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गतिप्रेरक
गतिप्रेरक (अंग्रेज़ी:पेसमेकर) एक ऐसा छोटा उपकरण है, जो मानव हृदय के साथ ऑपरेशन कर लगाया जाता है और मुख्यतः ह्रदय गति को नियंत्रित करने में मदद करता है। इसके द्वारा किये गये प्रमुख कार्यों में ह्रदय गति को उस समय बढ़ाना, जब यह बहुत धीमी हो एवं उस समय धीमा करना, जब यह बहुत तेज़ हो आते हैं। इनके अलावा हृदय गति के अनियमित होने की दशा में ह्रदय को नियन्त्रित रूप से धड़कने में मदद भी करता है। पेसमेकर को सर्जरी के द्वारा छाती में रखा जाता है। लीड नामक तारों को ह्रदय की मांसपेशी में डाला जाता है। बैटरी वाला यह उपकरण कंधे के नीचे त्वचा के भीतर रखा जाता है। इसे लगाने के ऑपरेशन उपरांत रोगी को घर ले जाने के लिये परिवार का कोई वयस्क सदस्य या मित्र उसके साथ आना चाहिए। रोगी के लिये उस समय वाहन चलाना या अकेले वापस जाना सुरक्षित नहीं है। रोगी को अपनी शल्य-क्रिया के बाद पहले दिन किसी वयस्क को घर मे अपने साथ ठहराना चाहिये। इसकी सर्जरी में १-२ घंटे लगते हैं। एक ऐसा ही पेसमेकर उन लोगों के मस्तिष्क के लिए भी बनाया गया है, जिनके हाथ पैर ठीक से काम नहीं करते हैं।
स्थापन
तैयारी
यदि रोगी रक्त को पतला करने वाले पदार्थ लेते है या यदि उन्हें मधुमेह है, तो चिकित्सक से पहले परामर्श ले लेना चाहिये। सर्जरी से पहले मध्य रात्रि के बाद पानी सहित कुछ भी न खाना चाहिये न पीना। यदि कोई नियमित दवाएं ली जाती हैं तो रोगी को अपने चिकित्सक से स्थापन के दिन के लिये पहले से पूछ लेना चाहिये कि उस सुबह अपनी दवाएँ लेनी हैं या नहीं। उनके परामर्श के बाद भी केवल पानी की चुस्कियों के साथ लेनी चाहिये।
सर्जरी
पेसमेकर लगाने के आपरेशन में रोगी की बाँह में नस में एक इंट्रावीनस (आई.वी.) नली डाली जाती है। फिर नींद लाने के लिये आई.वी. के माध्यम से दवाएँ दी जाती है। गर्दन या सीने को साफ़ किया जाता है और पुरूषों के सीने के बाल काटे जाते हैं। त्वचा को सुन्न किया जाता है व तार की लीडें ह्रदय की मांसपेशी में रखी जाती है। प्रत्येक तार का दूसरा सिरा पेसमेकर से जोडा जाता है। पेसमेकर त्वचा के नीचे एक छोटे से स्थान में रखा जाता है। चीरों को टांको से बंद कर दिया जाता है। दोनो जगहों को पट्टियों या टेप के टुकडे से ढ़का जाता है। अस्पताल में रोगी की प्रभावित जगह पर बर्फ़ की पोटली रखी जा सकती है। रक्तचाप, ह्रदय गति और चीरों की बार-बार जाँच की जाती है। बिस्तर के सिरहाने को उठा दिया जाता है। यहां ये ध्यानयोग्य है कि रोगी को बाँह को उस तरफ़ अपने सिर से ऊपर नहीं उठाना चाहिये जिस तरफ़ पेसमेकर रखा हो। फ़ेफ़डों और पेसमेकर की जाँच करने के लिये उनके सीने का एक्स-रे किया जाता है। संक्रमण रोकने के लिये आई.वी. में प्रतिजैविक दवाएँ दी जाती है।
घर में भी रोगी को जिस तरफ़ पेसमेकर लगा हो, उस तरफ़ की बाँह को कम हिलाना-डुलाना चाहिये। इस बाँह को सिर से ऊपर नहीं उठाना चाहिये। १० पाउंड या ४ किलोग्राम से भारी किसी भी चीज़ को धकेलना, खींचना या उठाना नहीं चाहिये। नहाते हुए पानी को चीरों के ऊपर गुजरने दे, पर जगह को रगडें नहीं थोड़ी-थोड़ी थपकी देकर सुखाएं। चीरों के स्थान पर किसी लोशन या पाउडर का उपयोग न करें।
सावधानियां
रोगी दन्त- चिकित्सक सहित अपने सभी स्वास्थ्य देखभाल प्रदानकर्ताओं को यह अवश्य बताएं कि उन्हें पेसमेकर लगा हुआ है। वे अपने पास वह पहचान पत्र भी रखें जो चिकित्सक उन्हें देता है। इस कार्ड में पेसमेकर के बारे में जानकारी होती है। बड़े चुम्बकों, जैसे एम आर आई परीक्षणों के लिये उपयोग किए जाने वाले चुम्बकों से दूर रहें। कार के ईंजन में न झुकें या वेल्डिंग न करें। जिस तरफ़ पेसमेकर रखा हो, मोबाइल फोनों का उपयोग उससे विपरीत तरफ़ वाले कान में करें। माईक्रोवेव ओवन, कम्प्युटर, टोस्टर, हेयरड्रायर और हीटिंग पैडों जैसे घरेलू उपकरणों का उपयोग करना सुरक्षित है। हवाई अड्डों पर सुरक्षा विभाग में सुरक्षित रूप से गुजर सकते है। रोगी अपने साथ अपना पेसमेकर पहचान पत्र अवश्य रखें।
विकास
अब पेसमेकर को रिमोट की सहायता से नियंत्रित और मॉनिटर करना संभव है। रोगी घर बैठे ही इस पेसमेकर को फोन लाइन के द्वारा अपने चिकित्सक से पेसमेकर की कार्यशैली की जांच करवा सकते हैं। हाल के समाचारों द्वारा ज्ञात हुआ है कि अब पेसमेकर प्रत्यारोपित करवा चुके रोगी भी सुरक्षित रूप से एमआरआई करवा सकते हैं। जयपुर के एक निजी अस्पताल में एमआरआई सुरक्षित पेसमेकर का सफल प्रत्यारोपण किया गया है। यह प्रत्यारोपण फोर्टिस एस्कॉर्ट अस्पताल के ह्वदय रोग विशेषज्ञ द्वारा किया गया है और राज्य में पहला इस प्रकार का प्रत्यारोपण था। संसार में ३० लाख लोग पेसमेकर के साथ जीवन व्यतीत कर रहे हैं और इनमें से ५०-७५% लोगों को अन्य रोगों के कारण एमआरआई स्कैन करवाने की आवश्यकता पड़ती है। इस पेसमेकर को प्रत्यारोपित करवाने वाले रोगी सुरक्षित रूप से एमआरआई करा सकते हैं।