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तम्बाकू

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तम्बाकू
Tabak 9290019.JPG
पुष्पित निकोटियाना टैबैकम
वैज्ञानिक वर्गीकरण
जगत: पादप
अश्रेणीत: एन्जियोस्पर्म
अश्रेणीत: द्विबीजपत्री
अश्रेणीत: ऐस्टरिड्स
गण: सोलेनेल्स
कुल: सोलेनेसी
वंश: निकोटियाना
L.
प्रजाति

बहुत सी

तम्बाकू एक प्रकार से 7000 रसायनिक पदार्थ मिलाए जाते हैं निकोटियाना प्रजाति के पेड़ के पत्तों को सुखा कर नशा करने की वस्तु बनाई जाती है। दरअसल तम्बाकू एक मीठा जहर है, तंबाकू निकोटिया टैबेकम पौधे से प्राप्त किया जाता है। यह एक धीमा जहर की तरह धीरे -धीरे आदमी की जान ले लेता है। सरकार को भी शायद यह पता नहीं कि तम्बाकू से वह जितना राजस्व प्राप्त करती है, उससे ज्यादा तम्बाकू से उत्पन्न रोगों के इलाज पर खर्च किया जाता है। सबसे बड़ी बात तो यह है कि तम्बाकू के सेवन से जीवन शक्ति का ह्रास भी होता है। व्यक्ति को पता चल भी जाता है कि तम्बाकू का सेवन करना हानिकारक है किंतु बाद में लाख छुड़ाने पर भी यह लत नहीं छूटता है और धीरे-धीरे तंबाकू का सेवन करने वाले व्यक्ति का जीवन शक्ति भी कम होता जाता है और वह अपने आपको एक तरह से विनाश के हवाले कर देता है। तंबाकू खाने से मुंह के कैंसर की बीमारी का खतरा सबसे ज्यादा होता है।

भारत में इस्तेमाल किए जाने वाले तम्बाकू के प्रकार

यह सर्वविदित है कि पूरे संसार में तम्बाकू का दुरूपयोग सिगरेट के रूप में किया जाता है। भारत में इसका उपयोग अन्य रूप में भी किया जाता है। जैसे बीड़ी, हुक्का, गुल, गुड़ाकु, जर्दा, किमाम, खैनी, गुटखा आदि के रूप में। तम्बाकू का प्रयोग किसी भी रूप में किया जाए, इससे शरीर पर दुष्प्रभाव पड़ता ही है।

भारत में इस्तेमाल किए जाने वाले तम्बाकू कई प्रकार के होते है:-

धुंआरहित तम्बाकू
  1. तम्बाकू वाला पान
  2. पान मसाला
  3. तम्बाकू, सुपारी और बुझे हुए चूने का मिश्रण
  4. मैनपुरी तम्बाकू
  5. मावा
  6. तम्बाकू और बुझा हुआ चूना (खैनी)
  7. चबाने योग्य तम्बाकू
  8. सनस
  9. मिश्री
  10. गुल
  11. बज्जर
  12. गुढ़ाकू
  13. क्रीमदार तम्बाकू पाउडर
  14. तम्बाकू युक्त पानी
ध्रूमपान वाला तम्बाकू
तम्बाकू की फसल
Nicotiana × sanderae ornamental cultivar
  1. बीड़ी
  2. सिगरेट
  3. सिगार
  4. चैरट (एक प्रकार का सिगार)
  5. चुट्टा
  6. चुट्टे को उल्टा पीना
  7. धुमटी
  8. धुमटी को उल्टा पीना
  9. पाइप
  10. हुकली
  11. चिलम
  12. हुक़्क़ा

तम्बाकू के दुष्प्रभाव

तम्बाकू को जब गुल, गुड़ाकु,पान मसाला या खैनी, के रूप में प्रयोग करते है तो इसके कारण मुंह मे अनेक रोग उत्पन्न हो सकते है। सफेद दाग, मुँह का नहीं खुल पाना, तथा कैंसर रोग भी हो सकता है। बीड़ी-सिगरेट के पीने से शरीर में व्यापक प्रभाव पड़ता है। इसके कारण हृदय के धमनियों में रक्त प्रवाह कम हो सकता है। हृदय रोग जैसे मायोकोर्डियल इनफेक्शन तथा अनजाइना हो सकता है। रक्तचाप (ब्लड प्रेशर) बढ़ सकता है। साँस की बीमारी जैसे ब्रोंकाइटीस, दमा, तथा फेफड़ो का कैंसर हो सकता है। इसके अतिरिक्त इसका प्रभाव शरीर के स्नायुतंत्र में पड़ता है। इसकी और बहुत सी हानियाँ हैं।

किशोरावस्था में उत्सुकता वश या मित्रों के साथ इन पदार्थो का सेवन शुरू होता है फिर इसके नशा का आनन्द आने लगता है। इसकी मात्रा बढ़ाई जाती है। जो लोग बार-बार लोग इसका सेवन करते है, उनका शरीर इस मादक पदार्थ का आदी हो जाता है और फिर वह उसको छोड़ नहीं पाते। छोड़ने से कई प्रकार के लक्षण जैसे- बेचैनी, घबराहट होने लगती है। इस कारण लोग इसके आदी हो जाते है, उसी प्रकार जैसे लोग शराब या अन्य पदार्थों के आदी हो जाते है और जब कोई किसी पदार्थ का आदि हो जाए तो उसका नियमित सेवन उसकी बाध्यता हो जाती है।

सिगरेट बीड़ी छोड़ने के उपाय

सिगरेट पीने वाले सिगरेट द्वारा न केवल स्वयं को शारीरिक हानि पहुँचा रहे है बल्कि अप्रत्यक्ष रूप से (पैसिव स्मोंकिंग द्वारा) परिवार तथा बच्चों में भी तम्बाकू का विष पहुँचा रहे हैं। यह सब जानते हुए भी वह इनका सेवन बन्द नही कर पाते। जब भी वह इसका सेवन बंद करते है, तो उन्हें इतनी बेचैनी होती है कि वे उनका फिर से सेवन शुरू कर देते है।

इसके लिए आवश्यकता है कि व्यक्ति खुद को तैयार करे कि वह एक निश्चित दिन से धुम्रपान करना बंद कर देगा। इसकी घोषणा पूरे परिवार में कर दे। निश्चित दिन के पहले घर से सिगरेट पाउच, एशट्रे, आदि धुम्रपान वस्तुओं को फेंक दे। निश्चित दिन में धुम्रपान करना बंद कर दे। यदि धुम्रपान करने की इच्छा हो तो अपने को सांतवना दे। अधिक से अधिक पानी पीएँ। ऐसा करके आप धुम्रपान करना छोड़ सकते हैं। यह बहुत कुछ आपके इच्छा शक्ति पर निर्भर करता है।

खैनी, जर्दा खाना या गुल, गुड़ाकू का अधिक प्रयोग किसी भी तरह धुम्रपान के उपयोग से अलग नही है। यदि कोई इन पदार्थो को छोड़ना चाहे तो उसे भी स्वयं को तैयार कर इच्छाशक्ति द्वारा इन पदार्थों के आदतों से मुक्ति पा सकते हैं।

जब कोई व्यक्ति चाह कर भी तम्बाकू तथा उससे संबंधित मादक पदार्थ बंद नही कर पाये और यदि वह इस विषय में बहुत गंभीर है तो इसके लिए सी. आई. पी. आदि कई संस्थानों में नशाबंदी के लिए विशेष सुविधा है। इसमें मनोवैज्ञानिक रूप से रोगियों को तैयार किया जाता है तथा उचित औषधियों तथा व्यवहार चिकित्सा द्वारा इसका इलाज किया जाता है।

इन्हें भी देखें

बाहरी कड़ियाँ


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