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ऑक्सीजन चिकित्सा

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ऑक्सीजन चिकित्सा (Oxygen therapy) या पूरक आक्सीजन (supplemental oxygen) से आशय ऑक्सीजन का उपयोग करके किसी रोग या विकार की चिकित्सा करना है। उदाहरण के लिए ऑक्सीजन चिकित्सा का प्रयोग रक्त में आक्सीजन की कमी होने पर, कार्बन मोनोऑक्साइड विषाक्तता होने पर, क्लस्टर सिरदर्द होने पर किया जाता है। नाक से ली जाने वाले बेहोशी की दवाओं के साथ भी पूरक ऑक्सीजन दी जाती है।

ऑक्सीजन देने के लिए अनेक तरीके अपनाए जाते हैं, जैसे नासा प्रवेशिनी (nasal cannula), ऑक्सीजन मास्क, या रोगी को अतिदाबी ऑक्सीजन कक्ष में रखकर

आवश्यक आक्सीजन की मात्रा

एक व्यस्क व्यक्ति जब भी काम कर रहा होता है तो उसे सांस लेने के लिए प्रत्येक मिनट में 6 से 7 लीटर हवा की जरूरत होती है। दिन में 11 हजार लीटर हवा की जरूरी होती है, सांस के जरिये फैफडो़ में जाने वाली हवा में 21% ऑक्सीजन होती है जबकि छोड़ी जानी वाली सांस में 15% ऑक्सीजन होती है। यानि की सांस के जरिये अंदर जाने वाली हवा मात्र 5% का इस्तेमाल होता है और यही 5% वो ऑक्सीजन है जो बाद में कार्बन डाइऑक्साइड में बदलता है इसका मतलब यह हुआ कि 24 घण्टे में 550 लीटर शुद्ध ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है। मेहनत के काम करने या फिर व्यायाम करने में ओर ज्यादा ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है।

स्वास्थ्य व्यस्क व्यक्ति एक मिनट में मात्र 12 से 20 बार सांस लेता है। यदि हर मिनट में 12 से कम या 20 से ज्यादा बार सांस लेना किसी परेशानी की निशानी है।

इन्हें भी देखें


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