डिम्बग्रंथि
| डिम्बग्रंथि ओवरी' | |
|---|---|
| लैटिन | ओवैरियम |
| ग्रे की शरीरिकी | subject #266 1254 |
| धमनी | डिम्बग्रंथीय शिया, गर्भाशय शिरा |
| शिरा | डिम्बग्रंथीय धमनी |
| तंत्रिका | डिम्बग्रंथि जालिका |
| लसिका | कटि लसीका पर्व |
| एमईएसएच | {{{MeshNameHindi}}} |
| डोर्लैंड्स/एल्सीवियर | Ovary |
डिम्बग्रंथि स्त्री जननांग या स्त्री प्रजनन प्रणाली का एक भाग हैं। महिलाओं में गर्भाशय के दोनों ओर डिम्बग्रंथियां होती है। यह देखने में बादाम के आकार की लगभग ३.५ सेमी लम्बी और २ सेमी चौड़ी होती है। इसके ऊपर ही डिम्बनलिकाओं कि तंत्रिकाएं होती है जो अंडों को अपनी ओर आकर्षित करती है। डिम्बग्रंथियों का रंग गुलाबी होता है। उम्र बढ़ने के साथ-साथ ये हल्के सफेद रंग की हो जाती है। वृद्वावस्था में यह सिकुड़कर छोटी हो जाती है। इनका प्रमुख कार्य अंडे बनाना तथा उत्तेजित द्रव और हार्मोन्स बनाना होता है। डिम्बग्रंथियों के मुख्य हार्मोन्स ईस्ट्रोजन और प्रोजैस्ट्रोन है। माहवारी (मासिक-धर्म) स्थापीत होने के पूर्व इसका कोई काम नहीं होता है। परन्तु माहवारी के बाद इसमें प्रत्येक महीने डिम्ब बनते और छोड़े जाते है, जो शुक्राणुओं के साथ मिलकर गर्भधारण करते है।
डिम्बवाहिनियां
डिम्बवाहिनियां गर्भाशय के ऊपरी भाग के दोनों ओर से निकलती है तथा दोनों तरफ कूल्हे की हडिड्यों तक जाती है। इनकी लम्बाई लगभग 10 सेमी और मोटाई लगभग आधा सेमी तक लम्बी होती है। दोनों ओर इसका आकार एक कीप की तरह का होता है। इस कीप का अंतिम छोर लम्बी-लम्बी अंगुलियों की तरफ होता है जिसको तंत्रिकाएं कहते है। इनका प्रमुख कार्य डिम्बग्रंथियों से निकले अंडे को घेरकर उसे वाहिनियों मे भेजना होता है। यह नलियां मांसपेशियों से बनी, तथा इनके अंदर की दीवार एक झिल्ली की बनी होती है जिसको म्यूकस झिल्ली कहते है।
डिम्बग्रंथियों से पकड़े अंडे, वाहिनियों के आगे के भाग में जाकर रूकते है। जहां ये पुरूष के शुक्राणु के साथ मिलकर एक नये जीवन का निर्माण होता है। स्त्री जनन अंग में इस संरचना को जाइगोट कहते है। जाइगोट के चारों तरफ एक खास परत उत्पन्न होती है।