Продолжая использовать сайт, вы даете свое согласие на работу с этими файлами.
सुरत शब्द योग
सुरत शब्द योग एक आंतरिक साधन या अभ्यास है जो संत मत और अन्य संबंधित आध्यात्मिक परंपराओं में अपनाई जाने वाली योग पद्धति है। संस्कृत में 'सुरत' (श्रुति) का अर्थ आत्मा, 'शब्द' का अर्थ ध्वनि और 'योग' का अर्थ जुड़ना है। इसी शब्द को 'ध्वनि की धारा' या 'श्रव्य जीवन धारा' कहते हैं।
शरीर में शारीरिक, मानसिक और आत्मिक बोध-भान होते हैं। इनसे अलग एक और तत्त्व है जो इन सब का साक्षी है जिसे सुरत, चेतन तत्त्व चेतना, या चेतनता कहा गया है। सृष्टिक्रम में वही सुरत क्रमश: शब्द, प्रकाश (आत्मा), मन और शरीर में आ जाती है। सुरत का सहज और स्वाभाविक तरीके से इसी मार्ग से लौट जाना सुरत शब्द योग का विषय और प्रयोजन है। सुरत को परम तत्त्व भी कहा गया है। जीवन के रचना क्रम में हिलोर पैदा होने पर सुरत और शब्द दो हस्तियाँ बन जाती हैं और जीवन का खेल प्रारंभ होता है। सुरत में शब्द (ध्वनि) की ओर आकर्षित होने का स्वाभाविक गुण है। यह सुरत शब्द योग का आधार सिद्धांत है।.
इन्हें भी देखें
पारंपरिक योग | ||
---|---|---|
अन्य योग |
अग्नि योग · अनाहत योग · अनुसार योग · कलात्मक योग · अष्टांग विन्यास योग · आत्मा योग · स्वप्न योग · हठयोग · क्रिया योग · कुंडलिनी योग · नाद योग · नाट्य योग · सहज योग · शिवानंद योग · नरोप के छः योग (तुम्मो) · सुरत शब्द योग · विनियोग · यंत्र योग · योग निद्रा
|
|
पाठ | ||
राज योग | ||
सूचियां | ||
संबंधित विषय | ||
अन्य | ||