Продолжая использовать сайт, вы даете свое согласие на работу с этими файлами.
पाद (क्रिया)
गुदामार्ग से आंत्रवायु (flatus) को बाहर निकालने की क्रिया को पादना कहते हैं और इसकी संज्ञा पाद (Flatulence) है।
पादने से क्या नुकसान, फायदे हैं?
पाद क्यों आता है?...
क्या केवल इंसान ही पादते हैं सभी या जीव-जंतु भी पादते हैं।
पादने वाले व्यक्ति को गन्दी निगाह से क्यों देखते हैं।।
क्या यह बात सही है कि amrutam कम्पनी द्वारा निर्मित जिओ माल्ट खाने से हजारों मरीजों को पाद की तकलीफ कम हो गई।
क्या ZEO Malt खाने से पेट की सभी बीमारी दूर हो जाती हैं।
इतने कम समय में देश-दुनिया में प्रसिद्धि पैने वाली amrutam कम्पनी कहां की है और इसकी महिला मालिक का नाम क्या है?
कितनी पेट में गैस बन जाता है रोज…हमारे यहाँ रोज कुछ खाने से गैस बनता है। अगर आपके पेट का पाचन मजबूत होताहै, तो भोजन पचकर शौचालय में के द्वारा बाहर निकलता है नहीं तो पेट में ही रहकर गैस के रूप में होता है। ये गैस आपके उस द्वार से बाहर निकलती है। इसे ही गैस रोग या गैस्टिक रोग कहते हैं। हमारे खानपान में कुछ खाद्य पदार्थ ऐसे होतें, जिन्हें पचने ज्यादा समय लगता है। जैसे- मूली, अरहर की दाल, उड़द की दाल, नमकीन दही, मैदा से निर्मित कचौड़ी-समोसे, जलेबी, इमरती, बैगन आदि।
पाद में बदबू क्यों आती है…बहुत सी चीजों में सल्फर होता है. जब शरीर इस सल्फर को तोड़ती है यानी पचाती है, तो हाइड्रोजन सल्फाइड (H2S) निकलती है। ये विशेष गन्ध युक्त होती है। सभी खमीर युक्त या सड़े हुए खाद्यों एवं अंडों में रहती है। अगर आपके भोजन सल्फर युक्त अधिक है, तो पाद से बदबू ज्यादा आएगी। अनेक तंदरुस्ती दायक खाने की चीज़ों के पचने पर हाइड्रोजन सल्फाइड पैदा होती है-
जैसे रेड मीट, पत्तागोभी, डेरी उत्पाद, बीन्स और हरी गोभी. इसलिए पाद में थोड़ी गंध हो, तो ये बुरा या अनचाहा कतई नहीं है. एक बात और है, H2S ज्वलनशील होती है।
पादने वाले को अपने पाद की बदबू अच्छी क्यों लगती है?…
जाने ये दुनिया किधर जा रही है। इंसान खुद पाद कर पूछता है, ये बदबू कहाँ से आ रही है।
सन 2014 में मेडिसिनल केमिस्ट्री कम्यूनिकेशन्स नाम के एक जर्नल में छपी यूनिवर्सिटी ऑफ एक्सटर की रिसर्च में ये दावा किया गया कि - पाद में हाइड्रोजन सल्फाइड की वजह से बदबू होती है। लेकिन इसे सूंघने से कोई हानि नहीं होती।
क्या पाद की बदबू सूंघना सेहत के लिए अच्छा होता है?…यह ज्वलनशील गैस दिमाग को राहत देती है। पाद की बदबू से मस्तिष्क की नाड़ियों को राहत मिलती है।
पाद के पद... नई पीढ़ी के नोजवान ध्यान देंवें की प्यार भी बदबूदार पाद की तरह होता है। पता नहीं कब छूट जाए।
पाद छोड़ने वालों से अच्छे तो आतंकी संगठन है, जो मारने के बाद जिम्मेदारी स्वीकारते हैं।
एक व्यक्ति ने मोमबत्ती बुझाने के लिए फूंक मारी, तो पाद निकल गया। ऐसा 5 से 7 बार हुआ तो उसने पोंद को पीछे कर बोला...ले, तू ही बुझा ले।
याद रखें -पादना भी जरूरी है। लेकिन प्रीतिपल न पादें....पाद को रोकना देह के लिए पीड़ादायक हो सकता है। इससे वात रोग प्रकट होते हैं। पाद अगर अधिक आये, तो जिओ माल्ट का नियमित सेवन करें।
amrutam ZEO Malt में मिलाया गया आंवला, हरड़ मुरब्बा, गुलकन्द, त्रिकटु, चतुरजात, मधुयष्टि, शंख भस्म आदि ओषधियाँ गैस विकार, कब्ज, पाचनतंत्र की खराबी, एसिडिटी आदि पेट की सभी बीमारियों को जड़ से मिटा देती है!
क्या पाद को पास होने से रोकना उचित है?…लंबे समय तक पाद या गैस को रोकने से ह्रदय पर स्ट्रोक का खतरा भी बढ़ सकता है। पाद पास करते हैं, तो इससे आपके पेट की सूजन कम होती है और आपका पाचन तंत्र सही तरीके से काम करने लगता है। पाद छोड़ने से ब्लोटिंग की समस्या दूर होती है और आप काफी आरामदायक महसूस करते हैं।
पाद से पाला प्रत्येक का प्रतिदिन पड़ता है। यह गंदा शब्द होने की वजह से पाद के बारे में कोई चर्चा नहीं करता।
पाद या पादना यह ‘असंसदीय’ भाषा है। पाद सदैव गुदाद्वार से बाहर निकलता है, जबकि डकार मुख से।
पादने से ज्यादा खतरनाक रोग है गैस की समस्या और इससे बड़े-बड़े CASH यानी पैसे वाले धनशाली लोग अधिक परेशान है। गैस की तकलीफ से इंसान के चेहरे की रंगत व भेष बदल जाता है।
पाद पसीना ला देता है, जब पार्टी में पादना पड़े…पाद या पादना है, तो बहुत बड़ी शर्मिंदा होने की बात, लेकिन पाद व्यक्ति को तन्दरुस्त रखता है।
दीमक सर्वाधिक पादता है…इस धरती पर मौजूद सभी जीव-जंतुओं में सबसे ज्यादा पाद दीमक (termites) मारता है। यह गाय से भी ज्यादा मिथेन छोड़ता है।
पाद के पतझड़ से बचने का उपाय…पाद, गैस, खट्टी डकार, अम्लपित्त, एसिडिटी की समस्या से निजात पाने के लिए मधुयष्ठी, हरड़ या हरीतकी मुरब्बा, गुलकन्द, जीरा, त्रिकटु, आंवला मुरब्बा, शंख भस्म सर्वोत्तम चिकित्सा है। पाद की परंपरा से पीछा छुड़ाने हेतु उपरोक्त ओषधियाँ से निर्मित दवाई का सेवन करें।
पाद की परंपरा कब से है..पाद, प्रकृति प्रदत्त व्यवस्था है इसे खुशबूदार नहीं बनाया जा सकता। बल्कि अगर अपने एक लाख रुपये का शरीर या कपड़ों पर इतर लगा रखा है और कोई व्यक्ति एक मूली खाकर पाद दे, आपके इत्र की कोई कीमत नहीं रह जायेगी।
पद एवं पाद की खासियत…पद और पाद दोनों में बहुत समानताएं हैं। यदि किसी को बड़ा पड़ मिल जाता है, हर कोई उसके पीछे भागता है, जबकि किसी ने पाद दिया, तो लोग उससे पीछा छुड़ा लेते हैं। पादना बहुत विशाल पीड़ा है……स्त्री हो या पुरुष को पाद आने की वजह है, उदर में सड़ता हुआ मल। यह परेशानी पाचन तंत्र की कमजोरी को दर्शाती है। जिन लोगों का पेट साफ नहीं रहता, कब्ज बनी रहती है, वे ही पाद की पीड़ा से पीड़ित होते हैं।
जब हम छोटे थे, तो कुछ बच्चे लड़कियों को यह कहकर चिढ़ाते थे कि- ओ मेरी साधना, धीरे-धीरे पादना। पाद की बीमारी से परेशान है नारी…बार-बार पाद पास करने से घर का वातावरण दूषित रहता है। इस कारण घर की नारियां बहुत चिड़चिड़ी हो जाती हैं। इनके मल में ज्यादा गन्दगी भी उन्हें नहीं सुहाती।
कुछ हमारे मनचले दोस्तों ने कभी गू पर एक शायरी लिखी थी, इसे हम शेयर कर रहे हैं…
यूं घूर कर न देख इस गू से भरी ट्राली को।
पता नहीं कितनी हसीनों के लेड़ें, बल खाये पड़े हैं।।
यह हाइड्रोजन सल्फाइड माइटोकॉन्ड्रिया को होने वाले नुकसान से बचाती है। माइटोकॉन्ड्रिया हमारे शरीर में मौजूद सेल का पावरहाउस होता है। शोध में संभावना जताई गई कि हाइड्रोजन सल्फाइड के माइटोकॉन्ड्रिया पर असर के बारे में और जानकारी इकट्ठा होने पर लकवे, अर्थराइटिस और दिल की बीमारी से शीघ्र फायदा होने लगेगा।
अमृतम दवाएं ऑनलाइन मंगवाने के लिए ऑर्डर करें-
amrutam.co.in