Продолжая использовать сайт, вы даете свое согласие на работу с этими файлами.
प्रागार्तव
प्रागार्तव (प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम) एक ऐसी समस्या हैं जों महिलाओं को हर महीने मासिक धर्म शुरू होने से कुछ दिन पहले प्रभावित करती हैं। इसके दौरान महिलाओं को शारीरिक और भावनात्मक कमजोरी महसूस होती हैं। हर महिला में लक्षण भिन्न हो सकते हैं, और रक्तस्त्राव के आसपास खत्म हो जाते हैं। मुहांसे, निविदा स्तन, सूजन, थकान, चिड़चिड़ाहट और मनोदशा में परिवर्तन इसके कुछ सामान्य लक्षणों में शामिल हैं। गर्भावस्था और रजोनिवृत्ति के दौरान यह लक्षण नहीं देखे जाते हैं। निदान के लिए अण्डोत्सर्ग के बाद होने वाले शारीरिक व भावनात्मक लक्षणों के एक सतत प्रतिरूप की आवशकता होती हैं, जों मासिक धर्म से पहले सामान्य जीवन में हस्तक्षेप करता हैं। मासिक धर्म चक्र के शुरूआती चरण में भावनात्मक लक्षण मौजूद नहीं होने चाहिए। कुछ महीनो तक लक्षणों की दैनिक सूची निदान में सहायक हो सकती हैं। अन्य विकार जिनके सामान लक्षण होते हैं, उन्हें निदान से पहले अलग करना जरूरी हैं। प्रागार्तव का कारण अज्ञात हैं। कुछ लक्षण मुख्य रूप से आहार में तेज नमक, शराब या कैफीन से बढ़ सकते हैं। ऐसा मन जाता हैं, अंतर्निहित तंत्र में हॉर्मोन के स्तर पर परिवर्तन चलता रहता हैं। हलके लक्षणों वाली महिलाओं को तनाव, कैफीन और कम नमक लेना चाहिए व व्यायाम को शामिल करना चाहिये। कुछ मामलो में कैल्शियम और विटामिन डी पूरक उपयोगी हो सकते हैं। "नाप्रोक्सेन" जैसे औषधि शारीरिक लक्षणों के लिए सहायक हैं। अत्यधिक गंभीर लक्षणों वाली महिलाओं में जन्म-नियंत्रण गोलिया (बर्थ-कण्ट्रोल पिल) या मूत्रवर्धक स्पिरोनोलैक्टोन (डाययूरेटिक स्पय्रोनोलेक्टोन) उपयोगी सिद्ध हो सकते हैं। लगभग ८०% महिलाओ में मासिक धर्म से पहले ये लक्षण पाए जाते हैं। यह लक्षण २०-३०% प्रीमेनोपोसल महिलाओं में प्रागार्तव की अहर्ता प्राप्त करते हैं। प्रीमेनस्ट्रियल डिस्फोरिक डिसऑर्डर (पीएमडीडी) प्रागार्तव (पीएमएस) का एक गंभीर रूप हैं जिसमे अधिक मनोवैज्ञानिक लक्षण शामिल होते हैं। यह ३-८ % प्रीमेनोपोसल महिलाओं में पाया जाता हैं। पीएमडीडी में सामान्य उपायों के अलावा चुनिंदा सेरोटोनिन रीपटेक इनहिबिटर कक्षा की एंटीड्रिप्रेसेंट दवा का उपयोग भी किया जा सकता है।
संकेत और लक्षण
लगभग २०० से अधिक लक्षण प्रागार्तव से जुड़े हुए हैं। सामान्य तौर पर भावनात्मक और गैर विशिष्ट लक्षणों में तनाव, चिंता, सिरदर्द, थकन, मूडस्विंग्स, भावनात्मक संवेदनशीलता में वृद्धि और सम्भोग की रुचि में परिवर्तन शामिल हैं। मासिक धर्म चक्र के दौरान शारीरिक लक्षणों में सूजन, पीठ के निचले हिस्सों में दर्द, पेट की ऐठन, कब्ज/दस्त, स्तनों में सूजन, चक्रीय मुहांसे, मांसपेशियों में दर्द व भूख की लालसा शामिल हैं। सटीक लक्षण और उनकी तीव्रता महिला से महिला, चक्र से चक्र और समय के साथ साथ भिन्न-भिन्न होती हैं। प्रीमेन्स्ट्रल सिंड्रोम वाली अधिकांश महिलाएं अपेक्षाकृत अनुमानित पैटर्न में केवल कुछ संभावित लक्षणों का अनुभव करती हैं।
कारण
प्रागार्तव ल्युटियल फेज से जुड़ा हुआ हैं परन्तु इसके कारण स्पष्ट नहीं हैं, इसमें कई कारक शामिल हैं। मासिक धर्म के दौरान अंतःस्राव (हॉर्मोन) में परिवर्तन एक महत्तवपूर्ण करक प्रतीत होता हैं और बदलते अंतःस्रावका स्तर कुछ महिलाओं को दूसरो की तुलना में ज्यादा प्रभावित करते हैं। मस्तिष्क में रासायनिक परिवर्तन, तनाव और भावनात्मक समस्याए जैसे बेदिली व न्यूनता (डीपरेशन) से पीएमएस नहीं होत, परन्तु इससे ये लक्षण और खराब हो सकते हैं। विटामिन और खनिजों के निम्न स्तर, उच्च सोडियम, शराब या कैफीन जल प्रतिधारण और सूजन जैसे लक्षणों को बढ़ा सकते हैं। पीएमएस (प्रागार्तव) उन महिलाओं में ज्यादा पाया जाता हैं जों २० के दशक के उत्तरार्ध और ४० के दशक के बीच में होती हैं, या जिनका एक बच्चा हो या जिनके परिवार के इतिहास में पोस्टपार्टम अवसाद या मूड डिसऑर्डर हुआ हो।
निदान
पीएमएस के निदान को सत्यापित करने के लिए कोई प्रयोगशाला परीक्षण या अद्वितीय शारीरिक निष्कर्ष नहीं हैं। इसकी तीन प्रमुख विशेषताएं हैं-
- महिला की मुख्य शिकायत आमतौर पर पीएमएस के भावनात्मक लक्षणों से जुड़े हो। महिला को पीएमएस तभी हो सकता हैं जब शारीरिक लक्षणों के साथ भावनात्मक लक्षण भी जुड़े हो।
- प्रीमेनस्टयूरल चरण के दौरान लक्षण अनुमानित रूप से प्रकट होते हैं, मासिक धर्म के दौरान शीघ्र ही खत्म या कम हो जाते हैं और कूपिक चरण (फोल्लीक्युलर चरण) के दौरान अनुपस्थित रहते हैं।
- रोज़ाना की ज़िन्दगी में हस्तक्षेप करने के लिए ये लक्षण काफी गंभीर हो सकते हैं।
हल्का पीएमएस आम हैं परन्तु ज्यादा गंभीर पीएमडीडी की कड़ी में शामिल हो जाता हैं।
प्रबंध
पीएमएस में कई उपचार की कोशिश की गयी हैं। आमतौर पर कम लक्षणों वाली महिलाओं में बढ़ते व्यायाम के साथ नमक, तनाव और कैफीन को कम करने की सिफारिश की जाति हैं। नाप्रोक्सेन जैसी औषधि शारीरिक लक्षणों को कम करने में सहायक हैं।
हताशरोधी
गंभीर पीएमएस के इलाज के लिए फ्लूक्साइटीन, सर्ट्रालीन जैसे एसएसआरआई का उपयोग किया जा सकता है। पीएमएस से ग्रस्त महिलाये केवल लक्षण होने वाले दिनों के दौरान ही दवाई ले सकती हैं। हालांकि मतली और कमजोरी जैसे दुष्प्रभाव अपेक्षाकृत आम हैं।
हार्मोनल दवाएं
हार्मोनल गर्भनिरोधक आमतौर पर प्रयोग किया जाता हैं, आम रूपों में संयुक्त मौखिक गर्भनिरोधक गोली और गर्भ निरोधक पैच शामिल हैं। प्रोजेसटरोन की सहायता बहुत मामलो में ली गयी हैं, परन्तु इसकी प्रभाविकता का सबूत अपर्याप्त हैं। गोनाडोट्रोपिन-रिलीजिंग हार्मोन एगोनिस्ट पीएमएस के गंभीर रूपों में उपयोगी हो सकते हैं लेकिन इनके अपने कुछ दुष्प्रभाव भी हैं।