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मेसोथेरपि

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मेसोथेरपि (अंग्रेज़ी: Mesotherapy) बिना शल्यक्रिया के औषधियों के द्वारा की जाने वाली एक कृत्रिम सौंदर्य चिकित्सा है। इस क्रिया के तहत त्वचा के निचले मांसल भाग मे इंजेक्शन के द्वारा कई तरह के फार्मसूटिकल, पौधें से निकालने वाली, और होम्योपैथिक दवाएँ दी जाती हैं।

उपयोग

इन चिकित्स्किय उपचारों के कई सारे प्रकाशित अध्ययन भी मिलते हैं और युरोप और दक्षिणी अमेरका मे कई वषों से शरीर के उपर दवाइयों के इस मिश्रण के पड़ने वाले प्रभाव की विस्तृत विवेचना की गयी है। इस बात का कोई ठोस प्रमाण नही मिला है कि ये दवाएँ विशेष रूप से आडिपोस (वसा कोशिका) को टारगेट करतीं हैं। डियोकसिकेलिक के अपमार्जक प्रभाव के कारण होने वाला सेल लिसिस इसके नैदानिक प्रभाव का कारण हो सकता है।

२०१२ मे एक फ़ांसीसी प्रयोगशाला ने मेसोथेरपि उपचार के लिए दी जाने वाली दवा को तरल पॉडलेट के माध्यम से देने का तरीका खोज निकाला। इस पॉडलेटको चेहरे पर भाप लगाने वाले उपकरण मे डाल दिया गया और फिर उपकरण से निकलने वाली भाप के द्वारा चेहरे के रोमकूपों मे दवा पहुचाई गयी। यह अपने तरह की पहली खोज थी जिसके कारण का उपचार लोगों के उनके घरों मे ही प्रदान किया जा सका।

इतिहास

सर्वप्रथम माइकेल पीस्तोर (१९२४-२००३) ने वृहत नैदानिक शोध के उपरांत मेसोथेरपि की विधा की स्थापना की। १९४८ से १९५२ के मध्य अंतर्त्वचीय उपचार के क्षेत्र मे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शोध के अथक प्रयासो के बाद पीस्तोर की खोज को मानवीय मेसोथेरपि चिकित्सा प्रणाली के रूप मे लागू करने मे सफलता मिली। १९८७ मे फ्रांस के अकादमे नॅशनॅल्य दे मेडेसीने ने को एक विशिष्ट चिकित्सा प्रणाली के रूप मे मान्यता दी। यह ध्यान देने योग्य तथ्य है कि हालाँकि फ्रेंच समाज मे मेसोथेरपिको त्वचा के कई तरह के विकारो का उपचार करने वाली विधा के रूप मे मान्यता मिल चुकी है फिर भी इसे कहीं भी प्लास्टिक सर्जरी के तहत अथवा उसके विकल्प के रूप मे इस्तेमाल नही किया जाता। इसके बावजूद युरोप और दक्षिण अमेरिका के कई सारे देशों मे मेसोथेरपि एक सफल चिकित्सा प्रणाली मानी जाती है और दुनिया भर मे लगभग १८,००० चिकित्सक इसका उपयोग करते है।

आलोचना

पाँच दशकों से मेसोथेरपि के लगातार प्रयोग के बाद भी कई सारे चिकित्सक मेसोथेरपि की उपयोगिता को संदिग्ध ही मानते है और उनका कहना है कि इस उपचार प्रणाली पर किए गये अध्ययन इसके प्रभावों के निर्धारण के लिए पर्याप्त नही है। यहाँ पर सबसे प्राथमिक समस्या यह है कि कृत्रिम सौंदर्य चिकित्सा के सन्दर्भ मे मेसोथेरपि की उपयोगिता के बारे मे किए गये नैदानिक प्रयोग "उच्च गुणवत्ता वाले' नही माने जाते। हालाँकि इस विधा को कई सारे दर्द निवारक उपचारों - खास कर टेनडनिटिस, टेंडन कलिसिफिकसन, दंत चिकित्सा, आर्त्राइटिस और ल्यमफ़ेदेमा आदि में - के रूप मे मान्यता मिल चुकी है। साथ ही कई सारे केस स्टडी और नैदानिक शोधपत्र भी कृत्रिम सौंदर्य चिकित्सा के मामले मे मेसोथेरपि के तहत प्रयोग किए जाने वाले अवयवों का अध्ययन कर चूक हैं।

अमेरिका के प्लास्टिक सर्जरी चिकित्सकों के संघ ने भी मेसोथेरपि को मान्यता देने से इनकार कर रखा है। परंतु इनके मान्यता न देने पर भी विवाद है क्यूंकी मेसोथेरपि शल्य चिकित्सा प्रणाली है ही नही और बिना चीरफाड़ के कृत्रिम सौंदर्य चिकित्सा की अपनी विशेषता के कारण एक तरह से यह प्लास्टिक सर्जरी के उपयोगकर्तायों के लिए एक चुनौती ही है।


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