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पुनर्बलन
ऐसी कोई क्रिया जो अनुक्रिया की संख्या में वृद्धि करती है पुनर्बलन (reinforcement) कहलाती है। मानव द्वारा सीखे हुए अधिकांशतः व्यवहार की व्याख्या हम क्रियाप्रसूत अनुबन्धन के सहयोग से कर सकते हैं। क्रियाप्रसूत अनुबन्धन में पुनर्बलन की निर्णायक भूमिका है। यह नकारात्मक या सकारात्मक हो सकता है।
सकारात्मक पुनर्बलन
स्किनर के प्रयोग में चूहा बार-बार लीवर दबाने की अनुक्रिया करता है और भोजन प्राप्त कर लेता है। इसे सकारात्मक पुनर्बलन कहते हैं। इस प्रकार एक सकारात्मक पुनर्बलन या पुरस्कार (उदाहरणार्थ भोजन, यौन-सुख आदि) वह प्रवृत्ति है जिससे उस विशिष्ट व्यवहार के प्रभाव को सीखने को बल मिलता है। सकारात्मक पुनर्बलन वह कोई भी उद्दीपन (स्टिमुलेशन) है जिसके माध्यम से उस विशिष्ट अनुक्रिया को आगे जाने का बल मिलता है। (उदाहरण- भोजन, लीवर के दबाने को बल प्रदान करता है।
नकारात्मक पुनर्बलन
नकारात्मक पुनर्बलन द्वारा एक बिल्कुल भिन्न प्रकार से अनुक्रिया की संख्या में वृद्धि की जाती है। मान लीजिए स्किनर बाक्स के अन्दर चूहे के पंजों पर प्रत्येक सेकेन्ड पर विद्युत आघात दिया जाता है। जैसे ही चूहा लीवर दबाता है विद्युत आघात दस सेकेन्ड के लिए रोक दिया जाता है।इससे चूहे की अनुक्रिया की संख्या में वृद्धि हो जाती है। इस विधि को नकारात्मक पुनर्बलन कहा जाता है जिसमें प्रतिकूल उद्दीपन का प्रयोग किया जाता है। (उदाहरण- गर्मी, विद्युत आघात, तेजी से दौड़ना आदि)। ‘नकारात्मक’ शब्द पुनर्बलन की प्रकृति को बताता है (विमुखी उद्दीपन)।यह पुनर्बलन है क्योंकि यह अनुक्रियाओं की संख्या में वृद्धि करता है। इस विधि को ‘पलायन’ अधिगम कहा गया क्योंकि चूहा अगर लीवर को दबाता है तो आघात से बच सकता है। दूसरे तरह के नकारात्मक पुनर्बलन के परिणामस्वरूप जो अनुबन्धन (कन्डीशनिंग) होता है उसे बचाव द्वारा (अवॉयडेन्स) सीखना कहा गया जिसमें चूहा लीवर दबाकर आघात से बच सकता है। पलायन या बचाव द्वारा सीखने में नकारात्मक पुनर्बलन का प्रयोग किया जाता है और प्राणी पलायन द्वारा इससे बच जाता है।
पुनर्बलन की अनुसूची
अनुक्रियाओं को पुनर्बलित कैसे किया जा सकता है? यह निरन्तर पुनर्बलन या आंशिक पुनर्बलन के प्रयोग से हो सकता है। निरन्तर पुनर्बलन में प्रत्येक उचित अनुक्रिया को पुनर्बलित किया जाता है। उदाहरण के लिये जितनी बार भी चूहा लीवर दबाता है उसे उतनी ही बार प्लेट में भोजन (पुनर्बलन) प्रस्तुत किया जाता है। वैकल्पिक तौर पर अनुक्रियाओं को कभी आंशिक या कभी रुकावट के साथ पुनर्बलित किया जाता है। निरन्तर पुनर्बलन के मिलने से नये व्यवहार स्थापित करने या सुदृढ़ करने में बहुत सहायता मिलती है। दूसरी तरफ आंशिक पुनर्बलन सीखे हुये व्यवहार को बनाये रखने में अधिक शक्तिशाली है।