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आत्मरति
आत्मरति (नारसिसिज्म अथवा नारसिज्म), व्यक्ति का स्वयं के प्रति असामान्य कामात्मक प्रेमभाव। यूनानी मिथक "नारसिसस" के आधार पर उक्त मनोविकृति का नामकरण किया गया था। नारसिसस नदी के देवता सेफ़िसस तथा अप्सरा लीरिओप से उत्पन्न अति सुंदर बालक था। भविष्यवक्ता टीरेसियस ने घोषणा की थी कि नारिसिसस की उमर काफी लंबी होगी, बशर्ते वह अपना चेहरा न देखे। "एको" नामक अप्सरा अथवा "अमीनियस" के प्रेम को ठुकराने के कारण यूनानी देवता नारसिसस से अप्रसन्न हो गए। फलस्वरूप जलाशय के किनारे जाने पर उसने अपने चेहरे का प्रतिबिंब पानी में देख लिया और उसपर मोहित होकर प्राण त्याग दिए। मृत्युस्थल पर एक पुष्प उगा जिसे मरनेवाले के नाम पर "नारसिसस" (नरगिस) कहा जाने लगा।
उपर्युक्त मिथक के आधार पर फ्रायड ने "आत्मरति" नामक प्रत्यय अथवा कल्पनाधारण को प्रस्तुत करते हुए कहा : "जिस व्यक्ति के आकर्षण की वस्तु बाह्म जगत् में नहीं होती, वह अपने से प्रेम करने लगता है और ऐसा ही व्यक्ति आत्मप्रेमी कहलाता है।" तनाव से मुक्त होने के लिए बाहरी वस्तुओं के प्रति रुचि अथवा आकर्षण का होना आवश्यक है, यह मनोवैज्ञानिक सत्य है और जब व्यक्ति बाह्म वस्तुओं अथवा व्यक्तियों में रस नहीं ले पाता तो उसकी वृत्तियों का केंद्रीकरण स्वयं के प्रति हो जाता है। सामान्यत: ऐसा अंतर्मुखी व्यक्तियों के साथ होता है। संविभ्रम (पैरानोइया) और अकाल मनोभ्रशं (डिमेंशिया प्रीकॉक्स) के रोगी भी इसके शिकार होते हैं। प्रारंभिक आत्मरति में बालक के प्रेम और आकर्षण की वस्तु उसका अपना शरीर मात्र होता है। फ्रायड के मतानुसार यह मनोलैंगिक विकास (साइको-सैक्सुअल डेवलपमेंट) की प्रारंभिक अवस्था है।
इन्हें भी देखें
बाहरी कड़ियाँ
- A Field Guide To Narcissism, Carl Vogel - feature writer for Psychology Today magazine
- Distinctions between Self-Esteem and Narcissism: Implications for Practice, Lilian G. Katz
- The Impact of Narcissism on Leadership and Sustainability, Bruce Gregory Ph.D.
- Information for people who are, or have been in relationship with Narcissists.