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बधिरता

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बाधिर्य या बधिरता की सांस्कृतिक और चिकित्सा संदर्भों में विभिन्न परिभाषाएँ है। चिकित्सा सन्दर्भ मे बाधिर्य का अर्थ श्रवण क्षति है जो एक व्यक्ति को बोली जाने वाली भाषा, एक स्थिति को समझने से रोकता है। यह बाद में एक सांस्कृतिक सन्दर्भ में उन लोगों को सन्दर्भित करने के लिए उपयुक्त होने लगा, जो श्रवण क्षमता की ध्यान के बिना मुख्य रूप से सांकेतिक भाषा के माध्यम से संवाद करते हैं। दो परिभाषाएँ अधिव्याप्त होती हैं, किन्तु समान नहीं हैं, क्योंकि श्रवण क्षति में ऐसे मामले शामिल हैं जो बोली जाने वाली भाषा की समझ को प्रभावित करने के लिए गम्भीर नहीं हैं, जबकि सांस्कृतिक बाधिर्य में बधिर वयस्कों के बच्चों जैसे सांकेतिक भाषा का उपयोग करने वाले लोगों को सुनना शामिल है।

परिचय

जब कोई व्यक्ति बोलता है, तो वह ध्वनि तरंगों के द्वारा हवा में एक कंपन पैदा करता है। यह कंपन कान के पर्दे एवं सुनने से संबंधित तीन हड्डियों - मेलियस, इन्कस एवं स्टेपीज के द्वारा आंतरिक कान में पहुंचता है और सुनने की नस द्वारा आंतरिक कान से मस्तिष्क में संप्रेषित होता है। इस कारण हमें ध्वनि का अहसास होता है। यदि किसी कारण से ध्वनि की इन तरंगों में अवरोध पैदा हो जाए, तो बहरापन हो जाएगा। यदि अवरोध कान के पर्दे या सुनने की हड्डियों तक सीमित रहता है तो इसे कन्डक्टिव डेफनेस (बहरेपन का एक प्रकार) कहते हैं। यदि अवरोध कान के आंतरिक भाग में या सुनने से संबंधित नस में है, तो इसे सेन्सरी न्यूरल डेफनेस कहते हैं।

सामान्य लक्षण

  • कान से सांय-सांय की आवाज अथवा तरह-तरह की आवाजें आना।
  • कान का भारी होना।
  • कान में दर्द होना, जो मोबाइल फोन के ज्यादा इस्तेमाल से बढ़ सकता है।
  • चक्कर आना।
  • व्यक्तित्व से संबंधित मानसिक परेशानियां।

कन्डक्टिव डेफनेस के कारण

  • कान का मैल या फंगस।
  • कान का बहना, जिसकी वजह से कान का पर्दा फट जाता है और उसमें छेद हो जाता है।
  • ओटोस्क्रोसिस - इस शिकायत में कान की अत्यंत सूक्ष्म हड्डी स्टेपीज और भी सूक्ष्म हो जाती है। इस कारण कम्पन आन्तरिक कान तक नहीं पहुंचता है। इस तरह का बहरापन सामान्यतया युवाओं में कान बहे बगैर भी हो सकता है।
  • कान पर जोर से झापड़ मारना, चोट लगना, या तेज ध्वनि के धमाके द्वारा कान का पर्दा फट सकता है। इस स्थिति में कान से खून आ सकता है। कान सुन्न हो जाता है अथवा उसमें सांय-सांय की आवाज आने लगती है। सिर भारी हो जाता है व चक्कर भी आ सकता है।

सेन्सरी न्यूरल बहरापनके कारण

  • पैदाइशी बहरापन, जो वंशानुगत अथवा पैदा होते समय बच्चे के देर से रोने पर खून में आक्सीजन की कमी के कारण अथवा कान के पूर्णतया विकसित न होने के कारण हो सकता है।
  • ध्वनि प्रदूषण जैसे तेज आवाज के जेनरेटर, पे्रशर हार्न, वाहनों द्वारा प्रदूषण से भी बहरापन हो सकता है।
  • अधिक उम्र की वजह से कान में शिथिलता आ जाना।
  • कभी-कभी कान में बहरापन एकदम से आ जाता है। इस स्थिति में शीघ्र ही नाक, कान, गला विशेषज्ञ से सम्पर्क करना चाहिए।

बाहरी कड़ियाँ


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