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विकिरण सुरक्षा
आयनकारी विकिरण के हानिकारक प्रभावों से व्यक्तियों एवं पर्यावरण को सुरक्षित रखने वाले विज्ञान एवं व्यवहार का नाम विकिरण संरक्षा या विकिरण सुरक्षा (Radiation protection या radiological protection) है।
उद्योग एवं चिकित्सा में आयनकारी विकिरण का बहुतायत से उपयोग होता है। इस कारण यह स्वास्थ्य के लिये बहुत बड़ा खतरा पैदा कर सकता है यदि इससे बचने एवं इसकी मात्रा को सीमित रखने से समुचित प्रबन्ध न किये जाँय। आयनकारी विकिरण जीवित ऊतकों का सूक्ष्मस्तरीय नुकसान पहुँचाता है जिससे त्वचा जल सकती है। इसके अलावा इस विकिरण के उच्च मात्रा में सम्पर्क में आने से 'विकिरण बिमारी' (radiation sickness) हो सकती है। कम मात्रा में लेने पर भी कैंसर होने की सम्भावना बढ जाती है।
विकिरण से सुरक्षा का मूलभूत तरीका है कि विकिरण के प्रभाव में कम से कम आयें (reduction of expected dose) तथा मानव द्वारा लिये गये विकिरण डोज का सतत मापन करते रहना।
विकिरण से सुरक्षा का सिद्धान्त
विकिरण से सुरक्षा के तीन नियम हैं-
- (१) दूरी : विकिरण के स्रोत से पर्याप्त दूरी बनाये रखें।
- (२) कवच या परिरक्षक (शिल्ड) : रेडियोसक्रिय स्रोत एवं लोगों के बीच शिल्ड रखी होनी चाहिये। ये शिल्ड प्रायः क्ंक्रीट की दीवार, सीसा या इस्पात की मोटी चादरें या ब्लॉक आदि के रूप में होते हैं।
- (३) समय : विकिरण क्षेत्र में जाना पड़े तो भी कम से कम समय उस क्षेत्र से निकलने का प्रयास करना चाहिये।
इन्हें भी देखें
- स्वास्थ्य भौतिकी (हेल्थ फिजिक्स)
- परिरक्षित केबल (शिल्डेड केबल)
- विद्युतचुम्बकीय परिरक्षण (एलेक्ट्रोमैग्नेटिक शिल्डिंग)