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तंत्रिकार्ति
तंत्रिकार्ति या तंत्रिकाशूल या स्नायुशूल (Neuralgia) का अर्थ है किसी संवेदी तंत्रिका के विभाग में वेदना (दर्द) होना। इससे तंत्रिकामूल या तंत्रिकाप्रकांड में क्षति, प्रदाह या क्षोभ होना लक्षित होता है। वेदना जलन, भोंकने, काटने, फटने तथा उत्स्फोटक जैसी हो सती है, या झुलझुली, जड़ता या मीठे दर्द का रूप भी ले सकती है। विशेष अंगों के तंत्रिकाशूल का रोगी कभी कभी अपंग भी हो जाता है।
त्रिधारा तंत्रिकाशूल, या समूचे या आधे चेहरे, (मुख्यत: जबड़े और जीभ में) इस प्रकार का दर्द प्राय: हुआ करता है। इसमें रोगी को असह्य यातना हाती है और दिन में कई बार बहुत ही वेदना के दौरे हुआ करते हैं। इस पीड़ा का आरंभ ठंढे पानी से मुँह धोने पर, या खाना चबाते समय मुँह के किसी विशेष बिंदु (trigger point) के स्पर्श से, बात करने से या बिना किसी प्रत्यक्ष कारण के ही, हो जाता है। यह पीड़ा जलन या भोंकने जैसी होती है।
गृध्रसी में कमर के पीछे से लेकर नितंब के पृष्ठ भाग और जांघ से लेकर पैर की एड़ी तक दर्द होता है। यह दर्द इतना तीब्र हो सकता है कि रोगी खड़ा न हो सके और चल फिर न से। ऐसी अवस्था में पैरों के नीचे तकिया लगाकर लेटे रहना पड़ता है। जब ऐसा ही दर्द हाथ की उँगलियों, हथेली या बाँह में होता है तब उसे 'बाहुक तंत्रिकाशूल' कहते हैं।
कुछ वर्ष पुराने मधुमेह (diabetes mellitus) में बहुधा शरीर के सभी अंगों में, विशेषकर टाँगों और पैरों में, झुनझुनी के साथ तीब्र जलनवाला दर्द होता है। यह दर्द इतना तीव्र होता है कि रोगी ठीक से सो या चल फिर नहीं सकता। बहुधा इसका उपचार भी अति कठिन होता है।
इन्हें भी देखें
बाहरी कड़ियाँ
- Good Pictures of the affected nerves
- The Facial Pain Association
- Medical Information
- Information on post-herpetic neuralgia
- Mayo Clinic on post-herpetic neuralgia
- Mayo Clinic on Trigeminal Neuralgia
- Atypical Neuralgia
- Medical Information on Atypical Neuralgia
- Interesting website of Dr. Ramin Naraghi on neurovascular compression syndromes (NVC)