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वंश (जीवविज्ञान)
वंश (जीवविज्ञान)
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वंश (लैटिन: genus, जीनस; बहुवाची: genera, जेनेरा) जीववैज्ञानिक वर्गीकरण में जीवों के वर्गीकरण की एक श्रेणी होती है। एक वंश में एक-दूसरे से समानताएँ रखने वाले कई सारे जीवों की जातियाँ आती हैं। ध्यान दें कि वंश वर्गीकरण के लिए मानकों को सख्ती से संहिताबद्ध नहीं किया गया है और इसलिए अलग अलग वर्गीकरण कर्ता वंशानुसार विभिन्न वर्गीकरण प्रस्तुत करते हैं।
लैटिन भाषा में नाम
जीववैज्ञानिक वंशों के नाम अधिकतर लैटिन भाषा में होते हैं क्योंकि जीववैज्ञानिक वर्गीकरण की प्रथा १७वीं और १८वीं सदियों में यूरोप में शुरू हुई थी और उस समय वहाँ लैटिन ज्ञान की भाषा मानी जाती थी। यह रिवायत अभी तक चलती आई है। आधुनिक काल में इस्तेमाल होने वाली वर्गीकरण व्यवस्था १८वीं शताब्दी में कार्ल लीनियस नामक स्वीडी वैज्ञानिक ने की थी।
उदाहरण
- मानव एक जीववैज्ञानिक जाति है जिसका वैज्ञानिक नाम 'होमो सेपियन्ज़' (Homo sapiens) है
- होमो (Homo) एक जीववैज्ञानिक वंश है जिसमें मानव और मानव से मिलती-जुलती निअंडरथल मानव जैसी कई और जातियाँ थीं - आधुनिक काल में मानवों को छोड़कर इस वंश की अन्य सभी जातियाँ विलुप्त हो चुकी हैं
- होमिनिडाए (Hominidae), जिसे हिन्दी में 'मानवनुमा' कह सकते हैं, एक जीववैज्ञानिक कुल है जिसमें मनुष्य, चिम्पान्ज़ी, गोरिल्ला और ओरन्गउटान जैसे सभी बड़े अकार वाले वानर वंश आते हैं
- प्राइमेट (Primate), जिसे हिन्दी में 'नरवानर' कह सकते हैं, एक जीववैज्ञानिक गण है जिसमें मानव और सारे मानवनुमा कपियों के अलावा, सभी बन्दर, लीमर, तारसियर जैसे सदस्यों वाले सभी कुल आते हैं
- स्तनधारी (Mammalia, मैमेलिया) एक जीववैज्ञानिक वर्ग है जिसमें स्तनधारी जानवरों वाले सभी गण आते हैं - यानी इस वर्ग में मनुष्य, भेड़िये, व्हेल, चूहे, घोड़े और कुत्ते सभी सम्मिलित हैं
- कोरडेटाए (Chordatae), जिसे हिन्दी में 'रज्जुकी' कहते हैं, एक जीववैज्ञानिक संघ है जिसमें वे सभी वर्ग आते हैं जिनके सदस्य जानवरों के पास रीढ़ की हड्डी होती है - इसमें मनुष्य, गिरगिट, मेंढक, मछली, वग़ैराह शामिल हैं
- ऐनीमेलिया (Animalia), जिसे हिन्दी में 'जंतु' कहा जा सकता है, एक जीववैज्ञानिक जगत है जिसमें सभी जंतुओं वाले संघ आते हैं, लेकिन पौधे, इत्यादि नहीं आते - इसमें मनुष्य, मकड़ी, ओक्टोपस वग़ैराह सभी प्राणी शामिल हैं