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टिण्डल प्रभाव
जब प्रकाश किसी कोलायडी(chemical mixture) माध्यम से होकर गुजरता है तो प्रकाश का प्रकीर्णन होता है तथा प्रकाश का मार्ग दिखाई देने लगता है, प्रकाश की इस घटना को ही टिंडल प्रभाव कहा जाता है।
किसी कोलायडी विलयन में उपस्थित कणों द्वारा प्रकाश का प्रकीर्णन होने की परिघटना टिण्डल प्रभाव (Tyndall effect) कहलाती है। यह प्रभाव छोटे-छोटे निलम्बित कणों वाले विलियन द्वारा भी देखा जा सकता है। टिण्डल प्रभाव को 'टिंडल प्रकीर्णन' (Tyndall scattering) भी कहा जाता है। इस प्रभाव का नाम १९वीं शताब्दी के भौतिकशास्त्री जॉन टिण्डल के नाम पर पड़ा है। टिण्डल प्रकीर्णन, इस दृष्टि से रैले प्रकीर्णन (Rayleigh scattering), जैसा ही है कि प्रकीर्ण प्रकाश की तीव्रता प्रकाश के आवृत्ति के चतुर्थ घात के समानुपाती होता है। नीला प्रकाश, लाल प्रकाश की तुलना में बहुत अधिक प्रकीर्ण होता है क्योंकि नीले प्रकाश की आवृत्ति अधिक होती है।