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अंडाशय कैंसर
अंडाशय कैंसर, डिम्बग्रंथि का कैंसर हैं जो अंडाशय में होता हैं। जिसके परिणामस्वरूप असामान्य कोशिकाएँ शरीर के अन्य हिस्सों में फैल जाती हैं व उन पर आक्रमण करने लगती हैं। जब ये प्रक्रिया शुरू होती हैं, तो उसका कोई अस्पष्ट लक्षण हो भी सकता हैं और नहीं भी। जैसे-जैसे यह रोग प्रगति की ओर बढ़ता हैं तो कुछ लक्षणों पर ध्यान दिया जा सकता हैं जैसे- श्रोणी में दर्द, पेट की सूजन व भूख की कमी इनमे से कुछ हैं। यह कैंसर शारीर के अन्य भाग जैसे पेट की सतहों, लसिका, फेफड़ो और यकृत तक भी फैल सकता हैं।
अंडाशय का कैंसर होने का ज्यादा खतरा उन महिलओं में होता हैं, जिन्हें अपने जीवनकाल में अधिक मात्र में अण्डोत्सर्ग होता हैं। इसमें वह महिलायें शामिल होती हैं जिनकी कोई संतान नहीं होती, जिन्हे छोटी उम्र में अण्डोत्सर्ग होने लगता हैं और जिन्हें वृधावस्था में रजोनिवृत्ति होती हैं। अन्य जोखिम कारकों में रजोनिवृत्ति के बाद हॉर्मोन थेरेपी, प्रजनन के लिए दवा और मोटापा शामिल हैं। जोखिम कम करने वाले कारकों में हार्मोनल जन्म नियंत्रण, ट्यूबल बंधन, और स्तनपान शामिल हैं। लगभग १०% मामले अनुवांशिक पाए जाते हैं, परन्तु जिन महिलाओं में बीआरसीऐ१ व बीआरसीऐ२ जीन में उत्परिवर्तन पाया जाता हैं उनमे ५०% तक खतरा बढ़ जाता हैं। ९५% से अधिक डिम्बग्रंथि कैंसर (अंडाशय कैंसर) का सबसे आम प्रकार दिम्ब्ग्रंथी कार्सिनोमा हैं। इसके पांच मुख्य उपप्रकार भी हैं, जिसमें उच्च स्तर का सीरस कार्सिनोमा सबसे आम हैं। ऐसा मन जाता हैं कि यह कैंसर अंडाशय की तरफ जों कोशिअकाये होती हैं उनमे शुरू होता हैं, परन्तु कुछ डिम्बवाही नाल में भी बन सकते हैं। अंडाशय कैंसर में रोगाणु कोशिका ट्यूमर कम मामलो में देखा जाता हैं। अंडाशय कैंसर की पुष्टि उत्तक परीक्षा से की जा सकती हैं जिसे आमतौर पर सर्जरी के द्वारा हटाया जा सकता हैं। यदि शुरुआती दौर में पता चल जाये तो इस कैंसर से छुटकारा पाया जा सकता हैं। इसका उपचार आमतौर पर सर्जरी, विकिरण चिकित्सा, व कीमोथेरेपी के सयोजन से किया जाता हैं (जिसके परिणाम रोग की सीमा, कैंसर के उपप्रकार, और अन्य चिकित्सयी स्तिथियों पर निर्भर करते हैं)। साल २०१२ में २३९,००० महिलाओं में नए मामले सामने आये। २०१५ में १२ लाख महिलाओं में यह कैंसर पाया गया जिसके परिणामस्वरूप दुनिया भर में १६१,१०० मौते हुई। महिलाओं में यह सातवां सबसे आम कैंसर हैं व आठवां सबसे आम कैंसर मृत्यु करक। जयादातर यह ६३ वर्ष की आयु में पाया जाता हैं। अफ्रीका और एशिया से ज्यादा उत्तरी अमरीका और यूरोप में अंडाशय कैंसर से मृत्यु होती हैं।
अनुक्रम
संकेत और लक्षण
शुरूआती लक्षण
इस कैंसर में पाए जाने वाले शुरूआती लक्षण और संकेत बहुत ही सूक्षम या अनुपस्थित होते हैं। कई मामलो में जांच से पहले लक्षण कई महीनों तक देखे जा सकते हैं। शुरूआती चरण में ये कैंसर दर्दरहित होता हैं। इस बीमारी के लक्षण इसके उपप्रकार पर निर्भर करते हैं। एलएमपी ट्युमर के कुछ लक्षणों के कारण श्रोणी में दर्द और पेट में विक्रति शामिल हो सकता हैं। अंडाशय कैंसर के सबसे आम लक्षणों में सूजन, पेट या श्रोणी दर्द, असुविधा, पीठ दर्द, अनियमित मासिक धर्म या फिर पोस्टमेनोपोसल योनि रक्तस्त्राव, यौन सबंध के दौरान या बाद रक्तस्त्राव, भूख की कमी, थकन, दस्त, अपचन, कब्ज़, और मूत्रसम्बन्धी लक्षण (लगातार पेशाब और तत्काल सहित)।
बाद के लक्षण
दिम्ब्ग्रंथी टोरसन विकसित होने से बढ़ते द्रव्यमान के कारण दर्द हो सकता हैं। अन्य लक्षण उदरगणिका व कैंसर के स्थानानान्तरण के कारण भी हो सकते हैं। कैंसर के स्थानानाथारण (मेटास्टेसिस) के कारण "सिस्टर जोसफ नोद्युल" भी हो सकता हैं।
अंडाशय कैंसर के कारण
अंडाशय कैंसर का सम्बन्ध अन्डोतसर्ग में बीते समय से हैं। बच्चे को जनम न देना बहुत बड़ा कारण हैं अंडाशय कैंसर का क्युकी अन्डोत्सर्जन सिर्फ गर्भावस्था के दौरान रुकता हैं। अंडोटसर्जन के दौरान कोशिकाओं का लगातार विभाजन होता हैं जबकि अंडाशय चक्र जारी रहता हैं। इसी कारण जों महिलाये बच्चो को जन्म दे चुकी होती हैं उन्हें इस बीमारी का खतरा कम होता हैं और जिन्होंने बच्चो को जन्म नहीं दिया होता उन्हें इसका दोगुना खतरा होता हैं। जल्दी मासिक धर्म शुरू होना व देर से रजोनिवृत्ति होना भी इसका एक मुख्य कारण हैं। मोटापा और हॉर्मोन प्रतिस्थापन भी इसका एक अन्य कारण हैं।
पर्यावरणीय कारक
औद्योगिक रूप से विकशित देशों में जापान को छोड़ कर उप्कला अंडाशय कैंसर उच्च दर पर पाया जाता हैं (जिसक एक कारण वहां का आहार माना जा सकता हैं)। जांच में पाए गए सबूतों के मुताबिक कीटनाशक और ट्रिननाशक से यह कैंसर बढ़ता हैं। अमरीकन कैंसर सोसायटी ने पाया कि अब तक कोई भी ऐसा रसायन को सटीक रूप से जोड़ नहीं पाई हैं जों वातावरण या आहार में उपस्थित हो जिसके कारण उतपरिवर्तनों ने अंडाशय कैंसर हो सकता हैं।
निवारण
जिन लोगो में अनुवांशिक अंडाशय कैंसर का खतरा हो वो शल्य चिकित्सा के द्वारा अपना अंडाशय निकलवा कर इसका निवारण कर सकते हैं। यह अक्सर बच्चे के जन्म के बाद किया जाता हैं। इससे महिलाओं में स्तनरोग व अंडाशय रोग दोनों का खतरा कम होता हैं। बीआरसी अ जीन उतपरिवर्तन वाली महिलाए को अपनी गर्भाशय नाल को भी हटवाना पड़ता हैं। अध्यन के मुताबिक यह आकड़े इस बीमारी के खतरे को कम कर देते हैं।
इस रोग के उपचार में शल्यचिकित्सा, किमोथेरेपी, और कभी कभी रेडियोथेरेपी शामिल होती हैं। सर्जिकल उपचार अच्छी तरह से विभेदित घातक ट्यूमर के लिए पर्याप्त हो सकता है जों अंडाशय तक ही सीमित हो।
इन्हें भी देखें
बाहरी कड़ियाँ
- "Ovarian, Fallopian Tube, and Primary Peritoneal Cancer - Patient Version". National Cancer Institute. मूल से 5 अप्रैल 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 30 March 2017.
- What is Ovarian Cancer Infographic, information on ovarian cancer - Mount Sinai Hospital, New York