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कंधे की अकड़न

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Adhesive capsulitis of shoulder
वर्गीकरण व बाहरी संसाधन
आईसीडी-१० M75.0
आईसीडी- 726.0
रोग डाटाबेस 34114
मेडलाइन+ 000455
ई-मेडिसिन orthoped/372 

फ्रोजेन शोल्डर (अकड़े हुए कंधे), जिसे चिकित्सकीय रूप से आसंजी सम्‍पुट-प्रदाह (कैप्‍सूलाइटिस) कहा जाता है, एक विकार है, जिसमें कंधे का कैप्‍सूल, कंधे के अंसगत तथा प्रगण्डिका संबंधी जोड़ को घेरने वाला संयोजी ऊतक सूजा हुआ एवं कठोर बन जाता है, जो गति को अत्यधिक नियंत्रित कर देता है एवं तीव्र दर्द उत्पन्न करता है।

आसंजी सम्‍पुट-प्रदाह (कैप्‍सूलाइटिस) कष्टदायक एवं असमर्थकारी स्थिति होती है, जो धीमे स्वास्थ्य लाभ के कारण अक्सर रोगियों एवं देखभाल करने वाले व्यक्तियों के लिए निराशा उत्पन्न करती है। कंधे की गति अत्यधिक सीमित हो जाती है। दर्द आम तौर पर अनवरत होता है, जो रात के समय अधिक बुरा होता है, जब मौसम ठंडा होता है एवं सीमित गति के साथ-साथ छोटे से छोटे कार्यों को भी असंभव बना देता है। कुछ गतियां या सूजन तीव्र दर्द की अचानक शुरु हो सकते हैं एवं ऐंठन उत्पन्न कर सकते हैं, जो कई मिनटों तक जारी रह सकते हैं।

यह स्थिति, जिसके सही-सही कारण का पता नहीं है, पांच महीने से तीन वर्षों या अधिक समय तक जारी रह सकती है एवं कुछ स्थितियों में इसे संबंधित हिस्से में चोट या आघात के द्वारा उत्पन्न हुआ माना जाता है। यह माना जाता है कि इसका एक स्व-प्रतिरक्षित अवयव हो सकता है, जिसमें शरीर कैप्सूल में स्थित स्वस्थ ऊतकों पर हमला करता है। जोड़ में तरल पदार्थ का भी अभाव होता है, जो गति को और अधिक सीमित करता है।

रोजमर्रा के कार्यों में कठिनाई के अलावा, आसंजी सम्‍पुट-प्रदाह (कैप्‍सूलाइटिस) से प्रभावित होने वाले लोग रात के समय और भी तेज होने वाले दर्द के कारण अधिक लंबे समय तक सोने की समस्याओं एवं सीमित गतियों/स्थितियों का अनुभव करते हैं। यह स्थिति अवसाद, दर्द और गर्दन तथा पीठ में में समस्याएं भी उत्पन्न कर सकती है।

फ्रोजेन शोल्डर के जोखिम वाले कारकों में मधुमेह, दौरा पड़ना, दुर्घटनाएं, फेंफड़े का रोग, संयोजी ऊतक विकार और हृदय रोग शामिल हैं। 40 वर्ष से कम उम्र के लोगों में यह स्थिति शायद ही कभी दिखाई देती है।

इलाज कष्टदायक एवं भार डालने वाला हो सकता है एवं इसमें शारीरिक चिकित्सा, औषधि, मालिश चिकित्सा, शोथ संबंधी फैलाव या शल्य-चिकित्सा (सर्जरी) शामिल हो सकता है। एक डॉक्टर संज्ञाहरण के बाद हेरफेर भी कर सकता है, जो गति की कुछ सीमा वापस लौटाने के लिए जोड़ में आसंजनों तथा क्षतिग्रस्त उतक को तोड़ता है। दर्द और सूजन को दर्दनाशक दवाओं और एनएसएआईडी (NSAIDs) के द्वारा नियंत्रित किया जा सकता है। इस स्थिति स्वत:-सीमित करने वाली होती है: यह आम तौर पर बिना शल्य-चिकित्सा के समय के साथ विघटित करती है, लेकिन इसमें दो वर्षों तक का समय लग सकता है। अधिकांश लोग समय के साथ लगभग 90% कंधे की गति पुन: प्राप्त करते हैं। जो लोग आसंजी सम्‍पुट-प्रदाह (कैप्‍सूलाइटिस) से पीड़ित होते हैं, उन्हें कई महीनों तक या अधिक लंबे समय तक काम करने में एवं सामान्य जीवन की गतिविधियों के संबंध में अत्यधिक कठिनाई होती है।

प्रस्तुति

कंधे की गति गंभीर रूप से सीमित हो जाती है। यह अवस्था कभी-कभी चोट के कारण उत्पन्न होती है जो दर्द के कारण प्रयोग की कमी उत्पन्न करती है लेकिन यह अक्सर स्वत: बिना किसी स्पष्ट पिछले कारण पैदा करने वाले कारक के कारण भी उत्पन्न होती है (बिना किसी कारण के उत्पन्न होने वाला फ्रोजेन शोल्डर). आमवाती रोग का विकास एवं हाल के कंधे की शल्य-चिकित्सा भी दर्द का स्वरूप एवं फ्रोजेन शोल्डर के समान ही सीमाएं उत्पन्न कर सकती है। सविराम उपयोग की अवधियां सूजन उत्पन्न कर सकती है।

श्लेष्मक गुहाओं में स्थित तरल की कमी हो जाती है, जो आम तौर फ्रोजेन शोल्डर में प्रगंडिका (ऊपरी बांह की हड्डी) एवं स्कंधफलक में गर्तिका (स्कंधास्थि) के बीच के अंतराल को चिकना बनाकर कंधे के जोड़ की गति में मदद करता है। कैप्सूल और प्रगंडिका के गोलक के बीच यही प्रतिबंधित स्थान आसंजी सम्‍पुट-प्रदाह (कैप्‍सूलाइटिस) का एक कम जटिल, कष्टदायक, कठोर कंधे से अंतर बताता है। मधुमेह, दौरा पड़ने, फेंफड़े के रोग, आमवाती गठिया (संधिशोथ) एवं हृदय रोग से पीड़ित व्यक्तियों या दुर्घटना के शिकार व्यक्तियों में फ्रोजेन शोल्डर होने का अधिक बड़ा जोखिम होता है। आसंजी सम्‍पुट-प्रदाह (कैप्‍सूलाइटिस) को कुछ उच्च रूप से सक्रिय रीट्रोवायरस को नष्ट करने या रोकने वाली चिकित्सा (एचएएआरटी) के कुछ प्रकारों के संभावित प्रतिकूल प्रभाव के रूप में सूचित किया गया है।

यह स्थिति 40 वर्ष से कम उम्र के लोगों में, कम से कम इसके बिना किसी कारण के उत्पन्न होने रूप में, शायद ही दिखाई देती है और यह पुरुषों की तुलना में महिलाओं में अधिक आम होती है (70% रोगी 40-60 आयु वर्ग की महिलाएं हैं). मधुमेह के रोगियों में फ्रोजेन शोल्डर को गैर-मधुमेह ग्रसित आबादी की तुलना में आम तौर पर अधिक कष्टप्रद अवस्था माना जाता है एवं स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करने में लंबा समय लगता है।

ऐसे मामलों की सूचना स्तन या फेफड़ों की शल्य-चिकित्सा के बाद भी प्राप्त हुई है।

रोकथाम

समस्या को रोकने के लिए, एक आम सलाह कंधे के जोड़ को पूर्ण रूप से हिलाते-डुलाते रहना है, ताकि फ्रोजेन शोल्डर को रोका जा सके। अक्सर जब कंधा अकड़ने लगता है तो यह घायल हो सकता है। चूंकि दर्द गति को अवरुद्ध करता है, तो गति को अवरुद्ध करने वाले आसंजन का और अधिक विकास होगा, जब तक की जोड़ पूर्ण रूप से सभी दिशाओं (अभिवर्तन, अपावर्तन, आकुंजन, आवर्तन एवं फैलाव) में घूमना जारी नहीं रहता है। शारीरिक चिकित्सा निरंतर गति के द्वारा सहायता करती है।

लिंक शीर्षकमोटे अक्षरों में पाठ्य == लक्षण एवं निदान == फ्रोजेन शोल्डर का एक लक्षण यह है की इसमें जोड़ अत्यधिक कठोर एवं सख्त हो जाता है, इतना कि सामान्य सा हिलना-डुलना जैसे बांह उठाना भी लगभग असंभव हो जाता है। सबसे अधिक बाधित गति कंधे का बाहरी आवर्तन है।

लोग यह शिकायत करते हैं कि कठोरता और दर्द रात में अधिक बढ़ जाते हैं। फ्रोजेन शोल्डर के कारण होने वाला दर्द आम तौर मंद या पीड़ादायक होता है। यह हिलाने-डुलाने की कोशिश या सूजन होने से अधिक बढ़ सकता है। यदि एक शारीरिक जांच में कंधे की सीमित गति का पता चलता है तो एक शारीरिक चिकित्सक रोगी को फ्रोजेन शोल्डर होने का संदेह कर सकता है। फ्रोजेन शोल्डर का निदान किया जा सकता है, यदि सक्रिय गति की सीमा (मांशपेशियों के सक्रिय उपयोग से गति सीमा) पर रोक प्रायः एक ही या निष्क्रिय गति सीमा (एक व्यक्ति के द्वारा बांह एवं कंधे को हिलाने-डुलाने से प्राप्त गति की सीमा) पर रोक सामान होते हैं। एक संधिचित्र (ऑर्थ्रोग्राम) या एमआरआई (MRI) स्कैन निदान की पुष्टि कर सकता है, हालांकि व्यवहार में इसकी शायद ही जरुरत होती है।

एक फ्रोजेन शोल्डर के सामान्य कोर्स का वर्णन तीन चरणों में किया गया है:

  • प्रथम चरण: "अकड़ने वाला" या कष्टदायक चरण, जो छः सप्ताहों से नौ महीनों तक जारी रह सकता है एवं जिसमें रोगी में धीरे-धीरे दर्द का आरम्भ होता है। दर्द बदतर होने पर कंधे की गति समाप्त हो जाती है।
  • द्वितीय चरण: "अकड़े हुए" या आसंजित चरण में दर्द में थोड़ा सुधार होता है, लेकिन कठोरता बनी रहती है। आम तौर पर यह चरण में चार से नौ महीने तक जारी रहता है।
  • तृतीय चरण: "ढीला पड़ना" या स्वास्थ्य लाभ, जब कंधे की गति सामान्य होने लगती है। आमतौर पर यह 5-26 महीने तक जारी रहता है।

प्रबंधन

इस विकार का प्रबंधन जोड़ की गति को बहाल करने और कंधे के दर्द को कम करने पर केंद्रित होता है। आमतौर पर, यह गैर-स्टेरॉयड युक्त प्रदाहरोधी औषधियों (NSAIDs) एवं ताप के व्यवहार के साथ शुरू होता है, जिसके बाद शरीर के अंगों को तानने वाले हल्का अभ्यास किये जाते हैं जिन्हें घर में एक शारीरिक चिकित्सक की सहायता से किया जा सकता है। कुछ मामलों में एक छोटे से बैटरी-चालित उपकरण के द्वारा त्वचा प्रवेशी विद्युतीय तंत्रिका उत्तेजना (टीईएनएस) का प्रयोग तंत्रिकाओं के आवेगों को अवरुद्ध कर दर्द को कम करने के लिए किया जा सकता है।

अगले चरण में अक्सर एक या स्टेरॉयड इंजेक्शनों जैसे कि मिथाइल प्रेडनिसोलोन की श्रेणी (छह तक) का प्रयोग करना शामिल होता है। इलाज कई महीनों के लिए जरूरी हो सकता है। आम तौर पर इंजेक्शन विकिरण-चिकित्सा संबंधी (रेडियोलॉजिकल) मार्गदर्शन में, प्रतिदीप्तिदर्शन, अल्ट्रासाउंड या परिकलित टॉमोग्राफी (सी टी) के साथ दिए जाते हैं। विकिरण-चिकित्सा संबंधी (रेडियोलॉजिकल) मार्गदर्शन का उपयोग किया जाता है, ताकि सुई को कंधे के जोड़ में सुरक्षित रूप से और सही ढंग से दिया जाए. इस स्थिति की विशेषता सूजन को कम करने के लिए जोड़ में कॉर्टिसोन (Cortisone) का इंजेक्शन दिया जाता है। अक्सर कैप्सूल के फटने वाले स्थान पर संकुचन के कारण दर्द एवं गति की कमी (जलीय फैलाव या संधिचित्रण) को दूर करने के लिए सामान्य लवणयुक्त घोल का इंजेक्शन देकर कंधे के कैप्सूल को भी फैलाया जा सकता है; 2008 में शोध ने जलीय फैलाव के लाभ के संबंध में प्रश्न किया है कि यह केवल कोर्टिसोन का इंजेक्शन देने की तुलना में कोई सांख्यिकीय लाभ नहीं प्रदान करता है।

यदि ये उपाय विफल हुए तो चिकित्सक आसंजन को रोकने के लिए सामान्य संज्ञाहरण के तहत हस्त-कौशल द्वारा कंधे को ठीक करने की सलाह दे सकते हैं। अधिक लंबे समय से कायम एवं गंभीर स्थितियों में आसंजनों (कैप्सूल संबंधी स्राव) को काटने के लिये शल्य चिकित्सा की सलाह दी जा सकती है; आम तौर पर यह प्रक्रिया संधिचित्रण द्वारा की जाती है। कंधे के साथ अन्य समस्याओं में सुधार करने के लिये की गई शल्य-चिकित्सा जैसे कि जैसे, असंकूट टकराव या आवर्तनी पेशी कफ़ में फटन की भी जरूरत हो सकती है।

शारीरिक चिकित्सा में मालिश चिकित्सा और कभी-कभी कंधे को गर्म करने के बाद दैनिक रूप से कंधे को विस्तृत रूप से तानना शामिल हो सकता है।

वैकल्पिक चिकित्सा उपचार में शामिल होते हैं:

  • दर्द प्रबंधन के लिए एक्यूपंक्चर और गति की बढ़ी हुई सीमा
  • पोषण
  • अस्थिचिकित्सा
  • काइरिप्रैक्टिक चिकित्सा पद्धति
  • जलीय चिकित्सा, जैसे कि जल में व्यायाम, खनिज जलीय स्नान-टब का व्यवहार
  • होम्योपैथी जोड़ों से संबंधित अन्य शिकायतों के साथ फ्रोज़ेन शोल्डर का उपचार करने के लिये रसटॉक्स (Rhustox 30) नामक एक दवा का प्रयोग किया जाता है।

इन्हें भी देखें

  • कैल्सिफिक टेंडिनीटिस

यह लेख सार्वजनिक क्षेत्र दस्तावेज़ "फ्रोजेन शोल्डर" से लिया गया है, हड्डी रोग सर्जन के अमेरिकी अकादमी, यूआरएल (URL) http://orthoinfo.aaos.org/fact/thr_report.cfm?Thread_ID=162&topcategory=Shoulder. से उपलब्ध.

बाहरी कड़ियाँ


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