Мы используем файлы cookie.
Продолжая использовать сайт, вы даете свое согласие на работу с этими файлами.

ग्लीसरीन

Подписчиков: 0, рейтинг: 0
Glycerin Skelett.svg
Glycerol-3D-balls.png

ग्लिसरिन या ग्लीसरॉल (glycerin or glycerine or Glycerol / CH2OH.CHOH.CH2OH) एक कार्बनिक यौगिक है। यह तेल और वसा में पाया जाता है। यह रंगहीन, गंधहीन एवं श्यान द्रव है जिसका प्रयोग औषधि निर्माण में बहुतायत से होता है। ग्लिसरॉल का उपयोग मनुष्य अपने त्वचा पर लगाने में उपयोग करता है ग्लिसरॉल

रॉल तीन जलप्रेमी (hydrophilic) समूह होते हैं जो इसकी जल में विलेयता के लिये उत्तरदायी हैं तथा इन्हीं हाइड्रॉक्सिल समूहों के कारण ही यह यह नमी-शोषक (hygroscopic) होता है। ग्लिसरॉल बहुत से लिपिड्स का मुख्य घटक है। यह स्वाद में मीठा-मीठा एवं कम विषाक्तता (toxicity) वाला होता है।

परिचय

साबुन और वसा अम्लों के निर्माण में तेल और वसा का साबुनीकरण से उपजात के रूप में ग्लिसरिन प्राप्त हो सकता है। तेल और वसा को यदि अति-तप्त भाप से विघटित किया जाय तो अपेक्षया शुद्ध ग्लिसरिन प्राप्त होता है। शर्कराओं के डाइ-सोडियम सल्फाइट की उपस्थिति में यीस्ट द्वारा किणवन से ऐल्कोहल के साथ-साथ ग्लिसरिन अच्छी मात्रा में प्राप्त हुआ है। इसमें कुछ ऐसिटैल्डीहाइड, दश प्रतिशत तक, बनता है। शर्कराओं का 20 से 25 प्रतिशत ग्लिसरिन में परिणत हो जाता है।

तेल और वसा के साबुनीकरण द्वारा साबुन के निर्माण में उपजात के रूप में एक जलीय विलयन प्राप्त होता है, जिसे "मीठा जल" कहते हैं। मीठा जल को हड्डी के कोयले से उपचारित कर भाप द्वारा आसवन से जो जलीय असुत प्राप्त होता है उसके सांद्रण से शुद्ध ग्लिसरिन प्राप्त हो सकता है। पर ऐसा ग्लिसरिन विस्फोटक के लिये अच्छा नहीं समझा जाता। अति तप्त भाप के विघटन से अथवा शर्कराओं के किण्वन से प्राप्त ग्लिसरिन ही विस्फोटक के लिये उत्तम होता है।

ग्लिसरिन का संश्लेषण भी प्रयोगशालाओं में हुआ है। उससे निश्चित रूप से पता लगता है कि यह ऐल्कोहल वर्ग का यौगिक है और इसमें तीन हाइड्राक्सिल समूह विद्यमान हैं (ऊपर का सूत्र देखें)। इससे इसके संघटन में कोई संदेह नही रह जाता।

ग्लिसरिन तेल सा गाढ़ा पारदर्शक द्रव है। स्वाद में मीठा होता है। 15 डिग्री सें. पर इसका आपेक्षिक गुरुत्व 1.265 है। सामान्य दबाव पर यह 290 डिग्री सें. पर और 12 मि. मी. दबाव पर 170 डिग्री सें. पर उबलता है। 0 डिग्री सें. पर यह धीरे धीरे जमकर ठोस पारदर्शक मणिभ रूप में हो जाता है, जो 17 डिग्री 0 सें. पर पिघलता है। जल और ऐल्कोहल में यह पूर्ण मिश्रय होता है, पर ईथर में अविलेय।

क्षार और धातुओं के हाइड्राक्साइडों के साथ यह ग्लिसरेट बनाता है और अम्लों के साथ एस्टर। तेल और वसा ग्लिसरिन और वसा-अम्लों के एस्टर हैं। नाइट्रिक अम्ल के साथ यह नाइट्रिक अम्ल का एस्टर बनाता है, जिसे अशुद्ध नाम नाइट्रो-ग्लिसरिन दिया गया है। वस्तुत: यह नाइट्रो यौगिक नहीं है। नाइट्रो-ग्लिसरिन बड़े महत्व का यौगिक है। यह बड़ी मात्रा में विस्फोटकों के निर्माण में प्रयुक्त होता है। ग्लिसरिन का अधिक भाग इसी में खपता है। थोड़ी मात्रा में नाइट्रो-ग्लिसरिन औषधियों और विषनिर्माण में भी प्रयुक्त होता है।

ग्लिसरिन की एक विशेषता इसका न सूखना है। जिस पदार्थ में यह डाला जाता है, वह वायु में सदा भीगा ही रहता है। इस कारण इसका उपयोग जूते तथा फाउंटेन पेन, डुप्लिकेटर, ठप्पे और मुद्रण की स्याहियों तथा प्लास्टिक आदि बनाने में होता है।

खाद्य सामग्रियों और पेयों के संरक्षण में भी ग्लिसरिन बहुमूल्य सिद्ध हुआ है। चमड़ा ग्लिसरिन को पूर्णतया अवशोषित कर लेता है। इस कारण मलहम, चर्मलेप, कांतिवर्धक अंगराग, प्रसाधन पाउडर आदि में इसका व्यवहार होता है। ब्रेक और जलीय प्रेसों में जल के स्थान पर ग्लिसरिन का उपयोग होता है। गैसमीटर में यह भरा जाता है। ग्लिसरिन और पानी का विलयन न जल्द जमता है और न जल्द उद्वाषित होता है। इस कारण वायुयानों में प्रतिहिमायक द्रव के रूप में इसका व्यवहार होता है। वस्त्रव्यवसाय में भी कुछ ग्लिसरिन खपता है।

बाहरी कड़ियाँ

कार्बन के रासायनिक यौगिकों को कार्बनिक यौगिक कहते हैं। प्रकृति में इनकी संख्या 10 लाख से भी अधिक है। जीवन पद्धति में कार्बनिक यौगिकों की बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका है। इनमें कार्बन के साथ-साथ हाइड्रोजन भी रहता है। ऐतिहासिक तथा परंपरा गत कारणों से कुछ कार्बन के यौगकों को कार्बनिक यौगिकों की श्रेणी में नहीं रखा जाता है। इनमें कार्बनडाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड प्रमुख हैं। सभी जैव अणु जैसे कार्बोहाइड्रेट, अमीनो अम्ल, प्रोटीन, आरएनए तथा डीएनए कार्बनिक यौगिक ही हैं। कार्बन और हाइड्रोजन के यौगिको को हाइड्रोकार्बन कहते हैं। मेथेन (CH4) सबसे छोटे अणुसूत्र का हाइड्रोकार्बन है। ईथेन (C2H6), प्रोपेन (C3H8) आदि इसके बाद आते हैं, जिनमें क्रमश: एक एक कार्बन जुड़ता जाता है। हाइड्रोकार्बन तीन श्रेणियों में विभाजित किए जा सकते हैं: ईथेन श्रेणी, एथिलीन श्रेणी और ऐसीटिलीन श्रेणी। ईथेन श्रेणी के हाइड्रोकार्बन संतृप्त हैं, अर्थात्‌ इनमें हाइड्रोजन की मात्रा और बढ़ाई नहीं जा सकती। एथिलीन में दो कार्बनों के बीच में एक द्विबंध (=) है, ऐसीटिलीन में त्रिगुण बंध (º) वाले यौगिक अस्थायी हैं। ये आसानी से ऑक्सीकृत एवं हैलोजनीकृत हो सकते हैं। हाइड्रोकार्बनों के बहुत से व्युत्पन्न तैयार किए जा सकते हैं, जिनके विविध उपयोग हैं। ऐसे व्युत्पन्न क्लोराइड, ब्रोमाइड, आयोडाइड, ऐल्कोहाल, सोडियम ऐल्कॉक्साइड, ऐमिन, मरकैप्टन, नाइट्रेट, नाइट्राइट, नाइट्राइट, हाइड्रोजन फास्फेट तथा हाइड्रोजन सल्फेट हैं। असतृप्त हाइड्रोकार्बन अधिक सक्रिय होता है और अनेक अभिकारकों से संयुक्त हा सरलता से व्युत्पन्न बनाता है। ऐसे अनेक व्युत्पंन औद्योगिक दृष्टि से बड़े महत्व के सिद्ध हुए हैं। इनसे अनेक बहुमूल्य विलायक, प्लास्टिक, कृमिनाशक ओषधियाँ आदि प्राप्त हुई हैं। हाइड्रोकार्बनों के ऑक्सीकरण से ऐल्कोहॉल ईथर, कीटोन, ऐल्डीहाइड, वसा अम्ल, एस्टर आदि प्राप्त होते हैं। ऐल्कोहॉल प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक हो सकते हैं। इनके एस्टर द्रव सुगंधित होते हैं। अनेक सुगंधित द्रव्य इनसे तैयार किए जा सकते हैं। इसी प्रकार ग्लीसरीन को भी विभिन्न प्रयोगों में लिया जा सकता है।


Новое сообщение