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ओझा

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साइबेरिया क्षेत्र की ख़कास जाति की एक स्त्री ओझा की सन् १९०८ में ली गई तस्वीर

ओझा (अंग्रेज़ी: shaman, शेमन या शामन) पारम्परिक समाजों में ऐसे व्यक्ति को कहा जाता है जिनके बारे में यह विश्वास हो कि उनमें प्रत्यक्ष दुनिया से बाहर किसी रूहानी दुनिया, आत्माओं, देवी-देवताओं या ऐसे अन्य ग़ैर-सांसारिक तत्वों से सम्पर्क रखने या उनकी शक्तियों से लाभ उठाने की क्षमता है। ओझाओं के बारे में यह धारणा होती है कि वे अच्छी और बुरी आत्माओं तक पहुँचकर उनपर प्रभाव डाल सकते हैं और अक्सर ऐसा करते हुए वे किसी विशेष चेतना की अवस्था में होते हैं। ऐसी अवस्था को अक्सर किसी देवी-देवता या आत्मा का 'चढ़ना' या 'हावी हो जाना' कहतें हैं। पारम्परिक समाजों में अक्सर चिकित्सा के उपचार भी ओझा ही जाना करते थे। अक्सर जनजातियों या पारम्परिक क़बीलों में ओझाओं का प्रभाव ज़्यादा होता है और उन्हें धर्म और चिकित्सा दोनों का स्रोत माना जाता है।

ओझा धर्म (shamanism, शेमनिज़म) ऐसे धर्म को कहते हैं जो ओझाओं द्वारा ही चलाया जाता हो। साइबेरिया, अफ़्रीका, मंगोलिया, मूल अमेरिकी आदिवासी समाज, जापान और भारत समेत ओझाओं को विश्व भर में जनजातीय समाजों में देखा गया है। जहाँ आधुनिक चिकित्सा उपलप्ध नहीं होती वहाँ अक्सर ओझा ही उपचार करते हैं, मसलन भारत में पारम्परिक रूप से सांप के काटे का इलाज ओझा ही किया करते थे। अक्सर पारम्परिक समाजों में ओझा ही उसके रीति-रिवाजों के रखवाले होते हैं हालांकि वे अक्सर अंधविश्वास और हानिकारक प्रथाओं को फैलाने के लिए भी ज़िम्मेदार ठहराए जाते हैं। मसलन ब्रिटिश राज के दौरान कुछ अंग्रेज़ लेखकों ने भारत में ओझाओं द्वारा 'भूत-प्रेत उतारने' की विधि देखी तो उन्हें स्कोटलैंड में इस से मिलती-जुलती प्रथाओं की याद आई।

कुछ ओझाओं की तस्वीरें

इन्हें भी देखें


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