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विश्पला
विश्पला ऋग्वेद में वर्णित एक वीराङ्ग्ना है। 'विश्पला' का शाब्दिक अर्थ है- 'प्रजा का पालन करने वाली' । वह शस्त्र-शास्त्र में पारंगत एक महान वीरांगना थी। युद्ध में पैर कट जाने के बाद उसने अयस (लोहा या ताँबा) का जंघा लगवाकर पुनः युद्ध किया। विशपला का उल्लेख ऋग्वेद में अनेक बार आया है (ऋग्वेद 1.112.10, ऋग्वेद 116.15, ऋग्वेद 117.11, ऋग्वेद 118.8 और ऋग्वेद 10.39.8)। किन्तु न तो राजा खेल और न ही विश्पला के बारे में सम्पूर्ण जानकारी है। कार्ल फ्रेडरिक गेल्दनर ( Karl Friedrich Geldner) ने 'विश्पला' का अर्थ एक अश्व से लिया है।
विश्पला 'खेल' नामक राजा की पत्नी थी। शतद्रु नदी के तट पर खेला का राज्य था। संभवतः वह गान्धार (वर्तमान अफगानिस्तान) का कोई राजा था। एक बार शत्रुओं द्वारा उसके राज्य पर आक्रमण करने पर राजा के सेनापति ने सेना सहित शत्रुओं पर आक्रमण कर दिया। किन्तु शत्रु बहुत शक्तिशाली था, अतः सेनापति हार गया और सारी सेना नष्ट हो गयी। राजा का चिन्तित होना स्वाभाविक था। हार के समाचार के समय राजकुमारी विश्पला वहीं खड़ी थी उसने राजा खेल को सांत्वना दी कि सेना लेकर शत्रुओं पर आक्रमण करेगी। राजा की स्वीकृति मिलने पर विश्पला सेना एकत्रित कर शत्रुओं पर टूट पड़ी। शत्रु विश्पला से अधिक शक्तिशाली सिद्ध हुए और उसे पराजय स्वीकार करनी पड़ी। उसे घायलावस्था में रणभूमि से वापस लौटा देखकर राजा और भी दुखी हुआ। तब विश्पला ने राजा को आश्वासन दिया अनुरोध किया वे उसकी टांग वैद्यों से ठीक करवा दें ताकि वह फिर से खड़ी होकर शत्रुओं पर आक्रमण कर सके।
अगस्त्य ऋषि खेल के गुरु थे। उन्होंने अश्विन कुमारों का आवाहन किया। अश्विनी कुमारों ने उसे लोहे का बना पैर दिया। यह विश्व इतिहास में कृत्रिम अंगार्पण (प्रोस्थेसिस / prosthesis) की अवधारणा का सबसे पहला संदर्भ है।
- चरित्रं हि वेरिवाच्छेदि पर्णमाजा खेलस्य परितक्म्यायाम् ।
- सद्यो जङ्घामायसीं विश्पलायै धने हिते सर्तवे प्रत्यधत्तम् ॥
- अर्थ : जिस प्रकार कोई पक्षी आकाश से गिरता है, उसी प्रकार राजा खेल की पत्नी विश्पला का पैर टूट गया था। उस स्थिति में, हे अश्विनीकुमारों आप दोनों ने ही एक ही रात में चिकित्सा करके उसे लोहे का पैर लगा दिया था। उसके बाद वह युद्ध के लिये फिर सज्जित हो गयी थी।