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जगत (जीवविज्ञान)

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जगत जीववैज्ञानिक वर्गीकरण की एक ऊँची श्रेणी है और एक जगत में कई जीव संघ शामिल होते हैं

जगत (अंग्रेज़ी: kingdom, किंगडम) जीववैज्ञानिक वर्गीकरण में जीवों के वर्गीकरण की एक ऊँची श्रेणी होती है। आधुनिक जीववैज्ञानिक वर्गीकरण में यह श्रेणी संघों (फ़ायलमों) से ऊपर आती है, यानि एक जगत में बहुत से संघ होते हैं और बहुत से संघों को एक जीववैज्ञानिक जगत में संगठित किया जाता है।

छह जगत

आधुनिक काल में अमेरिकी पाठ्यक्रमों में सभी जीवों को छह जगतों में विभाजित किया गया है -

  • ऐनीमेलिया (Animalia), जिसे हिन्दी में 'जंतु' कहते हैं - यह जानवरों का जगत है
  • पादप (Plantae), यह पौधों का जगत है।
  • फफूंद (Fungus), जिसे हिन्दी में 'कवक' या 'फफूंद' कहते हैं - सभी कुकुरमुत्ते इस जगत में आते हैं
  • प्रोटिस्टा (Protista), जो एक कोशिका (सेल) वाले यह बहु-कोशिका वाले सरल जीव होते हैं - इसमें प्रजीवगण शामिल हैं, मसलन प्लासमोडियम नामक कीटाणु (जो मलेरिया की बिमारी का कारण होता है) और अमीबा
  • प्राच्य (Archaea), जो एक कोशिका वाले ऐसे जीव होते हैं जिनमें केन्द्रक (न्यूक्लियस) नहीं होता
  • जीवाणु (Bacteria)

अलग देशों में अक्सर इन जगतों की परिभाषाएँ अलग होती हैं। उदाहरण के लिए ब्रिटेन में कभी-कभी केवल पाँच जगत माने जाते हैं। जीववैज्ञानिक वर्गीकरण में जगत से ऊपर अधिजगत (डोमेन, domain) की श्रेणी आती है और इन छह जगतों को उनमें इस प्रकार संगठित किया जाता है -


जीवन

अधिजगत जीवाणु (Domain Bacteria)

जगत जीवाणु (Kingdom Bacteria)





अधिजगत प्राच्य (Domain Archaea)

जगत प्राच्य (Kingdom Archaea)





अधिजगत युकार्या (Domain Eukarya)

जगत प्रोटिस्टा (Kingdom Protoctista या Kingdom Protista)



जगत प्लांटाए या पादप (Kingdom Plantae)



जगत फफूंद या फफूंद (Kingdom Fungi)



जगत ऐनीमेलिया या जंतु (Kingdom Animalia)







Sumrita

जीववैज्ञानिक जगतों के औपचारिक नाम अक्सर लातिनी भाषा में होते हैं क्योंकि जीववैज्ञानिक वर्गीकरण की प्रथा १७वीं और १८वीं सदियों में यूरोप में शुरू हुई थी और उस समय वहाँ लातिनी ज्ञान की भाषा मानी जाती थी। यह रिवायत अभी तक चलती आई है। आधुनिक काल में इस्तेमाल होने वाली वर्गीकरण व्यवस्था १८वीं शताब्दी में कार्ल लीनियस नामक स्वीडी वैज्ञानिक ने की थी।

उदाहरण

इन्हें भी देखें


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