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कल्पना चावला
कल्पना चावला | |
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अन्तरिक्ष यात्री | |
राष्ट्रीयता | संयुक्त राज्य अमरीका
भारत |
स्थिति | दिवंगत |
जन्म |
भारांग: फाल्गुन 26, 1883 ग्रेगोरी कैलेण्डर: मार्च 17, 1962 करनाल, हरियाणा, भारत |
मृत्यु | 1 फरवरी 2003 (आयु 41 वर्ष) टेक्सास के ऊपर |
पिछ्ला व्यवसाय |
शोध वैज्ञानिक |
अंतरिक्ष में बीता समय | 31दि 14घं 54 मि |
चयन | 1994 नासा समूह |
मिशन | एसटीएस-८७, एसटीएस-१०७ |
मिशन उपलब्धियाँ |
कल्पना चावला (भारांग: फाल्गुन 26, 1883 / ग्रेगोरी कैलेण्डर: मार्च 17, 1962 - 1 फरवरी 2003), एक भारतीय अमरीकी अन्तरिक्ष यात्री और अन्तरिक्ष शटल मिशन विशेषज्ञ थी और अन्तरिक्ष में जाने वाली प्रथम भारतीय महिला थी। वे कोलंबिया अन्तरिक्ष यान आपदा में मारे गए सात यात्री दल सदस्यों में से एक थीं।
अनुक्रम
प्रारंभिक जीवन
भारत की महान बेटी-कल्पना चावला करनाल, हरियाणा, भारत में जन्मी थी। उनका जन्म 17 मार्च् सन् 1962 में हुआ था। उनके पिता का नाम श्री बनारसी लाल चावला और माता का नाम संजयोती देवी था। वह अपने परिवार के चार भाई बहनो में सबसे छोटी थी। घर में सब उसे प्यार से मोंटू कहते थे। कल्पना की प्रारंभिक पढाई “टैगोर बाल निकेतन” में हुई। कल्पना जब आठवी कक्षा में पहुचीं तो उन्होंने इंजीनियर बनने की इच्छा प्रकट की। उसकी माँ ने अपनी बेटी की भावनाओं को समझा और आगे बढने में मदद की। पिता उसे चिकित्सक या शिक्षिका बनाना चाहते थे। किंतु कल्पना बचपन से ही अंतरिक्ष में घूमने की कल्पना करती थी। कल्पना का सर्वाधिक महत्वपूर्ण गुण था - उसकी लगन और जुझार प्रवृति। कल्पना न तो काम करने में आलसी थी और न असफलता में घबराने वाली थी। उनकी उड़ान में दिलचस्पी J R D Tata 'जहाँगीर रतनजी दादाभाई टाटा से प्रेरित थी जो एक अग्रणी भारतीय विमान चालक और उद्योगपति थे।
शिक्षा
कल्पना चावला ने प्रारंभिक शिक्षा टैगोर पब्लिक स्कूल करनाल से प्राप्त की। आगे की शिक्षा वैमानिक अभियान्त्रिकी में पंजाब इंजिनियरिंग कॉलेज, चंडीगढ़, भारत से करते हुए 1982 में अभियांत्रिकी स्नातक की उपाधि प्राप्त की। वे संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए 1982 में चली गईं और 1984 वैमानिक अभियान्त्रिकी में विज्ञान निष्णात की उपाधि टेक्सास विश्वविद्यालय आर्लिंगटन से प्राप्त की। कल्पना जी ने 1986 में दूसरी विज्ञान निष्णात की उपाधि पाई और 1988 में कोलोराडो विश्वविद्यालय बोल्डर से वैमानिक अभियंत्रिकी में विद्या वाचस्पति की उपाधि पाई। कल्पना जी को हवाईजहाज़ों, ग्लाइडरों व व्यावसायिक विमानचालन के लाइसेंसों के लिए प्रमाणित उड़ान प्रशिक्षक का दर्ज़ा हासिल था। उन्हें एकल व बहु इंजन वायुयानों के लिए व्यावसायिक विमानचालक के लाइसेंस भी प्राप्त थे। अन्तरिक्ष यात्री बनने से पहले वो एक सुप्रसिद्ध नासा कि वैज्ञानिक थी।
एम्स अनुसंधान केंद्र
१९८८ के अंत में उन्होंने नासा के एम्स अनुसंधान केंद्र के लिए ओवेर्सेट मेथड्स इंक के उपाध्यक्ष के रूप में काम करना शुरू किया, उन्होंने वहाँ वी/एसटीओएल में सीएफ़डी पर अनुसंधान किया।
नासा कार्यकाल
कल्पना जी मार्च 1995 में नासा के अंतरिक्ष यात्री कोर में शामिल हुईं और वे 1997 में अपनी पहली उड़ान के लिए चुनी गयीं थी। उनका पहला अंतरिक्ष मिशन 19 नवम्बर 1997 को छह अंतरिक्ष यात्री दल के हिस्से के रूप में अंतरिक्ष शटल कोलंबिया की उड़ान एसटीएस-87 से शुरू हुआ। कल्पना जी अंतरिक्ष में उड़ने वाली प्रथम भारत में जन्मी महिला थीं और अंतरिक्ष में उड़ाने वाली भारतीय मूल की दूसरी व्यक्ति थीं। राकेश शर्मा ने १९८४ में सोवियत अंतरिक्ष यान में एक उड़ान भरी थी। कल्पना जी अपने पहले मिशन में १.०४ करोड़ किलोमीटर या ६५ लाख मील का सफ़र तय कर के ३६५ घंटों में पृथ्वी की २५२ परिक्रमाएँ कीं । एसटीएस-87 के दौरान स्पार्टन उपग्रह को तैनात करने के लिए भी ज़िम्मेदार थीं, इस खराब हुए उपग्रह को पकड़ने के लिए विंस्टन स्कॉट और तकाओ दोई को अंतरिक्ष में चलना पड़ा था। पाँच महीने की तफ़्तीश के बाद नासा ने कल्पना चावला को इस मामले में पूर्णतया दोषमुक्त पाया, त्रुटियाँ तंत्रांश अंतरापृष्ठों व यान कर्मचारियों तथा ज़मीनी नियंत्रकों के लिए परिभाषित विधियों में मिलीं।
एसटीएस-८७ की उड़ानोपरांत गतिविधियों के पूरा होने पर कल्पना जी ने अंतरिक्ष यात्री कार्यालय में, तकनीकी पदों पर काम किया, उनके यहाँ के कार्यकलाप को उनके साथियों ने विशेष पुरस्कार दे के सम्मानित किया।
१९८३ में वे एक उड़ान प्रशिक्षक और विमानन लेखक, जीन पियरे हैरीसन से मिलीं और शादी की और १९९० में एक देशीयकृत संयुक्त राज्य अमेरिका की नागरिक बनीं।
भारत के लिए चावला की आखिरी यात्रा १९९१-१९९२ के नए साल की छुट्टी के दौरान थी जब वे और उनके पति, परिवार के साथ समय बिताने गए थे। २००० में उन्हें एसटीएस-१०७ में अपनी दूसरी उड़ान के कर्मचारी के तौर पर चुना गया। यह अभियान लगातार पीछे सरकता रहा, क्योंकि विभिन्न कार्यों के नियोजित समय में टकराव होता रहा और कुछ तकनीकी समस्याएँ भी आईं, जैसे कि शटल इंजन बहाव अस्तरों में दरारें। १६ जनवरी २००३ को कल्पना जी ने अंततः कोलंबिया पर चढ़ के विनाशरत एसटीएस-१०७ मिशन का आरंभ किया। उनकी ज़िम्मेदारियों में शामिल थे स्पेसहैब/बल्ले-बल्ले/फ़्रीस्टार लघुगुरुत्व प्रयोग जिसके लिए कर्मचारी दल ने ८० प्रयोग किए, जिनके जरिए पृथ्वी व अंतरिक्ष विज्ञान, उन्नत तकनीक विकास व अंतरिक्ष यात्री स्वास्थ्य व सुरक्षा का अध्ययन हुआ। कोलंबिया अंतरिक्ष यान में उनके साथ अन्य यात्री थे-
- कमांडर रिक डी . हुसबंद
- पायलट विलियम स. मैकूल
- कमांडर माइकल प . एंडरसन
- इलान रामों
- डेविड म . ब्राउन
- लौरेल बी . क्लार्क
अंतरिक्ष पर पहुंचने वाली पहली भारतीय महिला कल्पना चावला की दूसरी अंतरिक्ष यात्रा ही उनकी अंतिम यात्रा साबित हुई। सभी तरह के अनुसंधान तथा विचार - विमर्श के उपरांत वापसी के समय पृथ्वी के वायुमंडल में अंतरिक्ष यान के प्रवेश के समय जिस तरह की भयंकर घटना घटी वह अब इतिहास की बात हो गई। नासा तथा विश्व के लिये यह एक दर्दनाक घटना थी।
१ फ़रवरी २००३ को कोलंबिया अंतरिक्षयान पृथ्वी की कक्षा में प्रवेश करते ही टूटकर बिखर गया। देखते ही देखते अंतरिक्ष यान और उसमें सवार सातों यात्रियों के अवशेष टेक्सास नामक शहर पर बरसने लगे और सफ़ल कहलया जाने वाला अभियान भीषण सत्य बन गया।
ये अंतरिक्ष यात्री तो सितारों की दुनिया में विलीन हो गए लेकिन इनके अनुसंधानों का लाभ पूरे विश्व को अवश्य मिलेगा। इस तरह कल्पना चावला के यह शब्द सत्य हो गए,” मैं अंतरिक्ष के लिए ही बनी हूँ। प्रत्येक पल अंतरिक्ष के लिए ही बिताया है और इसी के लिए ही मरूँगी।“
पुरस्कार
मरणोपरांत:
- काँग्रेशनल अंतरिक्ष पदक के सम्मान
- नासा अंतरिक्ष उड़ान पदक
- नासा विशिष्ट सेवा पदक
मेमोरिया
- टेक्सास विश्वविद्यालय एल पासो (यूटीईपी) में भारतीय छात्र संघ (आईएसए) द्वारा २००५ में मेधावी छात्रों को स्नातक के लिए। कल्पना चावला यादगार छात्रवृत्ति कार्यक्रम स्थापित किया गया
- छोटा तारा 51826 Kalpanachawla , एक सात प्रशंसा पत्र के नाम से कोलंबिया (Columbia)'चालक दलों
- 5 फ़रवरी 2003 को, भारत के प्रधानमंत्री ने घोषणा की कि उपग्रहों के मौसम श्रृंखला, "METSAT ","कल्पना ". के नाम से होगा। श्रृंखला का पहला उपग्रह METSAT-1 (METSAT-1)", भारत द्वारा12 सितम्बर 2002 को "कल्पना-1 (KALPANA-1)". के रूप में शुरू किया जाएगा "कल्पना-2 (KALPANA-2)"2007 से शुरू होने की उम्मीद है।
- न्यूयॉर्क शहर में जैक्सन हाइट्स क्वींस (Queens) के 74. स्ट्रीट के नाम को 74. स्ट्रीट कल्पना चावला का रास्ताके रूप में पुनः नामकरण किया गया है
- टेक्सास विश्वविद्यालय के Arlington (University of Texas at Arlington) (जहाँ चावला ने एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में मास्टर विज्ञान की डिग्री1984 में प्राप्त की) में उसके सम्मान में एक शयनागार (dormitory), कल्पना चावला हॉल, के नाम से 2004 में. रखा गया
- कल्पना चावला पुरस्कार कर्नाटक सरकार के द्वारा पुरस्कार के रूप में 2004 में युवा महिला वैज्ञानिकों के लिए स्थापित किया गया
- पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज, में लड़कियों का छात्रावास कल्पना चावला के नाम पर है। इसके अतिरिक्त, INR (INR) के लिए पच्चीस हजार, एक पदक और एयरोनाटिकल इंजीनियरिंग विभाग के सर्वश्रेष्ठ छात्र के लिए प्रमाण पत्र और पुरस्कार को स्थापित किया गया है
- नासा ने कल्पना के नाम से एक सुपर कंप्यूटर समर्पित किया है।
- फ्लोरिडा प्रौद्योगिकी संस्थान (Florida Institute of Technology) के कोलंबिया ग्राम सूट के एक 'विद्यार्थी अपार्टमेंट परिसरों, में चावला सहित प्रत्येक अंतरिक्ष यात्री के नाम पर हॉल है।
- नासा के मार्स एक्सप्लोरेशन रोवर मिशन सात चोटियों के श्रृंखला की हिल्स के नाम से है कोलंबिया हिल्स (Columbia Hills) के नाम पर कल्पना चावला समेत सात अंतरिक्ष यात्री जो कोलंबिया शटल आपदा बाद खो गया उनके नाम से चावला पहारी है, .
- स्टीव मोर्स (Steve Morse) ने कोलंबिया त्रासदी की याद में डीप पर्पल (Deep Purple) बैंड ने एक गाना बनाया जिसे "संपर्क खोया" कहा इस एलबम पर केले = बनाना (Bananas). गीत पाया जा सकता है
- उसका भाई, संजय चावला, ने टिप्पणी की "मेरे लिए मेरी बहन मरी नहीं, है। वह अमर है। क्या ऐसा नहीं है कि एक सितारा क्या है?वह आकाश में एक स्थायी सितारा है। वह हमेशा ऊपर दिखे जायेंगे जहाँ स वह सम्बंधित है "
- उपन्यासकार पीटर दाऊद (Peter David) ने उनकी 2007 में अंतरिक्ष यात्री के बाद चावलाका नाम shuttlecraft (shuttlecraft) के रूप में दिया है, स्टार ट्रेक (Star Trek) उपन्यास स्टार ट्रेक: अगली पीढ़ी: इससे पहले अनादर.
- ज्योतिसर,कुरुक्षेत्र में हरियाणा सरकार ने तारामंडल बनाया जिसका नाम कल्पना चावला के नाम पर् रखा गया है।
इन्हें भी देखें
बाहरी कड़ियाँ
आगे के अध्ययन के लिए
- गुरदीप पंधेर द्वारा सितारे-जीवन और कल्पना चावला के सपने के बीच
- इन्द्र गुप्ता द्वारा भारत के 50 सबसे शानदार महिला (ISBN 81-88086-19-3)
विकिपरियोजना हिन्द की बेटियाँ में शामिल साहसी महिलाओं की जीवनियाँ
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भारत की साहसी महिलाएँ |
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राजनीति / प्रशासन | गुजरात की मुख्यमंत्री- आनंदीबेन पटेल • राष्ट्रपति-प्रतिभा पाटिल • प्रधानमंत्री - इंदिरा गाँधी • केंद्रीय मंत्री - राजकुमारी अमृत कौर • लोकसभा अध्यक्ष - मीरा कुमार • राज्यसभा उपसभापति - नजमा हेपतुल्ला • लोकसभा प्रतिपक्ष नेता - सुषमा स्वराज • सांसद - राधाबाई सुबरायण • राज्यपाल-सरोजिनी नायडू • मुख्यमंत्री-सुचेता कृपलानी • मुस्लिम मुख्यमंत्री-सैयद अनवरा तैमूर • दलित मुख्यमंत्री- मायावती • राजदूत - विजय लक्ष्मी पण्डित • नोबल पुरस्कार सम्मानित - मदर टेरेसा • सर्वोच्च न्यायालय में न्यायाधीश - फातिमा बीबी • आई. ए . एस. अधिकारी - अन्ना राजम मल्होत्रा • आई . पी. एस . अधिकारी - किरण वेदी • विदेश सचिव - चोकिला अय्यर • संयुक्त राष्ट्र साधारण सभा की अध्यक्ष - विजय लक्ष्मी पण्डित • उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश - लीला सेठ • उच्च न्यायालय की जज - अन्ना चांडी • मुख्य सूचना आयुक्त-दीपक संधू • आई . एफ. एस . अधिकारी - बेनो जेफीन
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कला / सौंदर्य | फोटो जर्नलिस्ट - होमी व्यरावाला • सिनेमा अभिनेत्री - देविका रानी • बुकर पुरस्कार विजेता - अरुंधती राय • मिस वर्ल्ड - रीता फारिया • मिस यूनिवर्स - सुष्मिता सेन • |
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खेल / साहस | अशोक चक्र से सम्मानित कांस्टेबल- कमलेश कुमारी • अशोक चक्र से सम्मानित सिविलियन- नीरजा भनोट • अर्जुन पुरस्कार विजेता - एन. लमस्दें • एशियाई खेलो में पदक विजेता - कमल जीत संधू • ओलम्पिक खिलाड़ी - मेरी लीला रो • ओलम्पिक पदक विजेता - कर्णम मल्लेश्वरी • विश्व एथलेटिक्स में पदक विजेता - अंजू बॉबी जॉर्ज • विश्व बैडमिंटन चैंपियनशिप में एकल पदक जीतने वाली -पी॰वी॰ सिंधू • टेस्ट क्रिकेट में दोहरा शतक -मिताली राज • अन्टार्क्टिका पर पहुचने वाली - मेहर मूसा • उत्तरी ध्रुव पर पहुचने वाली - प्रीती सेनगुप्ता • इंग्लिश चैनल पर करने वाली - आरती साहा • एवरेस्ट पर चढ़ने वाली - बछेंद्री पाल • एवरेस्ट पर दो बार चढ़ने वाली - संतोष यादव • साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता - अमृता प्रीतम • ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता - आशापूर्णा देवी • माउंट एवरेस्ट फतह करने वाली पहली भारतीय विकलांग-अरूणिमा सिन्हा • भारत की पहली आदिवासी महिला एवरेस्ट पर चढ़ने वाली - विनीता सोरेन • 48 साल की उम्र में भारत की पहली महिला एवरेस्ट पर चढ़ने वाली प्रेमलता अग्रवाल• दक्षिण ध्रुव तक स्की करने वाली पहली भारतीय महिला रीना कौशल धर्मशक्तु
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विविध | व्यावसायिक पायलट - प्रेमा माथुर • वायु सैनिक पायलट- हरिता कौर देयोल • अन्तरिक्ष यात्री - कल्पना चावला • रेमन मेगसेसे पुरस्कार विजेता - किरण बेदी • भारतीय विश्वविद्यालय से उत्तीर्ण स्नातक और फिजीशियन - कादम्बिनी गांगुली • विदेश से शिक्षा प्राप्त करने वाली चिकित्सक - आनंदीबाई जोशी • किसी विदेशी बैंक की अध्यक्ष -नैना लाल किदवई • |