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स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा (शल्की सेल कैंसर)

स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा (शल्की सेल कैंसर)

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Squamous cell carcinoma, NOS
वर्गीकरण एवं बाह्य साधन
Squamous Cell Carcinoma.jpg
SCC of the skin tends to arise from pre-malignant lesions, actinic keratoses; surface is usually scaly and often ulcerates (as shown here).
आईसीडी-१० C44.
आईसीडी- [1]
ICD-O: M8070/3
मेडलाइन प्लस 000829
ईमेडिसिन derm/401 
एम.ईएसएच D002294

स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा (एसएससी (SCC)) कार्सिनोमाटस कैंसर है, जो त्वचा, होंठ, मुंह, घेघा, मूत्राशय, प्रोस्टेट, फेफड़ों, योनि और गर्भाशय ग्रीवा सहित कई अलग विभिनन अंगों में होता है। यह शल्की इपिथेलियम (इपिथेलियम, जो शल्की सेल को अलग पहचान देता है) का एक घातक ट्यूमर है। अपने आम नाम के बावजूद, विविध लक्षण और पूर्वानुमान वाले अद्वितीय प्रकार के कैंसर है।

वर्गीकरण

स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा (कैंसर) निम्नलिखित प्रकारों में वर्गीकृत किये जा सकते हैं:

  • एडीनॉयड (नाक और कंठ के बीच में उभरा हुए टिश्यू) शल्की सेल कार्सिनोमा (शियुडोग्लैंडुलर शल्की सेल कार्सिनोमा)
  • स्पष्ट सेल शल्की सेल कार्सिनोमा (त्वचा की स्पष्ट कोशिका कार्सिनोमा)
  • स्पाइंडल सेल शल्की सेल कार्सिनोमा
  • सिगनेट रिंग सेल शल्की सेल कार्सिनोमा
  • बेसलॉयड शल्की सेल कार्सिनोमा
  • तलवे में होने वाली गांठ का कार्सिनोमा
  • केराटोसैंथोमा

पारिभाषिक शब्दावली

जीभ का एक बड़ा शल्की सेल कार्सिनोमा.

एक कार्सिनोमा को स्वस्थानिक (अपने मूल स्थान पर बने रहने वाला) या आक्रामक के तौर पर वर्णित किया जा सकता है और यह इस बात पर निर्भर है कि कैंसर अंतर्निहित ऊतकों पर हमला बोलता है या नहीं; केवल आक्रामक कैंसर ही अन्य अंगों तक फैलने और मेटास्टेसिस का कारण बनने में सक्षम होते हैं। अपने स्थान पर बने रहने वाले शल्की सेल कार्सिनोमा को बोवेनंस डिजीज भी कहा जाता है।

संबंधित स्थितियां

  • क्वेयरात की एरिथ्रोप्लासिया
  • केराटोसैंथोमा त्वचा का एक निम्न-स्तरीय घातक रोग है। यह वसामय ग्रंथियों से शुरू होता है और यह शल्की सेल कार्सिनोमा की नैदानिक प्रस्तुति और सूक्ष्म विश्लेषण के समान होता है, इसके बावजूद कि इसमें केंद्रीय प्लग केराटिन होता है। सांख्यिकीय रूप से इसके शल्की सेल कार्सिनोमा की तुलना में कम आक्रामक बनने की संभावना होती है।
  • बोवेनंस डिजीज धूप के कारण होने वाला त्वचा रोग है और इसे शल्की सेल कार्सिनोमा का प्रारंभिक रूप माना जाता है।
  • मारजोलिन्स अल्सर शल्की सेल कार्सिनोमा का एक प्रकार है, जो नहीं हो रहे घाव या जलने से हुए घाव से पैदा होता है।
  • मेलेनोमा
  • आधारी कोशिका कार्सिनोमा

संकेत व लक्षण

प्रभावित अंगों के आधार पर लक्षण भी काफी अलग-अलग होते हैं।

त्वचा का एसएससी कोशिकाओं की एक छोटी सी गांठ के रूप में शुरू होती है और इसके बढ़ने पर उसका केंद्र रूप मृत और परिगलित होने लगता है और गांठ एक घाव में बदल जाता है।

  • एससीसी की वजह से पैदा हुआ घाव अक्सर स्पर्शोन्मुख होता है।
  • अल्सर या लाल त्वचा पट्टिका, जिसका विकास धीमी गति से होता है
  • गांठ से, खासकर उसके मुंह से रुक-रुक कर खून का बहना
  • रोग-विषयक रूप अत्यधिक परिवर्तनशील होता है।
  • आमतौर पर ट्यूमर एक घाव के रूप में दिखता है, जो कठोर होता है और उसके किनारे उठे हुए होते हैं।
  • ट्यूमर अक्सर एक या कठोर पट्टिका या पुंज के रूप में हो सकता है, जिसपर लाल और जामुनी दाने होते हैं और सतह पर विभिन्न रंगों की झलक दिखती है।
  • ट्यूमर आसपास की त्वचा के स्तर से नीचे रह सकते हैं और अंततः उनमें घाव हो जाता है और वे नीचे के ऊतकों पर आक्रमण करते हैं।
  • ये ट्यूमर आमतौर धूप लगने वाले क्षेत्रों (जैसे हाथ के पीछे, खोपड़ी, होंठ और कान के बाहरी हिस्से) में स्थित होते हैं।
  • होंठ पर ट्यूमर एक छोटा घाव पैदा करता है, जो भरता नहीं है और रह-रहकर उससे खून बहता है।
  • क्रोनिक स्किन फोटो डैमेज का साक्ष्य, जैसे मल्टीपल एक्टीनिक केराटोसेज (सौर केराटोसेज)
  • ट्यूमर अपेक्षाकृत धीरे-धीरे बढ़ता है
  • बेसल सेल कार्सिनोमा (बीसीसी (BCC)) के विपरीत शल्की सेल कार्सिनोमा (एससीसी (SCC)) में मेटास्टेसिस का काफी जोखिम होता है।
  • कटे या जले के निशान, निचले होठ या श्लेषमा झिल्‍ली और इम्युनोसप्रेस्ड (स्वरक्षा प्रणाली दमित) रोगियों में होने वाले एसएससी में मेटास्टेसिस का जोखिम ज्यादा होता है। जीभ के पास और श्लेषमा झिल्‍ली वाले करीब एक तिहाई ट्यूमर निदान से पहले ही एक स्थान से दूसरे स्थान पर स्थानापन्न हो जाते हैं। (ये अक्सर तम्बाकू और शराब के उपयोग से संबंधित होते हैं)

कारण

एचपीवी (HPV)

ह्यूमन पैपिलोमा वायरस ग्रसनी, फेफड़े, उंगलियों, और गुदा व जननांग क्षेत्र के एसएससी से जुड़े होते हैं।

क्षेत्रवार

त्वचा

शल्की सेल कार्सिनोमा सबसे आम दूसरे तरह का त्वचा कैंसर है (बेसल सेल कार्सिनोमा के बाद, लेकिन मेलेनोमा से ज्यादा आम). यह आम तौर पर सूरज की किरणों से प्रभावित क्षेत्रों में होता है। धूप लगना और प्रतिरक्षादमन त्वचा के एसएससी के लिए जोखिम वाले कारक हैं, हालांकि क्रोनिक सन एक्सपोजर सबसे मजबूत पर्यावरणीय जोखिम कारक होता है। मेटास्टेसिस का जोखिम कम होता है, लेकिन यह बेसल सेल कार्सिनोमा से बहुत अधिक होता है। होंठ और कानों के शल्की सेल कैंसर में जगह बदलने और पुनरावृत्ति की उच्च दर (20 से 50%) होती है. इम्युनोथेरेपी से गुजर रहे या श्वेत रक्त कणिकाओं के रोगों (ल्यूकेमियाज) वाले व्यक्तियों में त्वचा का शल्की सेल कैंसर ज्यादा आक्रामक होता है, इससे मतलब नहीं कि वह किस स्थान पर है।

शल्की सेल कार्सिनोमा का इलाज आम तौर पर काटकर निकालने या मोहस सर्जरी के जरिये होता है। त्वचा संबंधी एसएससी के इलाज के ननसर्जिकल (बिना चीरा लगाये) विकल्पों में ट्रॉपिकल कीमोथेरेपी (सामयिक रसायन चिकित्सा), ट्रॉपिकल इम्युन रेस्पांस मोडिफायरर्स फोटो डायनेमिक थेरेपी (पीडीटी (PDT)) रेडियोथेरेपी और प्रणालीगत रसायन चिकित्सा शामिल हैं। सामयिक चिकित्सा और पीडीटी (PDT) का उपयोग आम तौर पर घातक होने से पहले (यानी, एकेएस (AKs)) और स्वस्थानी घावों तक सीमित होता है। विकिरण चिकित्सा उन रोगियों के लिए एक प्राथमिक उपचार का विकल्प है, जिनमें शल्य चिकित्सा संभव नहीं है और यह उनके लिए शुरुआती चिकित्सा के बाद वाली इलाज प्रक्रिया के लिए मुफीद है, जो स्थान बदलने वाले कैंसर या उच्च जोखिम वाले त्वचा एससीसी से पी‍ड़ित हैं। इस समय, प्रणालीगत रसायन चिकित्सा उन रोगियों की विशेष रूप से की जाती है, जो मूल स्थान के करीब ही फैले कैंसर से ग्रसत हैं।[कृपया उद्धरण जोड़ें]

एचपीवी (HPV) वैक्सीन का विकास करने वालों में से एक ऑस्ट्रेलियाई वैज्ञानिक इयान फ्रेजर का कहना है कि पशुओं में शल्की सेल कार्सिनोमा रोकने में पशुओं पर परीक्षण प्रभावी रहे हैं और दशक के भीतर ही इस तरह के त्वचा कैंसर के खिलाफ मानव टीका विकसित हो सकता है।

सिर और गर्दन के कैंसर

मुंह के एक उच्च विभेदित शल्की सेल कार्सिनोमा की बायोप्सी.हीमाटॉक्सिलीन और इयोसिन दाग.

सिर और गले के कैंसर (मुंह, नाक गुहा, नेसाफैरिंग्स, गले और आसपास की संरचनाओं) के नब्बे प्रतिशत मामले शल्की सेल कार्सिनोमा के कारण होते हैं। इसके लक्षणों में मुंह के घाव के ठीक होने में देर, कर्कश आवाज या उस क्षेत्र में लगातार हो रहीं दूसरी समस्याएं शामिल हो सकती है। इसका उपचार आम तौर पर सर्जरी (जो गहन हो सकती है) और रेडियोथेरेपी होती है। जोखिम वाले कारकों में धूम्रपान और शराब का सेवन शामिल हैं।

सिर और गर्दन के कैंसर आम तौर पर तंबाकू और अल्कोहल की वजह से होते हैं, लेकिन सीडीसी के अनुसार हाल के अध्ययनों से पता चलता है कि मुंह के 25% और गले के 35% कैंसर एचपीवी (HPV) के कारण होते हैं। नन-एचपीवी (HPV) पोजिटिव कैंसर की तुलना में एचपीवी (HPV) पोजिटिव (सकारात्मक) कैंसर वाले रोगियों में उचित शल्य चिकित्सा, विकिरण और कीमोथेरपी के साथ इलाज से 5 साल रोगमुक्त होकर जीवित रहने की दर काफी अधिक है और इसकी पुष्टि जान्स हॉपकिन्स, सिडनी किमेल कैंसर सेंटर के डॉ॰ मॉरीन गिलिसन एट अल द्वारा किए गए शोध सहित कई अध्ययनों से हुई है।

ग्रासनली

ग्रासनली कैंसर शल्की सेल कार्सिनोमा (ईएससीसी (ESCC)) या एडिनोकार्सिनोमा (ईएसी (EAC)) में से किसी वजह से हो सकता है। एससीसी (SCC) कैंसर मुंह के करीब पाए जाते हैं, जबकि एडिनोकार्सिनोमा पेट के करीब होते हैं। डिसफेजिया (निगलने में कठिनाई, तरल पदार्थ से भी कठिन ठोस पदार्थ निगलना) और ओडिनोफेजिया आम प्रारंभिक लक्षण हैं। अगर बीमारी स्थानीय है, तो एसोफैग्क्टोमी से इलाज की संभावना बनती है। यदि रोग फैल गया है, तो सामान्यतः रसायन चिकित्सा और रेडियोथेरेपी उपयोग किया जाता है।

फेफड़ा

शल्की सेल कार्सिनोमा की एक तस्वीर.अर्बुद बाईं तरफ होता है और ब्रोंकस (फेफड़ों) में अवरोध पैदा करता है। ट्यूमर के अलावा, ब्रोंकस में सूजन होती है और उसमें मवाद हो जाता है।

जब यह फेफड़ों से संबद्ध होता है तो अक्सर पैराथॉयरायड हार्मोन से संबद्ध प्रोटीन (पीटीएचआरपी (PHTrP)) के अस्थानिक उत्पादन का कारण बनता है, जिसके परिणामस्वरूप हाइपरकैल्सिमीया (अतिकैल्शियमरक्तता) होती है।

पुरुष जननांग

जब स्वस्थानी (बोवेंस डिजीज) शल्की सेल कार्सिनोमा लिंग पर पाया जाता है, तो इसे इरेथ्रोप्लासिया ऑफ क्वेरैट कहा जाता है. इस प्रकार का कैंसर इमिक्विमोड से अच्छी तरह प्रतिक्रिया करता है।

पुरःस्थ ग्रंथि

जब यह प्रोस्टेट के साथ जुड़ा होता है, तो शल्की सेल कार्सिनोमा प्रकृति में बहुत आक्रामक हो जाता है। इसका पता लगाने में इसलिए मुश्किल होता है कि वहां प्रोस्टेट विशिष्ट प्रतिजन स्तर में कोई वृद्धि नहीं होती है, जिसका अर्थ है कि कैंसर का पता अक्सर उन्नत चरण में होता है।

योनि और गर्भाशय ग्रीवा

योनि का शल्की सेल कार्सिनोमा धीरे-धीरे फैलता है और आमतौर पर योनि के पास रहता है, लेकिन यह फेफड़ों और जिगर तक में फैल सकता है। यह योनि के कैंसर का सबसे आम प्रकार है।

मूत्राशय

ज्यादातर मूत्राशय कैंसर संक्रमणकालीन कोशिका हैं, लेकिन सिस्टोसोमायसिस के साथ मूत्राशय कैंसर अक्सर शल्की सेल कार्सिनोमा होता है।

रोग-निदान

निदान बायोप्सी के माध्यम से होता है। त्वचा के लिए, देखें त्वचा के अंदर बायोप्सी

बायोप्सी की गहराई के साथ शल्की सेल कैंसर की रोग विज्ञानी उपस्थिति अलग-अलग दिख सकती है। इस कारण से त्वचा के नीचे के ऊतक और आधारभूत इपिथेलियम (शरीर की समह पर उभरा एक पतला ऊतक) के साथ बायोप्सी की आवश्यकता होती है। बालों की बायोप्सी (देखें त्वचा बायोप्सी) से निदान के लिए पर्याप्त सूचना नहीं भी मिल सकती है। एक अपर्याप्त बायोप्सी को रोमकूपों की भागीदारी के साथ एक्टिनिक केराटोसिस के रूप में पढ़ा जा सकता है। सही निदान के लिए डेरमिस या त्वचा के नीचे के ऊतक की और गहरी बायोप्सी सही कैंसर का खुलासा कर सकती है। सर्जरी द्वारा काटकर की गई बायोप्सी आदर्श है, पर ज्यादातर मामलों में यह व्यावहारिक नहीं है। बिना चीर-फाड़ या पंच बायोप्सी को ज्यादा वरीयता दी जाती है। बालों की बायोप्सी आदर्श है, खासकर तब जब सतह के बाहर के हिस्से को लिया जाये.

प्रबंधन

ज्यादातर शल्की सेल कार्सिनोमस सर्जरी द्वारा हटा दिये जाते हैं। कुछ चुने हुए मामलों में इलाज सामयिक दवा के साथ होता है। अक्सर इलाज का साधन है स्वस्थ ऊतकों के एक मुक्त अंतर के साथ सर्जरी द्वारा कैंसर को निकालना. शल्की सेल कार्सिनोमस के इलाज के लिए रेडियोथेरेपी, जो बाह्य किरण रेडियोथेरेपी या ब्रैकीथेरेपी (आंतरिक रेडियोथेरेपी) के रूप में दिया जाता हो, का भी उपयोग किया जा सकता है।

मोहस सर्जरी का भी अक्सर उपयोग किया जाता है और त्वचा के शल्की सेल कार्सिनोमा के इलाज के लिए इसके चयन पर विचार किया जाता है, हालांकि डाक्टर इस पद्धति का उपयोग मुंह, गला और गर्दन के शल्की सेल कार्सिनोमा के उपचार के लिए भी उपयोग करते हैं। मोहस प्रशिक्षित चिकित्सक की अनुपस्थिति में एक रोगविज्ञानी सीसीपीडीएमए (CCPDMA) मानकों के समान विधि का उपयोग कर सकता है। उच्च जोखिम वाले कैंसर या रो‍गियों के प्रकारों में अक्सर बाद में विकिरण चिकित्सा का इस्तेमाल किया जाता है।

त्वचा के चयनित शल्की सेल कार्सिनोमा पर इलेक्ट्रोडेसिकेशन और क्यूरेटेज (गर्भाशय ग्रीवा को साफ करने वाला औजार) या ईडीसी (EDC) का प्रयोग किया जा सकता है। उन क्षेत्रों में, जहाँ एससीसी (SCC) गैर-आक्रामक माना जाता है और जहां मरीज प्रतिरक्षादमन नहीं है, वहां अच्छे से पर्याप्त रोगमुक्ति दर के साथ ईडीसी की जा सकती है।

त्वचा के स्वस्थानी शल्की सेल कार्सिनोमा और पुरुष जननांग के लिए इमिक्वीमोड (एलडारा) प्रयोग किया गया है, लेकिन उपचार के कारण रुग्णता और परेशानी काफी गंभीर होती है। एक फायदा प्रसाधन संबंधी परिणाम के रूप में मिलता है: क्योंकि उपचार के बाद त्वचा सामान्य चमड़े की तरह बिना किसी निशान और मानक सर्जरी के साथ जुड़ी रुग्णता के निशान के दिखती है। इमिक्वीमोड किसी भी शल्की सेल कार्सिनोमा के लिए एफडीए (FDA) द्वारा स्वीकृत नहीं है।

2007 में ऑस्ट्रेलियाई बायोफार्मास्यूटिकल्स कंपनी क्लिनुवेल फार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड ने एक प्रयोगात्मक उपचार के नैदानिक परीक्षण शुरू किये, जिसमें एफामेलानोटाइड (पूर्व में सीयूवी (CUV)1647) कहे जाने वाले मिलेनोसाइट-उत्तेजक हार्मोन का प्रयोग त्वचा के शल्की सेल कार्सिनोमा और एक्टिनिक केराटोसिस के खिलाफ अंग प्रत्यारोपण वाले रोगियों के लिए फोटोप्रोटेक्शन प्रदान करने के लिए किया जाता है।

त्वचा के शल्की सेल कार्सिनोमा का जानपदिक रोग विज्ञान

2004 में 100.000 निवासियों प्रति अन्य त्वचा के कैंसर से आयु मानकीकृत मौत.[21][22][23][24][25][26][27][28][29][30][31][32][33]

शल्की सेल कार्सिनोमा का होना आयु, लिंग, जाति, भूगोल और आनुवंशिकी के साथ बदलता रहता है। एसएससी के मामले उम्र के साथ बढ़ते जाते हैं और चरमोत्कर्ष के मामले आमतौर पर लगभग 66 साल की उम्र तक होते हैं। एसएससी से प्रभावित होने वाले पुरुषों का अनुपात महिलाओं की तुलना में 2:1 होता है। कॉकेशियनंस के और अधिक प्रभावित होने की आशंका होती है, खासकर उनमें जिनकी गोरी केल्टिक त्वचा है और अगर वे लंबे समय से पराबैंगनी विकिरण के संपर्क में रहते हैं। कुछ दुर्लभ जन्मजात रोग भी त्वचा के कैंसर की स्थितियां पैदा करते हैं। कुछ भौगोलिक स्थानों में, कुएं के पानी या औद्योगिक स्रोतों से आर्सेनिक के संपर्क में आने से एससीसी (SCC) का खतरा काफी बढ़ जाता है।

स्क्वैमस सेल कैंसर का जानपदिक रोग विज्ञान, जिसमें त्वचा शामिल नहीं है

इनपर कारण शीर्षक के तहत चर्चा की गई है और इनमें धूम्रपान, शराब, पान सुपारी (सुपारी और पान का संयोजन), कैसरजन मानव पैपिलोमा वायरस या एचपीवी (hpv) और क्रोनिक इसोफेजियल रिफ्लक्स रोग (जीईआरडी (GERD)) के खतरे जैसे कारकों से प्रभावित होना शामिल हैं।

इन्हें भी देखें

  • त्वचा संबंधी स्थितियों की सूची
  • बाहरी किरण रेडियोथेरपी
  • लघु-चिकित्सा

बाहरी कड़ियाँ

साँचा:Tumor histology साँचा:Skin tumors, epidermis साँचा:Respiratory and intrathoracic neoplasia साँचा:Genital neoplasia


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