्रभावित करता है। पीरियड्स, बच्चे के जन्म और मेनोपॉज के दौरान महिलाओं में कई तरह के शारीरिक बदलाव होते हैं। ये शारीरिक परिवर्तन एस्ट्रोजन के स्तर में असंतुलन का कारण बनते हैं जो माइग्रेन को ट्रिगर कर सकते हैं। इसके अलावा, गर्भनिरोधक दवाएं भी माइग्रेन का कारण बन सकती हैं क्योंकि वे आपके शरीर में हार्मोनल असंतुलन पैदा करती हैं।
आहार पहलू
आहार संबंधी ट्रिगर की समीक्षाओं से पता चलता है कि साक्ष्य अधिकतर व्यक्तिपरक आकलनों पर निर्भर करता है और इसे इतना सक्षम नहीं पाया जाता कि किसी विशेष ट्रिगर को सत्य या असत्य सिद्ध कर सके। विशिष्ट एजेंटों के बारे में, माइग्रेन पर टाइरामाइन के प्रभाव के लिये साक्ष्य नहीं दिखता है और जबकि मोनोसोडियम ग्लूटामेट (MSG) को अक्सर एक आहार ट्रिगर के रूप में रिपोर्ट किया जाता है साक्ष्य दृढ़ता के साथ इस का समर्थन नहीं करता है।
पर्यावरणीय पहलू
इनडोर और आउटडोर वातावरण में संभावित ट्रिगर में समग्र साक्ष्य काफी खराब गुणवत्ता के थे, लेकिन फिर भी ये माइग्रेन से पीड़ित लोगों को वायु गुणवत्ता और प्रकाश व्यवस्था से संबंधित कुछ बचाव उपाय लेने का सुझाव देते हैं। जबकि पहले यह विश्वास किया जाता था यह उच्च बुद्धिमत्ता वाले लोगों काफी आम होता है लेकिन ऐसा सही नहीं दिखता है।
पैथोफिज़ियोलॉजी (रोग के कारण पैदा हुए क्रियात्मक परिवर्तन)
माइग्रेन को एक न्यूरोवेस्कुलर (स्नायु तथा संवहनी) विकार माना जाता है साक्ष्य इस बात का समर्थन करते हैं कि यह मस्तिष्क के भीतर शुरू होता है और फिर रक्त वाहिकाओं तक फैलता है। कुछ शोधकर्ताओं को लगता है कि न्यूरॉन तंत्र एक बड़ी भूमिका निभाते हैं, जबकि दूसरों को लगता है कि रक्त वाहिकायें महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। कुछ अन्य को लगता है कि दोनों ही संभवतः महत्वपूर्ण हैं। न्यूरोट्रांसमिटर सेरोटॉनिन के उच्च स्तर, जिनको 5 हाइड्रॉक्सीट्राइप्टामाइन भी कहा जाता है, शामिल माने जाते हैं।
ऑरा
निष्क्रियता की अवधि के बाद लिओ का अवसाद प्रसार या वल्कुटीय प्रसार अवसाद न्यूरॉन संबंधी गतिविधि का प्रस्फुटन है, जो एक ऑरा के साथ माइग्रेन वाले लोगों में देखा जाता है। इसके होने के लिये बहुत सारे स्पष्टीकरण हैं जिनमें NMDA ग्राहियों का सक्रियण शामिल है जो कोशिका में कैल्शियम का प्रवेश कराता है। गतिविधि के प्रस्फुटन के बाद प्रभावित क्षेत्र में मस्तिष्क प्रांतस्था के लिये रक्त प्रवाह में दो से छः घंटे के लिये कमी हो जाती है। यह माना जाता है कि जब विध्रुवण मस्तिष्क के नीचे की ओर यात्रा करता है तो वे नसें जो सिर और गर्दन में दर्द महसूस करती हैं वे ट्रिगर कर दी जाती हैं।
दर्द
माइग्रेन के दौरान, सिर दर्द की सटीक यंत्र रचना अज्ञात है। कुछ साक्ष्य केंद्रीय तंत्रिका तंत्र संरचनाओं (जैसे ब्रेनस्टेम और डाएन्सेफालोन) के लिये प्राथमिक भूमिका का समर्थन करते हैं जबकि अन्य डेटा परिधीय सक्रियण (जैसे संवेदी तंत्रिका जो कि सिर और गर्दन की रक्त वाहिकाओं के चारों ओर होती है) का समर्थन करते हैं। संभावित उम्मीदवार वाहिकाओं में ड्यूरल धमनियों, पिएल धमनियों और एक्स्ट्राक्रैनिएल धमनियां जैसी कि खोपड़ी में होती हैं, शामिल हैं। विशेष रूप से, एक्स्ट्राक्रैनिएल धमनियों की वैसोडाएलाटेशन की भूमिका को महत्वपूर्ण माना जाता है।
रोग-निदान
माइग्रेन का निदान चिह्नों और लक्षणों पर आधारित है। सिर दर्द के अन्य कारणों को पता करने के लिये कभी-कभी इमेजिंग परीक्षण किया जाता है। यह माना जाता है कि इस स्थिति वाले लोगों की एक पर्याप्त संख्या का निदान नहीं किया गया है।
अंतरराष्ट्रीय सिरदर्द सोसायटी के अनुसार, ऑरा के बिना माइग्रेन का निदान, निम्नलिखित "5, 4, 3, 2, 1 मापदंड" के अनुसार किया जा सकता है:
- पांच या अधिक दौरे - ऑरा के साथ माइग्रेन के निदान के लिये, दो दौरे पर्याप्त हैं।
- अवधि में चार घंटे से तीन दिन तक
- निम्न में से दो या अधिक:
- एकतरफा (आधा सिर प्रभावित);
- धड़कता हुआ;
- "दर्द की मध्यम या गंभीर तीव्रता";
- "नियमित शारीरिक गतिविधि द्वारा उत्तेजना या परिहार के कारण"
- निम्न में से एक या अधिक:
- मतली और/या उल्टी;
- प्रकाश (फोटोफोबिया) और ध्वनि (फोनोफोबिया) दोनों के प्रति संवेदनशीलता
यदि किसी को निम्न में से दो का एक या अधिक दिन तक अनुभव हो: फोटोफोबिया, मतली, या काम करने या पढ़ने में अक्षमता, तो निदान होने की संभावना है। वे लोग जिनको निम्न पाँच में से चार के अनुभव हों: धड़कता हुआ सिरदर्द, 4-72 घंटे की अवधि, सिर के एक तरफ दर्द, मतली या ऐसे लक्षण जो व्यक्ति के जीवन में आक्षेप करे तो माइग्रेन की संभावना 92% होती है। इन लक्षणों में से कम से कम तीन के मिलने पर, लोगों में संभावना 17% होती है।
वर्गीकरण
माइग्रेन को सबसे पहले, 1988 में वर्गीकृत किया गया। अंतर्राष्ट्रीय सिरदर्द सोसायटी ने हाल ही में अपने 2004 के सिर दर्द के अपने वर्गीकरण को अपडेट किया है। इस वर्गीकरण के अनुसार दूसरों के अतिरिक्त, माइग्रेन प्राथमिक सिरदर्द के साथ तनाव प्रकार के सिरदर्द और क्लस्टर सिरदर्द हैं।
माइग्रेन को सात उपवर्गों में बांटा गया है (जिनमें से कुछ में और उपवर्ग भी होते हैं):
- ऑरा के बिना माइग्रेन या "आम माइग्रेन" में वे माइग्रेन सिरदर्द शामिल हैं जिनमें ऑरा का साथ नहीं होता है।
- ऑरा के साथ माइग्रेन या "क्लासिक माइग्रेन" में आम तौर पर माइग्रेन सिरदर्द के साथ ऑरा का साथ होता है। आम तौर पर ऐसा कम होता है कि सिर दर्द बिना ऑरा के हो या एक गैर माइग्रेन सिर दर्द के साथ हो। दो अन्य किस्मों में पारिवारिक हेमिप्लेजिक माइग्रेन और स्पोरैडिक हेमिप्लेजिक माइग्रेन शामिल हैं, जिसमें किसी व्यक्ति को ऑरा के साथ माइग्रेन होता है तथा साथ ही मांसपेशीय कमजोरी भी होती है। यदि एक करीबी रिश्तेदार को समान स्थिति होती है तो यह "पारिवारिक" कहा जाता है, अन्यथा यह "स्पोरैडिक" कहा जाता है। एक अन्य किस्म आधारिक प्रकार का माइग्रेन है, जहां सिरदर्द और ऑरा के साथ बोलने में कठिनाई आसपास की चीज़ें घूमती दिखना, कान में घंटी जैसा बजना या ब्रेनस्टेम से संबंधित अन्य कई लक्षण साथ दिखते हैं लेकिन मांसपेशीय कमजोरी नहीं होती है। यह प्रकार शुरूआती तौर पर आधारी धमनी, की ऐठन के कारण होना माना जाता था, वह धमनी जो कि ब्रेनस्टेम आपूर्ति करती है।
- बचपन के आवधिक सिंड्रोम जो आमतौर पर माइग्रेन के पूर्ववर्ती होते हैं जिनमें बारबार उल्टी होना (कभी-कभी तीव्र उल्टी की अवधियां), पेट का माइग्रेन (पेट में दर्द, आमतौर पर मतली के साथ) और बचपन के कंपकपी के साथ हल्के चक्कर (चक्कर के कभी-कभार होने वाले हमले) शामिल हैं।
- रेटिना माइग्रेन में माइग्रेन सिरदर्द शामिल होता है जिसके साथ दृश्य गड़बड़ी या एक आंख में भी अस्थायी अंधापन हो सकता है।
- माइग्रेन की जटिलताओं में माइग्रेन सिरदर्द और/या ऑरा शामिल होतें है जो कि असामान्य रूप से लंबे समय के लिये या बार-बार होते हैं या एक दौरे या मस्तिष्क के घाव के साथ जुड़े होते हैं।
- संभावित माइग्रेन की स्थिति वह होती है जिसमें माइग्रेन की कुछ विशेषताएं शामिल होती हैं, लेकिन जहां इसे निश्चितता के साथ एक माइग्रेन (समवर्ती दवा के अति प्रयोग के उपस्थिति में) के रूप में निदान करने के लिये पर्याप्त साक्ष्य नहीं होते हैं।
- पुराना माइग्रेन, माइग्रेन की जटिलता है और एक ऐसा सिरदर्द है जो कि माइग्रेन के सिरदर्द के लिये नैदानिक मानदंडों को पूरा करता है और अधिक समय के अंतराल के लिये होता है। विशेष रूप से, 3 महीने से अधिक समय के लिये, 15 दिन/महीने से अधिक या उतने ही समय के लिये।
पेट का माइग्रेन
पेट के माइग्रेन के निदान विवादास्पद हैं। कुछ साक्ष्य यह संकेत करते हैं कि सिर दर्द के अभाव में बार बार होने वाले पेट दर्द के प्रसंग, माइग्रेन का एक प्रकार हो सकते हैं। या कम से कम सिरदर्द के पूर्ववर्ती हो सकता हैं। दर्द के ये प्रसंग माइग्रेन के प्रारंभिक या प्राथमिक लक्षण हो सकते है या नहीं भी हो सकते हैं और आम तौर पर कुछ मिनटों से लेकर कुछ घंटों तक जारी रह सकते हैं। वे अक्सर या तो व्यक्तिगत या विशिष्ट रूप से माइग्रेन के पारिवारिक इतिहास वालों में होते हैं। अन्य लक्षण जिनको पूर्ववर्ती माना जाता है उनमें चक्रीय मितली सिंड्रोम और बचपन के कंपकपी के साथ हल्के चक्कर शामिल हैं।
विभेदक रोगनिदान
अन्य स्थितियां जो माइग्रेन सिरदर्द के इसी तरह के लक्षण पैदा कर सकती हैं उनमें कनपटी धमनीशोथ, गुच्छ सिरदर्द, तीव्र मोतियाबिंद, दिमागी बुखार और सबएराक्नॉएड रक्तस्राव शामिल है। कनपटी धमनीशोथ आम तौर पर 50 से अधिक वर्ष की उम्र के लोगों को होता है, जिसमें कनपटी कोमल पड़ जाती है, गुच्छ सिरदर्द में एक तरफ की नाक बंद हो जाती है, आँसू और आँख के कोटरों के आसपास गंभीर दर्द होता है, तीव्र मोतियाबिंद में दृष्टि संबंधी समस्यायें होती हैं, दिमागी बुखार, बुखार से जुड़ा है और सबएराक्नॉएड रक्तस्राव तेज शुरुआत से जुड़ा है। तनाव सिरदर्द आम तौर पर दोनों ओर होते हैं, तेज़ नहीं होते हैं और कम अक्षम करने वाले होते हैं।
रोकथाम
माइग्रेन की रोकथाम के उपचारों में दवायें, पोषक तत्वों की खुराक, जीवन शैली परिवर्तन और सर्जरी शामिल हैं। रोकथाम की सिफारिश उन लोगों के लिये की जाती है जिनको सप्ताह में दो दिन सिरदर्द होता है, जो गंभीर दौरों के उपचार के लिये दी जाने वाली दवाये सह नहीं पाते हैं या वे लोग जिनको ऐसे गंभीर दौरे पड़ते हैं जो आसानी से नियंत्रित नहीं होते हैं।
माइग्रेन की आवृत्ति, कष्ट और/या अवधि को कम करना और निष्फल करने की चिकित्सा की प्रभावशीलता को बढ़ाना लक्ष्य है। दवा के अतिप्रयोग से होने वाले सिरदर्द से बचना भी रोकथाम का एक कारण है। यह एक आम समस्या है और पुराने रोज़ होने वाले सिरदर्द में तब्दील हो सकती है।
दवा/उपचार
माइग्रेन की रोकथाम वाली दवायें तभी कारगर मानी जाती हैं यदि वे माइग्रेन हमलों की गंभीरता या आवृत्ति को कम से कम 50% तक कम कर दें। टोपिरामेट, डाइवेल्प्रोएक्स/सोडियम वैल्प्रोएट, प्रोप्रानोलॉल और मेटोप्रोलॉल को योग्य बताने में दिशा निर्देश काफी सतत हैं क्योंकि पहली पंक्ति के उपयोग के लिये साक्ष्य के उच्चतम स्तर इनके साथ हैं। लेकिन गाबापेंटिन के लिये अनुशंसाओं की प्रभावशीलता में काफी विविधता है। टिमेलॉल भी माइग्रेन की रोकथाम के लिये और माइग्रेन दौरे की आवृत्ति और गंभीरता को कम करने में प्रभावी है, जबकि फ्रोवैट्रिप्टैन मासिक धर्म संबंधी माइग्रेन की रोकथाम के लिये प्रभावी है। ऐमीट्रिप्टाइलीन और वेनलेफैक्साइन भी कुछ हद तक प्रभावी हैं। बोटॉक्स उन लोगों के लिये प्रभावी है जिनको पुराना माइग्रेन हो लेकिन प्रांसंगिक न हो।
वैकल्पिक चिकित्सा
एक्यूपंक्चर माइग्रेन के इलाज में प्रभावी है। "सही" एक्यूपंक्चर का उपयोग नकली (sham) एक्यूपंक्चर की तुलना में बहुत कुशल नहीं है, लेकिन, दोनों "सही" और नकली एक्यूपंक्चर नियमित देखभाल की तुलना में अधिक प्रभावी दिखायी देते हैं, इसमें रोगनिरोधी दवा से उपचार की तुलना में कम प्रतिकूल प्रभाव होते हैं। माइग्रेन सिर दर्द की रोकथाम में किरोप्रैक्टिक हेरफेर, फिज़ियोथेरेपी, मालिश और विश्राम उतना ही प्रभावी हो सकता है जितना कि प्रोप्रानोलोल या टोपाइरामेट हो सकता है, हलांकि अनुसंधान में पद्धति के साथ कुछ समस्यायें थी।मैग्नीशियम, कोएंजाइम क्यू (10), राइबोफ्लेविन, विटामिन बी (12), और फीवर-फ्यू के माध्यम से लाभ के कुछ संभावित साक्ष्य हैं, हालांकि इन प्रारंभिक परिणामों की पुष्टि के लिये बेहतर गुणवत्ता वाले परीक्षण किये जाने चाहिये। वैकल्पिक दवाओं में से बटरबर (Butterbur) के साथ इसके उपयोग के सबसे अच्छे साक्ष्य हैं।
युक्तियां और सर्जरी
बायोफीडबैक और न्यूरोस्टिम्युलेटर जैसी चिकित्सीय युक्तियों की माइग्रेन रोकथाम में कुछ लाभ हैं, मुख्य रूप से जब आम माइग्रेन-विरोधी दवायें विपरीत संकेत देती हैं या दवाओं के अति प्रयोग के मामले में। बायोफीडबैक लोगों को कुछ शारीरिक मापदंडों के प्रति जागरूक करने में मदद करता है जिससे कि उनको नियंत्रित व सहज किया जा सके और माइग्रेन उपचार के लिये उनको कारगर किया जा सके। न्यूरोस्टिम्युलेशन में प्रत्यारोपण किये जा सकने योग्य न्यूरोस्टिम्यूलेटर उपयोग होता है जो जटिल पुराने माइग्रेन के उपचार के लिये पेसमेकर के समान काम करता है और गंभीर मामलों में उत्साहजनक परिणाम देता है। माइग्रेन सर्जरी, जिसमें सिर और गर्दन के आसपास कुछ नसों का असंपीड़न किया जाता है, उन लोगो के लिये एक विकल्प हो सकता है जिनमें दवाओं से सुधार नहीं हो रहा हो।
प्रबंधन
उपचार के तीन मुख्य पहलू हैं: ट्रिगर से बचाव, तीव्र रोगसूचक नियंत्रण और औषधीय रोकथाम। दवायें तब अधिक प्रभावी हैं जब दौरे की शुरुआती अवस्था में उपयोग की जायें। दवाओं के लगातार उपयोग के परिणामस्वरूप दवा के अति प्रयोग से होने वाला सिरदर्द हो सकता है, जिसमें सिर दर्द और अधिक गंभीर और बार-बार होने लगता है। यह ट्रिप्टन्स, एरगोटामाइन और दर्दनाशक दवाओं, विशेष रूप से मादक दर्दनाशक दवाओं के साथ हो सकता है।
एनाल्जेसिक (दर्द निवारक दवायें)
सरल एनेल्जेसिक जैसे गैर-स्टेरॉयड भड़काव विरोधी दवायें (NSAIDs) या एसिटामिनोफेन, एसेटाइलसेलीसाइक्लिक एसिड और कैफीन का संयोजन, हल्के या मध्यम लक्षणों वाले लोगों के लिये अनुशंसित आरंभिक उपचार हैं। कई NSAIDs के उपयोग के समर्थन में साक्ष्य मिले है। आईब्यूप्रोफेन लगभग आधे लोगों में, प्रभावी दर्द राहत प्रदान करने वाला पाया गया है और डिक्लोफेनाक प्रभावी पाया गया है।
एस्पिरिन मध्यम से गंभीर माइग्रेन दर्द को राहत दे सकती है, जिसकी प्रभावकारिता सुमाट्रिप्टान के समान होती है। केटोरोलैक एक अंतःशिरा यौगिक के रूप में उपलब्ध है।पैरासेटामॉल (जिसे एसेटामिनोफेन भी कहा जाता है) या तो अकेले या मेटोक्लोप्रामाइड साथ संयोजन में, प्रतिकूल प्रभाव के कम जोखिम के साथ एक अन्य प्रभावी उपचार है। गर्भावस्था में एसेटामिनोफेन और मेटोक्लोप्रामाइड सुरक्षित समझे जाते हैं साथ ही तीसरे तिमाही के पहले तक NSAIDs भी सुरक्षित मानी जाती हैं।
ट्रिप्टन्स
ट्रिप्टन्स जैसे कि सुमाट्रिप्टन दर्द और मतली दोनो के लिये 75% तक प्रभावी है। इनको शुरुआत में उन लोगो के उपचार के लिये अनुशंसित किया जाता है जिनको मध्यम से गंभीर दर्द हो या जिनमें हल्के लक्षण हों जो सामान्य दर्दनाशक दवाओं के प्रति प्रतिक्रिया नहीं देते हैं। उपलब्ध विभिन्न रूपों में मौखिक, इंजेक्शन से दिये जा सकने योग्य, नाक से दिये जाने वाले स्प्रे और मौखिक रूप से घुलने वाली गोलियाँ शामिल हैं। आम तौर पर सभी ट्रिप्टन समान रूप से प्रभावी दिखते हैं और इनमें समान दुष्प्रभाव होते हैं। हलांकि, अलग-अलग लोग, विशिष्ट ट्रिप्टन के प्रति बेहतर प्रतिक्रिया दिखा सकते हैं। अधिकांश दुष्प्रभाव हल्के होते हैं जैसे निस्तब्धता, हलांकि मायोकार्डियल इस्केमिया के दुर्लभ मामले भी दिखे हैं। इसी कारण से इनकी अनुशंसा, हृदय रोग से पीड़ित लोगों को नहीं की जाती है। जबकि ऐतिहासिक रूप से आधारी माइग्रेन से पीड़ित लोगों को इसकी अनुशंसा नहीं की जाती है, इस आबादी में उपयोग के लिये इस चेतावनी के समर्थन में किसी नुकसान के विशिष्ट साक्ष्य नहीं हैं। इनकी आदत नहीं पड़ सकती है लेकिन एक माह में 10 दिन से अधिक लेने पर, दवा के अधिक उपयोग के कारण होने वाले सिरदर्द का कारण बन सकती हैं।
एरगॉटामीन
एरगॉटामीन और डाइहाइड्रोएरगॉटामीन, वे पुरानी दवायें हैं जो माइग्रेन के लिये अभी भी अनुशंसित की जाती हैं बाद वाली दवा को नाक में स्प्रे और इंजेक्शन द्वारा दिया जाता है। ये ट्रिप्टन्स जितने प्रभावी दिखाई देते हैं, कम महंगे होते हैं, और ऐसे प्रतिकूल प्रभाव दिखाते हैं जो आम तौर पर सौम्य होते हैं। सबसे दुर्बल मामलों में, जैसे कि माइग्रेनोसस स्थिति में, ये काफी प्रभावी उपचार विकल्प दिखाई देते हैं।
अन्य
शिरा में मेटोक्लोप्रामाइड देना या नाक में लिडोकेन डालना अन्य संभावित विकल्प हैं। मेटोक्लोप्रामाइड उन लोगों के लिये संस्तुत उपचार है जो लोग आपातकालीन विभाग में गये हैं। माइग्रेन होने पर, मानक उपचार में शिरा में डेक्सामेथासोन की एक खुराक को जोड़ देने पर, अगले 72 घंटों में सिरदर्द की पुनरावृत्ति में 26% कमी पाई गई है। माइग्रेन के उपचार में रीढ़ की हड्डी के श्लेष जोड़ों के चिकित्सीय उपचार के कोई समर्थक साक्ष्य उपलब्ध नहीं हैं। इस बात की संस्तुति की जाती है कि ओपिओएड और बारबिच्युरेट का प्रयोग न किया जाये।
रोगनिदान
माइग्रेन से पीड़ित लोगों में रोग का दीर्घावधि निदान भिन्न-भिन्न है। माइग्रेन से पीड़ित अधिकतर लोगों में अपने रोग के कारण उत्पादकता हानि की अवधियों से जूझना पड़ता है हलांकि आमतौर पर यह स्थिति कम होती है और इसके साथ मृत्यु के बढ़ा जोखिम नहीं जुड़ा हुआ होता है। रोग के चार मुख्य पैटर्न हैं: लक्षण पूरी तरह से समाप्त हो सकते है, लक्षण जारी रह सकते हैं लेकिन धीरे-धीरे समय के साथ कम हो सकते हैं, लक्षण समान गंभीरता और आवृत्ति के साथ जारी रह सकते हैं या प्रभाव और खराब तथा इसकी आवृत्ति अधिक हो सकती है।
ऑरा वाला माइग्रेन, स्थानीय स्ट्रोक के लिये जोखिम पूर्ण कारक लगता हैजो जोखिम दुगना कर देता है। युवा वयस्क होना, महिला होना, हार्मोन आधारित गर्भनिरोधक उपयोग करना, धूम्रपान करनाजोखिम को और अधिक बढ़ा देता है। इसका ग्रीवा संबंधी धमनी विच्छेदन के साथ भी संबंध प्रतीत होता है।ऑरा के बिना होने वाले माइग्रेन कारक प्रतीत नहीं होते हैं। केवल एक अध्ययन का समर्थन होने के कारण हृदय की समस्याओं के साथ संबंध संदेहास्पद जान पड़ता है। हालांकि कुल मिलाकर माइग्रेन, स्ट्रोक या दिल की बीमारी से मौत के खतरे को नहीं बढ़ाते हैं। ऑरा के साथ माइग्रेन वाले लोगों में माइग्रेन की निवारक चिकित्सा संबंधित स्ट्रोक का बचाव कर सकती है।
महामारी विज्ञान
दुनिया भर में, माइग्रेन 10% से अधिक लोगों को प्रभावित करता है। संयुक्त राज्य अमेरिका में, किसी एक वर्ष में पुरुषों के लगभग 6% और महिलाओं के लगभग 18% को माइग्रेन होता है, जिसके साथ क्रमशः लगभग 18% और 43% का संपूर्ण जीवन के लिये यह जोखिम जुड़ा होता है। यूरोप में, व्यक्ति के जीवन में किसी न किसी समय पर 12-28% लोगों को माइग्रेन प्रभावित करता है, जिनमें से 6-15% वयस्क पुरुषों और 14-35% वयस्क महिलाओं को वर्ष में कम-से-कम एक बार माइग्रेन होता है। पश्चिमी देशों की तुलना में एशिया और अफ्रीका में यह दर थोड़ी कम हैं। जनसंख्या के लगभग 1.4 से 2.2% भाग में जटिल माइग्रेन होते हैं।
उम्र के साथ इन आंकड़ों में काफी बदलाव आता है: माइग्रेन आम तौर पर 15 से 24 वर्ष की आयु में आरंभ होते हैं और 35 से 45 वर्ष की आयु वाले लोगों में अकसर दिखाई देते हैं। 7 साल के बच्चों में लगभग 1.7% और 7 से 15 वर्ष की आयु के बच्चों में 3.9% बच्चों में माइग्रेन होता है जिनमें यौवन से पूर्व लड़कों में यह अधिक आम तौर पर देखा जाता है। किशोरावस्था के दौरान महिलाओं में माइग्रेन अधिक आम हो जाते हैं और यह शेष जीवन काल में बना रहता है, जो पुरूषों की अपेक्षा बुजुर्ग महिलाओं में दो गुना अधिक दर से आम तौर पर पाया जाता है।महिलाओं में ऑरा वाले माइग्रेन की तुलना में ऑरा के बिना माइग्रेन आम पाया जाता है, लेकिन पुरुषों में दोनो तरह के माइग्रेन समान आवृत्ति के साथ पाये जाते हैं।
माहवारी की स्थायी समाप्ति के दौरान गंभीरता में कमी आने के पहले लक्षण अक्सर बदतर हो जाते हैं। जबकि लगभग दो तिहाई बुजुर्गों में लक्षण ठीक हो जाते हैं, किंतु 3 और 10% बुजुर्गों में ये बने रहते हैं।
इतिहास
सिरदर्द से संबंधित एक प्राचीन विवरण, प्राचीन मिस्र में 1200 ई.पू. के लगभग लिखी गयी [इबेरस पेपाइरस]] में दिया गया है। 200 ईसा पूर्व में,हिप्पोक्रटिक चिकित्सा विधि के लेखन सिरदर्द के पूर्व होने वाली दृष्य ऑरा और उल्टी से होनेवाली आंशिक राहत का वर्णन करते हैं।
द्वितीय शताब्दी के कैपाडोसिया के अरेटियस वर्णन के अनुसार सिरदर्द को तीन प्रकारों में विभाजित किया गया था:सेफलाजिया, सेफली और हेटरोक्रानिया।परगेमान के गेलन ने शब्द हेमीक्रानिया (आधा-सिर) शब्द का उपयोग किया था, जिससे अंततः शब्द माइग्रेन विकसित हुआ। उन्होने यह भी प्रस्तावित किया कि दर्द मस्तिष्कावरण तथा सिर की रक्त वाहिकाओं से उत्पन्न होता है। माइग्रेन को अब उपयोग किये जाने वाले प्रकारों में सबसे पहले ऑरा वाले माइग्रेन (माइग्रेन ऑफ्थेल्मीक) और ऑरा रहित माइग्रेन (माइग्रेन वॉल्गैर) में हायासिन्थ थॉमस द्वारा 1887 में विभाजित किया गया था, जो कि एक फ्रांसीसी पुस्तकालयाध्यक्ष थे।
खोपड़ी में छेद करना, खोपड़ी में जानबूझ कर छेद करने की क्रिया, 7,000 ई.पू. तक की जाती थी। जबकि कुछ एक बार लोग बच जाते थे और इस प्रक्रिया से होने वाले संक्रमण के कारण अधिकतर लोग मर जाते होंगे। ऐसा विश्वास किया जाता था कि यह "बुरी आत्माओं को बाहर निकाल दिये जाने" के आधार पर काम करता था।विलियम हार्वे ने 17वीं शताब्दी में इस विधि द्वारा माइग्रेन के उपचार की संस्तुति की थी।
जबकि माइग्रेन के लिये कई तरह के उपचारों के प्रयास किये गये हैं, लेकिन 1868 में जाकर वह पदार्थ मिला जो प्रभावी हुआ। यह पदार्थ एक प्रकार का फफूंद एरगॉट था जिससे 1918 में एरगोटामाइन निकाला गया था।मेथआइसर्जाइड को 1959 में विकसित किया गया था और पहला ट्रिप्टन, सूमाट्रिप्टन 1988 में विकसित किया गया था। बेहतर अध्ययन डिज़ाइन के साथ 20वीं शताब्दी में प्रभावी रोकथाम उपाय खोजे गये थे और उनकी पुष्टि की गयी थी।
समाज व संस्कृति
माइग्रेन, चिकित्सीय लागत और उत्पादन क्षय के महत्वपूर्ण स्रोत हैं। ऐसा अनुमान है कि यूरोपीय समुदाय में यह सबसे महंगा मस्तिष्क संबंधी विकार है, जिसकी लागत प्रति वर्ष लगभग €27 बिलियन है। संयुक्त राज्य अमरीका में इसकी अनुमानित प्रत्यक्ष लागत 17 विलियन USD है। इसकी लागत का लगभग दसवां हिस्सा ट्रिप्टन की लागत के कारण है। अप्रत्यक्ष लागत लगभग 15 बिलियन USD है, जिसमें काम के छूटने के कारण हुई हानि का योगदान काफी बड़ा है।वे लोग जो माइग्रेन के बावजूद काम करने पहुंचते हैं उनकी कार्यक्षमता एक तिहाई तक कम हो जाती है। प्रभावित व्यक्ति के परिवार पर भी काफी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
शोध
माइग्रेन से संबंधित दर्द के रोगविकास में कैल्सीटोनिन जीन संबंधी पेप्टाइड (CGRPs), की भी एक भूमिका पायी गयी है।CGRP ग्राही प्रतिपक्षी, जैसे ऑल्केगेपेन्ट और टेल्कागेपेन्ट, का माइग्रेन के उपचार के लिये “इन विट्रो” और नैदानिक अध्ययनों, दोनो में परीक्षण किया गया है। 2011 में मर्क ने अपनी परीक्षणरत दवा टेल्कागेपेन्ट के चरण III के नैदानिक परीक्षणरोक दिये।क्रैनियम के माध्यम से की जाने वाली चुम्बकीय उत्तेजना भी कुछ संभावनायें जगाती है।
अर्धकपारी (सूर्यावर्त, आधासीसी या अंग्रेज़ी:माइग्रेन) एक सिरदर्द का रोग है। इसमें सिर के आधे भाग में भीषण दर्द होता है। मान्यता अनुसार इसका कोई इलाज नहीं है, किंतु इससे असरदार तरीके से निपटा जा सकता है। इस रोग में कभी कभी सिर के एक हिस्से में बुरी तरह धुन देने वाले मुक्कों का एहसास होता है और लगता है कि सिर अभी फट जाएगा। उस समय अत्यंत साधारण काम करना भी मुश्किल हो जाता है। यह एहसास होता है कि किसी अंधेरी कोठरी में पड़े हैं। चिकित्सकीय निगरानी में रहकर और जीवन-शैली में बदलाव करके इस रोग से निपटा जा सकता है। एक अध्ययन के अनुसार माइग्रेन पुरुषों की तुलना में महिलाओं को तीन गुना अधिक प्रभावित करता है। अधिकांश लोगों को माइग्रेन का पता तब चलता है, जब वे कई साल तक इस तकलीफ को झेलने के बाद इसके लक्षणों से परिचित हो जाते हैं। कई बार यह दर्द साइनोसाइटिस का भी हो सकता है। किसी कठोर चीज से सिर के एक हिस्से में जोर-जोर से वार करने का एहसास तब होता है, जब जैविक परिवर्तन के कारण खून की धमनियां फूलने लगती हैं, या उनमें जलन होने लगती है। जबकि अन्य प्रकार के सिरदर्द में आमतौर पर दर्द सिकुड़ी हुई धमनियों या सिर और गर्दन की मांसपेशियों के सख्त हो जाने के कारण होता है। अपोलो अस्पताल, चेन्नई के न्यूरोलॉजिस्ट डॉ॰ ए. पन्नीर के अनुसार, माइग्रेन का दर्द बहुत जबर्दस्त होता है। इसस रोजमर्रा के आम काम भी नहीं कर पाते। यहां तक कि चलना फिरना भी दूभर हो जाता है और लगता है कि शरीर टूट चुका है।
लक्षण
माइग्रेन के साथ अक्सर जी मिचलाता है और उल्टी भी हो जाती है। माइग्रेन का अटैक होने पर मरीज को रोशनी, आवाज या किसी तरह की गंध नहीं सुहाती। दिल्ली के गंगाराम अस्पताल के न्यूरोलॉजिस्ट डॉ॰ ईश आनंद के अनुसार माइग्रेन का हमला अचानक होता है। कई बार यह शुरू में हल्का होता है, लेकिन धीरे-धीरे बहुत तेज दर्द में बदल जाता है। अधिकतर यह सिरदर्द के साथ शुरू होता है और कनपटी में बहुत तीव्रता से टीस उठती है या ऐसा लगता है कि कोई कनपटी पर प्रहार कर रहा है। प्रायः यह दर्द आधे सिर में होता है, लेकिन एक तिहाई मामलों में दर्द सिर के दोनों ओर भी होता पाया गया है। एक तरफ होने वाला दर्द अपनी जगह बदलता है और यह ४ से ७२ घंटों तक रह सकता है। इस समय उबकाई आना, उल्टी, फोनोफोबिया और प्रकाश से भय आदि समस्याएं भी पैदा हो सकती है। माइग्रेन का हमला किसी भी आयु में हो सकता है, लेकिन ज्यादातर इसकी शुरुआत किशोर उम्र से होती है। माइग्रेन के ज्यादातर रोगी वे होते हैं, जिनके परिवार में ऐसा इतिहास रहा है। इसके कुल रोगियों में ७५ प्रतिशत महिलाएं होती हैं। माइग्रेन का दर्द प्रायः पर सिर के एक सिरे से, या कभी-कभी बीचों-बीच से या पीछे की तरफ से उठता है। माइग्रेन का दर्द ४ से ४८ घंटे तक रह सकता है। कभी यह रह-रहकर कई हफ्तों या महीनों तक, या फिर सालों तक खास अंतराल में उठता है। कई बार एक ही समय में यह बार-बार हथौड़ों की बारिश का एहसास कराता है। इसकी अनुभूति कई बार वास्तविक दर्द से दस मिनट से लेकर आधे घंटे पहले ही शुरू हो जाती है। इस दौरान सिर में बिजली फट पड़ने, आंखों के आगे अंधेरा छा जाने, बदबू आने, सुन्न पड़ जाने या दिमाग में झन्नाहट का एहसास होता है। किसी-किसी मरीज को अजीब-अजीब सी छायाएं नज़र आती हैं। किसी को चेहरे और हाथों में सुइयां या या पिनें चुभने का एहसास होता है। लेकिन कई अध्ययनों से सामने आया है कि माइग्रेन के प्रभामंडल का एहसास केवल एक से पांच प्रतिशत रोगियों को ही होता है। इसे परंपरागत या क्लासिकल माइग्रेन कहा जाता है, लेकिन यह महिलाओं में कम होता है।
माइग्रेन के तीन प्रकार के बताये जाते हैं:
- सामान्य माइग्रेन: यह माइग्रेन फोनोफोबिया और फोटोफोबिया के साथ होता है।
- क्लासिक माइग्रेन: इस प्रकार के माइग्रेन में विभिन्न वस्तुएं चमकीली दिखायी पड़ती हैं। जिगजैग पैटर्न यानी टेढ़े-मेढ़े स्वरूप में चटख रंगीन चमचमाती रोशनियां दिखाई पड़ती है या दृष्टि क्षेत्र में एक छिद्र दिखाई पड़ता है, जिसे ब्लाइंड स्पॉट कहते है।
- जटिल माइग्रेन मोटा पाठ: ऐसे माइग्रेन में मस्तिष्क के ठीक से काम न करने की वजह से सिरदर्द होता है।
कारण
अर्धकपारी के प्रमुख कारणों में तनाव होना, लगातार कई दिनों तक नींद पूरी न होना, हार्मोनल परिवर्तन, शारीरिक थकान, चमचमाती रोशनियां, कब्ज़, नशीली दवाओं व शराब का सेवन आते हैं। कई मामलों में ऋतु परिवर्तन, कॉफी का अत्यधिक सेवन (चार कप से अधिक), किसी प्रकार की गंध और सिगरेट का धुआं आदि कारण भी माइग्रेन की समस्या का कारण देखे गये हैं। आजकल डिब्बाबंद पदार्थों और जंक फूड का काफी चलन है। इनमें मैदे का बड़ी मात्रा में प्रयोग होता है, यदि आपको माइग्रेन की शिकायत है तो आप इन पदार्थों का सेवन कतई न करें। पनीर, चाकलेट, चीज, नूडल्स, पके केले और कुछ प्रकार के नट्स में ऐसे रासायनिक तत्त्व पाए जाते हैं जो माइग्रेन को बढ़ा सकते हैं।
२० से ५५ वर्ष की आयु के ऐसे लोग जिनकी कमर के क्षेत्र में अत्यधिक चर्बी है उन्हें माइग्रेन होने का खतरा औरों की तुलना में अधिक होता है।अमेरिकन अकादमी ऑफ न्यूरोलॉजी (एएएन) में फिलाडेल्फिया के ड्रेक्सेल विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं द्वारा २२,२११ लोगों किये गये शोध के निष्कर्ष के अनुसार कमर पर अधिक चर्बी वाली ३७ प्रतिशत महिलाओं को माइग्रेन की शिकायत थी जबकि बिना अतिरिक्त चर्बी वाली मात्र २० प्रतिशत महिलाओं को ऐसी समस्या थी। २० से ५५ वर्ष की आयुवर्ग के २० प्रतिशत ऐसे पुरुषों को माइग्रेन की शिकायत थी जिनकी कमर सामान्य से अधिक थी जबकि मात्र १६ प्रतिशत ऐसे लोगों को माइग्रेन था जिनकी कमर ज्यादा नहीं थी। अत्यधिक मोटे या तोंद वाले लोगों को भी माइग्रेन की संभावना अन्य लोगों की अपेक्षा अधिक होती है।फ्रांस के रैंग्वेल अस्पताल में हुई शोध के दौरान कुछ शोधार्थियों ने साधारण माइग्रेन से पीड़ित सात रोगियों पर मस्तिष्क की प्रक्रियाओं में अंतर बताने वाली ‘पोज़ीट्रॉन इमिशन टोमोग्राफ़ी’ (पीईटी) तकनीक का इस्तेमाल किया। इस शोध में प्रमुख भूमिका निभानेवाली डॉक्टर मारी डेनुएल ने कहा कि जब दौरे को अप्राकृतिक रूप से करवाया जाता है तो रोगी हाइपोथेलेमस प्रतिक्रियाओं को खो देते हैं। इस प्रकार माइग्रेन के दौरे में हाइपोथेलेमस की भूमिका महत्वपूर्ण हो सकती है। उच्च रक्तचाप के रोगियों में माइग्रेन की संभावना ५० प्रतिशत से भी कम होती है। नॉर्वे में २० वर्ष से अधिक आयु वाले ५१,३५३ लोगों पर हुए शोध के परिणाम न्यूरोलॉजी नामक एक जर्नल में प्रकाशित हुए थे। उसी के संदर्भ से ये संभावना निकली है।
उपचार
सभी रोगियों में माइग्रेन के पूर्व संकेत (ट्रिगर्स) एक से नहीं होते, इसलिए उनके लिए डायरी में अपनी अनुभूतियां दर्ज करना उपयोगी हो सकता है। इसके बाद दवा की सहायता से इन ट्रिगर्स से समय रहते बचकर, माइग्रेन को टाल भी सकते हैं।
- कभी-कभार माइग्रेन का हल्का-फुल्का दर्द होने पर दैनिक काम प्रभावित नहीं होता। विशेषज्ञों के अनुसार ऐसे रोगी बिना किसी डाक्टरी राय के सीधे दवाई विक्रेता से मिलने वाले आम दर्दमारक दवाइयां ले सकते हैं, जैसे कि क्रोसीन या गैर-स्टैरॉयड जलन मिटाने वाली गोलियां डिस्प्रिन, ब्रूफेन और नैप्रा।
- भीषण दर्द होने पर दो प्रकार की दवाएं काफी प्रभावशाली होती हैं, जिन्हें इन रोगियों को सदा अपने साथ रखना चाहिए। पहली- जलन मिटाने वाली कैफीन रहित गोलियां नैप्रा-डी, नैक्सडॉम और मेफ्टल फोर्ट। और दूसरी ट्रिप्टान दवाएं- जैसे कि सुमिनेट टैब्लेट, नैसाल स्प्रे या इंजेक्शन, राइज़ैक्ट या फिर ज़ोमिग। पहले ट्रिप्टान दवाएं तब दी जाती थीं, जब माइग्रेन पर आम पेन किलर्स का कोई असर नहीं होता था। इसके बाद नए शोध से पता चला कि भीषण दर्द में सीधे ही ट्रिप्टान दवाओं का सहारा लेना अधिक कारगर होता है। ट्रिप्टान दवाएं दर्द शुरू होने से पहले, या मामूली दर्द शुरू हो जाने पर भी ली जा सकती हैं। इससे इनका असर बढ़ जाता है। ऐसा करके माइग्रेन के ८० प्रतिशत हमलों को दो घंटे में खत्म किया जा सकता है। इससे दवा का दुष्प्रभाव (साइड-इफैक्ट) भी कम हो जाता है और अगले २४ घंटों में माइग्रेन दर्द की संभावना भी नहीं रहती।
कुछ दवाएं ऐसी हैं, जिन्हें डॉक्टर की सलाह और मार्गदर्शन से ही लिया जा सकता है। इन्हें एर्गोटैमिन्स कहा जाता है। इस श्रेणी में एर्गोमार, वाइग्रेन, कैफरगोट, माइग्रेनल और डीएचई-45 आती हैं। ट्रिप्टान दवाओं की तरह ये भी अन्य धमनियों को तो खोलती हैं, लेकिन हृदय की धमनियों को कुछ ज्यादा ही खोल देती हैं, इसलिए कम सुरक्षित मानी जाती हैं। यहां खास ध्यान योग्य बात है कि कई बार सिरदर्द दूसरी खतरनाक और जानलेवा बीमारियों का भी संकेत होता है। इसलिए बार-बार होने वाले तेज सिरदर्द, गर्दन दर्द, अकड़न, जी मिचलाने या आंखों के आगे अंधेरा छा जाने को बिलकुल भी नज़र अंदाज न करें और फौरन डॉक्टर को दिखाना चाहिये। माइग्रेन की दवाई अब प्रसिद्ध भारतीय औषदि कंपनी रैन्बैक्सी भी निकाल रही है। माइग्रेन में हाइपरबेरिक ऑक्सीजन थेरेपी भी लाभदायक होती है।
शल्य क्रिया द्वारा
वैज्ञानिकोअंनुसार जो लोग माइग्रेन के दर्द से पीड़ित होते हैं उन्हें छोटी-सी सर्जरी से फ़ायदा हो सकता है। अमरीकी डॉक्टरों का कहना है कि यदि माथे और गर्दन की कुछ माँसपेशियाँ हटा दी जाएँ तो इससे माइग्रेन से छुटकारा दिलाया पाया जा सकता है। इन डॉक्टरों ने एक साल में माइग्रेन से पीड़ित सौ लोगों की सर्जरी की और पाया कि उनमें से ९० लोगों को या तो माइग्रेन से छुटकारा मिल गया था या फिर उसमें भारी कमी आई थी।
योग द्वारा
माइग्रेन का निवारण योगासन द्वाआ सुलभ है। इसके लिए रात्रि को बिना तकिए के शवासन में सोएं। सुबह-शाम योगाभ्यास में ब्रह्म मुद्रा, कंध संचालन, मार्जरासन, शशकासन के पश्चात प्राणायाम करें। इसमें पीठ के बल लेटकर पैर मिलाकर रखें। श्वास धीरे-धीरे अंदर भरें, तब तक दोनों हाथ बिना मोड़े सिर की तरफ जमीन पर ले जाकर रखें और श्वास बाहर निकालते वक्त धीरे-धीरे दोनों हाथ बिना कोहनियों के मोड़ें व वापस यथास्थिति में रखें। ऐसा प्रतिदिन दस बार करें। अंत में कुछ देर शवासन करके नाड़िशोधन प्राणायाम दस-दस बार एक-एक स्वर में करें।
होम्योपैथी
होम्योपैथी में भी इसका उपचार दिया गया है। इसके लिए *बैलाडोना - 30 या
- ब्रायोनिया -30 या
- ग्लोनाइन -30 या
- आइरिस - वी -30 या
- जेलसीमियम -30
नामक दवाइयों की की चार - चार बूंदें दिन में चार बार लेने से आराम मिलता है।
घरेलू उपचार
इस बीमारी के लिए कई घरेलू उपचार भी किए जा सकते हैं।
- सिर की मालिश
इस दर्द में यदि सिर, गर्दन और कंधों की मालिश की जाए तो यह इस दर्द से आराम दिलाने बहुत सहायक सिद्ध हो सकता है। इसके लिए हल्की खुश्बू वाले अरोमा तेल का प्रयोग किया जा सकता है।
- धीमी गति से साँस लें
रोगी साँस की गति को थोड़ा धीमा करके, लंबी साँसे लेने की कोशिश करें। यह तरीका दर्द के साथ होने वाली बेचैनी से राहत दिलाने में सहायता करेगा।
- ठंडे या गर्म पानी की हल्की मालिश
एक तौलिये को गर्म पानी में डुबाकर, उस गर्म तौलिये से दर्द वाले हिस्सों की मालिश करें। कुछ लोगों को ठंडे पानी से की गई इसी तरह की मालिश से भी आराम मिलता है। इसके लिए बर्फ के टुकड़ों का उपयोग भी कर सकते हैं।
- अरोमा थेरेपी
अरोमा थेरेपी माइग्रेन के दर्द से काफ़ी आराम पहुंचाता है। इस तरीके में हर्बल तेलों के एक तकनीक के माध्यम से हवा में फैला दिया जाता है या फिर इसको भाप के द्वारा चेहरे पर डाला जाता है। इसके साथ हल्का संगीतक भी चलाया जाता है जो दिमाग को आराम पहुँचाता है।
संगठन
- विश्व सिरदर्द गठबंधन
- सिरदर्द, एक चिकित्सकीय जर्नल
बाहरी कड़ियाँ
- क्यों होता है माइग्रेन?(हिन्दी)
- जब कभी सताए माइग्रेन(हिन्दी)
- माइग्रेन का सिरदर्द लक्षण। फ़्रीक्वेन्ट हैडेक.नेट।(हिन्दी)
- सिरदर्द/माइग्रेन पर ज्ञानवर्धक लेख(हिन्दी)
- सात चीजें जो आपको जाननी चाहिए ऑप्टिकल माइग्रेन के बारे में । लेख और संसाधन।२४ अक्तूबर, २००७