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झाग
झाग या फेन वह वस्तु होती है जो द्रव या ठोस में गैस के बुलबुलों को फँसाने से प्राप्त होती है। साबुन को पानी में मिलाने से बना झाग (फ़ोम) इसका सबसे आम उदाहरण है। पर यह शब्द इस जैसी अन्य घटनाओं के लिए भी प्रयोग किया जा सकता है जैसे क्वांटम फेन। द्रव के बने फेन को कलिल (कोलाइड) का एक प्रकार भी माना जा सकता है। जब ऐसे द्रव को जमा दिया जाता है तो ठोस बनता है जो फेन का यथावत हिमीकृत रूप होता है। ऐसे ठोस फेन के उदाहरणों में फेनित अल्युमीनियम का नाम लिया जा सकता है (चित्र दाहिनी ओर दिया गया है)। ठोस में गैस के बुलबुलों से बने झाग के एक अन्य उदाहरण के रूप में खाने की वस्तु पाव (ब्रेड) बहुधा प्रयुक्त होती है। फ़ोम रासायनिक कारखानों का एक आम सह-उत्पाद है जो अक्सर अवांछित होता है। सिलिकोन तेल एक साधारण विफेनक है जो फेन को अवांछित तरल में बनने से रोकता है।
20 वीं सदी की शुरुआत से, विशेष रूप से निर्मित ठोस फेन, विभिन्न प्रकार के प्रयोग में आने शुरु हो गये थे। इन फेनों के कम घनत्व के कारण इन्हें उष्मा कुचालक और प्लवन उपकरणों बनाने में प्रयुक्त किया गया और इनके कम भार और संपीडकता के चलते यह पैकिंग और भराई पदार्थ के रूप में आदर्श बन गये। कुछ तरल फेन को, अग्नि रोधक फेन भी कहते हैं और इनका प्रयोग आग बुझाने, विशेष रूप से तेल की आग को बुझाने में किया जाता है।
फेन की संरचना
फेन की संरचना में बुलबुलों तथा द्रव द्वारा घेरे गए आयतन का अनुपात महत्वपूर्ण होता है। सतही तनाव के सिद्धांत के अनुसार मुक्त बुलबुलों का आकर गोलीय होना चाहिए, पर आम तौर पर झाग में बुलबुलों का आकार अनियमित होता है पर यदि उनको गोले के रूप में देखा जाए तो गोले का व्यास (या त्रिज्या) और आपसी दूरियाँ फेन की संरचना को पारिभाषित करती है।
फेन को संरचना के आधार पर दो प्रकारों में विभक्त किया जा सकता है - खुले बुलबुले तथा बंद बुलबुले वाले। खुले बुद्रुद प्रकार के फेन में बुलबुले हमेशा बंद नहीं होते बल्कि एक तरफ़ से खुले होते हैं और पड़ोसी बुलबुले से जुड़े हुए रहते हैं। ऐसे फेन प्रायः नरम होते हैं। दूसरे प्रकार के बुद्रुद में बुलबुले बंद होते हैं यानि वे दूसरों से जुड़े नहीं होते। बंद बुद्रुद वाले फेन में द्रव (या ठोस) की मात्रा अधिक होती है और इनका संपीडक मजबूती अधिक होती है। ऐसे फेन में अक्सर एक विशेष प्रकार की गैस भरकर उनको अति-कुचालक के रूप में प्रयोग किया जाता है।