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भारत में मातृ मृत्यु दर
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भारत में मातृ मृत्यु दर

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माता का अच्छा स्वास्थ्य परिवार और समाज के लिए अच्छा है।

मातृ मृत्यु दर, गर्भावस्था के दौरान या शिशु के जन्म के कारण माँ की मृत्यु के दर को कहा जाता है। मातृ मृत्यु दर महिला एवं बाल स्वास्थ्य की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। विभिन्न देशों और संस्कृतियों में मातृ मृत्यु के भिन्न-भिन्न कारण हैं, तथा इसका प्रभाव विभिन्न देशों/प्रदेशों के मातृ मृत्यु दरों में झलकता है। भारत में विभिन्न राज्यों और क्षेत्रों तथा महिला जनसांख्यिकीय स्तर पर भी इन दरों में सार्थक भिन्नता है।

रुग्णता के आधार पर

1980 से 2015 के बीच भारत में 1.5% मातृ मृत्यु का कारण एक्लंप्षण (इक्लेम्प्सिया) रहा है। यद्यपि इस बीमारी का अनुभव करने वाली महिलाओं की संख्या इस कालावधि में समान ही रही है, मगर इस कारन से मातृ मृत्यु की संख्या में हाल के समय में थोड़ी कमी आई है।

व्यापकता

सैंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम बुलेटिन - 2016 के अनुसार, भारत में 2013 से अनुपात मातृ मृत्यु के दरों में 26.9% की कमी दर्ज हुई है। यह दर 2011-2013 में 167 से घटकर 2014-2016 में 130 और 2015-17 में 122 दर्ज किया गया था। 2014-2016 के अंतिम सर्वेक्षण के आंकड़ों के बाद 6.15% की कमी दर्ज की गई।

मातृ मृत्यु अनुपात (प्रति 100000 जीवित जन्म) 2004-06 2007-09 2010-12 2011-13 2014-16
अखिल भारतीय दरें 254 212 178 167 130
असम 480 390 328 300 237
बिहार/झारखंड 312 261 219 208 165
मध्य प्रदेश/छत्तीसगढ़ 335 269 230 221 173
उड़ीसा 303 258 235 222 180
राजस्थान 388 318 255 244 199
उत्तर प्रदेश/उत्तराखंड 440 359 292 285 201
ईएजी और असम का पूर्ण योग 375 308 257 246 188
आंध्र प्रदेश 154 134 110 92 74
तेलंगाना 81
कर्नाटक 213 178 144 133 108
केरल 95 81 66 61 46
तमिलनाडू 111 97 90 79 66
दक्षिण का पूर्ण योग 149 127 105 93 77
गुजरात 160 148 122 112 91
हरियाणा 186 153 146 127 101
महाराष्ट्र 130 104 87 68 61
पंजाब 192 172 155 141 122
पश्चिम बंगाल 141 145 117 113 101
अन्य राज्य 206 160 136 126 97
अन्य का पूर्ण योग 174 149 127 115 93

राज्यों के स्तर पर मातृ मृत्यु दर

भारतीय राज्यों में ग्रामीण तथा शहरी महिलाओं हेतु मातृ स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ उठाने की दरें समान हैं। लेकिन भारत में कई ऐसे राज्य है जो आर्थिक तंगी से गुजर रहे है, जिसके कारण आज गरीबी ग्रस्त राज्यों में, शहरी महिलाएँ ग्रामीण महिलाओं की तुलना में स्वास्थ्य सेवाओं का अधिक लाभ उठा पाती हैं।

बीमारू राज्यों में मातृ मृत्यु दर सहित कई समस्याएँ देखी गई हैं।

असम

असम में मातृ मृत्यु दर सबसे अधिक है। असम में मातृ मृत्यु की उच्चतम दर चाय बागान की श्रमिकों में पाई गई हैं।

आंध्र प्रदेश

आंध्र प्रदेश में एक क्षेत्रीय कार्यक्रम द्वारा डॉक्टरों और नर्सों से स्थानीय लोगों के बीच मातृ मृत्यु के प्रमुख कारणों के बारे में जानकारी प्राप्त करने की कोशिश की गयी। प्राप्त जानकारी के अनुसार वहाँ मातृ मृत्यु विभिन्न कारणों से होती है, अतः कोई निश्चित एक कारण नहीं है। परंतु यदि क्लिनिकों को सामान्य कारणों की जानकारी होगी तो वे भविष्य में मातृ मृत्यु के रोकथाम के लिए बेहतर रूप से त्रियर रहेंगे

बिहार

अन्य राज्यों की तुलना में, बिहार में चिकित्सा सेवाएँ बेहतर हैं, जिसके कारण मातृ मृत्यु दर गर्भावस्था के दौरान या जन्म के बाद मृत्यु दर अन्य राज्यों की अपेक्षा यहाँ कम है।

पश्चिम बंगाल

ग्रामीण पश्चिम बंगाल में 2019 के सर्वेक्षण में बताया गया कि गर्भवती महिलाओं को समय पर अस्पताल ना पहुँचाये जाने से उनकी यह दर दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है, और ये तो सभी जानते हैं कि अगर गर्भावस्था के दौरान या जन्म के बाद महिला को समय पर क्लीनिक ना ले जाया जाए तो हालत गंभीर होने से समस्या अधिक बढ़ जाती है। कभी-कभी तो अधिक देरी के चलते मृत्यु भी हो जाती है।

कर्नाटक

दक्षिण भारत में कर्नाटक में मातृ मृत्यु दर सबसे अधिक है। जानकारी के मुताबिक साक्षात्कारों में, माताओं ने बताया कि आर्थिक तंगी और पैसे की कमी के कारण वो स्वास्थ्य सेवाओं का बेहतर उपयोग नहीं कर पाती हैं। इसके कारण उन्हें क्लिनिक पर जाने में देर हो जाती है क्योकि यहाँ सरकार की तरफ से गर्भवती महिलाओं के लिए क्लिनिक तक जाने के कोई संसधान मौजूद नहीं है।

उत्तर प्रदेश

सर्वेक्षणों में पाया गया है कि उत्तर प्रदेश की महिलाएँ जो अधिक शिक्षित हैं और आर्थिक रूप से सक्षम हैं, वे मातृ स्वास्थ्य सेवाओं का अधिक उपयोग करती हैं।

रोकथाम

2018 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भारत में हाल ही में हुए चार बदलावों पर ध्यान दिया, जिसके चलते पहले की अपेक्षा मातृ मृत्यु दर में काफी कमी आयी है:

  1. सरकार ने गर्भवती महिलाओं और नई माताओं के लिए स्वास्थ्य सेवा की उपलब्धता बढ़ाई है।
  2. जननी शिशु सुरक्षा कार्यकम जैसे वित्त कार्यक्रमों ने अस्पताल जाने में परिवहन और प्रसव की लागत के लिए भुगतान किया है। यह महिलाओं के लिए सरकार की तरफ से उठाया गया अच्छा कदम है।
  3. महिलाओं की शिक्षा में निवेश अन्य परिणामों के साथ स्वास्थ्य परिणामों में भी सुधार किया जा रहा है ताकि महिलाएं शिक्षित हों और उन्हें अपनी देखभाल करने में कोई परेशानी ना हो।
  4. सरकार निजी और सरकारी क्लीनिकों के बीच प्रधानमंत्री सुरक्षा अभियान कार्यक्रम के माध्यम से सहयोग को बढ़ावा दे रही है।

2017 से पहले सरकार ने मातृ मृत्यु दर पर ध्यान केंद्रित करते हुए रोकथाम के लिए एक योजना विकसित करने के लिए मृत्यु के कारणों के बारे में जाना था। 2017 में भारत सरकार ने मातृ मृत्यु दर के जोखिमों का पता लगाने के लिए अपने कार्यक्रमों में ध्यान केंद्रित किया और फिर मृत्यु को रोकने के लिए स्वास्थ्य सेवा में सुधार लाया जो वर्तमान में एक नयी मिसाल बनकर उबर सकती है।

2016 में, एक राष्ट्रीय सर्वेक्षण में यह पाया गया कि यदि कोई परिवार किसी महिला को मातृ मृत्यु के कारण खो देता है, तो घर की अन्य महिलाएँ गर्भावस्था के दौरान और प्रसव के बाद अधिक चिकित्सा सेवाओं की तलाश में रहती हैं क्योकि उन्हें अब इसके बारे में अच्छी जानकारी मिल चुकी होती है।

भारत में मातृ मृत्यु दर को प्रभावित करने वाली मुख्य सामाजिक कारक भारत में आय असमानता है। प्रसवोत्तर तथा प्रसवपूर्व अवधि में देखभाल तक पहुंच पाने का स्तर तथा महिला शिक्षा का स्तर अभी तक अच्छा नहीं है जिसके कारण आजकल यह स्थिति अधिक देखने को मिलती है। क्योंकि जो महिलाएँ अशिक्षित हैं, उन्हें अधिक ज्ञान नहीं होता है और वे सही ढंग से इस स्थिति में खुद को नहीं संभाल पाती हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में अभी स्वास्थ्य सेवाएं इतनी बेहतर स्तर पर नहीं हैं जितना की शहरी क्षेत्रों में हैं क्योंकि ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सेवा के लिए काफी दूर जाना पड़ता है, जबकि शहरों में ऐसी सेवाएँ नजदीक में ही मिल जाती हैं।

साथ ही, स्वास्थ्य नियंत्रण प्रणालियाँ जो मातृ मृत्यु दर को ट्रैक करती हैं, वे महिलाओं को अन्य समस्याओं की रिपोर्ट करने के लिए भी कह सकती हैं, जैसे कि अस्पताल के कर्मचारियों से अच्छे उपचार की कमी। महिलाओं को सामान्य सहायता सेवाएं प्रदान करने से स्वास्थ्य देखभाल के कई पहलुओं में सुधार हो सकता है।

सार्वजनिक स्वास्थ्य पहलें

भारत ने वर्ष 2000 से 2015 के बीच मातृ स्वास्थ्य में सुधार के लिए सहस्राब्दी विकास लक्ष्य में भाग लिया था।[कृपया उद्धरण जोड़ें]

भारत सरकार ने सुरक्षित वातावरण प्रदान करने के लिए विभिन्न सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े पहलों पर काम को शुरू किया है। इनमें से कुछ नीचे दिए गए महत्वपूर्ण बिंदु हैं जो आज गर्भावस्था के दौरान या जन्म के बाद मृत्यु दर को रोकने में काफी लाभदायक साबित हो रही हैं:

  • जननी सुरक्षा योजना (JSY),
  • प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (PMMVY)
  • प्रधानमंत्री सुरक्षा अभियान मैत्री अभियान (PMSMA)
  • पोषण अभियान और लक्ष्य

तथा सरकार ने सड़कों में सुधार करके और पीएचसी पर मुफ्त एम्बुलेंस सेवाएँ प्रदान करके देश के बुनियादी ढांचे में सुधार करने की पहल की है।

इतिहास

2018 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 2005 से भारत में देखी जानेवाली मातृ मृत्यु दर में भारी कमी के लिए बधाई दी।

इससे पहले, विभिन्न रिपोर्टों ने भारत में मातृ मृत्यु की उच्च दर का वर्णन किया था।

अन्वेषण

मातृ मृत्यु दर अध्ययन के लिए चुनौतीपूर्ण है क्योंकि इसमें कई असमानताएँ हैं। यह विभिन्न कारणों से हो सकता है, और इसे रिपोर्ट करना भी चुनौतीपूर्ण है। पूरे भारत में मातृ मृत्यु दर का पहला राष्ट्रीय स्तर पर द्योतक अध्ययन 2014 में हुआ था।

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